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जब राजीव गांधी ने राम जेठमलानी को 'कुत्ता' कह दिया था

भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री की फिसली थी ज़बान.

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राजीव गांधी. उन राजनेताओं में से एक जिनकी छवि शांत, सौम्य मानी जाती है. लेकिन एक किस्सा ऐसा भी है, जब उनका अपनी भाषा पर से कंट्रोल छूट गया था. उन्होंने मशहूर वकील राम जेठमलानी से बदज़ुबानी की थी. किस्सा 1987 का है. बोफोर्स तोपों में दलाली का मसला गर्म था. राम जेठमलानी उस वक़्त स्वीडन के दौरे पर गए हुए थे. भारत ने बोफोर्स तोपें स्वीडन की ही कंपनी से खरीदी थीं. अपने दौरे से लौटने के फ़ौरन बाद राम जेठमलानी ने सीधे उस वक़्त के प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर रिश्वत लेने के इल्ज़ाम मंढ़ दिए. उन्हें चुनौती दी कि वो उनके खिलाफ़ मानहानि का मुकदमा कर के देख लें. उन्होंने कहा,
"प्रधानमंत्री और उनके दोस्तों ने कम से कम 50 करोड़ की रिश्वत ली है. मैं संबंधित लोगों को क्रॉस-एग्जामिन करना पसंद करूंगा."
यूं सीधे टारगेट किए जाने से राजीव गांधी तिलमिला गए. उन्होंने जवाब में ऐसा कुछ कहा, जिसने राजनीति में भाषाई मर्यादा के पतन को ही रेखांकित किया. उन्होंने कहा,
"मैं हर भौंकते हुए कुत्ते का जवाब नहीं दे सकता".
बात यहीं पर ख़त्म नहीं हुई. राम जेठमलानी ने इस बॉडी-लाइन गेंदबाज़ी को अच्छे से खेलते हुए पलटवार किया,
"मुझे कुत्ता कहे जाने पर कोई अपमान महसूस नहीं होता. कुत्ते कम से कम झूठ तो नहीं बोलते और भौंकते भी तभी हैं,  जब चोर को देख लेते हैं. मुझे लोकतंत्र का प्रहरी कुत्ता होने पर गर्व है."
इस जवाब के बाद राजीव गांधी ने चुप्पी साध ली. लेकिन राम जेठमलानी चुप नहीं रहे. उन्होंने राजीव गांधी के खिलाफ़ एक कैम्पेन सा छेड़ दिया. और मंच बनाया रामनाथ गोयनका के 'इंडियन एक्सप्रेस' अखबार को. ये माना जाता था कि ये अखबार राजीव गांधी का आलोचक है. जेठमलानी के ऐलान किया कि वो रोज़ राजीव गांधी से 10 सवाल करेंगे. ये सिलसिला 30 दिनों तक या राजीव गांधी के गद्दी से हट जाने तक चलता रहेगा. इसके बाद रोज़ाना देशभर के अखबारों के पाठकों को इंतज़ार रहने लगा कि आज राजीव गांधी से क्या पूछा जाएगा. राम जेठमलानी के सवाल सरकार से जुड़े कम और राजीव गांधी से जुड़े ज़्यादा होने लगे. जैसे राजीव गांधी के अजिताभ बच्चन से रिश्ते, कमला नेहरू में ट्रस्ट में अजिताभ बच्चन की भूमिका, राजीव के स्पेनी साढू जोस वाल्देमोर, सोनिया की अपनी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी, जॉर्डन के शाह द्वारा भेंट की गई कारें, राजीव के देहरादून के सहपाठी थापर के विमान, अदृश्य हो गए दलाल विन चड्ढा. राम जेठमलानी ने राजीव गांधी को उलाहना देते हुए कहा था,
"प्रधानमंत्री में इतना नैतिक साहस तो होना ही चाहिए कि वे कुछ दिनों के लिए गद्दी से हट जाएं. और कहें कि मामला दायर करो और जांच करा के देख लो."
राजीव गांधी ने इस चैनल को कभी नहीं कबूला. हां बोफोर्स सौदे में रिश्वतखोरी के आरोप उनके गले की हड्डी बने रहे और अगले आम चुनावों में उनकी गद्दी जाती रही. देखिए राजीव गांधी पर एक पॉलिटिकल किस्सा https://www.youtube.com/watch?v=Q-uSgPig69U&feature=youtu.be
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