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PETN ने तो आतंकी की चड्डी में आग लगा दी थी, लखनऊ विधानसभा में जो मिला था, वो सिलिकॉन ऑक्साइड था

खतरनाक एक्सप्लोसिव PETN से जुड़े तीन रोचक किस्से.

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लखनऊ विधानसभा में एक्सप्लोसिव मिलने का खूब बवेला मचा था. सरकार से लेकर जांच एजेंसियां तक कह रही थीं कि फटने वाली चीज थी. इसको PETN कहा जा रहा था. नाम ऐसा बताया गया कि पढ़ने में छक्के छूट जाएं. नाम पता चला कि है पेंटाएरीथ्रिटॉल टेट्रानाइट्रेट. कांड बड़ा बताया गया, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता था. बताया गया कि 150 ग्राम मिला था. आधा किलो होता तो पूरी विधानसभा उड़ जाती. बात आई गई हो गई. जांच चलती रही. नतीजा आया तो पता चला कि ये PETN नहीं सिलिकॉन ऑक्साइड है, जिसका इस्तेमाल खाने में और दवा बनाने में किया जाता है. अब जब पूरा मसाला ही फुस्स निकला तो जांच करने वाली लैब के निदेशक श्याम बिहारी उपाध्याय को 4 अगस्त को सस्सेंड कर दिया गया. उनके खिलाफ जांच भी शुरू कर दी गई.

PETN के कुछ किस्से भी जान लीजिए

PETN क्या है, कैसे काम करता है, कितना नुकसान पहुंचाता है और ब्लास्ट के अलावा किस किस चीज में काम आता है, वो सब दूसरी खबर में बताएंगे. यहां हम आपको पकड़ के इसलिए लाए हैं ताकि इसके बैक फायर बता सकें. गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म देखे हो न? उसमें जो कट्टा सरदार खान बनवाता है, उसका फायर मिस हो जाता है. झल्ला के कहता है कि "का बवासीर बनाए हो?" ये PETN भी एक नहीं कई बार बवासीर साबित हुआ है. तीन सबसे खास किस्से हम बताते हैं.
sardar khan

किस्सा नंबर एक: 'पिछवाड़ा बॉम्बर'

अब्दुल्ला हसन अल असीरी नाम का एक लड़का था. लौंडा सऊदी अरब का था और वहीं की अल कायदा की ब्रांच यानी 'अल कायदा इन अरेबियन पेनिन्सुला' में 'जॉब' कर रहा था. इसकी अल कायदा में भर्ती इसके बड़े भाई इब्राहीम अल असीरी ने कराई थी. इसने 27 अगस्त 2009 को सऊदी के एक मंत्री मुहम्मद बिन नायेफ को जान से मारने का प्लान किया था. लेकिन खुद निपट गया.
Abdullah Hassan al-Asiri

दरअसल इसने आतंक की दुनिया में बड़ी ही कम उम्र में अच्छी ख्याति हासिल कर ली थी. इसने मुहम्मद बिन नायेफ से बात की. कहा कि वो अपने देश के "आतंकी सुधार गृह" में आना चाहता है. सुधरना चाहता है. नायेफ तैयार हो गए.
मुहम्मद बिन नायेफ
मुहम्मद बिन नायेफ

27 अगस्त को उनके जेद्दा वाले घर में मुलाकात का वक्त फिक्स हुआ. वो अपने टट्टी वाली जगह में आधा किलो PETN भर के ले गया था. मेटल डिटेक्टर से आसानी से पार हो गया. क्योंकि वो इसे डिटेक्ट नहीं कर पाता. थोड़ी देर में मंत्री जी आए और इसने ब्लास्ट कर दिया. लोग बताते हैं कि मोबाइल से डेटोनेट किया था. लेकिन उसकी किस्मत इतनी तेज थी कि वो तो ब्लास्ट होकर जन्नत पहुंच गया और उसके शिकार यानी मंत्री जी को सिर्फ हल्की खंरोचें आईं.

किस्सा नंबर दो: 'चड्डी बॉम्बर'

उमर फारुक अब्दुलमुतल्लब इन भाईसाब का नाम था. ये पूरा का पूरा इनका ही है. नाइजीरिया का ये चश्मो चराग भी अल कायदा से ही खर्चा पानी चला रहा था. इन्होंने अपनी चड्डी में भरकर PETN दगा दिया था. नतीजा क्या हुआ आगे बताते हैं.
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साल 2009, क्रिसमस का दिन. अब्दुलमुतल्लब बाबू घाना से ऐम्सटर्डम के लिए रवाना हुए. नॉर्थवेस्ट एयरलाइन्स की फ्लाइट नंबर 253 पर उनकी सवारी हुई जिसका रूट डेट्रॉइट से होकर जाता था. टिकट भैया ने कैश में खरीदी थी, नाइजीरिया का पासपोर्ट पास में था और अमेरिका का टूरिस्ट वीजा भी. तो बाबू साहब प्लेन में चढ़े और उसके कुछ देर बाद वो टॉयलेट में घुस गए.
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तकरीबन 20 मिनट तसल्ली से लैटरीन में बिताने के बाद लौटे तो डेट्रॉइट नजदीक आ चुका था. खुद को कंबल से ढक रखा था और सीट पर जमकर बैठ गए. आस पास के लोगों ने देखा कि उनकी चड्डी में आग लगी हुई है और जलने की बहुत तेज गंध फैल गई. उन बाबू साहब का इरादा पूरा प्लेन हवा में ही ब्लास्ट करने का था. एक डच फिल्म डायरेक्टर ने लपक के उसको नीचे गिराया और फ्लाइट अटेंडेंट्स को बुलाया. लोग आए और आग पर काबू पा लिया गया. लेकिन अब्दुलमुतल्लब की पैंट, चड्डी और अंड बंड सब जल गए थे. उसने बताया कि उसने यही PETN भरकर एक 6 इंच की थैली को चड्डी में सिल रखा था. साथ में एक सिरिंज में एसिड था जिसके संपर्क में आने से ब्लास्ट होता है. इसके साथ एक और एक्सप्लोसिव TATP भी था.
ये जला भुना लौंडा पकड़ा गया और इस पर केस चला. आजकल अमेरिका की एक जेल में झलरा रोटी काट रहा है.

किस्सा नंबर तीन: 'जूता बॉम्बर'

ये कहानी थोड़ी पुरानी है, उस जमाने की जब हमारे देश में लगान रिलीज हुई थी. यानी साल था 2001. रिचर्ड कॉलविन रीड नाम का एक आदमी अल कायदा से रोजी रोटी चला रहा था. ये पहले तो क्रिश्चियन था लेकिन बचपन से ही इसका इसे जुर्म की दुनिया रास आ गई थी. एक जेल में बंद रहने के दौरान इसने इस्लाम कबूला था. फिर पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे अल कायदा के तीर्थों की यात्रा करते हुए एकदम पक्का आतंकी बन गया था. इसने अपने जूते के सोल में PETN छिपाकर प्लेन उड़ाने की कोशिश की थी. लेकिन खेला बदल गया था.
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22 दिसंबर 2001 को पेरिस से मायामी की तरफ फ्लाइट नंबर 63 उड़ी. पहले राउंड का खाना पीना हो गया. तब एक पैसेंजर ने फ्लाइट अटेंडेंट को कहा कि "देखो, कहीं से धुंआं और जलने की बू आ रही है." अटेंडेंट ने सोचा कि माचिस वाचिस जली होगी. फिर वो धुंएं की जड़ तक पहुंची. खिड़की से चिपककर रीड बैठा हुआ था. 6 फिट 4 इंच लंबा 90 किलो का जवान. उसके हाथ में माचिस थी. एयर होस्टेस ने उससे कहा कि फ्लाइट में स्मोकिंग अलाऊ नहीं है.
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फिर रीड अपनी सीट पर झुक गया. फ्लाइट अटेंडेंट ने उससे पूछा "क्या कर रहे हो?" फिर रीड झटके से उठा और फ्लाइट अटेंडेंट की गोद में एक सुलगता हुआ जूता फेंक दिया. साथ में एक फ्यूज और चलती हुई माचिस की तीली थी. अटेंडेंट ने रीड को दो बार पकड़ने की कोशिश की लेकिन उसने बार बार अटेंडेंट को नीचे फर्श पर गिरा दिया. इत्ते में दूसरी अटेंडेंट भी आ गई और फिर कुछ यात्री भी आ गए. एक ने उसके अंगूठे पर काट लिया. फिर सबने धर के दबोच लिया. प्लास्टिक के टुकड़े, सीटबेल्ट, हेडफोन केस यानी जो कुछ जिसके पास था, उसी से धर के दबा दिया. डॉक्टर ने उसको बेहोशी वाला इंजेक्शन ठेल दिया, बस बाबू साहब शांत हो गए. फ्लाइट को तत्काल सबसे नजदीकी बोस्टन एयरपोर्ट पर उतार दिया गया.
अच्छा ये रहा कि PETN ब्लास्ट नहीं हो पाया. क्योंकि मौसम में नमी थी, जूतों में नमी थी. ब्लास्ट करने वाला नया था. फिलहाल ये लौंडा भी अमेरिका की एक जेल में अपने दिन बिता रहा है.


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