आम तौर पर रेलवे में दो तरह की पुलिस काम करती है.
1.गवर्नमेंट रेलवे पुलिस (जीआरपी)
2. रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ)
आजादी से पहले प्राइवेट रेलवे का कॉन्सेप्ट था. रेलवे की सुरक्षा के लिए चौकीदार रखे जाते थे. जीआरपी को पैसा देकर रेलवे की सुरक्षा के लिए बुलाया जाता था. आजादी के बाद भी वही पुराना कॉन्सेप्ट चलता रहा लेकिन 1957 आरपीएफ एक्ट आया और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स बना. लेकिन इस दौरान जीआरपी का कॉन्सेप्ट भी चलता रहा. जैसे एयरपोर्ट पर सीआईएसएफ काम करती है उसी तरह रेलवे में आरपीएफ काम करती है.
जीआरपी और आरपीएफ दोनों एजेंसियों के काम बंटे होते हैं. इनके अधिकार क्षेत्र भी अलग-अलग होते हैं. सबसे पहले जानते हैं जीआरपी के बारे में.
# जीआरपी
मुखिया: जीआरपी स्टेट पुलिस की ब्रांच है. रेलवे का मानना था कि रेलवे के तहत होने वाले क्राइम को लेकर यात्रियों को थाने तक न जाना पड़े. इसकी जगह पुलिस थाने रेलवे के तहत आ जाएं. इसके बाद रेलवे स्टेशनों पर जीआरपी थाने बने. इसके लिए रेलवे जीआरपी को भुगतान भी करता है. यानी जीआरपी की जो ऑपरेशनल है उसका आधा हिस्सा राज्य सरकार तो आधा रेलवे देता है.बीच-बीच में ये भी मुद्दा उठता रहता है कि रेलवे जीआरपी को 50 प्रतिशत का भुगतान क्यों करे? क्योंकि लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना तो पुलिस का काम ही है. हर राज्य की पुलिस अलग-अलग पैटर्न पर काम करती है. चूंकि जीआरपी स्टेट पुलिस का हिस्सा है, इसलिए इसके काम करने के तरीके में राज्यों के अनुसार अंतर आ जाता है.

जीआरपी का काम रेलवे में होने वाले अपराध को रोकना है. (सांकेतिक फोटो)
काम: रेलवे में जीआरपी का काम मुख्य रूप से लॉ एंड ऑर्डर यानी कानून व्यवस्था को बनाए रखना है. इंडियन पीनल कोड (आईपीसी) के तहत जो क्राइम होते हैं उसे जीआरपी देखती है. जनरल क्राइम जैसे ट्रेन में जहरखुरानी, चोरी, लूटपाट, हत्या की कोशिश इस तरह के जो भी अपराध हैं, जीआरपी हैंडल करती है. रेलवे स्टेशन और उसके एक किलोमीटर के आसपास का जो दायरा है, वह जीआरपी के तहत आता है. यानी इस दायरे में अगर कोई क्राइम होता है तो उसे जीआरपी देखेगी.
अधिकार: जीआरपी आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है. एफआईआर दर्ज कर सकती है. जीआरपी कुछ गाड़ियों को एस्कॉर्ट करती है. यानी कुछ ट्रेनों में जीआरपी के जवान तैनात किए जाते हैं. जीआरपी के पोस्ट या थाने होते हैं. यूपी की बात करें यूपी जीआरपी 780 ट्रेनों को एस्कॉर्ट करती है. यह 922 रेलवे स्टेशनों पर तैनात है.
# आरपीएफ
मुखिया: आरपीएफ केंद्र सरकार के तहत आती है. रेल मंत्रालय के तहत काम करती है. इसका हेडक्वार्टर नई दिल्ली में है.काम: आरपीएफ का मुख्य काम रेलवे संपत्ति की सुरक्षा करना है. सबसे पहले आरपीएफ को रेलवे की संपत्ति की सुरक्षा के लिए बनाया गया था. रेलवे प्रॉपर्टी की रखवाली करना आरपीएफ का काम था. लेकिन ये हुआ कि ये कैसे हो सकता है कि आरपीएफ रेलवे की सुरक्षा करेगा लेकिन रेल यात्रियों की नहीं, फिर इसमें बदलाव किया गया. 2003 में आरपीएफ एक्ट में एमेंडमेंट किया गया. रेलवे एक्ट के तहत आरपीएफ एक्शन ले सकती है. एफआईआर दर्ज कर सकती है. जैसे अवैध वेंडर्स, चेन पुलिंग, शराब पीकर ट्रेन में चढ़ जाना जैसे मामलों में कार्रवाई कर सकती है.

आरपीएफ रेलवे संपत्ति की सुरक्षा करती है. साथ ही यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उसके कंधों पर है. (सांकेतिक फोटो)
अधिकार: जीआरपी की तुलना में आरपीएफ के अधिकार सीमित होते हैं. लेकिन और अधिकार देने की बात कही जा रही है. पहले की तुलना में अधिकार मिले भी हैं.
हितों का टकराव: दोनों एजेंसियों में हितों का टकराव भी होता रहता है. मान लीजिए की आरपीएफ ने ट्रेन में मोबाइल चोर को पकड़ा. और मोबाइल उसके मालिक को दे दिया, लेकिन आरपीएफ चोर को पकड़ कर जीआरपी थाने ले गई. अब इस बात पर बहस होती है कि चोरी हुआ मोबाइल जिसका था उसे नहीं लौटाना चाहिए था. मोबाइल वापस देने के बाद केस रजिस्टर नहीं करेंगे. इस तरह के छोटे-छोटे टकराव होते रहते हैं.
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