The Lallantop

'टेक्सस चेनसॉ मैसेकर': उस सीरियल किलर की कहानी, जो अपने शिकार की चमड़ी का मास्क पहनता था!

चर्चाएं हैं कि 'लेदरफेस' का किरदार सीरियल किलर एल्मर वेन हेन्ली पर बेस्ड है, जिसे कोर्ट ने 594 साल की सज़ा सुनाई थी. सच क्या है?

post-main-image
पहली तस्वीर रियल लाइफ साइको किलर एड गीन की. बीच वाली फोटो में फिल्म 'टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' के एक सीन में लेदरफेस. और आखिरी तस्वीर एल्मर वेन हेन्ली की.
पिछले दिनों नेटफ्लिक्स पर 'टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' नाम की एक फिल्म रिलीज़ हुई. ये 1974 में आई 'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' की डायरेक्ट सीक्वल है. हालांकि 1974 से लेकर 2022 तक इन दो फिल्मों के बीच इस सीरीज़ की 8 फिल्में रिलीज़ हो चुकी हैं. ये स्लैशर/हॉरर फिल्म सीरीज़ है. कहानी है 'लेदरफेस' नाम के एक नरभक्षी इंसान की, जो लोगों को चेनसॉ और हथौड़े से मार डालता है. फिर मरे हुए लोगों के चेहरे से चमड़ा निकालकर अपना मास्क बना लेता है.
1974 में आई टोब हूपर डायरेक्टेड 'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' को क्लासिक हॉरर फिल्मों में गिना जाता है. जब भी इस फिल्म की चर्चा होती, ये बात उठती है कि क्या वाकई 'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' असल घटनाओं से प्रेरित फिल्म थी. क्योंकि इस फिल्म की शुरुआत में बताया जाता है-
“The events of that day were to lead to the discovery of one of the most bizarre crimes in the annals of American history.”
यानी- ''उस दिन जो कुछ हुआ, उससे अमेरिकन इतिहास के सबसे वीभत्स अपराधों के पर्दाफाश की राह खुली.''
'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' की कहानी सैली, उसके व्हीलचेयर बाउंड भाई और कुछ दोस्तों की थी. जो लेदरफेस और उसकी साइकोटिक फैमिली के हत्थे चढ़ जाते हैं.
'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' की कहानी सैली, उसके व्हीलचेयर बाउंड भाई और कुछ दोस्तों की थी. जो लेदरफेस और उसकी साइकोटिक फैमिली के हत्थे चढ़ जाते हैं.


# क्या वाकई असल घटनाओं से प्रेरित थी 'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर'?
'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' रियल इंसीडेट्स पर बेस्ड थी या नहीं, इसका बड़ा कॉम्प्लिकेटेड जवाब है. हुआ ये कि 1974 में टेक्सस से एल्मर वेन हेनली को गिरफ्तार किया गया. हेनली पर आरोप था कि वो 1970 से 1973 के बीच हुए ह्यूस्टन मास मर्डर्स में शामिल था. 1970 से 73 के बीच हेनली ने अपने दो साथियों के साथ 28 पुरुषों को किडनैप किया. उन्हें टॉर्चर और रेप करके मार डाला. सीरियल किलिंग की इस घटना को ह्यूस्टन मास मर्डर्स के नाम से जाना गया. इस मामले में एल्मर वेन हेनली को अमेरिकी अदालत ने 594 साल की सज़ा सुनाई. ये मामला टीवी पर भी खूब छाया रहा.
एल्मर वेन हेनली को जब टेक्सस में गिरफ्तार किया गया, तब उसकी उम्र मात्र 17 साल थी. ये बाद की फोटो है.
एल्मर वेन हेनली को जब टेक्सस में गिरफ्तार किया गया, तब उसकी उम्र मात्र 17 साल थी. ये बाद की फोटो है.


टोब हूपर ने जब टीवी पर एल्मर वेन हेनली और उसकी करतूतें देखीं, तो उन्हें एक साइको फैमिली पर फिल्म बनाने का आइडिया आया. मगर वो हेनली से ज़्यादा 1950 के दशक में चर्चित रहे एड गीन नाम के साइको सीरियल किलर से प्रभावित थे. एड गीन पर दो महिलाओं का कत्ल करने का इल्ज़ाम था. वो दफ्न लाशों को खोदकर निकालता. उन डेडबॉडीज़ की हड्डियों और चमड़ी से वो फर्निचर, ट्रॉफी और सजावट की चीज़ें बनाया करता था. वो ये सारे क्राइम अपने शहर प्लेनफील्ड में करता था. इसलिए उसे Butcher of Plainfield और Plainfield Ghoul नाम से बुलाया जाता था. जब गिरफ्तारी के बाद उसे कोर्ट के सामने पेश किया गया, तब कोर्ट ने उसे ट्रायल के लिए मेंटली अनफिट माना. उसे साइकेट्रियक इंस्टिट्यूशन में डाल दिया गया. बाद में उसी मेंटल अस्पताल में एड गीन की डेथ हो गई.
 एड गीन ने खुद कबूल किया था कि उसने दो महिलाओं का कत्ल किया. उसने अपनी मानसिक बीमारी की वजह से कभी कोर्ट ट्रायल फेस नहीं किया.
एड गीन ने खुद कबूल किया था कि उसने दो महिलाओं का कत्ल किया. उसने अपनी मानसिक बीमारी की वजह से कभी कोर्ट ट्रायल फेस नहीं किया.


# दोनों साइको किलर्स को मिलाकर टोब हूपर ने गढ़ा 'लेदफेस'
टोब हूपर ने जब 'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' पर काम शुरू किया, तब इन्हीं दो सीरियल किलर्स पर आधारित 'लेदरफेस' नाम का किरदार गढ़ा. 'लेदरफेस' में आपको वो तमाम कैरेक्टर ट्रेट्स मिल जाएंगे, जो एड गीन और एल्मर वेन में पाए गए थे. जैसे- लोगों की डेडबॉडी की चीर-फाड़ करना, उनसे फर्निचर और सजावट की चीज़ें बनाना, महिलाओं के कपड़े पहनना वगैरह-वगैरह. 'लेदरफेस' की खासियत ये थी कि वो जिन लोगों को मारता, उनकी स्किन निकालकर मास्क बना लेता था. ये चीज़ खासतौर पर टोब हूपर ने उस कैरेक्टर में ऐड की थी. मगर ये चीज़ उस किरदार के इर्द-गिर्द सिर्फ मिस्ट्री वाला एलीमेंट क्रिएट करने के लिए नहीं की गई थी. ऐसा इसलिए किया गया था क्योंकि हूपर चाहते थे कि पब्लिक 'लेदरफेस' को अन्य सीरियल किलर्स से ज़्यादा खतरनाक और घिनौना समझे. एल्फ्रेड हिचकॉच की 'साइको' में नॉर्मन बेट्स का कैरेक्टर भी एड गीन से ही प्रेरित था. साइको किलर के होने के साथ-साथ, वो भी अपनी मां के कपड़े पहना करता था.
एल्फ्रेड हिचकॉक डायरेक्टेड फिल्म 'साइको' के विलन नॉर्मन बेट्स. बताया जाता है कि ये किरदार एड गीन से प्रेरित था.
एल्फ्रेड हिचकॉक डायरेक्टेड फिल्म 'साइको' के विलन नॉर्मन बेट्स. बताया जाता है कि ये किरदार एड गीन से प्रेरित था.


# जब 'लेदरफेस' रियल नहीं था, तो फिल्म में झूठ क्यों बोला गया?
जब 'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' असलियत से प्रेरित नहीं थी, तो फिर मेकर्स ने फिल्म में झूठ क्यों बोला? इस सवाल का जवाब बड़ा दिलचस्प और पॉलिटिकली लोडेड है. 1970 के दशक में अमेरिका में फर्जी खबरों का प्रसार-प्रचार खूब बढ़ गया था. अधिकतर मौकों पर इसमें सरकारों का हाथ भी होता था. सरकारें अपने एजेंडे के मुताबिक कई तरह की मिस-इन्फॉर्मेशन पब्लिक के बीच फैलवा देती थी. लोग उसे सच मानकर उसी हिसाब से बर्ताव करने लगते. गलत खबरों को पॉलिटिकल टूल की तरह इस्तेमाल किया जाता था. अब भी किया जाता है. मगर अब फैक्ट चेकिंग वेब-साइट्स का ज़माना है. आज नहीं तो कल उन खबरों की सच्चाई सामने आ जाती है. पब्लिक भी काफी सावधान हो गई है.
खैर, जब टोब हूपर ने अमेरिकन सोसाइटी में मिस-इन्फॉर्मेशन वाला एंगल देखा तो उन्हें एक आइडिया आया. उन्होंने अपनी ऑलमोस्ट फिक्शनल फिल्म 'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' को असल घटनाओं से प्रेरित बता दिया. इसके पीछे दो वजहें थीं. पहली तो ये कि तब अमेरिका में सीरियल किलर्स को लेकर बहुत उत्सुकता होती थी. ऐसे में टोब ने इसे एक मार्केटिंग गिमिक की तरह इस्तेमाल किया. रियल सीरियल किलर्स पर बनी फिल्म सुनकर, ढेर सारे लोगों ने ये पिक्चर देखी. फिल्म बड़ी सक्सेसफुल रही.
'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' की शूटिंग के दौरान टोब हूपर. (बढ़े बालों वाले, जिनका हाथ उठा हुआ है)
'द टेक्सस चेनसॉ मैसेकर' की शूटिंग के दौरान टोब हूपर. (बढ़े बालों वाले, जिनका हाथ उठा हुआ है)


दूसरी वजह ये थी कि टोब अपनी फिक्शन फिल्म को असल घटनाओं से इंस्पायर्ड बताकर पॉलिटिकल स्टेटमेंट देना चाहते थे. उन्होंने जानबूझकर अपनी फिल्म को रियल लोगों पर बेस्ड बताया. मगर गड़बड़ी ये हुई कि लोग उनका गेम प्ले समझने की बजाय उनके झूठ को सच मान बैठे. इसी वजह से वो फिल्म देखी गई. आज क्लासिक हॉरर फिल्मों में गिनी जाती है. टोब हूपर को एक नए जॉनर का जन्मदाता माना जाता है. उन्हें विज़नरी और लेजेंड्री फिल्ममेकर कहा जाता है. मगर तब उनका विज़न कोई नहीं समझा. बीतते समय के साथ लोगों को टोब हूपर की बात समझ आई. हालांकि अब भी दुनियाभर की एक बड़ी आबादी को लगता है कि 'लेदरफेस' रियल सीरियल किलर है, जिसका सिनेमाई इस्तेमाल के लिए नाम बदल दिया गया है.