टेलिप्रॉम्प्टर की मदद लेते हैं पीएम मोदी
बात गुजराती की होती तो बेशक मान लेते कि पीएम मोदी हिंदी से अचानक गुजराती बोलने लगे. तमिल का मामला अलग है. पीएम मोदी न तो तमिल बोलने में अभ्यस्त हैं और न ही वे तमिलनाडु के रहने वाले हैं. तो फिर उन्होंने इतनी अच्छी तमिल कैसे बोल ली? ये इंडियन यूथ कांग्रेस के नेता श्रीनिवास बीवी (Shrinivas BV) ने PM मोदी के भाषण देते वक़्त की एक फोटो ट्वीट करके समझा दिया.श्रीनिवास बीवी ने अपने ट्वीट में व्यंग्य करते हुए लिखा,
‘मंदिर में टेलिप्रॉम्प्टर (Tele Promter) लेकर कौन जाता है.’
ये पहली बार नहीं था जब PM मोदी ने भाषण देने के लिए टेलिप्रॉम्प्टर का यूज़ किया. इसके पहले भी कई बार उन्होंने टेलिप्रॉम्प्टर की मदद ली है. उनके तमाम अंग्रेज़ी भाषणों में इस डिसप्ले डिवाइस का इस्तेमाल किया गया है. यहां ये भी साफ कर दें कि मोदी का टेलिप्रॉम्प्टर यूज करना कोई असामान्य बात नहीं है, विदेशी नेता भी इसकी मदद लेते हैं. देखिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ये तस्वीर.

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (फोटो सोर्स -ट्विटर)
लेकिन साल 2019 में मोदी ने हिंदी में भाषण देते वक़्त भी टेलिप्रॉम्प्टर का इस्तेमाल किया था. जगह थी पटना. तारीख़ 3 मार्च 2019. लालू प्रसाद यादव ने ट्वीट करके PM मोदी का मज़ाक भी उड़ाया था.
लेकिन टेलिप्रॉम्प्टर काम कैसे करता है? इस शंका का समाधान भी किए देते हैं. #टेलिप्रॉम्प्टर क्या है और कैसे काम करता है? ये कोई एक डिवाइस नहीं है बल्कि दो-तीन डिवाइस का पूरा सेट है. इस सेट को टेलिप्रॉम्प्टर या ऑटोक्यू टेक्नोलॉजी भी कहते हैं. इसकी शुरुआत 1950 के दशक में अमेरिकी ऐक्टर Fred Barton Jr. ने की थी.
इस्तेमाल और डिवाइस सेट के बेसिस पर टेलिप्रॉम्प्टर दो तरह के होते हैं. एक वो जो भाषण देते वक़्त नेता लोग पोडियम पर इस्तेमाल करते हैं. इसे कहते हैं- प्रेजिडेंशियल टेलिप्रॉम्प्टर. दूसरा न्यूज़ पढ़ते वक़्त ऐंकर इस्तेमाल करते हैं. इसे कहा जाता है- कैमरा माउंटेड टेलिप्रॉम्प्टर.
दोनों का मकसद एक ही है, टेक्स्ट को पढ़ने में रीडर की मदद करना. लेकिन इस्तेमाल का तरीका एक-दूसरे से थोड़ा अलग है. # प्रेजिडेंशियल टेलिप्रॉम्प्टर- प्रेजिडेंशियल टेलिप्रॉम्प्टर में स्क्रीन या मिरर होते हैं. इन पर टेक्स्ट चलता रहता है और स्टेज पर खड़ा व्यक्ति इस टेक्स्ट को पढ़ता रहता है. टेलिप्रॉम्प्टर में आमतौर पर दो सेमी-ट्रांसपेरेंट ग्लास मिरर होते हैं. इन्हें पोडियम की दोनों तरफ स्टैंड पर रख दिया जाता है. 45 डिग्री के एंगल से. इन मिरर पर टेक्स्ट रन कराने के लिए एक फ्लैट एलसीडी मॉनिटर होता है. ये टेक्स्ट को मिरर पर रिफ्लेक्ट करता रहता है, जिसे पोडियम पर खड़ा व्यक्ति आराम से पढ़ लेता है. न ही कुछ याद करने की ज़रूरत और न ही भूलने या गलत बोल जाने का डर. और अगर भूल भी गए कि कहाँ पर थे तो उसके लिए एक Cue-marker रहता है जो बता देता है कि टेक्स्ट को कहां तक पढ़कर छोड़ा गया है.
दूसरा फायदा ये कि पोडियम की दोनों तरफ़ ये मिरर इस ऐंगल से रखे गए होते हैं कि सामने बैठी ऑडियंस को लगता है कि वक्ता उनसे आई-कॉन्टैक्ट बनाए हुए बतिया रहा है. जबकि असल में वो दोनों साइड रखे मिरर को देखकर स्क्रिप्ट पढ़ रहा होता है. #कैमरा माउंटेड टेलिप्रॉम्प्टर- ये आजकल सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला Teleprompter है. आमतौर पर इसका इस्तेमाल टीवी रिकॉर्डिंग और न्यूज़ ऐंकरिंग के लिए होता है.
इस सेट ऑफ़ डिवाइसेज़ में भी दो-तीन चीज़ें होती हैं. पहली, वो स्क्रीन जिस पर टेक्स्ट शो होता है. दूसरा, वो डिवाइस जो टेक्स्ट की रनिंग स्पीड शो करती है. ये दो तरह की हो सकती है, या तो किसी कार की Remote Key के जैसी, जिसे आसानी से हाथों में कैरी कर सकते हैं, या फिर कार के एक्सेलेटर (Accelerator) की तरह का एक फुट पेडल. स्क्रिप्ट पढ़ने वाला व्यक्ति (Speaker) इन्हीं दोनों के जरिए टेक्स्ट की रीडिंग स्पीड को कंट्रोल करता है.
इसके अलावा इस सेट में वीडियो रिकॉर्ड करने के लिए कैमरा होता है. लेकिन उसकी स्क्रीन के साथ पोजीशनिंग ऐसी होती है कि रिकॉर्ड हो रहे वीडियो में ऐंकर दर्शकों से बात करता हुआ दिखता है, न कि स्क्रीन पर आ रहा टेक्स्ट पढ़ता हुआ.