राजा भरत को महंगा पड़ा हिरण के बच्चे से अटैचमेंट
एक हिरण के बच्चे के मोह में ऐसे पड़े भरत कि खुद ही बन गए एक हिरन. कहानी श्रीमद्भगवत महापुराण से.

राजा भरत ने काफी टाइम तक राज किया. बुढ़ापा आया तो बेटे को राजभार सौंपकर पुहल ऋषि के आश्रम के पास चले गए. एक दिन नदी में नहा रहे थे, तभी एक प्रेग्नेंट हिरणी पानी पीने आई. उसके पीछे पड़े शेर ने दहाड़ मार दी और घबराकर हिरणी ने छलांग लगा दी. कूदने से उसके पेट का बच्चा बाहर आ गया और हिरणी मर गई ऑन द स्पॉट. ये देखकर भरत बहुत अपसेट हुए. उन्होंने हिरणी के बच्चे को पुचकारा और अपने साथ रख लिया. उस बच्चे की मासूम आंखों से कौन नहीं मुग्ध हो जाता! दुनिया के सब मोह छोड़ चुके भरत को हिरण के उस बच्चे से प्यार हो गया और उसे आश्रम में अपने बच्चे की तरह पालने लगे. फिर वे बहुत बूढ़े हो गए और टाइम आ गया ऊपर जाने का. उनके मरने के समय भी हिरण का बच्चा वहां बैठकर उन्हें अपनी क्यूट नजरों से देख रहा था. जब भरत मरे, तो उनकी आंखों, मन और याद में वही बच्चा रह गया. इसलिए अगले जन्म में राजा भरत हिरण बनकर पैदा हुए. पर क्योंकि वह एक अच्छे इंसान थे, भगवान ने उनकी हार्ड डिस्क से पिछले जनम की कहानी डिलीट नहीं की. भरत को पिछली बातें याद करके काफी दुख हुआ कि सारा मोह छोड़ने के बाद भी वो मोह में पड़ गए और उन्हें मुक्ति नहीं मिली. पुण्य कमाने के लिए भरत हिरण के रूप में भी पुहल ऋषि के आश्रम के पास रहे ताकि भगवान का भजन उनके कानों में जाता रहे. टाइम आने पर उन्होंने हिरण का शरीर छोड़ दिया और एक ब्राह्मण के घर में जनम लिया. (श्रीमद्भगवत महापुराण)