'मेरे पड़ोस में एक औरत कभी-कभी पागल हो जाती है. बोलते हैं कि उसमें भूत-वूत आता है. यार, क्या सच में वो इस चीज़ की वजह से ऐसा कर सकती है?'
हम औरतों को होने वाली बीमारियों के बारे में बात कर रहे थे. फिर धीरे-धीरे और भी एग्जाम्प्ल्स निकल आए. औरतों के अजीब से बिहेव करने के. सिर्फ उसके पड़ोस की औरत ही नहीं बल्कि ऐसे बहुत सारी औरतों के बारे में पता चला. अपने घरों-परिवारों की औरतों के बारे में. फिर सोचा कहीं उनके चिड़चिड़ेपन की वजह हिस्टीरिया तो नहीं ? कहीं हम बेवकूफों की तरह इसे ओपरी-पराई समझते रहें, और वो हो हिस्टीरिया की वजह से.
'हिस्टीरिया' शब्द आपके औरतों के शरीर के बारे में जानकारी बढ़ाता है. जान लेओ क्या है हिस्टीरिया.

हिस्टीरिया ऐसा शब्द है जिसके बारे में उन्नीसवीं सदी में बहुत जिक्र हुआ है. यूरोपियन हिस्ट्री में हिस्टीरिया को रेकॉग्नाइज नहीं किया गया था. इसके लिए कारण कुछ बताये गये थे. इस बीमारी का नाम भी अलग था. दो हज़ार सालों तक इसे औरतों के यूट्रस में गड़बड़ होने वाली बीमारी कहा जाता रहा. हिस्टीरिया वर्ड का जन्म 'हिपोक्रेटस' से हुआ है. 'हिपोक्रेटस' कौनो जानवर का नाम न्हीखे. मेडिसिन की हिस्ट्री का एक तगड़ा आदमी था. जिसने औरतों के शरीर और उनको होने वाली बीमारियों के बारे में लिखा था. 19वीं सदी के आखिर में जाकर में हिस्टीरिया को समझा गया. माना गया कि भई यह एक मेंटल इलनेस है.
क्या होता है इस बीमारी में?
औरतें 'पागलों' जैसी हरकतें करने लगती हैं. वो काबू में नहीं रहती. ये ऐसी बीमारी थी, जो एक्सक्लूसिवली औरतों को ही हुई. और एक्सट्रीम केसों में औरतें बेहोश तक हो जाती थी. चीखती-चिल्लाती. इसलिए ऐसी औरतों को कभी-कभी पागलखानों या कमरों में बंद रखा जाता था. इसी वजह से हिस्ट्री में 'मैड वुमन इन द ऐटिक' यानी 'कोठरी में बंद पागल औरत' का नाम बहुत लिया गया है.
बीमारी के लक्षण थे जी घबराना, सांसे फूलना, डिप्रेशन, बेचैनी, भूख की मौत, नींद ना आना और मिर्गी के दौरे.
क्यूं होती है यह बीमारी?
जब औरतों सेक्स का सुख महसूस नहीं कर पाती हैं, तब उन्हें हिस्टीरिया हो जाता है. वो सेक्स तो करती हैं, लेकिन उसके सबसे ऊपर का जो भाव होता है, उसका अनुभव नहीं कर पाती हैं. ऐसे में औरतें सेक्शुली फ्रसट्रेटेड रहती हैं. स्ट्रेस में आकर अलग सा बिहेव करने लग जाती हैं. दरअसल तब कोई जानता भी नहीं था कि औरतों को भी वो चरम सुख मिल सकता है, जैसा कि मर्दों को मिलता है. बाद में पूरी रिसर्च की गई और पता लगाया गया. जॉर्ज बियर्ड ने एक 75 की एक लिस्ट निकाली. जिसमें हिस्टीरिया और उसके लक्षण बताए.क्या इलाज किया गया?
औरतों को फिजिशियन्स के पास ले जाया जाने लगा. उनकी वजाइना पर मालिश की जाती थी. वाटर मसाज से ट्रीट किया जाता था. घंटों की मसाज के बाद भी औरतों को चरम सुख नहीं मिलता था. मसाज का यह तरीका मेडिकल कम्युनिटी में बहुत दिन तक चला नहीं. सेक्स से भी स्ट्रेस कम नहीं हुआ, तो औरतों को घर पर ही क्लिटोरल उत्तेजना की सलाह दी गई. लेकिन कुछ फर्क नहीं पड़ा. इसके बाद फिजिशियन्स ने वाइब्रेटर खोज निकाला.
वाइब्रेटर ने कैसे हेल्प की?
वाइब्रेटर की खोज से औरतों को ये खुशी महसूस होने लगे. सेक्स की तुलना में वाइब्रेटर से इसे महसूस करना ज्यादा आसान हो गया. इसे औरतें घर पर यूज करने लगीं.
ये था औरतों के 'पागल' होने का सच. हिस्टीरिया बीमारी का सच. जिसमें ना भूत-प्रेत का कोई रोल था. ना बच्चे पैदा करने का कोई कनेक्शन था. ये सारा रौला था सेक्स को पूरा जी लेने की खुशी का. आज भी तीन में से एक औरत को ये महसूस नहीं होता.
ये स्टोरी ज्योति ने लिखी है.