सिनेमैटोग्राफ एक्ट में प्रस्तावित ये अमेंडमेंट फिल्म मेकिंग को असंभव बना देगा. सभी फिल्म बॉडीज़ को सरकार से बात करने की जरुरत है.
दिग्गज एक्टर कमल हासन ने लिखा,
सिनेमा, मीडिया और साहित्य से जुड़े लोग भारत के तीन आइकॉनिक बंदर होने का जोखिम नहीं उठा सकते. बुराई के बारे में देखना, सुनना और बोलना ही लोकतंत्र को कमज़ोर करने की कोशिशों के खिलाफ एकमात्र दवा है.
कृपया कुछ करें, आज़ादी को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करें.
कुछ ऐसा ही अनुराग कश्यप, फरहान अख्तर और दिबाकर बैनर्जी जैसे महत्वपूर्ण फिल्म मेकर्सने भी कहा. इंडियन मेनस्ट्रीम सिनेमा से इतर पैरलल सिनेमा के स्तंभ माने जाने वाले अदूर गोपालाकृष्णन ने प्रस्तावित अमेंडमेंट को ‘सुपर सेंसर’ बताया.
ऐसा कहा गया सरकार द्वारा प्रस्तावित सिनेमैटोग्राफ बिल 2021 के लिए. बात करेंगे कि क्या हैं वो अमेंडमेंट्स जो सरकार लाना चाहती है. उन्हें लाने के लिए क्या तर्क दे रही है. फिल्ममेकर्स और फिल्म फ्रेटर्निटी से जुड़े लोग सरकार के इस कदम को अभिव्यक्ति की आज़ादी पर किए हमले की तरह क्यों देख रहे हैं. साथ ही बताएंगे कि उन्होंने सरकार के प्रस्ताव पर क्या सुझाव दिए हैं. एक-एक कर इन सभी पॉइंट्स पर बात करेंगे. एक-एक कर, क्योंकि क्रोनोलॉजी समझना बहुत जरुरी है.