त्रिपुरा के जिस गमछे का ट्रेंड चला, उसकी खासियत जान खरीदने दौड़ पड़ेंगे
त्रिपुरा के सीएम ने भी गमछे की फोटो डाली है.

दाहिनी फोटो में महिलाओं ने सिर पर जो स्कार्फ बांधा है वो रिसा है. फोटो- त्रिपुरा टूरिज़्म, फेसबुक पेज बाईं फोटो में बिप्लब देब रिसा पहने हुए.
बिप्लब देब. त्रिपुरा के मुख्यमंत्री हैं. वैसे तो ऊटपटांग बयानों से चर्चा में रहते हैं पर इस बार उन्होंने कुछ ऐसा कर दिया है कि उनकी एक तारीफ़ तो बनती है. पिछले दिनों पीले रंग का एक गमछा गले में लटकाकर बिप्लब देब ने फोटो ट्वीट की. लिखा कि त्रिपुरा के पारंपरिक रिसा को देशभर में पहचान दिलाने में अपना योगदान दें.
ट्वीट आप यहां देख लीजिए.
अब जो लोग नॉर्थ ईस्ट खासकर त्रिपुरा की संस्कृति, वहां के पहनावों के जानकार हैं वो कहेंगे कि ये क्या बात हुई. रिसा को पहचान दिलाने का क्रेडिट सीएम साहब को क्यों. तो इसका जवाब ये है कि कई लोग ऐसे हैं जो बिप्लब देब के ट्वीट से पहले इस बारे में नहीं जानते थे. हुआ यूं कि उन्होंने ट्वीट किया, फिर कई और लोगों ने रिसा की फोटो और उसके बारे में जानकारी ट्वीट की. इस तरह एक बड़े ग्रुप (जिसमें मैं भी शामिल हूं) को रिसा के बारे में जानकारी मिली. और रिसा के बारे में इंटरनेट पर जो भी जानकारी मिली, उससे तो समझ में आया कि ये बड़े काम की चीज़ है. दूसरे, यूट्यूब पर इसके जितने भी वीडियो मिले उनमें इतने रंग और डिज़ाइंस दिखे मज़ा आ गया. मतलब वाह. अब आप ये फोटो ही देख लीजिएः
क्या होता है रिसा?
त्रिपुरा डॉट ओआरजी के मुताबिक, त्रिपुरा की महिलाओं की पारंपरिक वेशभूषा के तीन हिस्से होते हैं. रिसा, रिग्नई और रिकुतु. रिग्नई स्कर्ट जैसा कपड़ा होता है जिससे शरीर के निचल हिस्से को ढका जाता है. वहीं, रिकुतु से शरीर के ऊपरी हिस्से को रैप करके ढकते हैं. रिकुतु का इस्तेमाल दुल्हन की चुनरी के तौर पर भी किया जाता है. अब आते हैं रिसा पर. तो रिसा हथकरघे से बनाया जाता है. इसका इस्तेमाल सिर्फ महिलाएं नहीं करतीं, पुरुष भी करते हैं. और इसे कई-कई तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है. इस वेबसाइट के मुताबिक, - रिसा का मुख्य इस्तेमाल महिलाओं के स्तन को ढकने के लिए होता. लड़कियां इसे बचपन से नहीं पहनतीं. जब वो 12-13 साल की होती हैं यानी जब वो प्यूबर्टी की उम्र में पहुंचती हैं, तब रिसा सोरमानी नाम का एक फंक्शन रखा जाता है. इसमें बड़ी औरतें उस लड़की को रिसा देती हैं. अपने स्थानीय देव की पूजा करके उस लड़की के लिए प्रार्थना करती हैं. - त्योहारों और शादियों में पुरुष रिसा की पगड़ी बनाकर पहनते हैं. वो धोती के ऊपर कमर पर इसे बांधते भी हैं. - सर्दियों में रिसा का इस्तेमाल मफलर की तरह किया जाता है. वहीं सर्दियों में सिर पर बांधने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है. - लोग पीठ या छाती पर बच्चे को बांधने के लिए भी रिसा का इस्तेमाल करते हैं. बच्चे को इससे बांधने पर काम करना या चलना थोड़ा आसान हो जाता है.
- अभी के वक्त में महिलाएं रिसा का इस्तेमाल अलग-अलग तरीके के दुपट्टे की तरह भी करती हैं. - रिसा का इस्तेमाल विशेष अतिथियों के सम्मान के लिए भी किया जाता है. शॉल की तरह. तो देखा आपने इतने तरीकों से रिसा का इस्तेमाल होता है. मतलब एक रिसा को सर्दी में सिर पर भी बांध लो, मफलर की तरह भी पहन लो, दुपट्टे की तरह अलग-अलग स्टाइल में ओढ़ भी लो, पगड़ी भी बना लो. अब इत्ते सारे फीचर्स वाला एक रिसा तो खरीदना बनता ही है. है कि नई?