यह लेख डेली ओ
से लिया गया है जिसे कावेरी बामज़ई ने लिखा है.
दी लल्लनटॉप के लिए हिंदी में यहां प्रस्तुत कर रही हैं शिप्रा किरण.
1500 साल पहले लिखी गई इरॉटिका को ट्रांसलेट करने वाले का इंटरव्यू
इंसान और प्रकृति के बीच सबसे सुंदर रिश्ता इस इरॉटिका में बयान किया गया है. वो अब दोबारा हमारे सामने है

आदित्य नारायण धैर्यशील हक्सर (ए.एन.डी. हक्सर) भूतपूर्व राजनयिक हैं. लम्बे समय से वे संस्कृत ग्रंथों के अंग्रेज़ी अनुवाद करते रहे हैं. अभी हाल ही में उन्होंने कालिदास के संस्कृत ग्रन्थ ऋतुसंहार का अनुवाद (पेंगुइन रैंडम हाउस) किया है. आज जब हमारे आसपास का माहौल बहुत प्रदूषित हो चुका है. ये कविता एक ऐसे समय की कहानी कहती है जहां न इतनी भागदौड़ थी, न ही कोई हड़बड़ाहट. बस एक शांत-स्वच्छ जीवन था. कालिदास का ये ग्रंथ एक मास्टरपीस है. ये प्रकृति के साथ इंसान की, इस समाज के आपसी रिश्ते की सुन्दर व्याख्या करता है.

कालिदास की तुलना अक्सर शेक्सपीयर से की जाती है.
क्यों आज संस्कृत कविता प्रकृति से दूर हो गई है. (जबकि शाही संरक्षण से मतलब शाही विषयों या उनसे जुड़ी चीजों पर विशेष ध्यान देना था), कैसे समाज में पाखण्ड बढ़ता ही गया है और क्यों कालिदास भारत के शेक्सपीयर से कहीं बढ़कर है, इन सारे विषयों पर उन्होंने बातें कीं. पढ़िए-
बिल्कुल, वो उससे कहीं आगे हैं. लेकिन ये 300 साल की गुलामी का नतीजा है कि हम अब भी उस अंग्रेज़ और गुलाम मानसिकता से निकल नहीं पाए हैं. आज हम जिस तरह अंग्रेजी का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं. ये भी कहीं न कहीं उस लम्बी गुलामी का ही असर है. लेकिन साथ ही इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि कालिदास और शेक्सपीयर की तुलना संस्कृतियों के मेल को भी बताती है. दुनिया के इतिहास में शेक्सपीयर एक बड़ा और जाना-पहचाना नाम हैं. कालिदास को शेक्सपीयर कहना उनकी तारीफ ही है. ठीक उसी तरह, जैसे ग्रीक और लैटिन लेखकों - होमर और वर्जिल - से हुई तुलना बाद के समय में हुए पश्चिमी लेखकों की तारीफ़ थी.

प्राचीन भारत स्त्री-पुरुष के संबंधों को लेकर सहज था. मंदिरों की दीवारें इस बात की गवाह हैं.
#2. आज के समय में ऐसा क्या किया जाए कि ज़्यादा से ज्यादा लोग संस्कृत पढ़ें या उसके बारे जानें?
सरकार ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए काफ़ी समय और पैसे खर्च किये हैं. लेकिन नतीजा उस अनुपात में नहीं रहा है. संस्कृत भाषा में सांस्कृतिक ज्ञान का विशाल खजाना छिपा है. 3000 वर्ष पुरानी इस भाषा को उसी नज़रिए से पढ़ा जाना चाहिए. लेकिन ज्यादातर लोग इस भाषा की धर्मिक और दार्शनिक किताबों के बारे में ही जानते हैं. संस्कृत की मशहूर किताबों को छोड़ दें तो संस्कृत की छोटी कहानियां, व्यंग्य, कॉमिक्स या उसकी लोक कथाओं के बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं है. संस्कृत के इस पहलू के बारे में भी लोगों को ज्यादा से ज्यादा जानना चाहिए. अनुवादक का काम ऐसे ही चीजों को लोगों के सामने लाना है.
#3. ऋतुसंहार एक इरॉटिक (प्रेम, काम और श्रृंगार पर लिखी) कविता है. हमारे यहां ऐसी कविताओं की परम्परा भी रही है. लेकिन आज ऐसा क्या हुआ कि हम यानी हमारा समाज इन विषयों पर चर्चा करने से भी बचने लगे हैं?दो हज़ार साल पहले कामसूत्र में जिन चार पुरुषार्थों की चर्चा है- उनमें से तीन हैं- धर्म, अर्थ और काम. जिसमें से काम का मतलब सिर्फ़ सेक्स नहीं है बल्कि सौंदर्य, खूबसूरती और आनंद भी है. प्रेम और श्रृंगार पर लिखी कविताओं ने इन सभी पहलुओं का चित्रण किया है. लेकिन समय बीतने के साथ मूल किताबों (ओरिजिनल टेक्स्ट) के जो नए संस्करण आए, उनमें 'काम' के अर्थ को सिर्फ सेक्स तक सीमित कर दिया गया.

हक्सर ने पहले बतौर राजनयिक नाम कमाया, अब संस्कृत के क्लासिक्स का अनुवाद करने के चलते चर्चा में हैं.
और जब आम लोग क्लासिक्स के ऐसे बिगड़े हुए संस्करण पढ़ते हैं तो उन्हें यही लगता है कि ये अश्लील साहित्य है. कामसूत्र और ऐसी ही समृद्ध-इरॉटिक किताबों को भी लोग अश्लील (पोर्नोग्राफी) समझकर इसका मज़ाक उड़ाया करते हैं. यही वजहें रहीं कि ऐसे साहित्य या ऐसी किताबों को लोग उतना नहीं जानते या उतना नहीं पढ़ते.
#4. इस कविता में पारिस्थितिकी (ecology) के प्रति जागरूकता दिखाई पड़ती है. इस बारे में आप क्या कहना चाहेंगे?संस्कृत कविता की एक सबसे बड़ी विशेषता है- अलग-अलग प्रकृतियों का मेल या प्राकृतिक-एकता. ये कविता इसका बेहतरीन उदहारण है. लेकिन बाद के दिनों में कवियों ने दरबार और राजाओं के शाही जीवन को अपनी कविताओं का विषय बना लिया. वे अपनी कविताओं में सिर्फ उन राजाओं का गुणगान करने लगे जिनका उन्हें संरक्षण मिला हुआ था. कला को मिलने वाले संरक्षण से बहुत कुछ तय होता है.
#5. ऐसी क्या चीज़ थी जिसने आपको इस अनुवाद के लिए प्रेरित किया?मैंने इस कविता के कुछ अंश पढ़े थे. और ये मुझे इतने पसंद आए थे कि मैं पहले ही इसका अनुवाद करना चाहता था. इन गर्मियों में मैंने पूरी कविता पढ़ने की ठानी. संयोग से ऋतुसंहार की शुरुआत भी गर्मी के मौसम से ही होती है. पहले छंद से ही मैं बंध गया था. उन्हीं दिनों प्रकाशकों ने मुझे ये अनुवाद करने को कह दिया. और इस तरह ये काम पूरा हुआ.
#6. क्या आपको लगता है कि व्याभिचार मान्य है?हर तरह के साहित्य में व्यभिचार का ज़िक्र मिलता है. उससे जुड़े आनंद और उसकी वजह से पैदा हुई समस्याओं के बारे में भी साहित्य हमें बताता रहा है.
कुछ और कविताएं यहां पढ़िए:
‘पूछो, मां-बहनों पर यों बदमाश झपटते क्यों हैं’
‘ठोकर दे कह युग – चलता चल, युग के सर चढ़ तू चलता चल’
‘जिस तरह हम बोलते हैं उस तरह तू लिख
'
‘दबा रहूंगा किसी रजिस्टर में, अपने स्थायी पते के अक्षरों के नीचे’
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एक कविता रोज़: 'प्रेम में बचकानापन बचा रहे'