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तारीख: पहले वैम्पायर के साथ क्या हुआ?

ये कहानी है - एक नॉवेल की. सन 1897 में ब्रॉम स्ट्रोकर ने अपने इस कहानी से ड्रैकुला को अमर कर दिया. ड्रैकुला यानी वैम्पायर प्रजाति का एक जीव जो खून पीता है. हॉलीवुड फिल्मों के चलते हम सब वैम्पायर के मिथक से परिचित है. हालांकि ये महज मिथक नहीं है. इस मिथक के पीछे है कुछ असली और डरावनी कहानियां.

एक विशालकाय हवेली. काले कोट वाला एक वकील हवेली में घुसता है. हवेली का मालिक बूढ़ा है. उसकी स्किन इस कदर सफ़ेद है मानो उसमें से खून की आख़िरी बूंद भी निचोड़ ली गई हो. बूढ़े को लन्दन में एक घर खरीदना है. वो वकील से कहता है, कुछ दिन यहीं रुक जाओ, काम पूरा होने के बाद जाना. वकील तैयार हो जाता है. एक के बाद दूसरी और फिर तीसरी रात गुजरती है. हर रात के बाद वकील जब सुबह उठता है, तो पाता है कि उसके शरीर का रंग कुछ सुर्ख़ होता जा रहा है. वहीं हवेली के बूढ़े मालिक की आंखों में चमक लौटने लगी है. उसकी त्वचा जवान होती जा रही है. एक महीने बाद वकील पाता है कि वो एक अस्पताल में है. उसके शरीर से लगभग पूरा खून निकाला जा चुका था. जिसने ये किया था , उसका नाम था - काउंट ड्रैक्युला. लेकिन इस ड्रैक्यूला के साथ हुआ क्या?