19 देश और यूरोपीय यूनियन में आने वाले देशों के प्रतिनिधि 9 और 10 सितंबर को में मौजूद होंगे. G20 समिट (G-20 Summit) में हिस्सा लेने के लिए. दो दिन के इस जमावड़े में कई मीटिंग्स का आयोजन होगा. विश्व के बड़े-बड़े नेताओं के बीच बातचीत होगी. तो कुछ सवाल हैं, जो सबके मन में आ रहे होंगे, जैसे G20 देशों की समिट का महत्व क्या है? इसमें होने वाली मीटिंग्स में अलग-अलग देशों के प्रतिनिधि करते क्या हैं? ये जानने के लिए हमने अपने शो ‘
इतने तामझाम से हो रहे G20 Summit में बड़े-बड़े नेता करते क्या हैं, क्या बातचीत होती है?
G20 Summit का एजेंडा कैसे तय होता है, ये जानने लायक है...
G20 देशों के समूह के बारे में बताते हुए गीता मोहन कहती हैं कि ये 20 देशों का नहीं, बल्कि 19 देश और यूरोपीय यूनियन से मिलकर बना समूह है. ये पूरी तरह से एक इकोनॉमिक फोरम है. माने यहां देश और दुनिया की अर्थव्यवस्था से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा होती है और उनके समाधान पर बात की जाती है. ऐसा नहीं है कि यहां दुनिया की किसी भी समस्या का समाधान ढूंढा जा सकता है.
गीता आगे कहती हैं कि G20 समान विचारधारा वाले देशों का समूह नहीं है. इसकी तुलना में G7 देशों का समूह विचारधारा पर आधारित है. इस वजह से G20 देशों के बीच कई सारी चुनौतियां हैं. और इस बार एक आयोजक के तौर पर भारत के लिए भी.
इसमें बैठकर इतने बड़े-बड़े नेता करते क्या हैं?G20 समिट के दौरान कई बैठकें होती हैं. इसमें सभी 19 देश और यूरोपीय यूनियन के प्रतिनिधि शामिल होते हैं. पर ये प्रतिनिधि करते क्या हैं? इस सवाल का जवाब देते हुए गीता मोहन बताती हैं,
“हर समिट की अपनी प्रक्रिया होती है और एजेंडा होता है. G20 समिट में पिछली बार हुई बैठक का टेम्पलेट (माने पिछली समिट में हुई बातचीत का एक खाका) मौजूद होता है. जैसे पिछली बार G20 समिट इंडोनेशिया के बाली में हुई थी. तो इस बार के लिए ‘बाली डिक्लेरेशन’ एक टेम्पलेट के तौर पर मौजूद रहेगा. इसी से बात आगे बढ़ेगी.”
गीता आगे कहती हैं कि बाली समिट की जो थीम थी, वो रिकवरी पर आधारित थी. क्योंकि कोरोना के बाद सभी देश अपनी इकोनॉमिक रिकवरी पर फोकस कर रहे थे. उसी तरह भारत ने भी इस बार की G20 समिट के लिए एक थीम चुनी है. वसुधैव कुटुम्बकम. जिसका अंग्रेजी में अनुवाद One Earth, One Family, One Future है.
G20 समिट में शेरपाओं की भी अहम भूमिका होती है. शेरपा के बारे में बताते हुए गीता कहती हैं,
“शेरपा नेपाल से आया एक शब्द है, जिसका मतलब होता है ‘गाइड’. इनका काम अपने देश के नेता को शिखर तक ले जाने का होता है. हर देश का शेरपा अपने-अपने देश का लीड होता है. वो अपने-अपने टेम्पलेट लेकर आते हैं.”
गीता आगे बताती हैं कि शेरपाओं की मीटिंग के बाद जब मेन समिट होती है तो मेजबान देश अपनी थीम के आधार पर सभी के सामने डॉक्यूमेंट का ड्राफ्ट पेश करता है. इसमें एक-एक शब्द के लिए लड़ाई होती है. लड़ाई माने हर एक शब्द पर डिस्कशन होता है. जहां पर हर शेरपा अपनी बात रखते हैं. शेरपाओं की मीटिंग समिट से ठीक पहले होती है.
(ये भी पढ़ें: सोने-चांदी के बर्तनों में खाना खाएंगे G-20 डेलिगेट्स, ऐसा स्वागत पहले ना हुआ होगा!)
वीडियो: G20 समिट के वक्त दिल्ली के ये 39 मेट्रो स्टेशन बंद रहेंगे? पुलिस ने सारी जानकारी दे दी