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बिहार के नए डिप्टी CM विजय सिन्हा, जिन्हें सम्राट चौधरी ने भरे सदन में 'व्याकुल' कह दिया था

Bihar में बीजेपी कोटे से दो नेताओं ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. Vijay Kumar Sinha और Samrat Chaudhary. विजय सिन्हा बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर रह चुके हैं.

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BJP के विजय कुमार सिन्हा ने बिहार के उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. (फोटो- ANI)

नीतीश कुमार ने RJD के साथ गठबंधन तोड़ दिया है और बिहार के CM पद से इस्तीफ़ा (Nitish Kumar Resign) दे दिया है. 28 जनवरी की शाम को उन्होंने BJP के साथ गठबंधन कर फिर से CM पद की शपथ ली. उनके साथ 2 डिप्टी CM बने- विजय कुमार सिन्हा (Vijay Kumar Sinha) और सम्राट चौधरी (Samrat chaudhary). दोनों BJP नेता हैं. बिहार BJP ने सम्राट चौधरी को विधायक दल का नेता और विजय सिन्हा को उप नेता चुना है.

बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी जहां कोइरी समाज से आते हैं और बीजेपी के इस कदम को पिछड़ी जातियों के वोट को साधने की तरह देखा जा रहा है. वहीं, विजय सिन्हा भूमिहार जाति से आते हैं. वो बिहार विधानसभा के पूर्व स्पीकर रह चुके हैं.

कौन हैं विजय कुमार सिन्हा?

साल 2005 में पहली बार बनी जेडीयू और बीजेपी की गठबंधन सरकार बिहार में लंबे समय तक रही. लेकिन मुख्यमंत्री के साथ-साथ स्पीकर पद की जिम्मेदारी जेडीयू ने हमेशा अपने पास रखी. 2020 चुनाव के बाद पहली बार बीजेपी का कोई नेता बिहार विधानसभा का स्पीकर बना. वो थे विजय कुमार सिन्हा. इसे बीजेपी की तरफ से सरप्राइज चॉइस कहा गया था क्योंकि उस वक्त नंद किशोर यादव समेत कई सीनियर नेता स्पीकर पद की रेस में थे. कहा जाता है कि नीतीश कुमार भी बीजेपी की इस पसंद से कभी खुश नहीं थे, इसलिए दोनों के बीच मनमुटाव जारी रहा.

RSS के बैकग्राउंड से आने वाले विजय सिन्हा का जन्म लखीसराय के तिलकपुर (मां के घर) में हुआ था. हालांकि उनके पिता का घर मोकामा में पड़ता है. मोकामा, पटना का एक ब्लॉक है. पिता शारदा रमण सिंह बाढ़ के एक हाई स्कूल में प्रभारी प्रिंसिपल थे. 5 जून 1967 को जन्मे सिन्हा RSS स्वयंसेवक रहे. 1982 में बाढ़ में एक दुर्गा पूजा समित के सचिव बन गए. शुरुआत इसी स्तर से हुई.

फिर AN कॉलेज, बाढ़ में पढ़ाई के दौरान ABVP के सक्रिय सदस्य बने. बेगूसराय के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज से सिविल इंजीनियरिंग (डिप्लोमा) की पढ़ाई की. 1985 में बिहार पॉलिटेक्निक छात्र संघ के सचिव भी बने. बेरोजगार बिहार जूनियर इंजीनियर एसोसिएशन के महासचिव जैसे पद पर भी रहे. विजय सिन्हा बीजेपी में धीरे-धीरे आगे बढ़े. कभी पटना के एक खास इलाके में पार्टी की जिम्मेदारियों को संभाला. धीरे-धीरे बढ़ते हुए 2013 में बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता बने.

Vijay kumar sinha, Bihar politics
विजय कुमार सिन्हा को मिल रही है बड़ी जिम्मेदारी (PTI)
2005 में पहली बार विधायक बने

साल 2000 में सिन्हा को भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) के प्रदेश संगठन के प्रभारी की जिम्मेदारी भी दी गई. 2004 में बीजपी के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बनाए गए. बाद में बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री भी बने. फिर बीजेपी ने उन्हें बेगूसराय और खगड़िया जिले का क्षेत्रीय प्रभारी बना दिया.

मार्च 2005 में विजय सिन्हा पहली बार लखीसराय से विधायक चुने गए. लेकिन ज्यादा दिन तक नहीं रहे. इस चुनाव में बिहार में किसी दल को बहुमत नहीं मिला था. 6 महीने तक राष्ट्रपति शासन लगा रहा. उसी साल नवंबर में दोबारा विधानसभा चुनाव हुए. उस वक्त उन्हें हार मिली. दोबारा विधानसभा में पहुंचने के लिए उन्हें पांच साल का इंतजार करना पड़ा. साल 2010 के चुनाव में फिर से जीत मिली. तब से लगातार तीन बार इसी सीट से विधायक बन चुके हैं.

साल 2017 में जब RJD को छोड़कर JDU ने बीजेपी के साथ फिर से सरकार बनाई थी, उस दौरान विजय सिन्हा को श्रम संसाधन मंत्री बनाया गया था. 2017 में उन्हें बेगूसराय का प्रभारी मंत्री भी चुना गया. विजय सिन्हा की छवि हमेशा पार्टी के लिए एक समर्पित नेता के तौर पर रही है. इसलिए पिछले चुनाव के बाद बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया था. 

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सम्राट चौधरी के साथ बहस की हुई थी चर्चा 

विपक्ष के साथ तो सदन में विजय सिन्हा की तकरार हमेशा रही. वहीं, मार्च 2022 में तत्कालीन पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी (बीजेपी) के साथ भी उनकी तीखी बहस हो गई थी. सिन्हा ने शिकायत की थी कि उनके ऑफिस में ऑनलाइन जवाब नहीं पहुंच रहे हैं. इस पर चौधरी ने उन्हें जवाब दिया था कि "व्याकुल होने से काम नहीं चलेगा." इस पर सिन्हा नाराज हो गए और तब तक सदन से बाहर रहे जब तक चौधरी ने माफी नहीं मांगी.

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