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ज़ाकिर नाइक को भारत लाए जाने का सच ये है!

ज़ाकिर नाइक पर क्या आरोप लगे हैं?

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ज़ाकिर नाइक पर क्या आरोप लगे हैं? (GETTY)

भारत के मोस्ट वॉन्टेड भगोड़ों में से एक ज़ाकिर नाइक एक बार फिर चर्चा में है. नाइक को ओमान सरकार की तरफ़ से लेक्चर देने का न्यौता मिला है. लेक्चर से पहले कुछ मीडिया रपटों में दावा किया गया कि नाइक को ओमान में गिरफ़्तार किया जा सकता है. कहा गया कि भारतीय एजेंसियां ओमान सरकार के संपर्क में हैं. वहां से नाइक को अरेस्ट कर भारत लाने की तैयारी चल रही है. ज़ाकिर नाइक पर भारत में मनी लॉन्ड्रिंग और हेट स्पीच के चार्जेज़ लगे हैं. 2016 में वो भारत से भाग गया. 2017 से वो मलेशिया में रह रहा है. तब से कई दफा उसको भारत लाने की अफ़वाह उड़ चुकी है. लेकिन अभी तक ऐसा हो नहीं सका है. इस बार भी वैसा ही हुआ है. ओमान से भारत लाने की हालिया रिपोर्ट्स का नाइक के वकील ने खंडन किया. दी लल्लनटॉप से बातचीत में उन्होंने बताया कि रिपोर्ट्स झूठी हैं. ओमान में नाइक की गिरफ़्तारी का दावा ग़लत है. तो आइए जानते हैं,

- ज़ाकिर नाइक पर क्या आरोप लगे हैं?

- नाइक को भारत लाने में क्या समस्या आ रही है?

बांग्लादेश की राजधानी ढाका के डिप्लोमेटिक क़्वार्टर में 01 जुलाई 2016 का दिन ख़ुशगवार बीत रहा था. वो शुक्रवार का दिन था. अगले दिन से लंबा वीकेंड शुरू हो रहा था. इसलिए, लोग मस्ती के मूड में थे. वे बढ़िया खाने और घूमने की जगह तलाश रहे थे. ढाका में मौजूद विदेशियों की पहली पसंद होली आर्टिसन बेकरी थी. ये बेकरी ढाका में एक बरस पहले ही शुरू हुई थी. जल्दी ही वो जगह अपने स्वाद और मज़ेदार माहौल के लिए सबकी पसंदीदा बन गई. 01 जुलाई की शाम भी कुछ-कुछ वैसी ही थी. लेकिन थोड़ी ही देर में रंग बदलने वाला था. रात के 09 बजकर 20 मिनट पर कुछ आतंकी भारी-भरकम बैग लिए बेकरी में घुसे. उनके पास हैंड ग्रेनेड्स, चाकू और दूसरे ख़तरनाक हथियार भरे हुए थे. अंदर घुसते ही उन्होंने बंदूकें निकालीं और बेकरी में मौजूद लोगों को एक तरफ़ खड़े होने के लिए कहा. उस समय बेकरी के अंदर बड़ी संख्या में विदेशी और स्थानीय नागरिक मौजूद थे. कुछ लोग किसी तरह भागने में सफ़ल रहे. जो बच गए, आतंकियों ने उनके ऊपर अंधाधुंध गोलियां चलानी शुरू कर दीं. ढाका पुलिस ने अंदर फंसे लोगों को निकालने और आतंकियों से लोहा लेने की कोशिश की. जब उन्हें सफलता नहीं मिली, तब सेना को बुलाया गया. 12 घंटे बाद सेना ने सभी हमलावरों को मार गिराया. हालांकि, तब तक आतंकियों ने 24 लोगों की जान ले ली थी. इनमें 09 इटली, 07 जापान, 06 बांग्लादेश, 01 अमेरिका और 01 भारत के नागरिक शामिल थे. बड़ी संख्या में लोग घायल भी हुए थे.

जाकिर नाइक (फोटो-GETTY)

इस घटना को बांग्लादेश के इतिहास में हुआ सबसे वीभत्स आतंकी हमला माना गया. सरकार ने दो दिनों के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया. उन्होंने बाद में आतंकियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी की. बेकरी अटैक की साज़िश रचने वाले सात दोषियों को 2019 में मौत की सज़ा सुनाई गई.

ये सब तो बाद में हुआ, लेकिन उससे पहले दो बड़ी घटनाएं हुईं,

- पहली, इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक़ एंड सीरिया (ISIS) ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली. उन्होंने हमले में शामिल आतंकियों की तस्वीरें जारी कीं. कहा कि हमारे लड़ाकों ने बेकरी को निशाना बनाया है. बांग्लादेश सरकार ने IS के दावे को खारिज कर दिया. उनका कहना था कि इस हमले के पीछे एक स्थानीय चरमपंथी गुट है.

- दूसरी चीज ये हुई कि, हमले के तुरंत बाद ज़ाकिर नाइक भारत छोड़कर भाग गया. दरअसल, बेकरी पर अटैक में शामिल एक आतंकी ने अपने फ़ेसबुक पेज पर नाइक का प्रचार किया था. उसने ये भी लिखा था कि वो नाइक के भाषणों और उसके संदेशों से प्रभावित है. बाद में ये सामने आया कि अटैक में शामिल कम से कम तीन आतंकी नाइक से प्रभावित थे.

इस खुलासे के बाद हंगामा मचना तय था. मचा भी. भारत की नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में नाइक और उसके इस्लामिक रिसर्च फ़ाउंडेशन (IRF) पर नज़र रख रही थी. ढाका अटैक से लिंक जुड़ने के बाद उसके ऊपर हेट स्पीच के आरोप लगने लगे. कुछ समय बाद भारत के गृह मंत्रालय ने IRF और उसके पीस टीवी नेटवर्क पर बैन लगा दिया. नाइक इसी के ज़रिए पूरी दुनिया में अपने भड़काऊ भाषण फैलाता था. इसको भारत, कनाडा, बांग्लादेश, श्रीलंका और यूके ने बैन किया हुआ है. बैन के बावजूद उसके वीडियोज़ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स के ज़रिए लोगों तक पहुंचते रहते हैं. फ़ेसबुक पर उसके दो करोड़ से अधिक फ़ॉलोअर्स हैं. वहां पर वो बताता रहता है कि बैन होने वाले देशों में उसका चैनल कैसे देखें.

खैर, नवंबर 2016 में NIA ने ज़ाकिर नाइक के ख़िलाफ़ इंडियन पीनल कोड (IPC) और Unlawful Activities (Prevention) Act यानी UAPA के तहत केस दर्ज कर लिया. केस दर्ज होने के बाद नाइक ने ओपेन लेटर्स लिखे. इसमें उसने दावा किया कि उसके ख़िलाफ़ बदले की कार्रवाई की जा रही है. लिखा कि मुझसे एक बार भी सवाल नहीं पूछा गया. एक बार भी अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया. कोई नोटिस नहीं, कोई समन नहीं, कोई कॉल नहीं और ना ही कभी मुझसे संपर्क करने की कोशिश की गई. मैंने जांच में मदद करने की बात कही, लेकिन उन्होंने इसे इनकार कर दिया.

एक तरफ़ नाइक भारत एजेंसियां पर एकतरफ़ा कार्रवाई का आरोप लगा रहा था, दूसरी तरफ़ NIA कुछ और ही दावा कर रही थी. केस दर्ज करने के बाद भी NIA ने उसे कई बार पूछताछ के लिए बुलाया. लेकिन वो नहीं आया. जुलाई 2017 में एजेंसी की अपील पर भारत के विदेश मंत्रालय ने नाइक का पासपोर्ट रद्द कर दिया. उस समय ये ख़बरें चलने लगीं थी कि उसको सऊदी अरब ने अपने यहां की नागरिकता दे दी है. लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो पा रही थी.

NIA के अफसर 

कुछ महीने बाद ख़बर आई कि ज़ाकिर नाइक मलेशिया में है. उसने वहां शरण लेने के लिए अप्लाई किया. मलेशिया सरकार राज़ी हो गई. तब से वो वहीं पर रह रहा है. भारत सरकार ने कई बार इंडिया लाने की कोशिश की है. लेकिन मलेशिया सरकार हर बार मना कर देती है. भारत और मलेशिया के बीच 2010 में प्रत्यर्पण संधि हुई थी. ये क्या है? अगर कोई व्यक्ति अपराध करके किसी दूसरे देश में भाग जाए तो उसे वापस लाने में मशक्कत लगती है. क्योंकि किसी देश की पुलिस या जांच एजेंसी संबंधित देश को बताए बिना वहां ऑपरेट नहीं कर सकती. ये उस देश की संप्रभुता के ख़िलाफ़ होगा. इसलिए, जिस देश में अपराध हुआ है, उन्हें अपराध करने वाले पर केस चलाने और सज़ा देने के लिए उस देश की चाहिए, जहां आरोपी भागकर पहुंचा हो. इसके लिए देशों के बीच समझौते होते हैं. समझौता इस बात का कि अगर हमारे यहां का अपराधी आपके यहां गया तो आप उसे पकड़कर हमें सौंपेंगे. दूसरे पक्ष से भी यही उम्मीद की जाती है. इस प्रोसेस को कानून की भाषा में प्रत्यर्पण कहा जाता है. कुछ देश बिना किसी समझौते के मदद कर देते हैं. कुछ अंतरराष्ट्रीय संधि का पालन करते हैं. कुछ आपस में समझौता करते हैं. विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने कुल 48 देशों के साथ प्रत्यर्पण संधि की हुई है. मलेशिया के साथ ये करार 2010 में ही हो गया था. लेकिन अभी तक मलेशिया ने किसी आरोपी को अपने यहां से भारत नहीं भेजा है. ज़ाकिर नाइक के केस में भी उसने इसी परंपरा का पालन किया है.

जून 2019 में मलेशिया के तत्कालीन प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने इसकी वजह भी गिनाई थी. उन्होंने कहा था कि हमें नाइक को प्रत्यर्पित करने या नहीं करने का अधिकार है. ज़ाकिर को लगता है कि उसके साथ भारत में न्याय नहीं होगा.

मलेशिया ने भले ही नाइक को भारत भेजने से मना कर दिया था, लेकिन भारतीय एजेंसियों ने उम्मीद नहीं छोड़ी. उन्होंने इंटरपोल से नाइक के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने की अपील की. इंटरपोल अपने आप में लॉ एनफ़ॉर्समेंट एजेंसी नहीं है. उसके एजेंट किसी को गिरफ़्तार नहीं कर सकते. वो सदस्य देशों के बीच पुल का काम करती है. जैसे, अगर भारत का भगोड़ा किसी दूसरे देश में छिपा है. और, उस पर इंटरपोल ने रेड नोटिस जारी किया हुआ है. तब उस देश की पुलिस उसे अपने यहां अरेस्ट कर सकती है. हालांकि, वो ऐसा करने के लिए बाध्य नहीं है. रेड नॉटिस जारी करवाने के लिए प्रॉपर एप्लीकेशन देना होता है. इंटरपोल को बताना होता है कि फलाना व्यक्ति इस मामले में वांछित है. उस पर अदालती कार्रवाई होनी है या उसे जेल भेजा जाना है. फिर इंटरपोल इसको रिव्यू करती है. अगर मामला जमा तो वो रेड नोटिस जारी कर देती है. अगर मामला राजनीति, मिलिटरी, धार्मिक या नस्लभेदी किस्म का हुआ तो एप्लीकेशन को रिजेक्ट कर दिया जाता है.

ज़ाकिर नाइक (फोटो-GETTY)

ज़ाकिर नाइक के मामले में भारत तीन बार इंटरपोल के सामने दरख़्वास्त लगा चुका है. लेकिन तीनों बार इंटरपोल ने एप्लीकेशन रिजेक्ट कर दिया. कहना ये कि भाषणों में पैसे मांगना और धर्म का प्रचार करना अपराध की केटेगरी में नहीं आता.

लेकिन क्या ज़ाकिर नाइक का केस इतना सीधा है? इसका जवाब नहीं में होगा. उसके ऊपर विवादित भाषण देने, मुस्लिमों को भड़काने और आतंकियों को फ़ंड देने के आरोप भी हैं. कुछ बड़े उदाहरण जान लीजिए -

- ज़ाकिर नाइक पेशे से डॉक्टर है. बाद में वो इस्लाम का प्रचारक बन गया. वो असली इस्लाम की शिक्षा बांचने का दावा करने लगा.

- ज़ाकिर नाइक, अहमद दीदात से प्रभावित था. अहमद सूरत में पैदा हुए थे. बाद में उनका परिवार साउथ अफ़्रीका में बस गया. दीदात पर आतंकियों से संबंध रखने के आरोप लगते थे. उनके ओसामा बिन लादेन के परिवार से भी अच्छे रिश्ते थे. रिपोर्ट्स ये भी हैं कि अहमद दीदात का एक संगठन लादेन के पैसों से चलता था. उन्होंने अपने एक दोस्त के साथ डरबन में इस्लामिक प्रोपैगेशन सेंटर इंटरनैशनल (IPCI) की नींव रखी थी. इसकी इमारत को एक समय तक बिन लादेन सेंटर के नाम से जाना जाता था.

- 1990 के दशक में ज़ाकिर नाइक ने इस्लाम पर भाषण देना शुरू किया. धीरे-धीरे उसके फ़ॉलोअर्स की संख्या बढ़ती गई.

- 2004 में मेलबर्न यूनिवर्सिटी में नाइक ने कहा था कि महिलाएं जितने छोटे कपड़े पहनेंगी, उतना ही रेप बढ़ेगा.

- 2010 में यूके ने नाइक का वीजा रद्द कर दिया था और उसकी एंट्री पर बैन लगा दिया था.

- नाइक ने इस्लामी शिक्षा की आलोचना करने वालों की हत्या की बात भी कही थी.

- एक दफा उसने ओसामा बिन लादेन का विरोध करने से मना कर दिया था. उसने कहा था, 

‘अगर बिन लादेन इस्लाम के दुश्मनों के ख़िलाफ़ लड़ रहा है तो मैं उसके साथ हूं. अगर वो सबसे बड़े आतंकी अमेरिका के अंदर दहशत पैदा कर रहा है तो मैं उसके साथ हूं.’

- 2008 में उसने पीस टीपी पर दिए एक भाषण में कहा था कि 9/11 का हमला जॉर्ज बुश ने ख़ुद कराया था. नाइक अपने टीवी पर इसी तरह की कॉन्सपिरेसी थ्योरीज़ को बढ़ावा देने के लिए कुख़्यात रहा है.

- 2019 में मलेशिया सरकार ने उसकी पब्लिक स्पीच पर बैन लगा दिया.

- अप्रैल 2019 में श्रीलंका में ईस्टर के दिन कई चर्च पर हमले हुए. इसमें शामिल आतंकी भी ज़ाकिर नाइक से प्रेरित थे.

- नवंबर 2022 में क़तर में फ़ीफ़ा वर्ल्ड कप आयोजित हुआ था. उस दौरान ख़बरें आईं कि क़तर सरकार ने नाइक को धार्मिक भाषण देने के लिए बुलाया है. इस पर काफ़ी बवाल मचा. बाद में क़तर ने बयान जारी कर कहा कि ख़बर ग़लत है. उस समय भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा था कि भारत सरकार ज़ाकिर नाइक को वापस लाने की पूरी कोशिश कर रही है.

अब सवाल ये आता है कि, आज के दिन नाइक की चर्चा क्यों?

जैसा कि हमने शुरुआत में बताया, ओमान सरकार ने नाइक को अपने यहां लेक्चर्स के लिए बुलाया है. 21 मार्च को अफ़वाह उड़ी कि भारतीय एजेंसियां उसको पकड़ने के लिए ओमान के साथ बातचीत कर रही है. हमने इसको लेकर भारत में नाइक के वकील मुबीन सोल्कर से बात की. उन्होंने कहा कि ख़बरें झूठी हैं. ऐसा कुछ नहीं होने वाला है.
सोल्कर ने कहा, मीडिया रिपोर्ट्स ग़लत हैं. ज़ाकिर नाइक लेक्चर टूर पर ओमान गए हैं. उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया है.

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