पिछले 15 दिन से खबरों की सुई अडानी के ही इर्द-गिर्द घूम रही है. राहुल गांधी ने 7 फरवरी को लोकसभा में करीब 50 मिनट का भाषण दिया. व्यापारी गौतम अडानी को केंद्र में रखकर सीधे प्रधानमंत्री मोदी से सवाल पूछे. आज यानी 8 फरवरी को प्रधानमंत्री का संसद में भाषण हुआ. सबको पता था कि प्रधानमंत्री मोदी, राहुल गांधी के आरोपों का जवाब देने वाले हैं. राहुल गांधी आरोपों की लंबी फेहरिस्त रखते हुए कुछ प्वाइंटेड सवाल पूछे थे. क्या सवाल थे?
अडानी पर पीएम मोदी ने राहुल गांधी के सवालों का क्या जवाब दिया? किन सवालों को छोड़ा?
पीएम मोदी और गौतम अडानी की वायरल है तस्वीरों का सच क्या है?

1. अडानी जी आपके साथ कितनी बार विदेश गए?
2. आपके विदेश जाने के बाद अडानी कितनी बार उस देश गए?
3. जिस देश में अडानी को कॉन्ट्रैक्ट मिला,वहां आप कब गए?
4. आपके विदेश दौरे के बाद उस देश में अडानी को कब कॉन्ट्रैक्ट मिला?
5. अडानी जी ने पिछले 20 साल में BJP को कितना पैसा दिया?
इन सवालों का बीजेपी के कई नेताओं ने जवाब दिया, मगर सबकी नजर प्रधानमंत्री मोदी पर थी. दोपहर के साढ़े 3 बजे संसद में प्रधानमंत्री के भाषण का वक्त था, मगर 3 बजकर 50 मिनट पर पीएम मोदी के बोलने की बारी आई. शुरूआत उन्होंने राष्ट्रपति को धन्यवाद के साथ की. उनके आते ही विपक्ष की तरफ से अडानी-अडानी और JPC गठन का शोर होने लगा. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने जैसे-तैसे विपक्षी सांसदों को चुप कराया. दोबारा जब बोलना शुरू किया तो बोले,
"सबने अपनी रूचि के हिसाब से बातें रखीं. ये सुनने के बाद पता चलता है कि कितनी किसकी क्षमता है, योग्यता, और समझ है. कुछ लोगों के भाषण के बाद पूरा इको सिस्टम, उछल रहा था और खुश होकर कह रहे थे उछल रहे थे कह रहे थे ये हुई ना बात."
यहां पर प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी के पिछले दिन के भाषण पर इशारों में हमला कर दिया था, मगर सवाल तो अडानी के मुद्दे का था. सबको उम्मीद थी कि आज प्रधानमंत्री इस पर जरूर बोलेंगे. भाषण करीब डेढ़ घंटा चला. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नीत यूपीए के 2004 से 14 के कार्यकाल पर घेरेबंदी की. दुष्यंत कुमार की -- तुम्हारे पांव के नीचे जमीन नहीं--- वाली कविता भी पढ़ी. UPA कार्यकाल को घोटाले के आरोपों पर घेरा, बम धमाकों का जिक्र किया. रोजगार के मसले पर एक कहानी भी सुनाई.
अब पत्रकार बिरादरी और देश के तमाम लोग अडानी पर हुए सवालों के जवाब का इंतजार कर रहे थे. राहुल गांधी भी उस वक्त सदन में मौजूद थे. मगर पूरे भाषण के दौरान एक भी बार अडानी का जिक्र नहीं किया. हां दो बार इशारों में राहुल गांधी के सवाल का जवाब तंजिया अंदाज में जरूर दिया. आपको याद हो तो राहुल गांधी ने कल अडानी और मोदी के रिश्ते पर हावर्ड में रिसर्च की बात कही थी. राहुल ने जिस चुटिले अंदाज में हावर्ड का जिक्र किया था, जवाब भी वैसा ही अंदाज में आया. मगर पीएम ने अडानी की जगह कांग्रेस पर रिसर्च की बात कही.
जो पिन प्वाइंटेड सवाल थे, उसका जवाब उसी क्रम में नहीं दिया गया. मगर एक मसले पर इशारों में पीएम ने जरूर जवाब दिया. राहुल गांधी ने दूसरे देशों पर दबाव बनाकर अडानी को कान्ट्रैक्ट दिलाने का आरोप लगाया था. श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया जैसे मुल्कों का उदारण दिया था. इस पर भी बिना अडानी का नाम लिए पीएम ने इशारों में जवाब दिया. इसके अलावा भाषण के ज्यादातर हिस्से में पीएम मोदी ने अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाया. ये भी कहा कि जिन लोगों को हमारी योजनाओं का फायदा मिला वो झूठे आरोपों पर कभी यकीन नहीं करेंगे. मगर कुछ जरूरी सवाल छूट गए. अडानी पर शेल कंपनियों और बेनामी संपत्ति के आरोपों भी कुछ नहीं बोला. पीएम मोदी के भाषण के बाद राहुल गांधी का भी जवाब आया. राहुले बोले,
"मैंने उनसे ये पूछा कि आप कितनी गए हैं, कितनी बार मिले हैं? आसन से सवाल थे जवाब नहीं दिया."
दोनों तरफ से सवाल जवाब के बाद अब आ जाते हैं. आरोपों और तथ्यों की महीन लकीर पर.
राहुल गांधी ने संसद में अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंधों को स्थापित करने के लिए दो तस्वीरें दिखाईं. भाषण के उस हिस्से को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है. इसलिए हम भाषण का हिस्सा नहीं दिखा सकते. मगर ये तस्वीर इंटरनेट से नहीं हटाई जा सकती. उन तस्वीरों पर पीएम मोदी कुछ नहीं बोले, मगर चर्चा खूब है.
पहली तस्वीर जिसमें पीएम मोदी, गौतम अडानी के साथ एक चार्टर्ड प्लेन में बैठे हैं. बीच में बैठे हैं बिज़नेसमैन वैभवकांत उपाध्याय. ये फोटो भी उन्हीं की वेबसाइट Vaibhav.org पर पोस्ट की गई थी. पोस्ट में ये नहीं लिखा गया है कि तस्वीर कब खींची गई. न ही यात्रा के बारे में कोई और जानकारी दी गई है. 2017 में ये फोटो वायरल हुई और कुछ ही समय बाद इसे वेबसाइट से हटा दिया गया. बाद में Vaibhav.org नाम की वेबसाइट भी बंद हो गई है. ये हैं उस वेबसाइट के आर्काइव की कुछ तस्वीरें. जाहिर है ये तस्वीर उस वक्त की है जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
2017 में ये तस्वीर सामने आने के बाद कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी ने करीब 100 बार अडानी के चार्टर्ड प्लेन का इस्तेमाल किया. उन्होंने दावा किया था कि कांग्रेस नेता अर्जुन मोढवाड़िया ने RTI के जरिए जानकारी हासिल की. जिसमें 2003 से 2007 के बीच अडानी के चार्टर्ड प्लेन के इस्तेमाल की बात थी. आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने अडानी के प्लेन का इस्तेमाल भारत के अंदर तो किया ही, विदशी दौरों में भी किया. कांग्रेस ने RTI के ज़रिए मिली जानकारी के हवाले से आरोप लगाया था कि
1 जुलाई 2007 को अडानी के प्लेन से मोदी स्विट्जरलैंड गए थे
16 जून 2007 को साउथ कोरिया, 15 अप्रैल 2007 को उन्होंने जापान का दौरा किया
1 नवंबर 2006 को प्रधानमंत्री मोदी के चीन के दौरे में भी अडानी के प्लेन का इस्तेमाल हुआ
यहां ये जानना ज़रूरी है कि देश में ज्यादातर चार्टर्ड प्लेन्स किसी ना किसी बिजनेस घराने के ही हैं. कई दलों के नेता उसका इस्तेमाल करते हैं और इसके लिए बाकयदा किराया दिया जाता है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहे मोदी और अडानी के केस में कांग्रेस ने चार्टर्ड फ्लाइट्स पर हुए करीब 16 करोड़ रुपए ख़र्च पर भी सवाल उठाए थे. अभिषेक मनु सिंघवी ने तब पूछा था- "देश जानना चाहता है, हम जानना चाहते हैं कि मोदी की इन चार्टर्ड विमान यात्राओं पर आए खर्च का भुगतान किसने किया. 2007 में की गई एक RTI QUERY के जवाब में आज तक कोई जानकारी नहीं दी गई है."
उस वक्त बीजेपी ने इन आरोपों का जवाब आरोपों से दिया था. कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा और आर्म्स डीलर संजय भंडारी के संबंधों पर भी बीजेपी ने सवाल पूछे थे. भगोड़ा संजय भंडारी मनी लॉन्ड्रिंग केस का आरोपी है और लंदन से उसके प्रत्यर्पण की कोशिश चल रही है. बीजेपी की तरफ से निर्मला सीतारामन ने आरोप लगाया था कि 2012 में संजय भंडारी ने वाड्रा के लिए बिजनेस-क्लास हवाई टिकट खरीदे थे. तब कांग्रेस ने जवाब में कहा था मोदी सरकार जांच के आदेश दे दे और पता लगा ले कि क्या कोई गलत काम हुआ था. इसके अलावा गौतम अडानी ने इस तस्वीर पर सफाई पेश की थी.
जुलाई 2016 में इकनॉमिक टाइम्स ने एक इंटरव्यू में अडानी से पूछा था कि 2014 के चुनाव प्रचार के दौरान पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी को अपने समूह का विमान मुहैया कराया, क्या इसके लिए उन्हें सत्ताधारी बीजेपी से विशेष मदद मिली थी? अडानी ने जवाब दिया कि उनके बिज़नेस समूह के पास चार विमान हैं. वो तब नॉन शेड्यूल फ्लाइट का संचालन कर रहा था. उस अवधि के दौरान केवल अडानी समूह के पास अहमदाबाद में विमान थे. राज्य सरकार कॉमर्शियल बेस पर विमान किराए पर लेती है और ऐसा करने में कुछ भी गलत नहीं है. यानी इस फोटो पर पहले भी काफ़ी ले-दे हो चुकी है.
अब बात दूसरी फोटो की. इसमें नरेंद्र मोदी एक प्लेन में सवार होते दिख रहे हैं और उसपर साफ अक्षरों में अडानी लिखा है. तस्वीर के जरिए आरोप लगाने की कोशिश की गई कि प्रधानमंत्री बनने के बाद भी मोदी ने अडानी के प्लेन का इस्तेमाल किया. इस तथ्य की जांच के लिए तस्वीर को हमने गूगल सर्च इमेज से तलाशा. पता लगा ये तस्वीर मंगलवार, 22 मई 2014 की है. इसे न्यूज एजेंसी PTI ने जारी किया था. 16 मई 2014 को लोकसभा चुनाव के नतीजे आ चुके थे. मोदी का प्रधानमंत्री बनना तय था, मगर वो अभी प्रधानमंत्री बने नहीं थे. ये तस्वीर उस वक्त की है जब वो शपथ ग्रहण के लिए अहमदाबाद से दिल्ली आ रहे थे. बाकी आप जानते ही हैं कि प्रधानमंत्री की शपथ 26 मई 2014 को हुई. रही तस्वीर की तो तस्वीर के आरोप में बीजेपी ने भी संसद में तस्वीरें दिखा दीं. कांग्रेस के नेताओं की अडानी के साथ वाली.
अब आते हैं आरोपों के दूसरे छोर पर, जिनका जवाब पीएम मोदी ने नहीं दिया. राहुल गांधी ने संसद में भाषण देते हुए आरोप लगाए कि अडानी की कंपनी को एयरपोर्ट चलाने का कोई अनुभव नहीं था पर फिर भी उन्हें ये जिम्मेदारी दे दी गई. इस पर 8 फरवरी 2023 यानी आज इंडियन एक्सप्रेस में एक रिपोर्ट छपी है. रिपोर्ट में दावा किया गया कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय और नीति आयोग ने 2019 में देश के छह हवाई अड्डों की बोली प्रक्रिया को लेकर आपत्ति जताई थी, जिसकी अनदेखी कर इन सभी हवाई अड्डों को अडानी ग्रुप को सौंप दिया गया.
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि रिकॉर्ड से पता चला है कि NDA सरकार के सबसे बड़े निजीकरण कार्यक्रम के तहत अहमदाबाद, लखनऊ, मैंगलोर, जयपुर, गुवाहाटी और तिरुवनंतपुरम के हवाई अड्डों के निजीकरण होना था. उसके लिए टेंडर मंगाने से पहले, केंद्र सरकार की पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप अप्रेजल कमेटी यानी (PPPAC) ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय से 11 दिसंबर 2018 को इस प्रस्ताव पर चर्चा की थी.
इंडियन एक्सप्रेस ने Department of Economic Affairs के मिनट्स ऑफ मीटिंग के आधार पर लिखा है चर्चा के दौरान आर्थिक मामलों के मंत्रालय की ओर से एक नोट में कहा गया,
"इन छह हवाई अड्डों की परियोजना बहुत कैपिटल इंटेसिव है, इसलिए ये सुझाव दिया जाता है कि अत्यधिक वित्तीय जोखिम और अन्य मामलों को ध्यान में रखते हुए एक ही बोलीकर्ता को दो से अधिक हवाई अड्डे नहीं दिए जाने चाहिए."
10 दिसंबर 2018 को लिखे वित्त मंत्रालय के इस नोट में दिल्ली और मुंबई हवाई अड्डों का हवाला दिया गया, जहां वास्तव में एकमात्र योग्य बोलीदाता होने के बावजूद GMR को दोनों हवाईअड्डे नहीं सौंपे गए थे. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक,
"बैठक में वित्त मंत्रालय की आपत्तियों पर कोई चर्चा नहीं की गई. उसी दिन वित्त मंत्रालय के नोट में नीति आयोग ने भी हवाई अड्डों की नीलामी के संबंध में अलग से चिंता जताई थी."
अब सवाल है कि जब कमेटी ने एक बोलीकर्ता को दो से ज्यादा एयरपोर्ट न देने का सुझाव दिया तो अडानी को एक साथ छह एयरपोर्ट कैसे मिले? इसका भी जवाब इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में है. दो बिंदुओं पर गौर कीजिए.
पहला ये कि PPPAC द्वारा तैयार किए गए मेमो में कहा गया,
"ऐसा बोलीकर्ता जिसके पास पर्याप्त तकनीकी क्षमता की कमी है, वह इस परियोजना को खतरे में डाल सकता है जिससे सेवाओं की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है. और सरकार गुणवत्ता के लिए प्रतिबद्ध है."
दूसरा ये कि
जवाब में वित्त मंत्रालय के सचिव एससी गर्ग ने कहा कि सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह ने पहले ही यह तय किया है कि सिर्फ़ इसी आधार पर किसी को टेंडर नहीं दिया जाएगा कि किसी कंपनी को पहले एयरपोर्ट चलाने का अनुभव है.
इसके बाद नीलामी की प्रक्रिया शुरू हुई. बोली जीतने के एक साल बाद ही अडानी समूह ने अहमदाबाद, मैंगलोर और लखनऊ हवाई अड्डों के कंसेशन एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर कर दिए थे. इस पर अडानी समूह से जुड़े सूत्रों का कहना है कि बोली तय नियमों और उचित प्रक्रिया और मानदंडों के अनुरूप हुई थी.
ये तो रही एयरपोर्ट के संचालन के जिम्मे की बात. राहुल गांधी ने अपने भाषण में एक और गंभीर आरोप लगाया. वो ये कि मुंबई एयरपोर्ट चलाने वाली कंपनी GVK पर जांच एजेंसियों ने दवाब बनाया और वहां भी अडानी को संचालन का जिम्मा दे दिया गया. इस पर आज GVK ग्रुप के उपाध्यक्ष जीवी संजय रेड्डी का बयान आया है. उन्होंने कहा-
"जहां तक GVK का संबंध है, GVK पर अडानी समूह या किसी एजेंसी का कोई दबाव नहीं था. हमने अपने व्यावसायिक हित को ध्यान में रखते हुए हवाई अड्डे को बेचा था."
सोशल मीडिया पर इस पर भी कई तरह की प्रतिक्रियाएं सामने आईं. कुछ लोगों ने कहा- राहुल गांधी के आरोपों का भांडाफोड़ हो गया, कुछ ने कहा GVK ग्रुप अब भी जांच एजेंसियों के दबाव में बयान दे रहा है. ये बात भी तथ्य है कि GVK ग्रुप पर ED और CBI की रेड हो चुकी है. 31 अगस्त 2020 को अडानी ग्रुप को GVK ग्रुप ने मुंबई एयरपोर्ट की अपनी हिस्सेदारी बेच दी. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक संयोग से हिस्सेदारी बेचने से पहले GVK को कई जांच एजेंसियों का सामना करना पड़ा. अडानी से पहले मुंबई एयरपोर्ट चलाने वाले GVK ग्रुप पर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विकास में अनियमितताओं के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा. ED ने GVK ग्रुप के कार्यालयों, मुंबई में उनके प्रमोटरों के घर पर भी छापेमारी की.
7 जुलाई, 2020 को ED ने जीवीके समूह और उसके अध्यक्ष जीवीके रेड्डी, उनके बेटे जीवी संजय रेड्डी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग विरोधी क़ानून यानी PMLA एक्ट की धारा तीन के तहत शिकायत दर्ज की गई थी. CBI ने 27 जून को उन पर मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के विकास में अनियमितता का भी आरोप लगाया था. ये सारा घटनक्रम उसी वक्त हो रहा था, जब अडानी ग्रुप मुंबई एयरपोर्ट के संचालन का जिम्मा लेने की कोशिश में था. लेकिन अब GVK ग्रुप के उपाध्यक्ष जीवी संजय रेड्डी ने कह दिया है कि उन पर कोई दबाव नहीं बनाया गया. जमीन अधिग्रहण को लेकर भी राहुल गांधी ने आरोप लगाए थे, उसका जवाब संसद में स्मृति ईरानी ने अमेठी को इंगित कर दिया.
"कांग्रेस ने अमेठी की जनता से वादा किया था कि उनके लिए मेडिकल कॉलेज बनाया जाएगा, लेकिन उस जमीन पर कांग्रेस अपने लिए गेस्ट हाउस बना लिया है."
आरोप- प्रत्यारोप का दौर तो चलता रहेगा. मगर सवाल है कि क्या सिर्फ बीजेपी शासित राज्यों में ही अडानी को काम मिला. जिस तरह से विपक्ष अडानी को सामने रखकर बीजेपी को घेरता है, क्या उनके राज्यों में अडानी का निवेश नहीं है? चलिए उन राज्यों के नाम नोट करिए जहां अडानी को बड़े प्रोजेक्ट मिले, जहां गैर बीजेपी शासन हैं.
>> छत्तीसगढ़ - 25 हज़ार करोड़, जिसमें कोल खदानें भी हैं. हसदेव अरण्य विवाद भी उसी का हिस्सा है.
>>राजस्थान - 65 हज़ार करोड़ के निवेश का वादा किया है. छत्तीसगढ़ में राजस्थान की कोल खदान भी अडानी के पास है.
>>केरल - 7 हज़ार 400 करोड़ जिसमें विझिंजम बंदरगाह शामिल है.
>>बंगाल में 35 हज़ार करोड़ का निवेश
>> आंध्र प्रदेश में 60 हज़ार करोड़ का काम
>> ओडिशा में 57 हज़ार करोड़ के प्रोजेक्ट
>>तमिलनाडु - 4 हज़ार 500 करोड़ जिसमें रामनाथपुरम सोलर प्लांट शामिल है.
यहां हमने न्यूनतम निवेश की राशी बताई है. जहां-जहां प्रोजेक्ट के नाम हैं, वहां राशी संबंधित प्रोजेक्ट की है. जहां समूह के हित एक से ज़्यादा क्षेत्रों से जुड़े हैं, वहां कुल निवेश की राशी बताई है. इन आंकड़ों में सुधार संभव है.
विपक्षी राज्यों में निवेश को लेकर स्वयं गौतम अडानी स्थिति साफ कर चुके हैं. एक निजी समाचार चैनल से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा था,
“मेरा बिजनेस देश के 22 राज्यों में फैला है, जिसमें सभी पर बीजेपी का शासन नहीं हैं. इससे खुशी की बात और क्या हो सकती है. हम हर राज्य में अधिकतम निवेश करना चाहते हैं. हमें किसी राज्य सरकार से कोई समस्या नहीं है. हम वाम शासित केरल में भी काम कर रहे हैं, ममता दीदी के पश्चिम बंगाल में, नवीन पटनायक जी के ओडिशा में, जगनमोहन रेड्डी के राज्य आंध्र प्रदेश में, यहां तक कि केसीआर के राज्य तेलंगाना में भी काम कर रहे हैं. मैं दावे के साथ कह सकता हूं मुझे किसी भी सरकार से बिजनेस में मुझे कभी भी कोई परेशानी नहीं हुई.”
यानी अडानी का काम में बीजेपी के साथ-साथ विपक्ष के राज्यों में भी बीते दिनों में ही विस्तार हुआ है. राजनीति और उद्योग का गठजोड़ हर तरफ है. जहां तक बात अडानी की गड़बड़ियों की है, तो विपक्ष JCP जांच की मांग कर रहा है. मगर सरकार इस पर जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. किसी राज्य या देश में किसी उद्योग घराने का निवेश यहां चर्चा या आलोचना का मुद्दा नहीं है. मुद्दा ये है कि निवेश करने वाले को गैरकानूनी ढंग से फायदा पहुंचाया गया कि नहीं. तंत्र के जो अंग हैं, उन्होंने अपना काम ठीक तरीके से किया या नहीं.
सभी ये चाहते हैं कि देश और देश के उद्योग घराने आगे बढ़ें और रोज़गार का सृजन हो. लेकिन इसके लिए नियमों को लांघने की अनुमति किसी को नहीं जी जा सकती. न उद्योगपतियों को, और न ही सरकार को. हम अपनी पुरानी बात फिर दोहराएंगे. कि नियामक संस्थाएं अपना काम करें और सच्चाई देश के सामने रखें. क्योंकि नेता तो तू-तू मैं मैं में ही रह जाने के लिए अभिशप्त हैं. सच सामने आए, ताकि सरकार का इकबाल बुलंद रहे और किसी उद्योगपति को अनावश्यक आलोचना भी न झेलनी पड़े.
वीडियो: कांग्रेस ने अडानी पर क्या सीरीज़ शुरू की, पीएम मोदी से कौन से तीन सवाल पूछे?