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छोले भटूरे का जायकेदार रहस्य: 12 आने में बिकी थी पहली प्लेट, ईस्ट यूपी से जुड़े हैं तार

Delhi Assembly Election का बिगुल बज चुका है. चुनाव प्रचार जोरों पर हैं. इलेक्शन कैम्पेन से जुड़े नेताओं से लेकर इस कवर करने वाले पत्रकारों तक की जुबान पर चढ़ा है छोले-भटूरे का स्वाद. आम तौर पर छोले भटूरे को दिल्ली का पसंदीदा नाश्ता माना जाता है. मगर क्या वाकई छोले भटूरे का ईजाद दिल्ली में हुआ? दावा तो लाहौर, हरियाणा और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग भी करते हैं.

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छोले-भटूरे की उत्पत्ति को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं. (फोटो- इंडिया टुडे)

दिल्ली असेंबली इलेक्शन के प्रचार में जुटे नेता जी छोला-भटूरा खा रहे हैं. कवरेज में जुटे पत्रकार और एंकर लोग भी छोले-भटूरे का जायका लेते हुए बीजेपी, कांग्रेस और आप के सियासी भविष्य पर कॉमेंट कर रहे हैं. इलाका कोई भी हो, पार्टी का नाम कुछ भी हो, सबमें एक बात कॉमन है और वो है छोले-भटूरे. शाहदरा के अफीमी छोले भटूरे हों या राजौरी वाले राम के छोले भटूरे. इस डिश को दिल्ली की अघोषित 'राजकीय नाश्ता' कहा जा सकता है. मगर दिल्ली का ये मशहूर छोला-भटूरा क्या वाकई दिल्ली वाला है? अगर हां तो इस पर कभी लाहौर तो कभी हरियाणा और कभी-कभी पूर्वी यूपी वाले अपना दावा क्यों ठोकते रहते हैं. चलिए छोले-भटूरे के इस स्वादिष्ट रहस्य को सुलझाने की कोशिश करते हैं.

दिल्ली में बिका था बारह आने प्लेट छोला-भटूरा

छोले भटूरे के जन्म से जुड़ी सबसे प्रचलित कहानी दिल्ली की है. ऐसा मानने वालों की कमी नहीं कि छोले भटूरे की उत्पत्ति दिल्ली में हुई थी. इस कहानी के अनुसार, राजधानी में इस प्रतिष्ठित व्यंजन को बनाने का श्रेय सीताराम दीवानचंद नामक व्यक्ति को जाता है. कहा जाता है कि सीताराम अपने बेटे दीवान चंद के साथ दिल्ली आए और छोले भटूरे बेचने लगे. कहा जाता है कि छोले-भटूरे की पहली प्लेट सिर्फ़ 12 आने (75 पैसे) में बिकी थी. समय के साथ, इस व्यंजन ने लोकप्रियता हासिल की और आज यह दिल्ली की खाद्य संस्कृति का एक अनिवार्य हिस्सा है. खासकर एक हरदिल अजीज़ नाश्ते या स्नैक के रूप में. सीताराम दीवानचंद की कहानी ने उनके नाम को दिल्ली में छोले भटूरे का पर्याय बना दिया है.

छोले-भटूरे पर ईस्ट यूपी वाला दावा

भले ही दिल्ली को अक्सर छोले-भटूरे से जोड़ा जाता है, लेकिन कुछ फूड हिस्ट्री लिखने वाले इतिहासकार पूर्वी उत्तर प्रदेश को छोले भटूरे की उत्पत्ति के रूप में देखते हैं. यह क्षेत्र अपनी जीवंत और समृद्ध खाद्य संस्कृति के लिए जाना जाता है. यह व्यंजन शायद इसी क्षेत्र में विकसित हुआ होगा, जो अंततः दिल्ली और उसके बाहर तक पहुंच गया. छोले भटूरे में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री, जैसे छोले और आटा, इस क्षेत्र की मुख्य सामग्री है. और कुछ लोगों का मानना ​​है कि इन सामग्रियों के संयोजन से इस प्रतिष्ठित डिश का निर्माण हुआ. इस सिद्धांत के अनुसार समय के साथ छोले-भटूरे न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि पड़ोसी राज्यों, विशेषकर पंजाब और दिल्ली में भी एक प्रिय भोजन बन गया.

पंजाबी कनेक्शन: टेस्ट ऑफ लाहौर

छोले भटूरे की उत्पत्ति के बारे में एक अन्य लोकप्रिय सिद्धांत यह है कि यह व्यंजन पंजाबी क्षेत्र से जुड़ा है, विशेष रूप से लाहौर के आसपास के क्षेत्रों से, जो अब पाकिस्तान में है. पंजाबी कनेक्शन का अक्सर हवाला दिया जाता है क्योंकि यह व्यंजन पंजाबी व्यंजनों में पाए जाने वाले तीखे स्वाद और हार्दिक भोजन के अनुरूप है. छोले और भटूरे इस क्षेत्र की पाक परंपरा के मुख्य व्यंजन हैं और कई लोगों का मानना ​​है कि छोले-भटूरे जैसा कि हम आज जानते हैं, वह भारत के विभाजन से पहले और बाद में पंजाब की जीवंत खाद्य संस्कृति में विकसित हुआ. ऐसा मानने वालों को पूरा भरोसा है कि छोला भटूरा मूलतः पंजाबी पाककला की विरासत का हिस्सा रहा होगा, जिसने दिल्ली के कई व्यंजनों को प्रभावित किया है, जिनमें छोले-भटूरे भी शामिल है.

देसां में देस हरियाणा, जहां छोले भटूरे का खाना!

कुछ लोगों का मानना ​​है कि छोले-भटूरे की जड़ें हरियाणा से जुड़ी हैं. कहानी यह है कि एक बार हरियाणा के एक व्यक्ति ने एक महिला को भूख लगने पर उबले हुए छोले  और पके हुए आटे (भटूरे) परोसे. इन सामग्रियों का मिश्रण हिट हो गया, जिससे इस प्रिय व्यंजन का जन्म हुआ. यह कहानी छोले भटूरे की सादगी और दिल तक पहुंचने के अंदाज पर जोर देती है, जो पीढ़ियों से कई लोगों की भूख को शांत करती आ रही है.

मुगलिया छोले-भटूरे का शाही आगाज़

एक और सिद्धांत यह है कि छोले भटूरे को मुगलों द्वारा भारतीय उपमहाद्वीप में लाया गया था. मुगल साम्राज्य, जो अपनी समृद्ध पाक परंपराओं के लिए जाना जाता है, को अक्सर भारत में नए मसाले, सामग्री और खाना पकाने की तकनीक लाने का श्रेय दिया जाता है. कुछ लोगों का मानना ​​है कि छोले-भटूरे का जन्म भारतीय भोजन पर मुगल प्रभाव के कारण हुआ, जिसमें छोले और आटे (भटूरे) का उपयोग कर एक ऐसी डिश बनाई गई. जो मुगल और भारतीय पाक परंपराओं का मिश्रण है. यद्यपि इस दावे को प्रमाणित करने के लिए बहुत कम सबूत उपलब्ध हैं, फिर भी कई भारतीय व्यंजनों की उत्पत्ति पर चर्चा करते समय अक्सर मुगल संबंध का अनुमान लगाया जाता है.

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छोले भटूरे का रहस्य

वास्तव में, छोले भटूरे की असली उत्पत्ति सही-सही हिसाब किताब मिलना तो मुश्किल है, क्योंकि खाद्य परंपराएं समय के साथ विकसित होती हैं और पीढ़ियों से चली आ रही हैं. हालांकि, यह निश्चित है कि छोले भटूरे भारतीय व्यंजनों का एक अभिन्न अंग बन गए हैं, खासकर दिल्ली में, जहां हर वर्ग के लोग इसका आनंद लेते हैं. चाहे इसकी उत्पत्ति दिल्ली, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा में हुई हो या मुगलों ने इसे शुरू किया हो. छोले भटूरे का भारत भर के भोजन प्रेमियों के दिलों में (और पेटों में भी) एक खास जगह है.

दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान, शायद असली सवाल यह नहीं है कि छोले भटूरे की उत्पत्ति कहां से हुई, बल्कि यह है कि इस स्वादिष्ट व्यंजन का सबसे बेहतरीन वर्जन कौन बना सकता है. आखिरकार, छोले-भटूरे के प्रति प्रेम ही है जो लोगों को एकजुट करता है, चाहे इसका ईजाद कहीं भी किया हो!

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