किताबवाला के आज के पॉडकास्ट में बात हो रही है 'द एसेंशियल ऑफ हिंदुइज्म' किताब के बारे में, जो हमें हिंदू संस्कृति के प्राचीन ग्रंथों जैसे वेद, उपनिषद आदि के बारे में संक्षिप्त रूप में बताती है. यह पुस्तक प्रो त्रिलोचन शास्त्री द्वारा लिखी गई है जो की आईआईएम बैंगलोर के प्रोफेसर और सेंटर फॉर कलेक्टिव डेवलपमेंट (सीसीडी) के संस्थापक सचिव और सीईओ हैं, जो 2004 से छोटे और सीमांत किसानों के लिए शुष्क भूमि क्षेत्रों में सहकारी समितियों को बढ़ावा देता आरहा है.
प्रो त्रिलोचन शास्त्री एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के अध्यक्ष और संस्थापक भी हैं. एडीआर की जो दिसंबर 2002 से 1200 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के साथ पूरे देश में नागरिक चुनाव देखता है. एडीआर ने सर्वोच्च न्यायालय में कई जनहित याचिकाएं (पीआईएल), और राजनीतिक दलों पर महत्वपूर्ण आरटीआई अपील जीती हैं. एडीआर को सीएनएन-आईबीएन, एनडीटीवी, टीओआई, भारत के राष्ट्रपति द्वारा 4 राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
आईआईटी, आईआईएम और एमआईटी से पढ़ कर आईआईएम अहमदाबाद और आईआईएम बंगलुरु में पढ़ाने वाले प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री, स्टेटिस्टिक्स एंड ऑपरेशन रिसर्च, सोशल आंत्रप्रेन्योरशिप और इंट्रोडक्शन और तो और हिन्दू फिलॉसोफी जैसे विषयों को पढ़ा रहे हैं.
जानिए त्रिलोचन शास्त्री खुद को गुरु क्यों नहीं मानते और उनके नज़रिये से गुरु कौन होता है. बचपन से ही हिन्दू धर्म में जिज्ञासा रखने वाले त्रिलोचन शास्त्री अपनी किताब 'द एसेंशियल ऑफ हिंदुइज्म' से सरल भाषा में हिंदुत्व को समझाना चाहते हैं. जानिए इस प्रकार की किताब के विषयों का चयन करना, हिन्दू धर्म के अत्यंत वृहद होने के बवजूद कितना मुश्किल रहा.