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जब अंबानी और अमिताभ बच्चन के पीछे पड़ गए थे वीपी सिंह

25 जून को वीपी सिंह का बड्डे होता है.

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वीपी सिंह वह प्रधानमंत्री थे जिन्होंने सन 1990 में मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया.

विश्वनाथ प्रताप सिंह. भारत के सातवें प्रधानमंत्री. 25 जून 1931 को पैदा हुए थे. पढ़िए इस मौके पर इनके बारे में कुछ खास.

1. भाई की हत्या

विश्वनाथ प्रताप सिंह के भाई की हत्या डाकुओं ने कर दी थी. इसके बारे में कई कहानियां चलती हैं. सिंह ने मुख्यमंत्री रहते हुए डाकुओं के खिलाफ कई अभियान चलाए थे. लोग कहते हैं कि इसीलिए डाकुओं ने उनके भाई को मार दिया था. पर सिंह ने सच्चाई कुछ और बताई. इनके मुताबिक मार्च 1982 में इनके भाई चंद्रशेखर प्रसाद सिंह बच्चों के साथ शिकार पर गए थे.

उस वक्त वो जज हुआ करते थे. शंकरगढ़ के जंगल में शिकार शुरू हुआ. वहां डाकुओं का एक छोटा गिरोह रहता था. उनको गफलत हो गई. उन्हें नहीं पता था कि ये जज हैं और मुख्यमंत्री के भाई हैं. उन्होंने गोली चला दी. चंद्रशेखर को गोली लग गई और उनकी मौत हो गई. इसका सिंह के अभियान से कोई लेना-देना नहीं था. पर कहानी चल पड़ी.

2. जब धरतीपकड़ को ढूंढ लाए वीपी सिंह

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वीपी सिंह एटॉमिक एनर्जी में रिसर्च करना चाहते थे, पर ग्रेजुएशन करते हुए ओवरएज हो गए थे. भाभा इंस्टीट्यूट में एडमिशन लेने के वक्त उम्र निकल गई थी. अमेठी में जब राजीव गांधी चुनाव लड़ रहे थे, तब वहां एक निर्दलीय उम्मीदवार धरतीपकड़ भी लड़ रहे थे. कुछ दिनों तक प्रचार करने के बाद वो गायब हो गए, तो वीपी सिंह ने उनके बारे में पता करवाया, क्योंकि अंदेशा हो रहा था कि उन्हें मरवा दिया गया है. पता चला कि वो मध्य प्रदेश में रह रहे हैं, तो उन्हें पुलिस सुरक्षा मुहैया कराई गई. नाम के चलते वो काफी मशहूर हुए थे.

3. बच्चन और अंबानी के पीछे पड़ गए

जब वीपी सिंह फाइनेंस मिनिस्टर थे, तब वो धीरूभाई अंबानी और अमिताभ बच्चन के टैक्स के पीछे पड़े हुए थे. कहा जाता है कि ये लोग बहुत टैक्स बचाते थे. ये भी कहा जाता है कि वीपी सिंह की इसी जिद के चलते उन्हें फाइनेंस से हटाकर डिफेंस मिनिस्ट्री में डाल दिया गया. वहां पर वीपी ने बोफोर्स घोटाले को लेकर बहुत से पेपर निकाले. इस घोटाले ने राजीव गांधी सरकार की फजीहत कर दी थी.

4. राम मंदिर के मुद्दे के खिलाफ हो गए थे

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बोफोर्स मामले के बाद राजीव ने वीपी सिंह को कांग्रेस से निकाल दिया, तो इन्होंने अपनी पार्टी बना ली. 1989 के लोकसभा इलेक्शन में लड़े. जीते भी. प्रधानमंत्री बने. मंडल कमीशन के सुधारों को ले आए, जो कई सालों से लटके हुए थे. इसके लिए उन्हें लोगों की नाराजगी भी झेलनी पड़ी थी. बीजेपी के राम मंदिर वाले मुद्दे पर वीपी ने प्रतिरोध जताया था, पर पार्टी के कई लोग वीपी के खिलाफ हो गये थे. कहते हैं कि इसी वजह से वीपी की सरकार गिर गई थी.