- एक छात्र क्लास में खड़ा था. अचानक से गिर गया.
- एक पेंटर अपना काम करके एक बाल्टी पर जाकर बैठा. लेकिन कुछ देर बाद उसपर से गिर गया.
- एक आदमी परिवार के साथ बाहर खाना खाने गया, लेकिन खाना आने से पहले टेबल पर गिर गया.
- एक IIT के प्रोफेसर स्टेज पर लेक्चर दे रहे थे, उसी समय मंच पर गिर गए.
- एक युवक क्रिकेट मैच खेल रहा था, रन लेते वक्त गिर गया.
इन सबकी मौत हो चुकी है. सबकी मौत का कारण एक ही है. महज़ हार्ट अटैक नहीं, साइलेंट अटैक. ये साइलेंट अटैक होता क्या है? ये हार्ट अटैक से कितना ज़्यादा खतरनाक होता है? कैसे अलग होता है? आज ये सब जानेंगे.
20 साल के लड़के से लेकर 50 साल के आदमी को 'साइलेंट अटैक' आ रहा है, ये होता क्या है?
'साइलेंट अटैक', हार्ट अटैक से कैसे अलग है? इससे आप कैसे बच सकते हैं?
साइलेंट अटैक को लेकर हमने डॉ. जोगेश विशनदासानी से बात की. वो रायपुर के श्री मेडिशाइन अस्पताल में इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट हैं. उन्होंने हमें बताया कि साइलेंट अटैक को साइलेंट मायोकॉर्डियल इन्फार्क्शन (एसएमआई) भी कहते हैं. हार्ट अटैक और साइलेंट अटैक में सिर्फ लक्षण का ही फर्क ही रहता है. साइलेंट अटैक में लक्षण ना के बराबर होते हैं. इसी वजह से मरीज को कुछ पता नहीं चल पाता है.
क्या लक्षण होते हैं?1. हल्की मात्रा में सीने में दर्द उठना;
2. हल्का पसीना आना (आपको लगेगा की गर्मी की वजह से आया है);
3. पाचन क्रिया में दिक्कत होना;
4. छाती में हल्की जलन;
कभी-कभी एसिडिटी के चलते छाती में हल्का दर्द महसूस होता है. साइलेंट अटैक के दौरान भी इसी तरह का दर्द होता है.
साइलेंट अटैक क्या होता है?डॉ. जोगेश ने बताया,
“दिल की बीमारियां आर्टरीज़ (धमनियों) में कॉलेस्ट्रॉल/फैट जमा होने के कारण होती हैं. ये जमावट धीरे-धीरे बढ़ती रहती है. वक्त के साथ ब्लॉकेज 50 से 60 प्रतिशत तक पहुंच जाता है और प्लाक्स (थक्के) बन जाते हैं. इन प्लाक्स के फटने का ख़तरा रहता है.
दिल की मांसपेशियां खिंचती रहती हैं, लेकिन धीरे-धीरे इनके खिंचने की क्षमता कम होने लगती है प्लाक फट जाते हैं. प्लाक के फटते ही कुछ केमिकल रिलीज़ होते हैं, जो खून के साथ मिलकर ब्लड क्लॉट यानी खून के थक्के बना देते हैं. अगर 50 से 80 प्रतिशत तक ब्लॉकेज है तो खून के थक्के बनते ही वो ब्लॉकेज 100 प्रतिशत में बदल जाता है. जैसे ही ये ब्लॉकेज 100 प्रतिशत हो जाता है, दिल का एक हिस्सा मर जाता है. ऐसे में दिल में बहुत तेज़ दर्द उठता है. इसी अवस्था को हार्ट अटैक कहा जाता है. हार्ट अटैक में जोर से सीने में दर्द होता है. घबराहट होती है. पसीना आता है. इसी तरह साइलेंट अटैक में भी धमनियों में ब्लॉकेज होती है, हार्ट को नुकसान होता है. लेकिन सभी लक्षण ना के बराबर होते हैं.”
डॉ. जोगेश ने बताया कि चूंकि साइलेंट अटैक के लक्षण नहीं होते, तो इसके बारे में पता चल पाना बहुत मुश्किल है. इसलिए मरीज का जागरूक होना बहुत जरूरी है. इसलिए समय-समय पर ECG, ECHO और ब्लड टेस्ट करवाने चाहिए. हार्ट अटैक/साइलेंट अटैक के मुख्य कारण ये रहे -
- धूम्रपान;
- हाई ब्लड प्रेशर;
- शुगर की बीमारी;
- शराब का रोज सेवन;
- जंक फूड;
- तला हुआ खाना;
- शरीर को एक्टिव न रखना (चलना-फिरना कम करना); और
- एकदम से रूटीन चेंज करना.
आप इन सारी चीज़ों से बच गए, तो हार्ट अटैक/साइलेंट अटैक से भी बच सकते हैं. इनसे इतर भी कुछ चीज़ें आप अपने जीवन में जोड़ें/घटाएं तो अटैक का खतरा कम हो सकता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण है डाइट. हरी सब्जियां खाइए, छिलके वाली दाल खाइए, हाई कार्ब डाइट इग्नोर कीजिए. एक और चीज़ है. युवा हैं, चुस्त-दुरुस्त हैं, तब भी ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराते रहिए.
क्या सर्दियों में हार्ट अटैक के ज़्यादा मामले सामने आ रहे हैं?डॉ. जोगेश इसपर कहते हैं कि हार्ट अटैक के केस सालभर चलते हैं, लेकिन सर्दियों में ज़्यादा मामले सामने आते हैं. क्योंकि सर्दियों में नसों में जकड़न आ जाती है. इससे दिल की नसों में ब्लॉकेज होना शुरू हो जाता है. दूसरा कारण है कि मरीज का सर्दियों में ब्लड प्रेशर भी बढ़ने लग जाता है. ये सभी कारण सर्दियों में हार्ट अटैक होने के कारण बढ़ा देती हैं.
हार्ट अटैक के समय मरीज को CPR देकर बचाया जा सकता है तो क्या साइलेंट अटैक में भी हम ऐसा कुछ कर सकते हैं?डॉ. जोगेश इसपर कहते हैं,
क्या कोविड या कोविड वैक्सीन का हार्ट अटैक/साइलेंट अटैक से कोई कनेक्शन है?“दो चीजें होती हैं. पहली साइलेंट अटैक और दूसरी ‘सडन कार्डिएक अरेस्ट’ (अचानक दिल की धड़कन का बंद होना). सडन कार्डिएक अरेस्ट में में मरीज़ को ज़्यादा वक्त नहीं मिल पाता. लेकिन साइलेंट अटैक में मामला थोड़ा अलग होता है. इसमें मरीज की मौत भी हो सकती है और CPR के जरिए उसे कई केस में बचाया भी जा सकता है. कभी-कभार मरीज को इतना समय मिल जाता है कि उसे अस्पताल ले जाया जा सके और इलाज हो सके.
आजकल अटैक 30 साल के लोगों को भी आ रहा है. इसलिए हमेशा लोगों को टाइम पर चेकअप करवाना चाहिए. जिससे समय पर उनका ट्रीटमेंट हो सके.”
इसपर डॉ. जोगेश ने कहा कि अगर किसी को कोविड हुआ है, तो उसे वायरल इन्फेक्शन होने का चांस ज़्यादा होता है. इससे मरीज के खून में थक्के बनने लगते हैं. इसलिए हार्ट अटैक और लकवा होने का चांस ज़्यादा होता है. लेकिन अभी तक ये नहीं कहा जा सकता है कि कोविड या कोविड वैक्सीन से हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं. इन सब पर अभी स्टडी चल रही है. जिनका रिजल्ट आना बाकी है.
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