रत्ना डे की बात भी जानते जाइए. 2009 के बाद रत्ना ने 2014 चुनावों में भी हुगली से जीत दर्ज की लेकिन 2019 लोकसभा चुनावों में बीजेपी की लॉकेट चटर्जी से चुनाव हार गईं थीं.
अबकी इस सीट पर TMC की ओर से सुदिप्तो रॉय, BJP की ओर से कबीर शंकर बोस और कांग्रेस की ओर से आलोक रंजन बनर्जी मैदान में थे.
नाम: श्रीरामपुर, हुगली
कौन जीत रहे? सुदिप्तो रॉय, TMC अब तक कितने वोट मिले? 4113
कौन हार रहे? कबीर शंकर बोस, BJP अब तक कितने वोट मिले? 2673
फुरफ़ुरा शरीफ़ मज़ार
प्रसिद्ध फुरफ़ुरा शरीफ़ मज़ार इसी विधानसभा में पड़ती है. तो उसके बारे में थोड़े में जान लीजिए.
फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ मज़ार बंगाली मुसलमानों का अहम धार्मिक स्थल है. पश्चिम बंगाल सरकार की टूरिज़्म डिपार्टमेंट की वेबसाइट बताती है कि फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ मस्जिद का निर्माण 1375 में मुखलिश खान ने किया था. फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ में सबसे अहम जगह मज़ार शरीफ़ को माना जाता है. मज़ार शरीफ़ में हज़रत अबु बकर सिद्दीक़ी और उनके पांच बेटों की मज़ार हैं. फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ के 32 पीरजादे हैं. पीरज़ादा मतलब धर्मगुरु या संत या आध्यात्मिक गुरू. फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ के सबसे बड़े पीरज़ादे इब्राहिम सिद्दीक़ी ने दी लल्लनटॉप को बताया था कि मज़ार के सारे पीरज़ादे हज़रत अबु बकर के वंशज हैं. हज़रत अबु बकर सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्होंने सामाजिक उत्थान के लिए बहुत कुछ किया था.

फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ राजस्थान के अजमेर शरीफ़ मज़ार के बाद दूसरी सबसे प्रमुख मज़ार माना जाती है.
इब्राहिम के मुताबिक़, मज़ार पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में सामाजिक उत्थान के काफ़ी कार्यों से जुड़ा है. बंगाल में 2000 से भी ज़्यादा मदरसे चलाता है. जिनमें क़ुरानिया मदरसा, हफ़ीज़िया मदरसा और ख़रीज़ी शामिल हैं. इब्राहिम का दावा है कि इन संस्थाओं में 10 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं. मज़ार में विश्वास करने वाले पश्चिम बंगाल के हर कोने में है. लेकिन बांग्लाभाषी मुसलमानों में इसका ख़ासा प्रभाव है.
एक और बात
इसी फ़ुरफ़ुरा शरीफ मज़ार के छोटे पीरज़ादे हैं अब्बास सिद्दीक़ी. पीरज़ादा माने धार्मिक नेता कह सकते हैं. अब्बास 38 साल के हैं. अब्बास सिद्दीक़ी की पार्टी अबकी लेफ्ट-कांग्रेस के साथ गठबंधन में है लेकिन अब्बास अबकी चुनावी मैदान में नहीं उतरे.

फ़ुरफ़ुरा शरीफ़ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी. (स्क्रीनग्रैब: यूट्यूब)
2016 में श्रीरामपुर विधानसभा पर क्या हुआ था?
2016 चुनाव में TMC के सुदिप्तो रॉय ने कांग्रेस के शुभांकर सरकार को करीब 10 हज़ार वोटों से हराया था. 2011 विधानसभा चुनाव में सुदिप्तो ने CPI के पार्थ सारथी रेज को करीब 52 हज़ार वोटों से हराया था.
2016 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे क्या रहे थे?
294 सीट वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा में 2016 में हुए चुनावों में TMC 211, INC 44, CPM 26, BJP 3 और अन्य ने 10 सीटों पर जीत दर्ज़ की थी. पश्चिम बंगाल विधानसभा का कार्यकाल 30 मई 2021 को पूरा होने जा रहा है. ऐसे में 30 मई से पहले नई सरकार के गठन की प्रकिया पूरी होनी है.