27 मार्च 2025. वक़्फ़ कानून, राज्यसभा सांसद के घर पर हमले, और राणा सांगा पर हो रहे विवादों ने संसदीय बहस की तासीर तय कर रखी थी. लेकिन इन्हीं बहसों के बीच राजस्थान के नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल अपनी सीट पर खड़े हुए. लोगों को उम्मीद थी कि वो भी इन्हीं सभी विषयों पर अपने विचार रखेंगे. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने गुजरात के रहने वाले राजकुमार जाट का मुद्दा उठाया. वही राजकुमार जाट, जिसकी मौत इस समय एक रहस्य बनी हुई है. नागौर सांसद ने राजकुमार जाट केस में CBI जांच की मांग की. लेकिन कौन था राजकुमार जाट? क्या राजकुमार जाट की हत्या की गई थी? या उसकी मौत एक हादसा थी? 3 और 4 मार्च की दरमियानी रात क्या हुआ था? पोस्टमार्टम के समय क्या हुआ था? 2-2 बार हुए पोस्टमॉर्टम में चोटों की संख्या अलग -अलग कैसे मिली? और परिवार को मौत की सूचना देने में पुलिस ने 5 दिन का वक्त क्यों लगाया? और जवाब दिया भी तो तब, जब बात न्यायालय की चौखट पर चली गई. और सवाल ये भी कि क्या राजकुमार जाट की मौत के पीछे एक भाजपा विधायक का परिवार शामिल है? आइए विस्तार से जानते हैं इस केस के बारे में.
42 चोटें, 2 पोस्टमॉर्टम, BJP MLA के बेटे पर आरोप, राजकुमार जाट 'मर्डर' में इन सवालों के जवाब कब मिलेंगे?
गुजरात के रहने वाले राजकुमार जाट की मौत इस समय एक रहस्य बनी हुई है. नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने CBI जांच की मांग की है. लेकिन क्या राजकुमार जाट की हत्या की गई थी? 3 और 4 मार्च की दरमियानी रात क्या हुआ था? परिवार को मौत की सूचना देने में पुलिस ने 5 दिन का वक्त क्यों लगाया? सवाल ये भी कि क्या राजकुमार जाट की मौत के पीछे एक भाजपा विधायक का परिवार शामिल है?

90 का दशक. काम की तलाश में रतनलाल जाट राजस्थान के भीलवाड़ा से तकरीबन साढ़े 600 किलोमीटर दूर गुजरात के गोंडल आ गए. कुछ महीनों में ही रतनलाल ने पाव भाजी की दुकान शुरू की. परिवार में पत्नी, दो बेटी और एक बेटा है. बच्चों की पढ़ाई भी गुजरात में ही कराई. अपने बेटे राजकुमार को UPSC की तैयारी के लिए दिल्ली के वाजीराम एंड रवि कोचिंग में एडमिशन दिलाया. कोर्स ख़त्म हुआ तो बेटा राजकुमार वापस गोंडल लौट आया. बेटे की पढ़ाई डिस्टर्ब न हो इसलिए रतनलाल ने उसे घर के पास किराये पर कमरा दिला दिया. राजकुमार दिनभर वहीं रहकर पढ़ाई करता. सिर्फ खाना खाने घर आता.
2 मार्च 2025. शाम का वक्त. इस रोज़ राजकुमार मंदिर गया था. रतनलाल दुकान पर थे. दोनों यहां से साथ घर लौट रहे थे. राजकुमार बाइक तेज़ चला रहा था. पिता ने बाइक रुकवाई. कहा कि अब वो बाइक चलाएंगे, और राजकुमार पीछे बैठे. राजकुमार ने ब्रेक लगाया. जहां बाइक रुकी, वहां एक बंगला था. नेम प्लेट पर नाम लिखा था- गीता विला. गोंडल विधायक गीताबा जयराजसिंह जडेजा का घर. बंगले के बाहर खड़े कुछ लोगों ने राजकुमार को आवाज़ लगाई. राजकुमार उनके पास गया. कुछ देर बात करने के बाद वो उसे घर के अंदर लेकर चले गए. पिता भी पीछे-पीछे गए. रतनलाल ने लल्लनटॉप से बात करते हुए बताया कि घर के अंदर राज को काफी लोग घेरे हुए थे. गोंडल विधायक गीताबा जयराजसिंह जडेजा के बेटे ज्योतिरादित्य सिंह जडेजा (उर्फ गणेश) भी वहीं थे. पिता का आरोप है कि कुछ लोग गणेश के कहने पर राज को पीटने लगे, मुझे भी 2 थप्पड़ मारे.
बाप-बेटे देर रात घर लौट पाए. नींद नसीब हुई. रतनलाल बताते हैं कि जब वो अगली सुबह उठे, तो राजकुमार घर या किराए वाले कमरे में मौजूद नहीं था. उसका फोन वहीं पड़ा मिला. पूरा एक दिन खोजबीन का भी कोई असर नहीं पड़ा. 5 मार्च को वो राजकोट पुलिस अधीक्षक हिमकर सिंह से मिलने गए. पूरा घटनाक्रम बताया. उन्होंने दावा किया कि राजकुमार को ढूंढ निकालेंगे.
बड़ी मशक़्क़त के बाद पुलिस ने कंप्लेन दर्ज की. लेकिन उसमें विधायक के घर हुई घटना का जिक्र गलत संदर्भ में किया गया, ऐसे आरोप पिता रतनलाल ने लगाए. एक और संगीन आरोप राजकुमार के पिता ने पुलिस पर लगाया. कहा कि राजकुमार की खोज करने की नीयत से पुलिस ने कुछ CCTV कैमरों के फुटेज ज़ब्त किये थे, लेकिन परिवार को बस दो-तीन ही वीडियो दिखाए थे. फिर कैलेंडर में लगी 8 मार्च की तारीख. राजकुमार के परिजनों का इल्जाम था कि इस दिन राजकोट SP हिमकर सिंह की ओर से फोन आया. दावा किया कि उनकी टीम ने राजकोट में राजकुमार को ट्रैक कर लिया है. जल्द ही घर आ जाएगा. एसपी हिमकर सिंह ने कथित तौर पर एक हिदायत भी दी कि बेटा गलत संगत में पड़ गया है.
इधर परिवार ने इंतजार शुरू कर दिया. उन्हें लगा कि राजकोट से गोंढल की 40 किलोमीटर की दूरी एकाध घंटे में तो पूरी ही हो जाएगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. राजकुमार घर नहीं लौटा. परिवार को अब लगा कि राजकुमार की खोज के लिए अब न्यायालय ही आखिरी रास्ता है. 9 मार्च का दिन. रतनलाल अपने साथियों के साथ हाईकोर्ट जाने के लिए घर से निकले. और कुछ ही घंटों बाद घर पर मौजूद राजकुमार की बहन पूजा के पास एक कॉल आई. दूसरी ओर राजकोट सिविल अस्पताल से कर्मचारी थे. सूचना आई कि मुर्दाघर में एक लाश रखी है. शिनाख्त करने के लिए आना होगा. परिवार अस्पताल पहुंचा. शिनाख्त पूरी हुई. वो राजकुमार जाट की डेड बॉडी थी. 9 मार्च को राज की बॉडी परिवार को सौंप दी गई. और इसके साथ ही सामने आए कुछ तथ्य-
- रजिस्टर के मुताबिक, मुर्दाघर में राज के शव की एंट्री डेट 4 मार्च सुबह साढ़े 6 बजे थी
- वहीं इसी तारीख को सुबह 7 बजकर 20 मिनट पर मेडिकल ऑफिसर डॉ. धवल गोसाई ने शव का पोस्टमार्टम शुरू किया
- 8 बजकर 35 मिनट पर पोस्टमार्टम खत्म हुआ
इस रिपोर्ट में राज के शरीर पर 17 चोटों का ज़िक्र था. फिर एक कहानी सामने आई. कहानी राज की मौत की. दैनिक भास्कर में छपी ख़बर के मुताबिक, 4 मार्च की रात तकरीबन 3 बजे तरघड़िया फ्लाईओवर पर राज जख्मी हालत में मौजूद था. उस समय वहां से एक एंबुलेंस गुजर रही थी. राज को देख एंबुलेंस रुक गई. एंबुलेंस स्टाफ मामला समझने की कोशिश कर रहा था, तभी काले रंग की एक फॉर्च्यूनर कार एंबुलेंस के पीछे आकर रुकती है. उससे 4-5 लोग नीचे उतरे. फिर इसके पीछे एक स्कॉर्पियो भी आकर रुकी. उसमें से भी कुछ लोग उतरे. कुछ देर बाद ये सारे लोग थोड़ी देर में वहां से चले जाते हैं. एंबुलेंस पूरे 56 मिनट वहां रुकती है. उसके बाद राज को लेकर हॉस्पिटल की ओर निकल जाती है.
इस कहानी में आरोप गहराते हैं 9 मार्च से. यानी पोस्टमॉर्टम की तारीख के पांच दिन के बाद, जब परिवार को डेडबॉडी मिली. पुलिस ने परिवार से कहा कि सड़क हादसा हुआ. बस ने राज को टक्कर मार दी जिसके बाद उसकी मौत हुई. लेकिन जब परिवार ने राज का शव देखा तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट को नकार दिया. परिवार ने कहा कि राज की हत्या की गई है. परिवार ने दबाव बढ़ाया. जिसके बाद 3 डॉक्टरों के पैनल ने नया पोस्टमॉर्टम किया. नई रिपोर्ट आई. जिसमें चोटों की संख्या 17 से बढ़कर 42 हो गई.
बात हत्या की हुई. तो परिवार ने इल्जाम लगाए गोंडल विधायक गीताबा जडेजा के बेटे गणेश पर. परिवार ने कहा -
गणेश जडेजा के लोगों ने बेटे को घर से उठा लिया. साजिश के तहत उसे सीसीटीवी में सड़क पर घूमते हुए दिखाया गया. इसके बाद मारकर रोड पर डाल दिया.
इन्हीं आरोपों के बीच राज के परिवार के ओर से हाई कोर्ट में अर्ज़ी दाखिल की गई है. 4 अप्रैल को मामले की सुनवाई थी. लेकिन टल गई. अगली डेट 9 अप्रैल मिली. सुनवाई होने पर स्थिति और स्पष्ट होगी.
विधायक के बेटे पर और भी आरोप हैंलेकिन ये पहली बार नहीं है कि भाजपा विधायक के बेटे गणेश पर ऐसे आरोप लगे हों. इंडियन एक्सप्रेस के गोपाल बी कटेशिया की रिपोर्ट के मुताबिक़, गणेश पर छात्र संगठन नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के अध्यक्ष को जान से मारने की कोशिश का मुकदमा चल रहा है. FIR के मुताबिक, मई 2024 में गणेश ने जूनागढ़ के NSUI अध्यक्ष संजय सोलंकी को किडनैप कर उन्हें बंदूक दिखाकर धमकाया था. खबर के मुताबिक, NSUI नेता ने गणेश को ध्यान से गाड़ी चलाने के लिए कहा, जिसके बाद गणेश ने उसे कथित तौर पर अगवाकर जान से मारने की धमकी दी थी. इसके बाद पुलिस ने गणेश के खिलाफ मुकदमा लिखा. अपहरण करने, हत्या का प्रयास करने और SC/ST एक्ट की धाराएं लिखी गईं. गणेश को हिरासत में लिया गया. 4 अक्टूबर 2024 को जेल में रहते हुए गणेश ने गोंडल नागरिक सहकारी बैंक के वाइस-चेयरमैन का चुनाव जीता. कुछ ही देर बाद, गुजरात हाईकोर्ट से जमानत मिली और वो बाहर आ गया.
गणेश के पिता और पूर्व गोंडल विधायक जयराजसिंह जडेजा पर भी हत्या का आरोप है. 2004 में गोंडल में निलेश रैयाणी नाम के शख़्स की हत्या हुई थी. इस केस में गुजरात हाई कोर्ट ने अगस्त 2017 में जयराज को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद BJP ने गोंडल से जयराज की पत्नी गीताबा जडेजा को टिकट दिया. वो जीतकर विधानसभा पहुंचीं. और जयराज फिलहाल बेल पर बाहर हैं.
पुलिस अधीक्षक ने क्या बताया है?राजकुमार जाट के केस की जांच और इसे लेकर लग रहे तमाम आरोपों पर राजकोट के पुलिस अधीक्षक हिमकर सिंह ने कहा,
2 तारीख की रात को पिता (रतनलाल) ने अपने बेटे (राजकुमार) को फोन किया. ये फोन गोंडल के एक पुजारी ने उठाया था. इसके बाद पिता रतन लाल जी, वहां पर मंदिर में चले जाते हैं. और पिता पुत्र दोनों अपने घर की तरफ प्रस्थान करते हैं. पुत्र बाइक चला रहा होता है लेकिन बहुत तेज गति से बाइक चलाता है तो इसके पिता बाइक से उतर जाते हैं. फिर बेटा (राजकुमार) यूटर्न लेकर भूतपूर्व एमएलए (जयराजसिंह जडेजा) के घर पर चला जाता है और वहां पर जबरदस्ती घर के अंदर दाखिल होता है. वहां पर इसको एक कुर्सी भी दी जाती है बैठने के लिए और 4 से 5 मिनट सामान्य बातचीत होती है और फिर बेटा अपने पिता के साथ घर पर चला जाता है. घर जाने से पहले भी पिता और पुत्र में सामान्य बोलाचाली होती है और फिर रात को 2:00 बजे के आसपास यह अपने घर से गायब हो जाता है... उसकी जो डेड बॉडी मिली है, ये फेटल एक्सीडेंट राजकोट अहमदाबाद हाईवे के ऊपर हुआ है.
कुल मिलाकर इस पूरे मामले में कुछ ऐसे सवाल छूटते हैं, जिनके जवाब मिलने जरूरी हैं. और ये जवाब मिलने के बाद ही इस केस की गुत्थियां कुछ सुलझेंगी. जैसे-
- एक ही शव के 2 पोस्टमार्टम क्यों कराए गए? दोनों में अलग जानकारियां कैसे मुमकिन हैं?
- अगर 4 मार्च को ही राजकुमार की मौत हो गई थी, तो उसके पिता ने क्यों दावा किया कि 8 मार्च को राजकोट पुलिस अधीक्षक ने बेटे की लोकेशन मिलने की बात कही है?
- राजकोट पुलिस ने किस आधार पर मृत व्यक्ति को ट्रैक करने और घर लेकर आने की बात कही?
- इस मामले में गोंडल विधायक के बेटे का नाम सामने आया, पुलिस ने FIR में उसका नाम क्यों नहीं लिखा?
- राज के पिता हत्या का आरोप लगाते रहे, लेकिन पुलिस ने एक्सीडेंट का केस क्यों दर्ज किया?
इनमें से कई सवालों के जवाब हमने पुलिस महकमे से मांगे हैं, लेकिन ये रिपोर्ट लिखे जाने तक, हमारे पास पुलिस महकमे से कोई जवाब नहीं आया है. यदि कोई जवाब आता है, तो लल्लनटॉप आप तक जरूर लेकर आएगा. हमने विधायक गीताबा और उनके परिवार से भी संपर्क किया, लेकिन इस फ्रंट से भी कोई जवाब नहीं आया. आते ही जवाब लल्लनटॉप आपसे जल्द साझा करेगा. उम्मीद है कि इस घटना का सच सामने आए और दर्ज हो, ताकि न्याय मुकम्मल हो सके.
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