एक किस्सा से शुरुआत करते हैं. मशहूर जादूगर पीसी सरकार(P.C. Sorcar) कई महीनों तक श्री सत्य साईं बाबा(Sathya Sai Baba) से मिलने की फिराक में थे. उन्होंने मीटिंग के लिए कई अर्जियां दीं. लेकिन सभी अर्जियां रिजेक्ट हो गईं. तब पी सी सरकार ने एक तरकीब निकाली. उन्होंने खुद को बंगाल के एक बड़े व्यापारी का बेटा बताया और बाबा से मिलने पहुंच गए. बाबा ने अंदर बुलाया. मुलाक़ात के बाद पीसी सरकार ने बाबा से आशीर्वाद मांगा. बाबा एक कमरे में गए. और दो मिनट बाद लौटे. इसके बाद उन्होंने अपना हाथ हवा में घुमाया और सन्देश मिठाई का एक टुकड़ा पीसी सरकार के हाथ में थमा दिया. पीसी सरकार बोले, ‘बाबा मुझे संदेश नहीं, रसगुल्ला पसंद है.’ इसके बाद पीसी सरकार ने बिलकुल बाबा की माफिक हाथ हवा में घुमाया और सन्देश को रसगुल्ले में बदल दिया. इस बात से सत्य साईं इतने नाराज़ हुए कि पीसी सरकार को आश्रम से बाहर निकाल दिया गया. श्री सत्य साईं बाबा से जुड़ी ये कहानी अब किंवदंतियों का हिस्सा है. लेकिन इसके बरअक्स ऐसी भी हजारों कहानियां हैं, जिनमें बाबा के भक्त बताते हैं कि कैसे बाबा के चमत्कार से उनकी बीमारियां ठीक हो गई. तो क्या है रत्नाकरम सत्यनारायण राजू, उर्फ़ सत्य साईं बाबा की असली कहानी?
जब सत्य साईं बाबा का सामना हुआ ‘असली’ जादूगर से!
सत्यनारायण राजू, उर्फ़ सत्य साईं बाबा, जिनके चमत्कार दुनिया भर में मशहूर थे. खुद को शिरडी के साईं बाबा का दूसरा अवतार बताने वाले सत्य साईं का सामना एक बार जादूगर पी सी सरकार से हुआ.
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शिरडी के साईं बाबा का दूसरा अवतारसत्य साईं बाबा की पैदाइश 23 नवंबर, 1926 को पुट्टपर्ति नाम के एक गांव में हुई थी, जो तब मद्रास प्रेसिडेंसी के अंदर आता था. सत्यनारायण राजू, सत्य साईं बाबा कैसे बने, इसको लेकर उनके भक्त एक कहानी बताते हैं. 8 मार्च, 1940 की तारीख थी जब सत्यनारायण राजू को अपने अवतार होने का अहसास हुआ. हुआ यूं कि जब उनकी उम्र 14 साल थी, उन्हें एक बिच्छू ने डंक मार लिया था, जिसके बाद वो कई घंटों बेहोश रहे. जब होश में आए, तो उनके व्यक्तित्व में आमूलचूल परिवर्तन आ चुका था. दावा किया जाता है कि इसके बाद उन्होंने अचानक संस्कृत में बोलना शुरू कर दिया था, जो कि इससे पहले न उन्होंने सुनी थी, न पढ़ी. इसके बाद उन्हें घर ले जाया गया, जहां 23 मई 1940 को उन्होंने अपने परिवार वालों को अपने सामने बुलाया और हवा में से मिठाई और फूल निकाल कर दिखाए. ये देखकर उनके पिता को काफी गुस्सा आया. ये सोचकर कि उन पर किसी भूतप्रेत का साया है, उन्होंने एक छड़ी दिखाई और सत्य साईं से असलियत बताने को कहा. तब सत्य साईं ने घोषणा की कि वो शिरडी के साईं बाबा(Sai Baba) का दूसरा अवतार हैं. तब से उन्हें सत्य साईं बाबा के नाम से जाना जाने लगा.
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धीरे-धीरे उनके भक्तों की तादाद बढ़ने लगी. हर गुरूवार उनके घर में भजन की शुरुआत हुई, जो बाद में रोजाना होने लगा. साल 1944 में सत्य साईं के एक भक्त ने उनके गांव के नजदीक ही उनके लिए एक मंदिर बनाया, जिसे अब पुराने मंदिर के नाम से जाना जाता है. 1948 में पुट्टपर्ति में एक और आश्रम का निर्माण हुआ, जिसे प्रशाति निलयम का नाम दिया गया. और तब से यही बाबा का मुख्य आवास बन गया. इसके बाद बाबा ने पूरे भारत की यात्राएं शुरू की, जिससे उनके भक्तों की संख्या में और इजाफा हुआ. कई नामी गिरामी लोग भी इनमें शामिल थे. भक्त बताते हैं कि बाबा की प्रसिद्धि की एक वजह ये थी कि उन्होंने कभी किसी को अपना धर्म छोड़ने के लिए नहीं कहा. इसलिए उनके भक्तों में सभी धर्मों के लोग थे. हालांकि सच ये भी है कि साईं बाबा के पास आने वाले लोगों में से अधिकतर उनके दिखाए चमत्कारों से प्रभावित होकर आते थे. सत्य साईं अपने प्रवचनों के दौरान हवा में हाथ घुमाकर भभूत निकाल देते थे. और कई बार महंगी घड़ियां भीं. इन चमत्कारों के चलते बाबा का नाम खूब फेमस हुआ. लेकिन उनके साथ कई कंट्रोवर्सी भी जुड़ी.
चमत्कार या हाथ की सफाईसाल 2000 में इंडिया टुडे ने सत्य साईं पर एक कवर स्टोरी की. इस स्टोरी में जादूगर पीसी सरकार ने दिखाया कि सत्य साईं के चमत्कार बस मामूली जादूगिरी हैं. उन्होंने दिखाया कि हवा से भभूत निकलने जैसा कुछ नहीं होता था. असल में बाबा के हाथ में एक छोटी नर्म चौक का टुकड़ा होता था. जिसे मसलकर भभूत बना दी जाती थी. इसके अलावा हवा से घड़ियां निकालना भी बस हाथ की सफाई का खेल था. इंटरनेट का युग आने के बाद कई लोगों ने बाबा के वीडियोज़ की पड़ताल कर दिखाया कि तमाम चमत्कार कोई आम जादूगर भी कर सकता है. ऐसा ही एक वीडियो दूरदर्शन पर प्रसारित हुआ था. वीडियों में सत्य साईं एक आदमी को एक अवार्ड दे रहे थे. इसके बाद उन्होंने हवा में से माला निकाली और अवार्ड जीतने वाले के गले में पहना थी. लेकिन जब इस क्लिप को गौर से देखा गया तो पता चला कि एक आदमी, जिसने बाबा के हाथ में अवार्ड देने के लिए थमाया था, उसी ने उन्हें चुपके से माला भी थमा दी थी.
सत्य साईं के चमत्कारों से पर्दा उठाने वाले पहले कुछ लोगों में एक का नाम था, बासव प्रेमानंद(Basava Premanand). प्रेमानंद ने 1975 में पहली बार बाबा को चुनौती देना शुरू किया. उन्होंने 'फ़ेडरेशन ऑफ़ रैशनलिस्ट एसोसिएशन' का गठन किया और इसके माध्यम से अन्धविश्वास के खिलाफ मुहीम शुरू की. उन्होंने दावा किया कि कथित आध्यात्मिक गुरु सत्य साईंबाबा दरअसल एक 'धूर्त' हैं और उनका भंडाफोड़ होना चाहिए. साल 1993 में प्रेमानंद ने एक किताब लिखी, मर्डर इन साई बाबा’s बेडरूम. किताब में एक घटना का जिक्र था, जो जून 1993 में घटी थी. उस रोज़ बाबा के चार भक्त उनके कमरे में देर रात चाकू लेकर घुस आए थे. बाबा के निजी सहायकों ने उन्हें रोकने की कोशिश की. इस लड़ाई में बाबा के दो सहायक मारे गए. और दो को गहरी चोट आई. सत्य साईं बच निकलने में कामयाब रहे. हमलावरों से निपटने के लिए पुलिस बुलाई गई, जिसके बाद पुलिसिया कार्रवाई में चारों हमलावर मारे गए. और मामला वहीं निपटा दिया गया.
बासव प्रेमानंद इस मामले को अदालत में ले गए. और दावा किया कि सरकार के दबाव में इस मामले की तहकीकात रोक दी गई. वरना बाबा के कई गंभीर रहस्य दुनिया के सामने आ जाते. सत्य साईं हवा से सोने की अंगूठी और चेन निकाला करते थे. इस मामले पर प्रेमानंद ने उन पर अदालत में गोल्ड कंट्रोल एक्ट के तहत मुकदमा किया. और अदालत में दलील दी कि साईं बाबा द्वारा पैदा किया सोना अवैध की श्रेणी में आता है. हालांकि इन दोनों मामलों को अदालत के द्वारा निरस्त कर दिया गया. प्रेमानंद के अलावा ऐसे और भी कई लोग हैं जिन्होंने सत्य साईं पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
यौन उत्पीड़न के लगे आरोपसाल 1976 में एक अमेरिकी नागरिक ट्रॉल बुक ने एक किताब में दावा किया कि बाबा ने उनका यौन शोषण किया था. हालांकि सत्यसाई बाबा के संगठन ने इसका खंडन किया. साल 2000 में एक ऑस्ट्रियाई बैंकर डि क्रेकर ने ‘द सन्डे एज’ नामक अखबार को बताया,
"मैंने भारतीय परम्पराओं के हिसाब से ही उनके पैर छुए. उन्होंने मेरा सिर पकड़ लिया और अपनी जांघों के बीच ले गए. उन्होंने कराहने की आवाज निकाली. वही आवाज़ जिसने मेरे शक को यकीन में बदल दिया. उनकी पकड़ जैसे ही ढीली हुई, मैंने अपना सिर उठाया. बाबा ने अपने कपड़े उठाकर मुझे अपना प्राइवेट पार्ट दिखाया. और कहा कि मेरी क़िस्मत अच्छी है. उन्होंने अपना कूल्हा मेरे मुंह से सटा दिया. तब मैंने तय किया कि मुझे इनके खिलाफ़ बोलना है.”
स्वीडन में रहने वाले कोनी लारसन ने टेलिग्राफ से बात करते हुए बताया कि एक निजी मुलाक़ात के दौरान बाबा ने उनका यौन उत्पीड़न किया था. ऐसी कहानियां सिर्फ एक-दो तक सीमित नहीं हैं.
साल 2004 में बीबीसी ने 'सीक्रेट स्वामी' के नाम से एक डॉक्यूमेंटरी फ़िल्म रिलीज़ की. इस फिल्म में अलाया राम और मार्क रोश नाम के दो व्यक्तियों ने सत्य साईं पर यौन शोषण का इल्जाम लगाया था. फिल्म में दोनों बताते हैं कि सत्यसाईं बाबा ने अपने हाथों से उनके प्राइवेट पार्ट्स पर तेल लगाया. सत्य साईं के भक्त कहते हैं कि बाबा के ऊपर इल्जाम लगाने वाले विदेशी लोग थे. और ऐसा साजिशन बाबा को बदनाम करने के लिए किया गया था. खुद सत्य साईं ने भी इन इल्जामों पर कहा था कि जीजस को भी उनके एक शिष्य ने धोखा दे दिया था. इस पर सत्य साईं के खिलाफ लम्बी मुहीम चलाने वाले बासव प्रेमानंद का कहना था कि बाबा के शोषण का शिकार होने वाले भारतीय भी थे लेकिन वो सामने आने से डरते थे.
कई जानी-मानी हस्तियां थी भक्तों में शामिलसत्य साईं बाबा पर इन तमाम इल्जामों के बावजूद उनकी प्रसिद्धि में कोई कमी नहीं आई. जीते जी, कई पूर्व प्रधानमंत्री, जज, सेना के जनरल, दक्षिण भारत के पुत्तपार्थी स्थित आश्रम में सत्य साईं से 'आशीर्वाद' लेने जाते रहे. ऐश्वर्या राय. सचिन तेंदुलकर. सुनील गावस्कर, अर्जुन रणतुंगा, सनथ जयसूर्या, निर्मल चन्द्र सूरी, गुंडप्पा विश्वनाथ जैसी हस्तियां भी इन लोगों में शामिल थीं. इतना ही नहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी ने तो एक बार लेटरहैड पर लिखकर दे दिया था कि साईबाबा पर लगाए जा रहे आरोप "ग़ैर ज़िम्मेदाराना और मनगढ़ंत" थे. श्री सत्य साईं बाबा की जिंदगी का एक दूसरा पक्ष भी था, जिसके चलते तमाम लोग उनकी सरहाना भी करते हैं. साल 1971 में सत्य साईं ने एक ट्रस्ट की स्थापना की. और ट्रस्ट के माध्यम से गरीबों के लिए मुफ्त के चिकित्सालय और शिक्षा केंद्र बनाए. 1995 में उन्होंने पीने के पानी की आपूर्ति के लिए एक परियोजना शुरू की. और पूर्वी और पश्चिमी गोदावरी जिलों में पानी पहुंचाया. इसके अलावा उन्होंने पुट्टापर्ति और बंगलौर में बड़े अस्पताल भी बनाए. साल 1991 में पुट्टापर्ति में 150 एकड़ भूमि पर सत्य साईं ट्रस्ट ने एक हवाई अड्डे का निर्माण किया था.
सत्य साईं के आलोचक कहते हैं कि उन्होंने तमाम परोपकार के काम किए, लेकिन ये सब काम उस पैसे से हुआ था, जो लोगों को मूर्ख बनाकर हासिल किया गया था. सत्य साईं ने दो भविष्यवाणी भी की थीं. पहली कि वो 94 साल तक जिन्दा रहेंगे. लेकिन 24 अप्रैल, 2011 को 84 साल में उनका निधन हो गया. उनके भक्तों का कहना है कि सत्य साईं ने सूर्य वर्षों के बजाय तेलुगू भाषी हिंदुओं द्वारा गिनने वाले कई चंद्र वर्षों का जिक्र किया था. जिसमें गणना 84 साल ही आती है. उनकी दूसरी भविष्यवाणी ये थी कि अपनी मृत्यु के बाद वो कर्नाटक में प्रेम साईं बाबा के रूप में दोबारा जन्म लेंगे.
सत्य साईं की जिंदगी पर दो तरह के मत रखे जाते हैं. कुछ लोग हैं जो उनके चमत्कारों को अभी भी सत्य मानते हैं. वहीं कुछ ऐसे हैं जो चमत्कारों पर सफाई देते हुए कहते हैं कि ये सिर्फ उनका लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने का तरीका था. चमत्कारों की असलियत क्या है, इस सवाल का जवाब जानने के लिए स्वामी विवेकानंद से प्रामणिक व्यक्ति शायद ही कोई होगा। तो चलिए आपको बताते हैं कि स्वामी जी के इस पर क्या विचार थे. स्वामी विवेकानंद जब अमेरिका में थे, तो एक रोज़ किसी पत्रकार ने उनसे पूछा, क्या आप कोई चमत्कार दिखा सकते हैं. स्वामी विवेकानंद ने जवाब दिया,
“मैं कोई चमत्कार करने वाला नहीं हूँ. कुछ घटनाएं हमारी इंद्रियों को चकरा देती हैं लेकिन वे भी प्राकृतिक नियमों के अनुसार घटित होती हैं. लेकिन मन वशीभूत होकर उन्हें सच मान बैठता है. इसका धर्म से कुछ लेना देना नहीं है. भारत में की जाने वाली अजीब चीजें, जिन्हें फॉरेन मीडिया रिपोर्ट करता है. महज हाथ की सफाई और सम्मोहन है. बुद्धिमान पुरुष कभी भी इस तरह की मूर्खता में शामिल नहीं होते”.
स्वामी जी तो कह गए, लेकिन चमत्कार फिर चमत्कार है. प्रकृति के नियमों खिलाफ कोई कुछ करके दिखा दे तो वो भगवान हो जाता है. हालांकि कोई पूछता नहीं कि अगर नियम बनाए हैं, तो कोई ईश्वर उन्हें खुद क्यों तोड़ेगा. बहरहाल इसका भी जवाब मौजूद है. ईश्वर है, वो कुछ भी कर सकता है. तमाम धर्मों, संप्रदायों और देशों में ऐसे तमाम लोग हुए हैं, जिन्होंने दावा किया कि वो चमत्कार कर सकते हैं. आज से 70 -80 साल पहले ऐसे दावों को ठुकराना मुश्किल था. लेकिन 21 वीं सदी इंटरनेट की सदी है. हर चीज को जांचा परखा जाता है. इसलिए अब चमत्कार के वीडियोज़ मुश्किल से दिखाई देते हैं.
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