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तारीख: कैसे एक गलती ने 60 लाख लोगों की जान ले ली?

पेंटिंग में वो खुद था, और साथ में उस जर्मन सैनिक की तस्वीर भी थी.

युद्ध की ज़मीन पर दो सैनिक आमने-सामने खड़े हैं. दोनों के बीच अंतर ये कि एक के हाथ में राइफ़ल है और दूसरा निहत्था, खून में नहाया, निढाल होकर ज़मीन पर गिरा हुआ है. युद्ध का धर्म कहता है, दुश्मन को मारे बिना युद्ध नहीं जीते जाते. लेकिन ब्रिटिश फ़ौज की वर्दी में खड़े शख़्स का दिल पता नहीं क्यों पसीज उठता है. और वो हैंडलबार मूंछों वाले जर्मन सैनिक की जान बख़्शते हुए आगे बढ़ जाता है. युद्ध ख़त्म होता है. ज़िंदगी आगे बढ़ जाती है. कुछ दशकों बाद अचानक एक रोज़ ब्रिटिश फ़ौजी के सामने एक पेंटिंग आती है. पेंटिंग में वो खुद था, और साथ में उस जर्मन सैनिक की तस्वीर भी थी. तस्वीर देखकर उसे अहसास होता है कि जिसे वो अपनी ज़िंदगी का सबसे नेक पल समझ रहा था, वो एक पल 60 लाख मासूमों की मौत की वजह बन गया था. दुनिया के एक कोने में कहीं एक तितली पंख फड़फड़ाती है और दूसरे कोने में तूफ़ान आ जाता है. इसे बटर फ़्लाई इफ़ेक्ट कहते हैं. ब्रिटिश फ़ौजी को उस रोज़ पहली बार बटर फ़्लाई इफ़ेक्ट का मतलब समझ आ रहा था. क्योंकि जिस शख़्स की जान उसके बचाई थी, उसका नाम था, अडोल्फ़ हिटलर. देखें वीडियो.