इसके बाद ही मोदी सरकार ने उच्च अधिकारियों और मंत्रियों के बीच हाई सिक्योर लाइन को बढ़ाने पर जोर देने के आदेश दिए. हालांकि इससे पहले भी भारत में तकरीबन 1300 लोगों को ऐसी सिक्योर लाइनें दी गई थीं. 9 अक्टूबर 2014 को इकॉनमिक टाइम्स में छपी खबर
के मुताबिक, मोदी सरकार ने सिक्योर लाइनों की संख्या बढ़ाकर 5000 करने के आदेश दिए. यह RAX लाइनों को एक साथ बढ़ाने की सबसे बड़ी कवायद थी.

2014 में विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने अमेरिका से जासूसी की खबरों पर गहरी आपत्ति जताई थी. सरकार भी सतर्क हुई और खास फोन लाइनों की संख्या बढ़ा दी गई.
होता क्या है RAX लाइन फोन? आसान भाषा में कहें तो एक ऐसी लाइन है, जिसमें तीसरा कोई घुस नहीं सकता. हम जो सामान्य फोन लाइनें इस्तेमाल करते हैं, उन्हें कई टुकड़ों में लगाया जाता है. मतलब एक लाइन लोकल एक्सचेंज तक जाती है. फिर वह उससे बड़े वाले एक्सचेंज में कनेक्ट होती है. इससे पूरे नेटवर्क में कई ऐसे पॉइंट बन जाते हैं, जहां से कोई भी जानकारी लीक कर सकता है. यह एक तरह से लाइन में कटिया मारने जैसा है. वहीं RAX लाइन फोन को तकनीक की भाषा में सिक्योर एंड डेडिकेटेड कम्यूनिकेशन नेटवर्क (SDCN) कहा जाता है. मतलब ऐसी लाइन जिसका नेटवर्क पूरी तरह से खास लोगों के लिए सुरक्षित बनाया गया है.
यह सिक्योर लाइन पूरी तरह से न सिर्फ अलग होती हैं, बल्कि उसके अंदर से जाने वाली जानकारी पूरी तरह से एनक्रिप्टेड होती है. एनक्रिप्टेड का मतलब बातचीत को खास तरीके के कोड में ट्रांस्फर करने की तकनीक. इस टेक्नॉलजी के तहत आप जो बोलते हैं, उस पर ताला लगा रहता है. इसकी चाबी सिर्फ़ उसके पास होती है, जिसे आपकी आवाज सुननी है. हर नए कॉल के लिए एक नए ताले-चाबी का कॉम्बिनेशन बन जाता है. इसीलिए किसी भी हैकर के लिए कॉल डीक्रिप्ट करना या बाहर से बैठे-बैठे आवाज को सुनना बेहत मुश्किल हो जाता है. इसका इस्तेमाल कैसे करते हैं? यह फोन साधारण लैंडलाइन फोन से बिल्कुल अलग होते हैं. इन फोन का इस्तेमाल सिर्फ वही शख्स कर सकता है जिसके लिए यह लगाया गया है. मतलब ऐसा नहीं कि घर का कोई भी इस फोन को उठाकर नंबर डायल कर दे. इसके लिए फोन पर एक बायोमैट्रिक ऑथेंटिकेशन यूनिट लगा होता है. इस पर फिंगरप्रिंट के बाद ही कॉल की जा सकती है. फोन के साथ ही एक डिस्प्ले यूनिट भी होती है. इसे ऑन करके तस्वीर भी देखी जा सकती है. किसी भी तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए ऐसे इंतजाम किए गए हैं. बाकी फर्क की बात करें तो इसमें सिर्फ चार डिजिट के नंबर ही डायल किए जा सकते हैं. मतलब इस फोन से आम नंबरों पर फोन नहीं किया जा सकता. इस फोन से सिर्फ खास RAX लाइन से जुड़े नंबरों पर ही कॉल किया जा सकता है. मतलब मोदी जी को अगर अमित शाह से RAX लाइन पर बात करनी है तो वह 1234 जैसा कोई नंबर मिलाते हैं, और उधर फोन बजने लगता है.

खास लोगों के बात करने के लिए बने इस फोन को सिर्फ फिंगरप्रिंट के जरिए ही एक्सेस किया जा सकता है. (फाइल फोटो)
किस-किस को मिला हुआ है यह कनेक्शन? फिलहाल RAX फोन का नंबर केंद्र सरकार के सभी मंत्रियों, मंत्रालय के प्रधान सचिवों, खुफिया विभाग और सेना से जुड़े बड़े अधिकारियों को मिला हुआ है. इस तरह का सिक्योर नंबर महत्वपूर्ण विभागों के जरूरी प्रकोष्ठों के डायरेक्टर लेवल के अधिकारियों को भी दिया गया है. मिसाल के तौर पर रक्षा मंत्रालय के कुछ डायरेक्टर लेवल के अधिकारियों को यह सुविधा हासिल है. इस नंबर के साथ ही सरकार की तरफ से ये निर्देश भी आता है कि हर तरह की सरकारी बातचीत सिर्फ इस नंबर पर ही की जाए. देश के बड़े मंत्रियों और अधिकारियों के घर और दफ्तर दोनों जगह पर इस तरह के RAX लाइन नंबर लगाए गए हैं. किस कंपनी ने फोन बनाए-लगाए हैं? इन खास RAX लाइन फोन को बनाने का काम सरकारी एजेंसी C-DoT यानी सेंटर फॉर डिवेलपमेंट ऑफ टेलिमेट्रिक्स ने किया है. इस फोन पर सर्विस सरकारी फोन एजेंसी एमटीएनएल दे रही है.

खास RAX फोन को सीडैक में बनाया गया है उन्हें सरकारी टेलिकॉम एजेंसी MTNL सर्विस देती है.
एक फोन को लगाने का खर्च कितना है? 28 अक्टूबर 2016 में इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर
में प्रोजेक्ट से जुड़े एक अधिकारी के हवाले से बताया गया था कि अंदरूनी एस्टीमेट के हिसाब से 10 साल तक 5000 यूजर्स को RAX लाइन फोन की सुविधा उपलब्ध कराने में 2354 रुपए हर महीने का खर्च आएगा. ये रकम उस वक्त के हिसाब से बताई गई थी.
फिलहाल सरकार के ऐसे SDCN वाले RAX लाइन फोन दिल्ली में ही काम करते हैं. लेकिन आगे योजना इन्हें बढ़ाने की है. इस तरह के सिक्योर फोन की संख्या को बढ़ा कर 20 हजार करने का प्लान है. इसे हर राज्य की राजधानी से भी जोड़ा जाएगा. खासतौर पर इस नेटवर्क को संवेदनशील इलाकों जैसे जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट के इलाके में पहुंचाया जा रहा है.