एक वक़्त ठाकरे परिवार फ़िल्मी परिवार था
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की जंग के बारे में तो सबको पता है. राज बाल ठाकरे के छोटे भाई श्रीकांत के बेटे हैं. पर बाल ठाकरे के अपने परिवार में भी अदावत कम नहीं है. बिल्कुल किसी फ़िल्मी कहानी की तरह.पब्लिक में 'ठोकशाही' के लिए मशहूर बाल ठाकरे कभी भी अपने बच्चों को मारते नहीं थे. अपने तीनों बेटों बिंदुमाधव, जयदेव और उद्धव के लिए उनका प्यार जगजाहिर था. इतना कि 1969 के मुंबई दंगों में जेल में रहने के बावजूद बाल ठाकरे वहीं से अपने तीनों बच्चों को ख़त लिखते थे. तीनों को नाम भी दिया था: बिंदा, डिंगा, टिब्बा. तीनों ने उनको भी नाम दिया था: पिल्गा.
परिवार में अदावत भी फ़िल्मी ही है
पर बाद में बाल ठाकरे के जयदेव के साथ रिलेशन खराब हो गए. बाल ठाकरे का झुकाव उद्धव की तरफ बढ़ने लगा था. एक वक़्त ये भी आया कि बाल ठाकरे ने शिव सेना के अखबार 'सामना' में जयदेव के बारे में लिखा: That boy is a tragedy.
बाल ठाकरे के साथ उद्धव और जयदेव
हालांकि जयदेव ने बॉम्बे हाई कोर्ट में कहा: बाल ठाकरे मुझे ही अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते थे. पर मुझे ही इंटरेस्ट नहीं था. मेरे बजाय मेरी एक्स-वाइफ स्मिता को ज्यादा इंटरेस्ट था. जयदेव ने आगे उद्धव पर आरोप लगाया कि उद्धव के कहने पर ही उसका नाम परिवार के राशन कार्ड से हटा दिया गया था. इस बाबत जो आदमी जयदेव के घर आया था, उनसे साइन लेने के लिए उसने कहा कि बाल ठाकरे ने भेजा है. बाद में जब जयदेव ने बाल ठाकरे से फोन कर पूछा तो उन्होंने कहा कि नहीं, मैंने नहीं भेजा है.
फिर आगे ये भी कहा: 1973 में मैं पिता बाल ठाकरे के साथ उनकी मीटिंग्स में जाया करता था. पर मुझे पॉलिटिक्स अच्छी ही नहीं लगती थी. क्योंकि पॉलिटिक्स में दिन में जिनको गाली देते हैं, रात में उन्हीं के साथ डिनर करते हैं. मेरे पापा भी अपने विरोधियों के साथ अच्छे सम्बन्ध रखते थे. अपने भाषण में उनकी धज्जियां उड़ाते थे. पर पॉलिटिक्स है ही ऐसी चीज. दोस्तों को भी नहीं छोड़ा जाता है. उनसे भी कड़वा होना पड़ता है. जो भी हो 1995 में मेरी मम्मी की मौत के बाद स्मिता का झुकाव राजनीति की तरफ ज्यादा होने लगा. मैंने उससे कहा कि तुम हमारे बेटे राहुल की केयर नहीं कर रही हो. इस बात पर मतभेद इतने बढ़ गए कि मैं जा के कलिना वाले फ्लैट में रहने लगा.
जयदेव ने ये भी कहा: बिंदुमाधव की मौत के बाद मां चाहती थी कि पूरा परिवार एक साथ रहे. इसलिए पापा के बनवाये मकान मातोश्री को फिर से बनवाना चाहती थीं. मैंने भी उसमें काफी पैसे लगाए थे. 2003 के बाद परिवार में उद्धव का प्रभाव ज्यादा बढ़ने लगा.
झंझट बहुत ही पुराना है!
कहते हैं कि जयदेव का बाल ठाकरे के साथ झंझट 1990 के आस-पास शुरू हो गया था. जब जयदेव ने अपनी पहली पत्नी जयश्री से अलगाव कर लिया. उनका एक बेटा भी था. इस बात से ठाकरे परिवार काफी दुखी था. दुख और भी बढ़ गया जब जयदेव अपनी दूसरी पत्नी स्मिता से भी अलग हो गए. पापा का घर 'मातोश्री' छोड़ दिया. पर स्मिता बाल ठाकरे के घर में ही रहती थीं. अब जयदेव अपनी तीसरी पत्नी अनुराधा के साथ रहते हैं. उनकी एक बेटी माधुरी है.एक बार जयदेव बीमार पड़े थे, तब बाल ठाकरे उनसे मिलने भी गए थे. बाद में उनके घर भी गए. वहां जयदेव के स्मोकिंग पाइप्स के कलेक्शन का उद्घाटन भी किया. वहां दोनों ने हंसी-मजाक भी किया था. नेहरू की तस्वीर की तरफ इशारा कर जयदेव ने कहा: ये चालू आदमी था. बाल ठाकरे ने अपनी तस्वीर दिखाकर कहा: इस आदमी के बारे में क्या ख्याल है? तब जयदेव ने कहा: नहीं. इस आदमी के चलते मराठी लोगों का चूल्हा जल रहा है.
साल भर पहले राजनीति के सवाल पर जयदेव ने कहा: 'डर्टी पॉलिटिक्स करने से बढ़िया मैं डर्टी पिक्चर देख लूं.' जयदेव सुनील शेट्टी की फिल्म 'सपूत' प्रोड्यूस भी कर चुके हैं. वहीं स्मिता ने कई फिल्मों के प्रोडक्शन में हाथ आजमाया है. इनमें 'हसीना मान जाएगी' और 'सैंडविच' जैसी फ़िल्में हैं.
जब राज ठाकरे ने परिवार में बाल ठाकरे को रिप्लेस कर दिया
ठाकरे परिवार की राजनीति का एक और पहलू है. 2011 में 'मातोश्री' के पास में ठाकरे खानदान के दो बच्चों की शादी हुई. पर उस शादी के होस्ट दादा बाल ठाकरे नहीं बल्कि चाचा राज ठाकरे थे. एक तरफ बिंदुमाधव की बेटी नेहा की शादी थी. बिंदुमाधव की 1996 में एक कार एक्सीडेंट में मौत हो चुकी थी. राज ने ही कन्यादान किया था. शादी के कार्ड पर भी राज का ही नाम था.कहते हैं कि 1996 के उस एक्सीडेंट में गाड़ी में बिंदुमाधव के अलावा उनकी पत्नी और बेटी दोनों मौजूद थे. बिंदु के मरने के बाद माधवी ने बैग पैक किए और ठाकरे का घर छोड़ दिया. ये अफवाह उड़ी थी कि एक्सीडेंट पूरी तरह से एक्सीडेंट नहीं था. इसके अलावा एक और अफवाह थी. एक एक्ट्रेस को लेकर बिंदु एकदम पागल थे. इस बात पर नाना पाटेकर और बाल ठाकरे के रिश्ते खराब हो गए थे. सबने बिंदु के परिवार को छोड़ दिया था. सिर्फ राज उनके साथ खड़े रहे. फिर जयदेव की पहली पत्नी से हुए बेटे जयदीप की शादी में भी राज ही कर्ता-धर्ता थे. अपनी शादी टूटने के बाद जयदेव की पत्नी पूरे ठाकरे परिवार से नाराज थीं. सिर्फ राज उनके साथ खड़े रहे.
परिवारों की लड़ाई हमेशा ही आश्चर्यचकित कर देती है. चाहे हो किसी भी समाज में हो. उनकी परतें खुलने लगती हैं तो यही पता चलता है कि बड़े से बड़ा और ताकतवर से ताकतवर इंसान अपने परिवार में एक अदना और मजबूर व्यक्ति होता है. परिवारों की लड़ाई को सिर्फ लड़ने वाले ही सुलझा सकते हैं. किसी और को तो समझ ही नहीं आएगा. क्योंकि प्यार और नफरत की बातें रहती हैं. उसमें कानून के दांव-पेच तुरंत सब नहीं सुलझा पाते हैं.