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नेपाल प्लेन क्रैश की पूरी कहानी क्या है?

नेपाल में हवाई हादसों का क्या इतिहास रहा है?

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Nepal air crash. Credit: AFP Photo

15 जनवरी 2023 को नेपाल में एक बड़ा हवाई हादसा हुआ. काठमांडू से पोखरा जा रहा यती एयरलाइंस का विमान ATR72 टेकऑफ़ के लगभग 20 मिनट बाद क्रैश कर गया. उस विमान में कुल 72 लोग सवार थे. 68 यात्री और 04 क्रू मेंबर्स. इनमें से 57 लोग नेपाली नागरिक थे. बाकी के 15 दूसरे देशों से आए थे. इनमें पांच भारतीय भी थे. हादसे के बाद चलाए गए ऑपरेशन में 68 शव बरामद किए जा चुके हैं. बाकी चार के लिए सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सांत्वना भेजी हैं.

वैसे, नेपाल में हवाई दुर्घटनाएं कोई नई बात नहीं है. वहां प्लेन क्रैश का लंबा इतिहास रहा है. 1946 से अब तक 68 हादसे दर्ज किए जा चुके हैं. 15 जनवरी की घटना हताहतों की संख्या के लिहाज से तीसरी सबसे वीभत्स घटना है.

तो आइए समझते हैं,

- यती एयरलाइंस के प्लेन के क्रैश होने की पूरी कहानी क्या है?
- नेपाल में हवाई हादसों का क्या इतिहास रहा है?
- और, नेपाल सरकार इनसे सबक क्यों नहीं लेती?

पोखरा, नेपाल का दूसरा सबसे बड़ी आबादी वाला शहर है. काठमांडू से उसकी दूरी लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है. प्लेन से ये सफ़र लगभग 25 मिनट में पूरा हो जाता है. सड़क-मार्ग से ये दूरी थोड़ी बढ़ जाती है. इसमें समय भी ज़्यादा लगता है. और सड़क का रास्ता थोड़ा थकाऊ और ख़तरनाक भी है. पिछले कुछ सालों से नेपाल के मध्यमवर्गीय परिवारों में हवाई यात्रा का क्रेज बढ़ा है. जो लोग भी प्लेन का टिकट अफ़ॉर्ड कर सकते हैं, वे प्लेन से चलना प्रेफ़र करते हैं. पोखरा पर्यटकों के बीच भी बेहद मशहूर है. इसे हिमालय का गेटवे भी कहा जाता है. पोखरा से ही अन्नपूर्णा ट्रेकिंग रुट शुरू होता है. 2019 में 01 लाख 81 हज़ार टूरिस्ट यहां घूमने आए थे. पिछले तीन बरस में कोविड लॉकडाउन के कारण इसमें कमी आई थी. अब जबकि कोरोना का ख़तरा बीत चुका है, टूरिस्टों की संख्या में तेज़ी से बढ़ोत्तरी की संभावना है. 

पोखरा (Google map)

इसी को ध्यान में रखते हुए नेपाल ने पोखरा में एक नया इंटरनैशनल एयरपोर्ट भी बनाया है. 01 जनवरी 2023 से ये एयरपोर्ट शुरू हो गया. 15 जनवरी को यती एयरलाइंस की फ़्लाइट संख्या 691 इसी नए-नवेले एयरपोर्ट पर उतरने वाली थी. लेकिन विमान एयरपोर्ट के रनवे पर पहुंचने से पहले ही ज़मीन से टकरा गया. हादसे से ठीक पहले के एक वीडियो में विमान को तिरछा होते देखा जा सकता है. उसी वीडियो में ज़बरदस्त धमाके की आवाज़ भी सुनाई देती है. एक चश्मदीद गौरव गुरुंग हादसे के वक्त अपने घर की छत पर खड़े थे. उन्होंने प्लेन को क्रैश होते देखा. उन्होंने बताया कि प्लेन हवा में तेजी से घूम रहा था. फिर वो नाक के बल ज़मीन पर टकराया और घिसटकर खाई में जा गिरा.

इसके बाद प्लेन में आग लग गई. स्थानीय लोग दौड़कर हादसे वाली जगह पर पहुंचे. लेकिन वहां का माहौल इतना वीभत्स था कि वे चाहकर भी पास नहीं जा सके. मौके पर सबसे पहले पहुंचने वाले लोगों में बिष्णु तिवारी भी थे. उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एपी को बताया,आग की लपटें इतनी तेज थीं कि हम मलबे के पास नहीं जा सके. मैंने एक आदमी को मदद के लिए रोते हुए सुना, लेकिन आग की लपटों और धुएं की वजह से हम उसकी मदद नहीं कर पाए.

हादसे के बाद प्लेन का टूटा हुआ एक हिस्सा (फोटो-AFP)

जैसे ही हादसे की ख़बर बाहर आई, पुलिस और सेना हरक़त में आई. फौरन सर्च एंड रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. हेलिकॉप्टर्स उतारे गए. लेकिन ये सब किसी काम नहीं आया. बचाव दल का काम शवों की तलाश तक सीमित रहा. पहले दिन 68 शवों को निकाला गया. 15 जनवरी को रात होने की वजह से ऑपरेशन रोक दिया गया. 16 जनवरी को सर्च ऑपरेशन फिर से शुरू हुआ. प्लेन में सवार चार लोगों का कोई पता नहीं चल सका है. हालांकि, उनके बचने की संभावना कम ही है.  16 जनवरी को फ़्लाइट का ब्लैक बॉक्स भी तलाश लिया गया है. सरकार ने हादसे की जांच के लिए पांच मेंबर्स वाली कमिटी नियुक्त की है. कमिटी को अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने के लिए एक महीने का समय दिया गया है.

नेपाल में हवाई हादसों का इतिहास बहुत लंबा है. पिछले 70 सालों में वहां प्लेन क्रैश की 68 घटनाएं दर्ज हुई हैं. इनमें 914 लोगों की जान जा चुकी है. सबसे बड़ी घटना 28 सितंबर 1992 को हुई थी. उस रोज़ पाकिस्तान एयरलाइंस का एक एयरबस काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर क्रैश हो गया था. उसमें क्रू मेंबर्स को मिलाकर 167 लोग सवार थे. हादसे में एक भी शख़्स ज़िंदा नहीं बचा.

इससे दो महीने पहले ही थाई एयरवेज़ इंटरनैशनल का एक प्लेन भी काठमांडू एयरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में 113 लोगों की जान चली गई थी.
हाल के दिनों की बात करें तो मई 2022 में तारा एयर के प्लेन क्रैश में 22 लोग मारे गए थे. मार्च 2018 में यूएस-बांग्ला एयरलाइंस के प्लेन क्रैश में 51 लोगों की मौत हो गई थी.

अब सवाल ये आता है कि, नेपाल में इतने हवाई हादसे होते क्यों हैं?

इसकी तीन बड़ी वजहें हैं,

- नंबर एक. मौसम और भूगोल. नेपाल की सिविल एविएशन अथॉरिटी ने 2019 में एक सेफ़्टी रिपोर्ट जारी की थी. इसमें बताया गया था कि नेपाल की भौगोलिक स्थिति पायलटों के लिए मुश्किल पैदा करती है. दुनिया के 14 में से 8 सबसे ऊंची पर्वत-चोटियां नेपाल में हैं. पहाड़ी इलाकों में मौसम भी तेज़ी से बदलता है. इसके अलावा, ऊंचाई वाले इलाकों में धुंध की दिक़्क़त भी आती है. इसके चलते पूरी नियति पायलट पर निर्भर करती है.

- नंबर दो. इंफ़्रास्ट्रक्चर. नेपाल के अधिकतर एयरपोर्ट्स पहाड़ों के बीच में है. उनके रनवेज़ का आकार छोटा होता है. लंबाई बढ़ाने के लिए रनवेज़ को घुमावदार बनाना पड़ता है. ऐसे में पायलट को लैंड करते ही प्लेन की स्पीड घटानी होती है. नेपाल के एयरपोर्ट्स पर लैंडिंग अपने आप में टास्क है. लेकिन इसके लिए अलग से ट्रेनिंग नहीं दी जाती.

- नंबर तीन. निवेश की कमी. नेपाल में एयरलाइंस नए एयरक्राफ़्ट्स और सेफ़्टी प्रोटोकॉल्स में खर्च करने से बचती हैं. अभी भी देश में दशकों पुराने एयरक्राफ़्ट्स उड़ाए जा रहे हैं. किसी और देश में उन्हें चलन से बाहर कर दिया गया होता. 2017 में इंटरनैशनल सिविल एविएशन ऑर्गेनाइज़ेशन (ICAO) ने नेपाल सरकार के साथ समझौता किया था. इसके तहत, ICAO नेपाल के सिविल एविएशन को सुरक्षित बनाने में मदद कर रहा है. तब से कई नए मानक लागू भी किए गए हैं. हालांकि, उनका बहुत असर नहीं हुआ है. 15 जनवरी को हुए हादसे के समय मौसम साफ़ था. पायलट ने एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल से किसी तरह की मदद भी नहीं मांगी. इस वजह से हादसे के असली कारण का पता लगाना मुश्किल है.

अब ये जान लेते हैं कि, प्लेन हादसे के बाद नेपाल में क्या कुछ हो रहा है?

- नेपाल के प्रधानमंत्री प्रचंड ने देशभर में एक दिन के शोक का ऐलान किया.
- यती एयरलाइंस ने 16 जनवरी को अपनी सभी उड़ानों को रद्द कर दिया.
- जिस ATR कंपनी का प्लेन क्रैश हुआ है, उन्हें भी हादसे की जानकारी दे दी गई है. वे भी अपनी जांच शुरू कर रहे हैं.
- 16 जनवरी को प्लेन का वॉयस रेकॉर्डर और ब्लैक बॉक्स बरामद कर लिया गया. इन्हें सिविल एविएशन अथॉरिटी के हवाले कर दिया गया है.

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