9 सितंबर, 2023 को तेलुगू देशम पार्टी (TDP) के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व CM एन चंद्रबाबू नायडू (Chandrababu Naidu) को घोटाले के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. CID के मुताबिक, उनके CM रहते (साल 2014 से 2019 के बीच) राज्य में स्किल डेवलपमेंट घोटाला (Skill Development Scam) हुआ. चंद्रबाबू नायडू को 14 दिन के लिए जेल भेज दिया गया है. CID के मुताबिक सारा खेल कैसे हुआ, जानते हैं.
चंद्रबाबू नायडू को जिस 'स्किल डेवलपमेंट स्कैम' में जेल हो गई, वो असल में है क्या?
CM Jagan Mohan Reddy का आरोप, 'चंद्रबाबू नायडू ने गिरोह बनाकर 371 करोड़ रुपये लूटे.'

APSSDC यानी आंध्र प्रदेश स्टेट स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन. इसका गठन साल 2014 में आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद हुआ था. ये संस्थान पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप है. माने सरकारी और गैर-सरकारी साझेदारी. इसका उद्देश्य था- आंध्र प्रदेश के युवाओं को स्किल्स की ट्रेनिंग देना और फिर रोज़गार मुहैया करवाना.
2015 में आंध्र प्रदेश सरकार के कौशल विकास निगम और कुछ टेक्नोलॉजी कंपनियों जैसे सीमेंस, इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिज़ाइन टेक सिस्टम्स वगैरह के बीच MoU (समझौता पत्र) साइन हुए. सीमेंस इंडस्ट्रियल सॉफ़्टवेयर एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है, जिसका हेडऑफिस यूपी के नोएडा में है. ये कंपनी साल 2017 से ही कौशल विकास निगम के साथ मिलकर काम कर रही है. सीमेंस के साथ समझौते के तहत आंध्र प्रदेश की छह जगहों पर स्किल डेवलपमेंट सेंटर और प्रदेश के कई इंजीनियरिंग कॉलेज में एक्सीलेंस सेंटर भी खोला जाना तय हुआ था. इनमें युवाओं को अलग-अलग तरह की स्किल्स (कौशल) की ट्रेनिंग दी जाती है. 19 जनवरी, 2015 को चंद्रबाबू नायडू ने राज्य भर में 17 स्किल डेवलपमेंट सेंटर्स का वर्चुअली उद्घाटन किया.
समझौते के तहत ये तय हुआ था कि पूरे प्रोग्राम में जो भी खर्च आएगा उसका 10 फीसद हिस्सा सरकार देगी और बाकी 90 फीसद खर्च सीमेंस देगी, अनुदान के रूप में. कुल 6 एक्सीलेंस सेंटर खोलने और उनमें तकनीकी उपकरण लगाने के लिए आंध्र प्रदेश सरकार ने सीमेंस और डिज़ाइन टेक के साथ 3356 करोड़ रुपये का समझौता किया. हर सेंटर पर करीब 560 करोड़ रुपये खर्च होने थे. सेंटर्स में सीमेंस का काम था तकनीकी मदद मुहैया करवाना. तत्कालीन चंद्रबाबू नायडू सरकार ने कुल खर्च का 10 फीसद के हिसाब से 371 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया. बाकी 90 फीसद खर्च कंपनियों को उठाना था. CID की रिपोर्ट के मुताबिक, डाक्यूमेंट्स में ये दिखाया गया कि कंपनी ने तकनीकी मदद उपलब्ध करवाई.
गिरोह बनाकर लूट की: CM जगन मोहनमार्च, 2021 में आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने विधानसभा में पूर्ववर्ती नायडू सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि स्किल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन, बेरोज़गार छात्रों के नाम पर हुआ सबसे बड़ा घोटाला है. और चंद्रबाबू नायडू इस घोटाले के मुख्य साजिशकर्ता और लाभार्थी हैं. जगन मोहन ने कहा था,
"MoU (समझौता पत्र) में जो कहा गया, उसके उलट हुआ. पैसा, विदेश में शेल कंपनियों को भेजा गया और फिर उसे वापस हैदराबाद लाया गया. GST, इंटेलिजेंस, इनकम टैक्स, ED जैसी एजेंसियां मामले की जांच कर रही हैं. चंद्रबाबू नायडू ने एक गिरोह बनाया और 371 करोड़ रुपये लूटे."
जगन मोहन रेड्डी का कहना था कि सोचे समझे बिना ये घोटाला हुआ कि कोई निजी कंपनी किसी को 3 हजार करोड़ रुपये अनुदान में क्यों और कैसे देगी. उन्होंने कहा था कि सीमेंस के एक उच्च अधिकारी को जेल में डालकर इतना बड़ा घोटाला हुआ और सरकारी पैसे की बंदरबांट की गई. जगन के आरोपों के बाद इस मामले में 9 दिसंबर 2021 में CID ने पहली बार मामला दर्ज किया और जांच शुरू की.
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CID ने अपने आरोपों में क्या कहा?CID के आरोप थे,
- कौशल विकास के लिए जारी फंड का दुरुपयोग किया गया.
- सीमेंस ने प्रोजेक्ट की लागत बढ़ा-चढ़ाकर 3300 करोड़ रुपये कर दी थी.
- सरकार ने प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद सिर्फ 3 महीने के अंदर 371 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया. जबकि इस वक़्त तक सीमेंस ने प्रोजेक्ट में एक रुपये का भी खर्च नहीं किया.
- सरकार ने सिर्फ सॉफ्टवेयर के लिए सीमेंस को 371 करोड़ रुपये का भुगतान किया, उसकी असली कीमत सिर्फ 58 करोड़ रुपये थी.
- प्रोजेक्ट पर 130 करोड़ रुपये खर्च हुए जबकि 241 करोड़ रुपये कम से कम 5 शेल कंपनियों को भेज दिए गए. इन कंपनियों के नाम हैं- एलीड कंप्यूटर्स, स्किलर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नॉलेज पोडियम, कैडेंस पार्टनर्स और ETA ग्रीन्स. इन कंपनियों से स्किल सेंटर्स के कंप्यूटर, सॉफ्टवेयर और दूसरी चीजें मिलने को थीं. लेकिन इन्होंने आंध्र प्रदेश सरकार को कुछ भी नहीं बेचा/उपलब्ध कराया.
- इन कंपनियों के नाम फर्जी इनवॉइस पर पैसा भेज दिया गया.
- CID ने ये भी पाया कि ख़ास दस्तावेजों पर मुख्य वित्तीय सचिव आदि के साइन भी नहीं थे. जरूरी दस्तावेजों को नष्ट करने की कोशिश की गई थी.
CID के दर्ज किए गए मुक़दमे के आधार पर ED ने भी एक अलग जांच शुरू की थी. कौशल विकास निगम के पक्ष से इस प्रोजेक्ट के मुख्य कर्ता-धर्ता रहे गंता सुब्बाराव और लक्ष्मीनारायण सहित कुल 26 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. इनमें से कुल 10 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया था. इनमें सीमेंस इंडिया के पूर्व मैनेंजिंग डायरेक्टर सौम्याद्री शेखर बोस को इसी साल 10 मार्च को गिरफ्तार किया गया. इनके अलावा डिजाइन टेक सिस्टम्स सहित कई अधिकारी भी पुलिस की गिरफ्त में आए. और अब चंद्रबाबू नायडू गिरफ्तार हुए हैं.
TDP का कहना है कि सीमेंस ने जिस तरह गुजरात सरकार के साथ समझौता किया, उसी तरह आंध्र प्रदेश प्रदेश में भी समझौता हुआ. और इसे लागू किया गया. ED की जांच में पता चला कि सीमेंस ने GST का भुगतान नहीं किया. सीमेंस के नाम पर 371 करोड़ रुपये डायवर्ट करने की बात गलत है. उस वक्त की सरकार का इससे कोई लेना देना नहीं है. सीमेंस की गलती के लिए नायडू को गिरफ्तार किया गया है.
नायडू का कहना था कि मुझे बिना सबूत गिरफ्तार किया गया है. सत्ता से बाहर होने के बाद से अब तक चंद्रबाबू नायडू और उनके बेटे पर और भी कई संगीन मामले दर्ज किए गए हैं. लेकिन अब उनकी गिरफ्तारी के बाद प्रदेश में सियासी पारा हाई है. चंद्रबाबू नायडू के समर्थकों का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम का उल्लंघन है. तर्क ये है कि गिरफ्तारी से पहले न तो राज्यपाल की मंजूरी ली गई और न ही कोई नोटिस दिया गया. TDP ने गिरफ्तारी के विरोध में प्रदेशव्यापी बंद का भी ऐलान किया है.
वीडियो: CID अरेस्ट करने पहुंची, N चंद्रबाबू नायडू के समर्थकों ने ये क्या कर डाला?