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क्या होता है गार्ड ऑफ ऑनर और किन्हें दिया जाता है?

क्या किसी राजनीतिक दल के प्रमुख को ये सम्मान दिया जा सकता है?

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इंडोनेशिया के डिफेंस मिनिस्टर को गार्ड ऑफ ऑनर देते हुए भारतीय सैनिक. प्रतीकात्मक तस्वीर. फोटो साभार- इंडिया टुडे
उत्तराखंड के बीजेपी अध्यक्ष मदन कौशिक 22 मार्च 2021 को बागेश्वर पहुंचे थे. पुलिस ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया. ये प्रोटोकॉल का उल्लंघन है. पुलिस ने इस मामले में अपनी गलती मान ली है. वहीं मदन कौशिक ने भी कहा कि गलतफहमी के कारण ऐसा हुआ. सवाल ये कि 'गार्ड ऑफ ऑनर' क्या होता है और किसे दिया जा सकता है?
पहले उत्तराखंड वाला मामला सामझ लेते हैं. उत्तराखंड पुलिस ने बागेश्वर में बीजेपी के राज्य प्रमुख मदन कौशिक को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ का सम्मान दिया. उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के मंत्रिमंडल के सदस्य रहे मदन कौशिक को हाल ही में राज्य का बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया है. यानी अब वे मंत्री नहीं रहे हैं. अब वे एक राजनीतिक पार्टी के राज्य प्रमुख हैं. ऐसे में उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ सम्मान दिया जाना कितना सही था?
madan kaushik कौशिक को बागेश्वर में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

इस पूरे मामले में डीआईजी कानून-व्यवस्था नीलेश आनंद भार्ने ने कहा कि इसके लिए जो अधिकारी जिम्मेदार हैं, वे हाल ही में छुट्टी से लौटे हैं और राज्य सरकार में हुए हालिया बदलावों की उन्हें जानकारी नहीं थी. उन्होंने पुलिस की ओर से गलती स्वीकारते हुए कहा कि गलतफहमी के कारण ऐसा हो गया.
मदन कौशिक हरिद्वार से विधायक हैं और 12 मार्च को उन्हें बंसीधर भगत की जगह बीजेपी का उत्तराखंड अध्यक्ष बनाया गया था. बंसीधर भगत को नए मंत्रिमंडल में जगह मिली है. क्या कहते हैं पुलिस और प्रशासन के अधिकारी? अब बात ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ की. ये सम्मान क्या है और किन लोगों को दिया जाता है, ये जानने के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने बात की बागेश्वर के जिलाधिकारी विनीत कुमार से. उन्होंने बताया,
"एक प्रोटोकॉल होता है जिसके तहत VVIP और VIP लोगों को गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया जाता है. इस लिस्ट में राज्यपाल, मुख्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री आते हैं. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्रियों को भी राज्य पुलिस की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. इसके लिए एक अलग रिजर्व टुकड़ी पुलिस फोर्स के पास होती है. किसी राजनीतिक दल के प्रमुख को ये सम्मान नहीं दिया जा सकता है."
इसके बाद हमने यूपी के बुलंदशहर जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार सिंह से बात की. उन्होंने बताया,
"अगर कोई कर्तव्यपालन के दौरान शहीद हुआ है, चाहे वो CRPF के हों, BSF के हों या फिर आर्म्ड फोर्सेस के हों, उनको ये सम्मान दिया जाता है. इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भी ये सम्मान दिया जाता है. यदि पुलिस का अपना कोई जवान शहीद होता है तो उसको दिया जाता है. वर्तमान सांसद और विधायकों को भी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है."
"जो पुलिस थानों पर तैनात होती है, उन्हें बहुत अच्छी प्रैक्टिस नहीं होती है सलामी की, तो पुलिसलाइन में जो हमारी सिविल पुलिस के कॉन्सटेबल रहते हैं, वो प्रैक्टिस करते रहते हैं. उन्हीं में से 8 कांस्टेबल और 2 हेड कांस्टेबल भेजे जाते हैं. 'गार्ड ऑफ ऑनर' को एक लाइन में परिभाषित किया जाए तो उन लोगों के लिए सम्मान है जिन्होंने राष्ट्र के लिए काम किया है, कुर्बानी दी है."
गार्ड ऑफ ऑनर और किसे दिया जाता है? जब किसी देश के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री भारत आते हैं तो उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर का सम्मान दिया जाता है. इसके अलावा भी जो विशिष्ट अतिथि भारत आते हैं, उन्हें भी ये सम्मान दिया जाता है. सरल शब्दों में कहें तो भारतीय सशस्त्र सेना VVIP के सम्मान में गार्ड ऑफ ऑनर का आयोजन करती है.
1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश की तीनों सेनाओं को मिलाकर एक खास टुकड़ी बनाई गई थी. इसमें थल सेना, नौसेना और वायुसेना के 100 लोगों को शामिल किया गया. इसको ट्राई सर्विस ऑफ गार्ड कहा जाता है. इसका मुख्यालय दिल्ली में है. इसको राष्ट्रपति भवन या केंद्रीय सचिवालय में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, अन्य VVIP की यात्राओं के दौरान तैनात किया जाता है. कैसे दिया जाता है गार्ड ऑफ ऑनर सलामी के वक्त मुख्य अतिथि एक डायस पर खड़े होते हैं. गार्ड का कमांडर उनके पास आता है और निरीक्षण करने के लिए कहता है. कमांडर विशिष्ट अतिथि से कहता है, "श्रीमान, महोदय, सम्मान गार्ड आपके निरीक्षण के लिए हाजिर है."
इसके बाद VVIP गारद का निरीक्षण करता है. वह इंस्पेक्शन लाइन पर कदम बढाता है. जैसे जैसे वह आगे बढ़ता है, सभी गार्ड उसकी ओर चेहरा घुमाते हैं. इस दौरान कमांडर उसकी दाईं ओर चलता है. निरीक्षण खत्म होने के बाद गार्ड कमांडर VVIP को सैल्यूट करते हैं. जब तक VVIP वहां मौजूद रहता है, तब तक गार्ड ना तो उस जगह को छोड़ता है और ना ही विश्राम की मुद्रा में आता है.
भारत के राष्ट्रपति को 150 सैनिक और भारत के प्रधानमंत्री को 100 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं. भारत के उपराष्ट्रपति के लिए भी 100 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं. बाकी अन्य VVIP को 50 सैनिक गार्ड ऑफ ऑनर देते हैं.
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