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ये टूलकिट क्या होती है, जो दुनिया के हर आंदोलन में उग आती है?

ग्रेटा थनबर्ग ने 4 फरवरी की सुबह एक ट्वीट किया. इस ट्वीट में टूलकिट शेयर की गई थी.

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पर्यावरण कार्यकर्ता ने सोशल मीडिया पर एक टूलकिट शेयर की और उसे कुछ देर बाद डिलीट कर दिया. फिर एक नई टूलकिट शेयर कर दी? टूलकिट का दुनियाभर के आंदोलनों से पुराना नाता है (फोटो-पीटीआई/ट्विटर)
बेंगलुरु की रहने वाली 21 साल की दिशा रवि जेल में है. उन पर आरोप है कि उन्होंने किसान आंदोलन से जुड़े टूलकिट को एडिट किया. इतना ही नहीं, उन्होंने वॉट्सऐप ग्रुप बनाया और टूलकिट बनाने वालों को साथ जोड़ा. इस ग्रुप द्वारा टूलकिट में काफी कुछ जोड़ा गया. पुलिस का यह भी कहना है कि इस टूलकिट के जरिए 26 जनवरी के उपद्रव की तरह भारत के खिलाफ आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक युद्ध छेड़ने की गतिविधि हो रही है.
आपने ऊपर जो कुछ पढ़ा उसमें 'टूलकिट' शब्द बार-बार आ रहा है. सारे फसाद की जड़ 'टूलकिट' को ही बताया जा रहा है. क्या वाकई में ग्रेटा थनबर्ग और दिशा रवि जिस टूलकिट से जुड़े हुए हैं, वह देश का अहित करने की ताकत रखती है? दुनिया के बाकी देश भी क्या इस टूलकिट से परेशान हैं? क्या कहीं और भी ऐसी टूलकिट देखने को मिली है? क्या ये भारत में पहला वाकया है, जब टूलकिट चर्चा में है? ये सब जानते हैं तफ्सील से. सबसे पहले ग्रेटा की टूलकिट पर बात पुलिस और टूलकिट का छत्तीस का आंकड़ा इस महीने की शुरुआत में ही शुरू हुआ. ग्रेटा थनबर्ग नाम की एक स्वीडिश एक्टिविस्ट ने 4 फरवरी की सुबह एक ट्वीट किया. इस ट्वीट में बाकी बातों के साथ टूलकिट शेयर की गई थी. उसी दिन दिल्ली पुलिस ने ग्रेटा थनबर्ग की टूलकिट को लेकर अज्ञात लोगों के खिलाफ़ मामला दर्ज कर लिया. पुलिस ने कहा कि यह मामला असल में थनबर्ग पर नहीं, बल्कि उनकी टूलकिट को बनाने वाले पर है. पुलिस उस टूलकिट बनाने वाले की तलाश में जुट गई.
फिर आया 13 फरवरी का दिन. दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने बेंगलुरु से 21 साल की दिशा रवि को इस आरोप में गिरफ्तार कर लिया कि उन्होंने ग्रेटा थनबर्ग वाली टूलकिट को एडिट किया था.
आइए अब चलते हैं ग्रेटाथन बर्ग की उस टूलकिट की तरफ जिसे लेकर यह पूरा बवाल है. 4 फरवरी को ट्वीट की गई ग्रेटा की टूलकिट को तो वैसे यहां क्लिक 
करके पूरा पढ़ा जा सकता है, लेकिन इसके मुख्य बिंदु हम आपको बता देते हैं. इससे आपको अंदाजा लग जाएगा कि टूलकिट का स्वरूप कैसा होता है. क्या होती है टूलकिट मूल रूप से यह किसी भी आंदोलन को ऑनलाइन या ऑफलाइन चलाने की प्लानिंग भर होती है. जब इंटरनेट और मोबाइलों का जमाना नहीं था, तब आंदोलन में हिस्सा लेने वाले डायरी में प्लानिंग लिख लिया करते थे. मसलन कहां जमा होंगे, क्या नारे लगाएंगे, किस बात पर जोर रहेगा आदि. तकनीक बदली तो गूगल डॉक पर प्लानिंग शुरू हुई. इससे सहूलियत यह हो गई कि अपने किसी भी साथी को इस डॉक में कुछ भी जोड़ने-घटाने की सुविधा दी जा सकती है. वह भी रियल टाइम. ऐसा ही कुछ काम दिशा रवि ने उस टूलकिट में किया जो ग्रेटा थनबर्ग ने शेयर की थी. अब जानते हैं कि टूलकिट में क्या लिखा है.
Greta Thunberg
स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग किसान आंदोलन के समर्थन में कई ट्वीट किए. एक टूलकिट भी शेयर की और यही बवाल का कारण बन गई (तस्वीर: एपी)
टूलकिट पर सबसे ऊपर लिखा है
यह डॉक्यूमेंट उन लोगों की सहूलियत के लिए है, जो लोग भारत में चल रहे किसान आंदोलन को लेकर ज्यादा नहीं जानते. इसके जरिए वे स्थिति को बेहतर समझ कर, अपने हिसाब से फैसला कर सकते हैं कि उन्हें किसानों का समर्थन कैसे करना है.
# इसके बाद भारत में किसानों की स्थिति के बारे में 100-200 शब्दों में समझाया गया है.
# इस स्टेप के बाद एक्शन की बात कही गई है. खास तौर पर दो तरह के एक्शन, अर्जेंट एक्शन और प्रायर एक्शन की बात कही गई है. मतलब एक तो वह एक्शन जो फौरन लिया जाए और एक जिसे प्राथमिकता के अधार पर लिया जाए.
# अर्जेंट एक्शन के तौर पर किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए #FarmersProtest #StandWithFarmers के साथ ट्वीट करने को कहा गया है.
# विदेश में रहने वाले भारतीयों से कहा गया है कि अपने आसपास की भारतीय एंबेसी, मीडिया हाउस या लोकल सरकार के ऑफिस पर जाकर किसानों के समर्थन में प्रोटेस्ट करें और फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करें.
# प्राथमिक एक्शन के तौर पर #AskIndiaWhy के हैशटैग के साथ 'डिजिटल स्ट्राइक' और पीएम और कृषि मंत्री जैसे बड़े पदों पर मौजूद लोगों को सोशल मीडिया पर टैग करने को कहा गया है.
# अगर किसानों से जुड़ी मार्च या परेड हो रही है तो उसका भी हिस्सा बनें. सरकारी प्रतिनिधियों को कॉल या ईमेल करें और उनसे एक्शन लेने के लिए कहें.
# इसके बाद एक सेक्शन आता है How can you help, मतलब आप कैसे मदद कर सकते हैं. इसमें ज्यादातर उन गतिविधियों की चर्चा है जो ऑनग्राउंड हो सकती हैं. मिसाल के तौर पर किसी प्रदर्शन में हिस्सा लें या एक प्रदर्शन का आयोजन करें. इसके अलावा ऑनलाइन पेटिशन साइन करने को कहा गया है.
# टूल किट RISE UP AND RESIST! वाक्य के साथ खत्म हो जाती है.
Greta Thanberg Tool Kit
ग्रेटा थनबर्ग ने जो टूलकिट शेयर की थी वह पूरी तरह किसान आंदोलन के पक्ष में सोशल मीडिया कैंपेन के डॉक्युमेंट्स सरीखे थे. (फोटो-ट्विटर)
दुनिया भर में किस-किस तरह की टूलकिट शेयर की गईं? हम इंटरनेट युग से पहले की टूलकिट तो शायद ही देख सकें, लेकिन कंप्यूटर और इंटरनेट आने के बाद कम्यूनिकेशन काफी तेज हुआ और साथ ही टूलकिट भी तेजी से सर्कुलेट हुईं.
मिस्र में हुए आंदोलन में सोशल मीडिया की भूमिका
आज से तकरीबन 10 साल पहले यानी 2011 में जनवरी का महिला इजिप्ट में एक बहुत बड़े प्रदर्शन का गवाह बना. यह प्रदर्शन इजिप्ट यानी मिस्र के राष्ट्रपति हुस्ने मुबारक के खिलाफ युवाओं का आंदोलन था. इसे राजधानी काहिर में तहरीर चौक पर किया गया. इस आंदोलन की तरफ लोगों ध्यान इसलिए भी गया क्योंकि इस आंदोलन को कोई नेता नहीं चला रहा था. यह लोगों का लोगों के लिए चलाया गया आंदोलन था. इसमें सोशल मीडिया ने बड़ी भूमिका अदा की थी. लोग तहरीर चौक पर पहुंचे और फेसबुक पोस्ट और ट्वीट करके दूसरे को यहां पहुंचने की जानकारी दी. जब आंदोलन बढ़ा तो उन्हीं में से कुछ लोगों ने अपने अनुभव के आधार पर तहरीर चौक पर पहुंचने और व्यवस्थित तरीके के विरोध प्रदर्शन के टिप्स देने शुरू किए. धीरे-धीरे टिप्स ने एक डॉक्यूमेंट की शक्ल ले ली. इनमें प्रदर्शन के लिए आने से लेकर सोशल मीडिया पर आंदोलन को आगे बढ़ाने के टिप्स मौजूद थे. टिप्स का ये डॉक्यूमेंट कमोबेश एक टूलकिट का रूप ले चुका था.
अरब स्प्रिंग ने कई तानाशाहों को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इसका असर यमन में भी दिखा.
मिस्र से शुरू हुए अरब स्प्रिंग ने कई तानाशाहों को सत्ता से बेदखल कर दिया था. इसका असर यमन में भी दिखा.

हाल ही में दो बड़े प्रदर्शनों में तरह-तरह की टूलकिट देखने को मिलीं. इनमें से एक है अमेरिका का ब्लैक लाइव मैटर्स और दूसरा हांगकांग में चल रहा चीन विरोधी आंदोलन. दोनों ही आंदोलनों में बड़ी संख्या में युवाओं ने भाग लिया.
अमेरिका की सोफेस्टिकेटेड टूलकिट
अमेरिका में अश्वेत लोगों पर लगातार हो रही पुलिस ज्यादतियों के खिलाफ ब्लैक लाइव मैटर्स मूवमेंट 2013 में शुरू हुआ. हालांकि साल 2020 में जॉर्ज फ्लॉयड नाम के अश्वेत की जब पुलिस की पिटाई से मौत हो गई तो इसकी दुनियाभर में तगड़ी प्रतिक्रिया हुई. अमेरिका में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. धीऱे धीरे ये विरोध प्रदर्शन अमेरिका के कई शहरों में फैल गए. लाखों लोग सड़कों पर निकल आए. इस आंदोलन के दौरान भी पुलिस हिंसा से निपटने और व्यवस्थित तरह से आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए कई टूलकिट तैयार की गईं. इनमें बताया गया था कि
# जब पुलिस एक्शन ले तो क्या करें. पुलिस के सामने क्या बोलें, क्या न बोलें.
# अपने मोबाइल से हमेशा फुटेज बनाते रहें ताकि आंदोलन को लेकर लोग अफवाह न फैला सकें.
# किसी भी तरह की पुलिसिया झड़प को भी रेकॉर्ड करें. जरूरत पड़ने पर फुटेज को कोर्ट में पेश किया जा सकेगा.
# ऐसे कपड़े और जूते पहनें ताकि अगर पुलिस लाठी चार्ज करे या दौड़ाए तो आराम से भाग सकें.
# खाने और पीने का क्या सामान लाएं और क्या न लाएं.
# प्रदर्शन स्थल पर पहुंचने के लिए किस तरह के ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें.
Black Lives Matter demonstrations
जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद अमेरिका में भारी प्रदर्शन हुए थे.

हांगकांग की चूहा-बिल्ली टूलकिट
हांगकांग में होने वाले प्रोटेस्ट 2019 से जारी हैं. हांगकांग के निवासी चीनी के साथ हुई प्रत्यार्पण संधि को लेकर काफी चिंतित हैं. उनका मानना है कि इससे चीन का अत्याचार और प्रभाव हांगकांग में बढ़ेगा. इसके विरोध में 2019 से ही हांगकांग के युवा प्रदर्शन कर रहे हैं. लाखों लोग सड़कों पर उतरे और 10 हजार से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई. इस प्रदर्शन में भी टूलकिट ने बड़ी भूमिका निभाई है. टूलकिट को लेकर प्रदर्शनकारियों और हांगकांग पुलिस के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चलता रहता है. असल में प्रदर्शनकारी अपनी सारी प्लानिंग एक शेयर्ड टूलकिट के जरिए करते हैं. ऐसे में पुलिस कितनी भी कोशिश करे, उन्हें कम वक्त में कहीं भी जमा होने से रोक नहीं पाती. पुलिस जितनी सख्ती बढ़ाती जाती है, प्रदर्शनकारी टूलकिट में नए टूल अपडेट करके उनसे बचते रहते हैं.
# टूलकिट के जरिए लोगों को बताया गया कि प्रोटेस्ट में सिर्फ काले कपड़ों में आएं. इससे उन्हें अलग से पहचानना मुश्किल हो जाएगा. लेकिन पुलिस से भाग कर प्रदर्शनकारी पब्लिक ट्रांस्पोर्ट में जाते तो काले कपड़ों की वजह से पकड़े जाते.
# अपडेट करके लोगों से एक निश्चित वक्त पर निश्चित जगह पर कपड़े रखने को कहा गया. प्रदर्शनकारी पुलिस के भगाए जाने पर उन जगहों पर पहुंचते और कपड़े बदल कर घर चले जाते.
# पुलिस ने जब ज्यादा बल प्रयोग शुरू किया तो हांगकांग के प्रोटेस्टर्स ने मजबूत हेलमेट और आंख और मुंह ढकने का ज्यादा से ज्यादा इंतजाम किया.
# छाते को टूल बनाने की ट्रेनिंग दी गई. कैसे छाते से खुद को ढक लें. जरूरत पड़ने पर किसी भी सीसीटीवी कैमरे को इससे ढका जा सकता है. इससे पुलिस को प्रोटेस्ट के फुटेज नहीं मिल पाते और वह लीगल एक्शन नहीं ले पाते.
हांगकांग के प्रोटेस्ट इतने व्यवस्थित होते हैं कि पुलिस भी उनके कोऑर्डिनेश से चकरा जाती है.
हांगकांग के प्रोटेस्ट इतने व्यवस्थित होते हैं कि पुलिस भी उनके कोऑर्डिनेश से चकरा जाती है.
जब आईटी सेल की टूलकिट में घुसपैठ हो गई ये न तो दुनिया के लिए और न ही भारत के लिए नई बात है. हर राजनीतिक पार्टी के आईटी सेल रोज सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ ट्रेंड कराते हैं और इसके लिए बाकायदा एक गूगल डॉक्यूमेंट बनाते हैं. यह डॉक्यूमेंट कुछ नहीं, साइबर दुनिया में चल रहे एक मूवमेंट की टूलकिट ही होती है. इसमें भी यही लिखा होता है कि किस हैशटैग से कब और किसको टैग करके ट्वीट आदि करने हैं. समझने के लिए एक किस्सा सुनिए
13 फरवरी 2019 की सुबह मोदी सरकार में एक मंत्री ने ही अपनी सरकार की आलोचना ट्विटर पर कर डाली. हड़कंप मच गया, लोगों की समझ में ही नहीं आ रहा था क्या करें. दरअसल केंद्रीय मंत्री पॉन राधाकृष्णन जो कि तमिलनाडु से आते हैं, उन्होंने ट्वीट में लिखा कि मिडिल क्लास के लिए काम करना मोदी सरकार के एजेंडे में काफी नीचे है. इसके बाद एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा कि देश में लोग स्वाभिमान के बिना जी रहे हैं. बस फिर क्या था, ट्विटर के साथ ही उनके राजनीतिक जीवन में भी हलचल पैदा होने लगी. पार्टी के साइबर एक्सपर्ट्स ने मामले को समझा और फौरन ट्वीट को हटा लिया गया. आखिर यह हुआ कैसे.
अभी लोग इसकी वजह का अंदाजा लगा ही रहे थे कि इसे लेकर फैक्ट चेकिंग वेबसाइट के को-फाउंडर प्रतीक शर्मा ने कई ट्वीट किए. पता चला कि आईटी सेल की टूलकिट में घुसपैठ हो गई थी. प्रतीक ने बताया कि गूगल डॉक्यूमेंट्स बीजेपी आईटी सेल ने सर्कुलेट किए थे. जिसे केंद्रीय मंत्री ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी शेयर कर दिया. प्रतीक ने बताया है कि प्रधानमंत्री को लेकर कुछ वाक्यों को एडिट कर दिया गया. ये थ्री इडियट में चतुरालिंगम की स्पीच वाला मामला हो गया.
'पीएम मोदी ने हाशिए पर पड़े लोगों का ख्याल रखा', वाक्य को बदलकर 'पीएम मोदी ने अमीरों की जरूरतों का ख्याल रखा' कर दिया गया. मतलब ट्विटर पर कैंपेन के लिए बनाए गए गूगल डॉक्यूमेंट या टूलकिट को ही हैक कर लिया गया. यह डॉक्यूमेंट ही टूलकिट है, जिसे परमीशन दिया गया कि कोई भी शख्स एडिट कर सकता है. इसे समझाने के लिए आल्ट न्यूज के फाउंडर प्रतीक सिन्हा ने 13 फरवरी 2019 को ट्वीट भी किया
प्रतीक ने कहा है कि इससे ये मालूम चलता है कि आईटी सेल में सिक्योरिटी की हालत क्या है. उन्होंने द लल्लनटॉप से बातचीत करते हुए कहा है अगर ये डॉक्यूमेंट मेरे जैसे इंसान के हाथ लग सकता है, तो ये किसी और के भी हाथ लग सकता है. कोई चाहे तो बड़ी आसानी से इसे हैक कर सकता है.