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दिल्ली मार्च: पंजाब-हरियाणा के किसानों से कितनी अलग है वेस्ट यूपी के किसानों की मांग

West UP के Gautam Buddh Nagar और आसपास के जिलों के हजारों किसान 2 दिसंबर को दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. जबकि Punjab and Haryana Border पर बैठे किसान नेताओं ने भी 6 दिसंबर को दिल्ली की तरफ कूच करने का एलान कर दिया.

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दिल्ली की तरफ कूच करने लगे यूपी के किसान (फोटो: इंडिया टुडे/PTI)

राजधानी दिल्ली में किसान एक बार फिर आंदोलन (Farmers Protest) पर हैं. इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान दिल्ली को घेरने जा रहे हैं. गौतमबुद्ध नगर और आसपास के जिलों के हजारों किसान 2 दिसंबर को दिल्ली की तरफ कूच कर रहे हैं. भारतीय किसान परिषद (BKP) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) तथा संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) सहित कई अन्य समूहों के बैनर तले किसान इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ पंजाब और हरियाणा के सीमा (Punjab and Haryana border) पर बैठे किसान नेताओं ने भी 6 दिसंबर को दिल्ली की तरफ कूच करने का एलान कर दिया है.

हालांकि यहां गौर करने वाले बात है कि दोनों तरफ के किसानों की डिमांड अलग-अलग है. 2 दिसंबर को प्रोटेस्ट कर रहे गौतमबुद्ध नगर के किसानों का प्रमुख मुद्दा मुआवजा से जुड़ा है. वहीं, पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर बैठे किसानों की प्रमुख मांग MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर कानूनी गारंटी है. ऐसे में हम आपको बताएंगे कि दोनों तरफ के किसानों की प्रमुख डिमांड क्या है?

दिल्ली-नोएडा बॉर्डर पर आंदोलन करने वाले किसानों की मांग

बात गौतमबुद्ध नगर और आसपास के जिलों के किसानों की करें तो 1 दिसंबर को उनकी पुलिस, जिलाधिकारी, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण, नोएडा प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेसवे प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बैठक हुई. जिसमें किसानों की तरफ से अपनी मांगें रखी गईं. हालांकि, अधिकारियों ने किसानों की मांगों को मानने से इनकार कर दिया. ऐसे में किसानों ने दिल्ली कूच का फैसला किया. मीटिंग के दौरान किसानों की तरफ से कई मांग की गई.

नोएडा-ग्रेटर नोएडा के किसानों के मुताबिक उन्हें उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. किसानों का कहना था कि गोरखपुर में बन रहे हाईवे के लिए चार गुना मुआवजा दिया गया, जबकि गौतमबुद्ध नगर को इससे वंचित रखा गया. किसानों के मुताबिक पिछले 10 साल से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ा है. इसे बढ़ाया जाना चाहिए. वहीं, किसानों की प्रमुख मांगों में 10 फीसदी विकसित प्लॉट दिए जाना भी शामिल रहा. किसानों की ये भी मांग थी कि हाई पावर कमेटी की सिफारिशों और नए भूमि अधिग्रहण कानून का लाभ दिया जाना चाहिए. किसान ये भी चाहते हैं कि भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्वास का लाभ दिया जाए.

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पंजाब-हरियाणा बॉर्डर पर बैठे किसानों की मांग

वहीं, पंजाब-हरियाणा  के किसान, संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा (KMM) के तहत किसान 13 फरवरी से शंभू और खनौरी बॉर्डर पर धरने पर बैठे हैं. ये किसान 6 दिसंबर को दिल्ली के लिए मार्च करेंगे.  किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने इस बात का एलान किया है. पंधेर ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने 18 फरवरी के बाद से किसानों से कोई बातचीत नहीं की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमसे बातचीत करने से भाग रही है. अब इन किसानों की डिमांड क्या है? दरअसल, तीन कृषि कानूनों देशभर के किसानों ने पुरजोर विरोध किया था. 13 महीने चले आंदोलन के बाद सरकार ने तीनों कानूनों को वापस ले लिया. इस दौरान सरकार ने किसानों को MSP की गारंटी देने का वादा किया. 

कानून वापस लेते समय किसानों ने सरकार से कुछ मांग की थी. पहला, इस विरोध प्रदर्शन के दौरान अगर किसी भी राज्य या केंद्र की एजेंसी ने उनके खिलाफ केस दर्ज किया है, तो आंदोलन-संबंधी सभी मामले वापस लिए जाएं. दूसरा, आंदोलन के दौरान मरने वाले सभी आंदोलनकारी किसानों के परिवारों को मुआवजा दें. तीसरा, पराली जलाने के मामलों में किसानों पर कोई आपराधिक दायित्व नहीं होना चाहिए.  चौथा, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर चर्चा के लिए एक समिति का गठन किया जाए. संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों को इस समिति में जोड़ा जाए. और देश में MSP और इसकी ख़रीद पर चल रही नीति यथावत जारी रहे. किसानों के मुताबिक सरकार ने उनके वादे पूरे नहीं किए. जिसके बाद फरवरी 2024 से उन्होंने फिर से आंदोलन शुरू कर दिया. इस बार किसानों की प्रमुख मांग क्या है? पॉइंट्स में बताते हैं.
-किसानों-मजदूरों के लिए पूर्ण कर्ज माफी समेत एक व्यापक ऋण राहत कार्यक्रम लागू किया जाए. 
-राष्ट्रीय स्तर पर भूमि अधिग्रहण कानून (2013) को बहाल किया जाए, जिसमें किसानों से लिखित सहमति की जरूरत होती है और कलेक्टर रेट से चार गुना मुआवजा दिया जाए. 
-किसानों और 58 साल से ज़्यादा उम्र के खेतिहर मज़दूरों के लिए प्रतिमाह पेंशन देने की योजना लागू की जाए. 
-दिल्ली आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए और उनके परिवार के एक सदस्य को रोजगार भी. 
- लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय मिले. अक्टूबर, 2021 में घटी इस घटना में 8 लोगों की जान चली गई थी.  
- मिर्च, हल्दी और बाक़ी सुगंधित फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय आयोग की स्थापना की जाए. 
- सरकार डॉ. स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP के लिए कानून बनाए. 

किसान नेता गुरमनीत सिंह मंगत के मुताबिक 6 दिसंबर को जब दिल्ली की ओर किसानों का पहला जत्था मार्च करेगा. जिसमें प्रमुख किसान नेता सतनाम सिंह पन्नू, सुरिंदर सिंह चौटाला, सुरजीत सिंह फूल और बलजिंदर सिंह शामिल होंगे. इस दौरान केरल, उत्तराखंड और तमिलनाडु में भी किसान अपने-अपने राज्य विधानसभाओं की ओर मार्च करेंगे. 
 

वीडियो: किसान प्रोेटेस्ट: नोएडा-दिल्ली सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम, बैरिकेडिंग, किसानों की मांगें क्या हैं?