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फिल्मों को टैक्स फ्री करने का क्या मतलब होता है?

विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' को देश के चार राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया है.

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फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' का पोस्टर और उसके ऊपर टैक्स फ्री का ठप्पा.
11 मार्च को विवेक अग्निहोत्री की फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' रिलीज़ हुई. कश्मीरी पंडितों के मसले पर बात करने वाली इस फिल्म की खूब चर्चा है. कलेक्शन के मामले में भी फिल्म बड़े नंबर्स स्कोर कर रही है. ट्रेड एनलिस्ट तरण आदर्श के मुताबिक शुरुआती तीन दिनों में 'द कश्मीर फाइल्स' ने 27.15 करोड़ रुपए की कमाई कर ली है. जो कि पोस्ट-पैंडेमिक मार्केट के लिहाज़ से बढ़िया आंकड़ा है. 'द कश्मीर फाइल्स' के कॉन्टेंट को देखते हुए इसे गुजरात, मध्य प्रदेश, हरियाणा और कर्नाटक जैसे राज्यों में टैक्स फ्री डिक्लेयर कर दिया गया है.
'द कश्मीर फाइल्स' के फर्स्ट वीकेंड का कलेक्शन. (स्क्रीनग्रैब- ट्विटर/तरण आदर्श).
'द कश्मीर फाइल्स' के फर्स्ट वीकेंड का कलेक्शन. (स्क्रीनग्रैब- ट्विटर/तरण आदर्श).


# फिल्म टिकट पर कितना टैक्स लगता है?
2017-18 में GST के आने से पहले फिल्म टिकट पर एंटरटेनमेंट टैक्स लगा करता था. फिल्म टिकटों पर कितना एंटरटेनमेंट टैक्स लगेगा, इसका फैसला राज्य सरकारें करती थीं. मिसाल के तौर पर उत्तर प्रदेश में 60 परसेंट एंटरटेनमेंट टैक्स लगता था. ये टैक्स लगता है एडमिशन रेट पर. एडमिशन रेट यानी किसी थिएटर में जाने के लिए जो रकम थिएटर वाले चार्ज करते हैं. मान लीजिए किसी सिनेमाघर का एडमिशन रेट है 200 रुपए. तो टैक्स के साथ यूपी में उस फिल्म का टिकट आम पब्लिक को 320 रुपए में मिलेगा. हरियाणा में 30 परसेंट एंटरटेनमेंट टैक्स लगता था. तो वहां जनता के लिए फिल्म के टिकट की कीमत होगी 260 रुपए.
मगर 2017 में GST यानी गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स के आने के बाद खेल बदल गया. राज्यों के हाथ से मनमाना एंटरटेनमेंट टैक्स वसूलने का अधिकार छीन लिया गया. केंद्र सरकार ने तय किया कि देश के हर हिस्से में फिल्मों की टिकट पर 28 परसेंट GST लगेगा. ये GST राज्य और केंद्र सरकार के बीच बराबर बंटेगा. मगर फिल्म इंडस्ट्री के लोगों को लगा कि 28 परसेंट टैक्स ज़्यादा है. उन्होंने सरकार से इसे कम करने की गुज़ारिश की. 2018 में फिल्म टिकटों पर लगने वाली GST को दो स्लैब में तोड़ा गया. अगर किसी थिएटर के टिकट की कीमत/एडमिशन रेट 100 रुपए से कम है, उनकी टिकट पर 12 परसेंट GST लगेगा. जिन थिएटरों का एडमिशन रेट 100 रुपए से ज़्यादा है, उनकी टिकट पर 18 परसेंट GST चार्ज किया जाएगा. फिलहाल मार्केट में यही रेट चल रहा है.
GST से जुड़े सारे सवालों के जवाब आप यहां पा सकते हैं-

# फिल्मों को टैक्स फ्री करने का क्या मतलब हुआ?
हम आए दिन सुनते रहते हैं कि फलाने फिल्म को ढिमाके राज्य में टैक्स फ्री कर दिया गया है. इसके पीछे बहुत सिंपल गणित है. जैसा 'द कश्मीर फाइल्स' को मध्य प्रदेश में टैक्स फ्री कर दिया गया. इसका मतलब ये हुआ कि MP में इस फिल्म की टिकट पर 18 की बजाय सिर्फ 9 परसेंट GST लगेगा. 9 परसेंट माफ कर दिया जाएगा. ऐसा इसलिए क्योंकि GST केंद्र और राज्य सरकारों के बीच आधा-आधा बंटता है. और इस फिल्म को सिर्फ मध्य प्रदेश सरकार ने टैक्स फ्री घोषित किया है. केंद्र सरकार ने नहीं. यानी जब कोई राज्य किसी फिल्म को टैक्स फ्री घोषित करता है, तो वो फिल्म टिकट पर लगने वाली टोटल GST का 50 फीसदी ही माफ कर सकता है.
मान लीजिए मध्य प्रदेश में GST समेत फिल्म की टिकट की कीमत है 220 रुपए. जब राज्य सरकार उस फिल्म को टैक्स फ्री कर देगी, तो पब्लिक को वो टिकट मिलेगी 202 रुपए में.
हालांकि प्रोड्यूसरों को इसका ज़्यादा फायदा नहीं मिल पाता. क्योंकि जैसा हमने पहले बताया कि थिएटर के एडमिशन रेट पर GST चार्ज किया जाता है. जैसे MP में टिकट की कीमत थी 220 रुपए. राज्य में टैक्स फ्री किए जाने के बाद उसकी कीमत हो गई 202 रुपए. ऐसे में कई थिएटर मालिक अपने यहां ऐन वक्त पर एडमिशन रेट बढ़ा देते हैं. क्योंकि इसके खिलाफ कोई कानून नहीं है. कई बार थिएटर मालिक इसी लूप होल का फायदा उठाते हैं. हालांकि हर केस में ऐसा नहीं होता.
# किन फिल्मों को और क्यों मिलती है टैक्स से छूट?
आम तौर पर उन फिल्मों को टैक्स से छूट उनके सब्जेक्ट के आधार पर दी जाती है. जैसे मोटिवेशनल फिल्में, नेशनल हीरोज़ के ऊपर बनी फिल्में, सांप्रदायिक सौहार्द्र यानी कम्युनल हार्मनी को प्रमोट करने वाली फिल्में, जो अच्छा मैसेज देती हों. फिल्मों को टैक्स फ्री इसलिए किया जाता है, ताकि उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोग देखें. अगर टिकटों के दाम कम रहेंगे, तो उस फिल्म को कम आय वाले लोग भी देख पाएंगे. ये आइडियल सिचुएशन है. मगर हम जिस दुनिया में रहते हैं, वहां कुछ भी आइडियल नहीं है.
'द कश्मीर फाइल्स' का पोस्टर. इस फिल्म में अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार और मिथुन चक्रवर्ती ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.
'द कश्मीर फाइल्स' का पोस्टर. इस फिल्म में अनुपम खेर, पल्लवी जोशी और दर्शन कुमार और मिथुन चक्रवर्ती ने मुख्य भूमिकाएं निभाई हैं.


# कब से चल रहा है टैक्स फ्री करने का चलन?
फिल्मों को एंटरटेनमेंट टैक्स मुक्त करने का चलन लंबे समय से चला आ रहा है. 1960 में आई सत्येन बोस की फिल्म 'मासूम' को टैक्स फ्री कर दिया गया था क्योंकि बच्चों की फिल्म थी. 1964 में आई चेतन आनंद की फिल्म 'हकीकत' को भी एंटरटेनमेंट टैक्स फ्री कर दिया गया था. क्योंकि वो इंडिया-चाइना वॉर पर बेस्ड फिल्म थी. 1977 में आई मनोज कुमार की फिल्म 'शिरडी के साईं बाबा' को महाराष्ट्र में टैक्स फ्री किया गया था. क्योंकि वो फिल्म कम्युनल हार्मनी को प्रमोट करने वाली थी. उसी तरह महमूद की 'कुंआरा बाप' थी, जो पोलियो के टीके को प्रमोट करने वाली फिल्म थी. सुनील दत्त की 'दर्द का रिश्ता' जिसने कैंसर का इलाज पर फोकस किया. राज कपूर की 'हीना', जो भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर बात करने वाली थी. ये तो 70-80 के दशक की बात हो गई. 90 में ये टैक्स फ्री करने का सिस्टम थोड़ा सुस्त पड़ गया था. शायद इसलिए भी क्योंकि इस पीरियड में अच्छी क्वॉलिटी की फिल्में नहीं बन रही थीं.
2000 के दशक में ये चीज़ एक बार फिर चर्चा में आई. बिजली चोरी पर बनी डॉक्यूमेंट्री 'कटियाबाज' से लेकर आमिर खान की 'तारे ज़मीन पर' और 'रंग दे बसंती' को एंटरटेनमेंट टैक्स से मुक्त किया गया. ओलंपिक मेडलिस्ट बॉक्सर MC Mary Kom की बायोपिक 'मैरीकॉम' को रिलीज़ से पहले ही कई राज्यों में टैक्स फ्री कर दिया गया था.