आज 1 सितंबर को कई अखबारों के पहले पन्ने पर एक विज्ञापन छपा है. विज्ञापन है वेब सीरीज, ‘स्कैम 2003- दी तेलगी स्टोरी (SCAM 2003 The Telgi Story)’ का. इस सीरीज को लेकर लोगों में काफी उत्साह भी है. वजह है, इसके फिल्ममेकर हंसल मेहता और तुषार हीरानंदानी. हर्षद मेहता वही फिल्ममेकर हैं, जिन्होंने बहुचर्चित सीरीज ‘स्कैम 1992: दी हर्षद मेहता स्टोरी (Scam 1992: The Harshad Mehta Story)’ बनाई थी.
Scam 2003: क्या है तेलगी स्कैम की कहानी, जिस पर बनी सीरीज छाई हुई है
30 हजार करोड़ रुपये का घोटाला था. इस पर बनी सीरीज ‘स्कैम 2003’ 1 सितंबर को सोनी लिव पर लाइव हो चुकी है.
.webp?width=360)
स्कैम 1992 में शेयर बाजार घोटाले पर बनी सीरीज थी. सीरीज घोटाले का खुलासा करने वाली पत्रकार सुचेता दलाल और देवाशीष बसु की किताब ‘The Scam- Who Won, Who Lost, Who Lost Away’ पर आधारित थी. इस घोटाले का मास्टरमाइंड था स्टॉक ब्रोकर हर्षद मेहता(Harshad Mehta). हर्षद मेहता ने शेयरों में तिकड़मबाजी करके बैंकों को 4,000 करोड़ रुपये की चपत लगाई थी. ये घोटाला आज भी भारतीय शेयर बाजार का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है.
सोनी लिव पर रिलीज हुई स्कैम 1992 को ढेरों तारीफ और अवॉर्ड भी मिले थे. ये सीरीज आज भी बेस्ट इंडियन वेब सीरीज की लिस्ट में शामिल है. घोटालों पर आधारित वेब सीरीज की कतार में अब बारी है स्कैम 2003 की. स्कैम 2003 सीरीज पत्रकार संजय सिंह की किताब ‘रिपोर्टर की डायरी’ पर आधारित है. यह घोटाला 30,000 करोड़ रुपये का था, जिसने देश की वित्तीय व्यवस्था को बुरी तरह हिलाकर रख दिया था. इस घोटाले का मास्टरमाइंड था अब्दुल करीम तेलगी. उसी के कारनामों पर बनी है स्कैम 2003. सीरीज सोनी लिव पर 1 सितंबर को लाइव हो चुकी है. सीरीज देखने से पहले जरा अब्दुल करीम तेलगी के बारे में जान लेते हैं.
स्कैम 2003- स्टांप पेपर घोटाला करने वाला अब्दुल करीम तेलगी कर्नाटक में सब्जी बेचता था. तेलगी एक ऐसा शख्स था, जिसे बुलंदियों को छूने का शौक था. ऊंचाईयों पर पहुंचने के लिए उसने फर्जीवाड़े का रास्ता चुना. तेलगी ने मुंबई आकर पहले स्टांप पेपर के पूरे सिस्टम को बाहर से समझा. फिर सिस्टम के साथ ही खेलना शुरू किया. अब ये भी जान लेते हैं कि तेलगी को इतने बड़े स्कैम की तरकीब सूझी कहां से? क्या था स्टांप पेपर घोटाला? जानिए.
ट्रेन में मूंगफली बेचीपत्रकार संजय सिंह ने किताब में तेलगी के स्कैम के साथ-साथ तेलगी के शुरुआती सफर पर भी काफी चर्चा की है. उसके मुताबिक तेलगी का परिवार कर्नाटक के खानापुर का रहने वाला था. उसके पिता इंडियन रेलवे में काम करते थे. तेलगी के बचपन में ही पिता का देहांत हो गया था. इसके बाद परिवार पर आर्थिक संकट आ गया. परिवार को मजबूरी में सब्जियां बेचनी पड़ीं. तेलगी ट्रेनों में जाकर मूंगफली बेचता था.
किताब में बताया गया है कि तेलगी दिन में सर्वोदय विद्यालय में पढ़ता था और उसके बाद पैसे कमाने के लिए निकल जाता था. स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद तेलगी ने कॉलेज में एडमिशन लिया. BCom की पढ़ाई की. फिर मुंबई निकल गया. वहां काम को लेकर बात नहीं बनी तो सऊदी अरब पहुंच गया. वहां से फिर मुंबई लौटा. और ट्रैवल एजेंट बन गया. वो लोगों के फर्जी डॉक्यूमेंट और स्टांप पेपर बनाता था और उन्हें सऊदी अरब भेज देता था.

तेलगी का ये फर्जी काम पुलिस की नज़र में आ गया. साल 1993 में इमिग्रेशन अथॉरिटीज़ ने तेलगी के कामों पर नजर रखना शुरू कर दिया. तब उसे पहली बार गिरफ्तार किया गया था. जेल से बाहर आने के बाद भी तेलगी के फर्जी कांड थमे नहीं. बताया जाता है कि उसने फर्जी स्टांप पेपर्स की दुनिया में अपनी अलग जगह बना ली थी. जेल में रहने के दौरान ही तेलगी की राम रतन सोनी नाम के शख्स से मुलाकात हुई. कोलकाता का रहने वाला सोनी एक सरकारी स्टांप वेंडर था. जेल के अंदर ही दोनों के बीच इस स्कैम के आइडिया ने जन्म लिया. सोनी ने तेलगी को ये स्टांप और गैर न्यायिक स्टांप बेचने के लिए कहा. इसके बदले में उसने कमीशन की मांगी की. इसके बाद शुरू हुआ स्टांप पेपर स्कैम.
इस कांड का खुलासा हुआ साल 2000 में. आरोप में बेंगलुरु से दो लोगों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने दोनों के पास से फर्जी स्टांप पेपर बरामद किए थे. इन स्टांप पेपर्स का लिंक तेलगी से जोड़ा गया. बाद में CBI ने मामले को अपने हाथ में ले लिया.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक देशभर में तेलगी की 36 प्रॉपर्टीज़ थीं और 100 से अधिक बैंक अकाउंट. बताया जाता है कि उनके जरिये 20 हजार करोड़ से 30 हजार करोड़ रुपये का स्कैम हुआ था. खुलासा होने के बाद तेलगी और उसके सभी साथियों को साल 2006 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. 23 अक्टूबर 2017 को मल्टीपल ऑर्गन फेलियर की वजह से अब्दुल करीम तेलगी की मौत हो गई.

तेलगी ने साल 1994 में अपने जुगाड़ बिठाए और लाइसेंस लेकर एक लीगल स्टांप वेंडर बन गया. वो सोनी के साथ ही काम कर रहा था. दोनों ने मिलकर कई फर्जी स्टांप पेपर्स तैयार किए और बिजनेस को फैलाना शुरू किया. फर्जी स्टांप पेपर्स के सहारे तेलगी ने कई और बिजनेस खड़े किए. साल 1995 में तेलगी ने सोनी से दूरी बना ली. इसी दौरान तेलगी के खिलाफ मुंबई पुलिस ने फर्जी स्टांप बेचने के आरोप में केस दर्ज किया. तेलगी का लाइसेंस निरस्त कर दिया गया.
लेकिन तेलगी यहां रुकने वाला नहीं था. उसने एक प्रेस कंपनी खड़ी कर दी. साल 1996 में तेलगी ने मिंट रोड पर अपनी एक प्रेस खोली. धीरे-धीरे बिजनेस बढ़ने लगा. फिर से स्टांप पेपर की खरीद-बिक्री होने लगी. कई जगह स्टांप पेपर्स को गलत ढंग से प्रॉपर्टी को रजिस्टर करने के लिए इस्तेमाल में लाया गया. इनकी मदद से फेक इंश्योरेंस डॉक्यूमेंट्स बनाए गए. 90 के दशक में ही तेलगी का बिजनेस करोड़ों का हो गया था.
जाते-जाते अब्दुल करीम तेलगी से जुड़ा एक और किस्सा. तेलगी मुंबई की फेमस बार गर्ल तरन्नुम खान से ‘लव अफेयर’ के चलते भी चर्चा में रहा था. बताते हैं कि एक रात तरन्नुम के डांस पर तेलगी ने ‘93 लाख’ रुपये लुटा दिए थे.
वीडियो: ताली का टीजर देखकर सुष्मिता सेन को ट्रोल करने वाले जवाब को बहुत तगड़ा जवाब मिला है