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क्या है बंगाल के SSC शिक्षक घोटाले की कहानी?

ममता के मंत्री पार्थ चटर्जी का अर्पिता मुखर्जी के यहां मिले पैसों से क्या कनेक्शन है?

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ममता बनर्जी (बाएं) पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी (बाएं) (फोटो: इंडिया टुडे)

भारत में केंद्र या राज्य में सरकार कोई भी पार्टी चलाए, हरकतें कमोबेश एक जैसी रहती हैं. नौकरियों को लेकर वही बड़े-बड़े दावे और वही बड़े बड़े घोटाले. राजस्थान में रीट के मामले में परीक्षा के दौरान ही गड़बड़ी हो गई, परीक्षा ही रद्द कर दी गई. 2018 की स्टाफ सेलेक्शन कमीशन परीक्षा में जनरल ड्यूटी के अभ्यर्थी किसी तरह परीक्षा से पार हुए, तो बहाली के लिए भटक रहे हैं. फिलहाल नागपुर से दिल्ली के रास्ते में हैं. ये सब हो ही रहा था कि बीते दिनों उत्तर प्रदेश से खबर आई कि जो लोग अभ्यर्थी से मुलाज़िम हो गए, उनकी ट्रांसफर-पोस्टिंग में गड़बड़ी पकड़ी गई. अब जांच चल रही है. 

राजनैतिक दलों का मैसेज साफ है - सरकारी नौकरी के पचड़े में हाथ डालना है, तो अपने रिस्क पर डालें, कभी भी, कुछ भी हो सकता है. आप अभ्यर्थी हों या सरकारी नौकर, कभी भी किस्मत पलटी खा सकती है. सवारी अपने माल की स्वयं ज़िम्मेदार है. इसी गौरवशाली परंपरा का अनुसरण करते हुए अब पश्चिम बंगाल में भी शिक्षक भर्ती घोटाला पकड़ में आया है. बात ईडी के छापे और ममता बैनर्जी कैबिनेट में मंत्री की गिरफ्तारी तक चली गई है. कुछ नाम खबरों में तैर रहे हैं - पार्थ चैटर्जी, SSC स्कैम और अर्पिता मुखर्जी. युवाओं के भविष्य के साथ इस घिनौने खिलवाड़ के पीछे कौन-कौन है और पर्दे के पीछे कैसी राजनीति हो रही है, आज इसी पर बता करेंगे.

नौकरियों और परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार या किसी दूसरी गड़बड़ की खबर न आए, तो हमें भी महीना कुछ अधूरा-अधूरा सा लगने लगता है. हाल के दिनों में इस अधूरेपन को पश्चिम बंगाल से आने वाली खबरों ने दूर किया है. और क्या खूब दूर किया है. धड़ाधड़ छापे पड़ रहे हैं, कमरों में नोटों का ढेर मिल रहा है और केंद्र के खिलाफ बोलने का एक मौका न चूकने वाली ममता बैनर्जी की पार्टी तृणमूल को कहना पड़ रहा है कि जांच में दोषी साबित हुए तो ममता के करीबी बताए गए पार्था चैटर्जी पर कार्रवाई होगी. वही पार्था, जो फिलहाल एक केंद्रीय एजेंसी ED के महमान हैं. चलिए, कहानी को शुरू से शुरू करते हैं.

इस कहानी में एक शब्द का ज़िक्र बार बार आएगा - SSC. इसका संबंध केंद्र द्वारा ली जाने वाली SSC परीक्षा से नहीं है. ये है west bengal shool service commission. इसके तहत होने वाली परीक्षाओं में गड़बड़ी के आरोप लगे हैं. सारा खेल शुरू हुआ 2014 में. जब सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की बहाली के लिए स्टेट लेवल सिलेक्शन टेस्ट SLST के लिए अधिसूचना जारी हुई. भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई 2016 में जाकर. तकरीबन 42 हज़ार पदों के लिए 23 लाख के करीब लोगों ने आवेदन दिया. 2016 में ही सरकारी स्कूलों में ग्रुप डी के 13 हज़ार कर्मचारियों की भर्ती के लिए भी अधिसूचना आ गई.

अधिसूचनाओं के बाद एडमिट कार्ड से लेकर अपॉइंटमेंट लेटर की कार्यवाही चलने लगी. जब अभ्यर्थियों को लगा कि सबकुछ ठीक नहीं है, उन्होंने सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने शुरू किये. लेकिन सुनवाई नहीं हुई. दिक्कत ये थी कि एक मेरिट लिस्ट जारी करने के बजाय हर अभ्यर्थी को उसका व्यक्तिगत स्कोर बता दिया गया था. 2019 से कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिकाओं की शक्ल में शिकायतें पहुंचने लगीं. एक याचिका में आरोप लगाया गया कि SSC के तहत भर्ती के लिए जो पैनल बनाया गया था, उसका कार्यकाल 2019 में ही खत्म हो गया था. बावजूद इसके, कम से कम 25 लोगों को नियुक्त कर लिया गया. बाद में ये संख्या 500 तक पहुंच गई. 

इसी तरह कुछ याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि कुछ ऐसे लोगों को भी शिक्षक बना दिया गया, जिन्होंने प्राइमरी टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट TET 2014 को पास नहीं किया था. याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि SSC एक ऐसी मेरिट लिस्ट जारी करे, जिसमें सभी सफल अभ्यर्थियों के नाम हों. 28 मार्च 2019 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने पूरी मेरिट लिस्ट जारी करने का आदेश दिया, जिसका पालन SSC ने नहीं किया. 

तब याचिकाकर्ताओं ने एक और याचिका लगाकर अवमानना की कार्रवाई की मांग की. नवंबर 2019 में न्यायालय ने SSC से एक हलफमाना मांग लिया. इसमें SSC को लिखकर देना था कि न्यायालय के आदेश का पालन किस तरह किया गया. लेकिन इसके बाद पूरा देश कोरोना महामारी की चपेट में आ गया और अदालती कार्यवाही थम सी गई. मार्च 2021 में जब एक और याचिका लग गई, तब जाकर SSC टस से मस हुआ. उसने कलकत्ता हाईकोर्ट को बताया कि मेरिट लिस्ट और वेटिंग लिस्ट दोनों जारी कर दी जाएंगी. 2021 के मध्य में कोलकाता के सॉल्ट लेक स्थित सेंट्रल पार्क में SLST 2016 के अभ्यर्थियों ने धरना शुरू किया. इन्होंने आरोप लगाया कि बहालियों में मेरिट का पालन नहीं किया गया. जब छह महीने प्रदर्शन करके बात नहीं बनी, तो दिसंबर 2021 में इन अभ्यर्थियों ने पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमिशन के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करने की कोशिश की. 

इस दौरान पुलिस और अभ्यर्थियों में झड़प भी हुई. लेकिन झड़प के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने धरना खत्म नहीं किया. और वो अपने धरने को कोलकाता के प्रसिद्ध ''मैदान'' में ले आए. तकरीबन डेढ़ साल से सतत चल रहे धरने में अब कई बहालियों के अभ्यर्थी अपनी अपनी फरियाद लेकर जुड़ गए हैं. सबकी मांग भर्तियों से जुड़ी है, लेकिन सभी की शिकायत घोटाले या गड़बड़ी से जुड़ी हो, ऐसा नहीं है. कई अभ्यर्थी वेटिंग लिस्ट में हैं, वो चाहते हैं कि प्रकिया पूरी की जाए और उन्हें भी अपॉइंटमेंट लेटर दे दिया जाए. पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग के अफसर प्रदर्शनकारियों से कई बार मिले तो, लेकिन वो बहाली का वादा नहीं कर पाए. 

फरवरी 2022 में जब ये मामला एक बार फिर कलकत्ता हाईकोर्ट के सामने आया, न्यायालय ने मेरिट लिस्ट और वेटिंग लिस्ट पर कई सवाल उठाए. न्यायालय ने पूछा कि इंसान अली, जो कि सीरियल नंबर 144 पर थे, के लिए नियुक्ति अनुशंसा किस आधार पर की गई, जबकि इंसान अली से ज़्यादा नंबर वाले अभ्यर्थी भी थे. न्यायालय ने SSC को जवाब देने के लिए एक दिन का वक्त दिया. अगले दिन SSC ने न्यायालय में कह दिया कि सीरियल नंबर 144 के लिए अनुशंसा गलती से कर दी गई थी. ये सुनकर न्यायालय बहुत नाराज़ हुआ. न्यायालय ने कहा कि गलती वाली बात कतई हज़म नहीं हो सकती. न्यायालय ने न सिर्फ इंसान अली की बहाली को रद्द किया, बल्कि उन्हें तीन महीने में पूरी तनख्वाह भी लौटाने को कहा. साथ में अली को ये अधिकार भी दिया कि वो इस अवैध बहाली में नाम आने को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर मुकदमा ठोंक दे.

न्यायालय ने इसके बाद SSC के अधिकारियों को स्वयं कटघरे में खड़ा किया. जब अधिकारियों से सवाल किया गया कि संबंधित अनुशंसाओं पर किसने दस्तखत किये, तब अधिकारियों का जवाब था - मीलॉर्ड हमें नहीं मालूम, दस्तखत तो किसी ने प्रिंट किए. जब बेंच की तरफ से सख्त सवाल किए गए, तब ये बात सामने आई कि कुछ मामलों में नियुक्ति अनुशंसा काउंसिलिंग से भी पहले दे दी गई थी. नित नए खुलासों से आजिज़ आकर कलकत्ता उच्च न्यायालय ने जांच CBI को दे दी. पश्चिम बंगाल ने इस जांच को रोकने का हर संभव प्रयास किया. सरकार तकनीकि आधार पर सिंगल बेंच के फैसले पर डिविज़न बेंच से आदेश ले आई. लेकिन डिविज़न बेंच ने जांच खत्म नहीं की.

रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में एक पैनल बना दिया. इस पैनल ने मई 2022 में अपनी रिपोर्ट दी. इस रिपोर्ट में लिखा कि जस्टिस गंगोपाध्याय की सिंगल बेंच ने CBI जांच की जो सिफारिश की थी, वो वैध है, और एजेंसी अपना काम करे. CBI की इसी जांच की ज़द में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के विश्वासपात्र बताए जाने वाले पार्था चैटर्जी आ गए. क्योंकि वो शिक्षा मंत्री रहे थे. फिलहाल चैटर्जी उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री हैं. और साथ में पार्टी के महासचिव. चैटर्जी से CBI दो बार पूछताछ कर चुकी है.

यहां तक आते आते पश्चिम बंगाल सरकार ये समझने लगी थी कि मामला अब दबेगा नहीं. तो डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरू हुई.  3 मई 2022 को सूबे की मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी ने कोलकाता पुलिस के डीसीपी साउथ आकाश माघरिया के फोन से प्रदर्शनकारियों से बात की. कहा कि आंदोलन वापस ले लें. लेकिन आंदोलन जारी रहा. 6 मई को पश्चिम बंगाल सरकार ने ऐलान किया कि SSC के तहत असिस्टेंट टीचर्स की नियुक्ति निकाली जाएगी. कुछ घंटों के भीतर पश्चिम बंगाल सरकार के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बासू ने बयान दिया कि सूबे में 5 हज़ार 261 टीचिंग और नॉन टीचिंग पदों का सृजन होगा. और ये पद उन्हीं अभ्यर्थियों द्वारा भरे जाएंगे, जिन्होंने 2016 वाली परीक्षा पास की थी.

22 जुलाई को इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की एंट्री होती है. एजेंसी दक्षिण कोलकाता में अभिनेत्री अर्पिता मुखर्जी के घर पहुंची. यहां पड़े छापे की तस्वीरें आपने अब तक नहीं देखीं, तो अब देख लीजिए. कमरे में बिखरे 2 हज़ार और 500 के नोटों के बंडल. एंजेसी ने कहा कि कुल 21 करोड़ रुपए की बरामदगी हुई है. और इसका संबंध SSC घोटाले से हो सकता है. इससे पहले की लोग ये सवाल पूछते कि एक एक्ट्रेस के यहां से इतनी भारी मात्रा में पैसा और ज़ेवर कैसे बरामद हो रहे हैं, वो तस्वीरें वायरल हो गईं, जिनमें अर्पिता ममता बैनर्जी और पार्था चैटर्जी के साथ नज़र आ रही हैं. आप पश्चिम बंगाल में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदू अधिकारी की ट्विटर प्रोफाइल पर जाएंगे, तो आपको ऐसी ढेर सारी तस्वीरें नज़र भी आ जाएंगी.

तृणमूल नेता कहते रहे कि हम किसी अर्पिता को नहीं जानते. अर्पिता भी कह रही हैं कि उनका तृणमूल से कोई संबंध नहीं है. लेकिन कोलकाता के पत्रकार ये बताते हैं कि अर्पिता मुखर्जी के जो तार पार्था चैटर्जी से जुड़ते हैं, उन्हें झुठलाना इतना आसान भी नहीं है. पार्था चैटर्जी के घर से हुई बरामदगी में ऐसे दस्तावेज़ भी मिले हैं, जो अर्पिता मुखर्जी की संपत्ति से जुड़े हैं. फिर अर्पिता के सामने ये चुनौती है कि अगर वो इस पूरी संपत्ति को अपना बता देती हैं, तो वैध कैसे साबित करेंगी?  इसीलिए अब पार्टी कह रही है कि अगर चैटर्जी दोषी हैं, तो कार्रवाई होगी.

ED ने सिर्फ अर्पिता के यहां ही छापा नहीं डाला था. इसी दिन पार्था चैटर्जी, सूबे के शिक्षा मंत्री परेश अधिकारी, पीके बंदोपाध्याय, सुकांत आचार्जी और West Bengal Board of Primary Educationके पूर्व अध्यक्ष मानिक भट्टाचार्य के यहां भी छापा पड़ा था. जब पार्था शिक्षा मंत्री थे, तब पीके बंदोपाध्याय उनके OSD होते थे. और सुकांत आचार्जी निजी सचिव. तभी से ये लगने लगा था कि पार्था चैटर्जी अब ज़्यादा दिन गिरफ्तारी से नहीं बच पाएंगे. और 23 जुलाई को चैटर्जी गिरफ्तार हो भी गए. चैटर्जी ने दावा किया कि उनकी तबीयत खराब है, इसीलिए 24 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने उन्हें राज्य से बाहर किसी अस्पताल में ले जाने को कहा. इसके बाद चैटर्जी को भुवनेश्वर के एम्स ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद कहा कि चैटर्जी को कुछ लंबी बिमारियां हैं, लेकिन उन्हें अभी अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता नहीं है. ED ने एम्स की रिपोर्ट को न्यायालय के संज्ञान में ला दिया है और विशेष अदालत से 20 दिनों की कस्टडी की मांग की है.

केंद्र पर लगातार मुखर रहने वाली ममता बैनर्जी के लिए ये परीक्षा की घड़ी है. उनके सूबे में इतनी बड़ी परीक्षा में धांधली का आरोप उनके करीबी नेता पर लग गया है. क्या ये 2024 को लेकर ममता की तैयारियों पर असर डालेगा, ये समय ही बताएगा. लोगों की याद्दाश्त बहुत लंबी नहीं होती. लेकिन फौरी तौर पर ममता बैनर्जी सरकार अब सीधे केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर आ गई है. अब बस देखना ये है कि क्या केंद्रीय एजेंसियां अपने द्वारा लगाए गए आरोपों को न्यायालय में साबित कर पाती हैं.

वीडियो: ममता के मंत्री पार्थ चटर्जी का अर्पिता मुखर्जी के यहां मिले पैसों से क्या कनेक्शन है?