मिश्र में पिरामिड में वैज्ञानिकों ने ममी ढूंढ निकाली. हजारों साल पुरानी लाशें, जिन्हें इस तरह चुपड़ कर दफनाया गया कि सही सलामत मिलीं. हालांकि सिर्फ हड्डियां मिली, बाकी शरीर गल गया था. लाजमी भी है. हजारों सालों तक इंसानी शरीर कैसे बचा रह सकता है? अब ऊपर दिख रही तस्वीर पर नजर डालिए. एक चेहरा, पुरसुकूं नींद में सोया हुआ. गौर से देखेंगे तो हल्की-हल्की दाढ़ी के बाल दिखेंगे. थोड़े से बाल टोपी के नीचे, कान के बगल में भी है. ये भी एक ममी है. लेकिन अभी तो हमने कहा कि ममी का शरीर गल जाता है. फिर इस शख्स का चेहरा कैसे सलामत है? दाढ़ी और सर पर बाल? ये टॉलेंड मैन है. असली नाम तो हम भी नहीं जानते लेकिन इतना बता सकते हैं कि 2400 साल इस आदमी ने खाया क्या था.
कौन है टॉलेंड मैन?
2400 साल तक इस शख्स की लाश कैसे सही सलामत बनी रही?
और इससे हमें आदम युग के आदमी के बारे में क्या पता चला. चलिए जानते हैं.
2400 साल पुरानी लाश का एक्स-रे किया तो क्या दिखा?
कैसे 2400 सालों तक सही सलामत बची रही एक लाश?
शुरुआत करते हैं साल 2016 से. बर्ती ब्रोंसन - नाम से समझ आता है, एक विदेशी महिला हैं. जब बच्ची थीं, पिता घर में जहां भी विचरते, एक शीशे का जार हाथ में लिए रहते. जार में था एक नीला लिक्विड, जिसमें डूबी थी एक कटी हुई टांग. बर्टी के पिता कभी-कभी तो खाने की मेज़ पर भी ये जार अपने साथ लिए रहते. पिता मर गए तो उनकी चीजें बर्ती ब्रोंसन को मिली. इनमें वो जार भी था. टांग वाला. साल 2016 में बर्ती ने एक खबर सुनी. एक म्यूजियम ढूंढ रहा रहा ये टांग. तब पता चला. ये ऐसी वैसी टांग नहीं थी. जिस शरीर का ये हिस्सा थी, वो 2400 साल पहले जमींदोज़ हुआ था.
कहां हो रहा था ये सब? उस देश में जहां कि वो वाली ख़बरें सुनी होंगे आपने, कि जेल भी एकदम सर्व सुविधा युक्त होती है. देश का नाम- डेनमार्क. साल 1950 की बात है. 8 मई की तारीख. डेनमार्क के सिल्कबॉर्ग नामक शहर की पुलिस के पास एक फोन आया. दो भाइयों ने बताया कि उन्हें शहर के पास दलदल में एक लाश मिली है. कुछ रोज़ पहले शहर से एक लड़का गायब हो गया था. और दोनों भाइयों को लग रहा था, ये शायद उसी की लाश है. पुलिस आई तो उन्होंने बताया कि खुदाई करते हुए करीब ढाई मीटर की गहराई से उन्हें ये लाश मिली है. लाश तो थी लेकिन आम लाशों जैसी नहीं थी, इसलिए पुलिस ने तुरंत सिल्कबोर्ग के पुरात्तव म्यूजियम को खबर की.
अधिकारी आए और जल्द की उन्हें समझ आ गया ये एक बहुत पुरानी लाश है. ऐसी बॉडीज पहले भी डेनमार्क में पाई गई थी, लेकिन ये पहली बार हो रहा था कि एक ऐसा शरीर मिला हो, जो बिलकुल सही सलामत हालत में हो. बॉडी को लैब में ले जाकर परिक्षण किया गया तो पता चला ये लाश 2400 साल पहले दफनाई गई थी. उसका चेहरा एकदम सही सलामत था. बल्कि चेहरे और सर पर बाल थे. एक्स से पता चला कि उसका दिमाग, पेट-गुर्दे जैसे अंग भी सही सलामत थे.
2400 साल पुरानी लाश सही सलामत कैसे?दरअसल जिस दलदल में ये लाश मिली थी, वो नरम कोयले का एक दलदल था. अंग्रेज़ी में इसे पीट बॉग कहा जाता है. पीट का हिंदी में अर्थ होता है नरम कोयला. ये कोयला हजारों सालों की प्रक्रिया में सड़ी गली पत्तियों से बनता है और ईंधन के काम आता है. वहीं बॉग का मतलब होता है दलदल. पीट बॉग्स जहां होते हैं, वहां एक खास प्रकार की मॉस उगती है. इस मॉस से एक एसिड निकलता है, जिसे बॉग एसिड कहा जाता है.
इस एसिड के चलते दलदल में मौजूद सभी बैक्टेरिया ख़त्म हो जाते हैं. वहीं दलदल के अंदर ऑक्सीजन का लेवल भी लगभग शून्य हो जाता है. इसी के चलते इन दलदलों में दबी लाशें हजारों सालों में भी गलती, सड़ती नहीं. और ऐसा ही उस रोज़ मिली लाश के साथ भी हुआ था. इस लाश को म्यूजियम वालों ने नाम दिया, टॉलेंड मैन. टॉलेंड पास के एक गांव का नाम था.
पहले वो चीजें जानिये जो साफ़ साफ़ दिख रही थीं. लाश एक ऐसे शख्स की थी जिसकी हाइट लगभग साढ़े 5 फ़ीट के लगभग थी. उसके सर बंधी थी और पेट के पास एक बेल्ट. इससे पता चला कि टॉलेंड मैन को कपड़ों के साथ दफनाया गया था, जो या तो बह गए या नष्ट हो गए. टॉलेंड साहब की मौत कैसे हुई? उनके गले में एक रस्सी थी. जिसका मतलब था या उनकी हत्या हुई, या सजा स्वरूप फांसी लगी. जिस समय की ये लाश थी , वो लौह युग था. रोमन साम्राज्य के जन्म से भी पहले.
यूरोप के उस दौर के इतिहास का कोई लेखा जोखा वैज्ञानिकों के पास नहीं था. फिर वैज्ञानिकों ने उसे दफनाए जाने के तरीके से एक और बात पता लगाई. टॉलेंड मैन को बिलकुल सहेज कर, अच्छे से दफनाया गया था. इस तरह मानों कोई सो रहा हो. इससे अर्थ लगाया गया कि ये कोई मुजरिम या ऐसा व्यक्ति नहीं था जिससे लोग नफरत करते थे. इससे वैज्ञानिक इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि ये मानव बलि की घटना रही होगी.
अब मुख्य बात जिसका जिक्र हमने शुरू में किया था. हमारे इंसानी पूर्वज खाते क्या था, इसके बारे में पुरातत्वविदों, वैज्ञानिकों ने अलग-अलग और सिर्फ अनुमान दिए हैं. लेकिन टॉलेंड मैन की शक्ल में वैज्ञानिकों के पास 2400 साल पुराना साक्षात पेट था. उन्होंने पेट की जांच की. तो पता चला कि उसने मरने से पहले हलवा खाया था. चीनी वाला हलवा नहीं. एक दलिया टाइप चीज जो जौं, पटसन के बीजों, एक प्रकार की घास और कुल 13 अनाजों को मिलाकर बनाया गया था.
टॉलेंड मैन म्यूजियम मेंवैज्ञानिकों ने कुछ और बातें भी पता लगाई. मसलन मौत के उम्र टॉलेंड मैन की उम्र 35 से 40 वर्ष की बीच थी. उसके बालों के परीक्षण से पता चला कि मौत से पिछले 6 महीनों में वो 30 किलोमीटर चला था. ये सारी खोजें हालिया समय में हुई है क्योंकि जब टॉलेंड मैन को खोजा गया था, तब परिक्षण की इतनी उन्नत तकनीकें नहीं थी. वैज्ञानिकों के पास टॉलेंड मैन के शरीर को सहेज कर रखने के उन्नत तरीके भी नहीं थे. इसलिए उन्होंने सिर्फ उसका सिर अलग कर उसे प्रिजर्व किया. बाकी शरीर के टुकड़े कर अलग-अलग लैब्स में परीक्षण के लिए भेज दिए गए.
2015 के आसपास वैज्ञानिकों ने तय किया कि वो टॉलेंड मैन के पूरे शरीर को दोबारा जोड़ने की कोशिश करेंगे. उन्होंने तमाम जगहों से उसके अंग मंगवाए और तब उसकी वो टांग भी मिली जिसके बारे में एकदम शुरू में हमने आपको बताया था. हालांकि उसके कई सारे अंग नहीं मिल पाए. टॉलेंड मैन के शरीर को डेनमार्क के सिल्कबोर्ग म्यूजियम में रखा गया है. लेकिन सिर्फ उसका सर असली है. बाकी शरीर नकली है. 2023 तक डेनमार्क, आयरलैंड के इलाकों में 1000 से ज्यादा ऐसी बॉडीज़ मिल चुकी हैं. जिनके जरिए हमें आदिम युग के मानव के बारे में बहुत कुछ पता चला है, और जैसे-जैसे नई तकनीकें विकसित हो रही हैं, और पता लगने की उम्मीद है..
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