साल 2003, भारत के लिए गर्व की बात थी कि दिल्ली को 19वें राष्ट्रमंडल खेलों (2010 Delhi Commonwealth Games) के आयोजन के लिए चुना गया. पैसा खर्च होना था लेकिन मौका था कि दुनिया को उभरते भारत से रूबरू करवाया जा सके. अगले 7 सालों में खूब तैयारियां हुई. मेट्रो का काम हुआ, ब्रिज, सड़कें, पुलओवर बने. स्टेडियम ट्रैक स्विमिंग पूल तैयार हुए. 3 अक्टूबर 2010 को खेलों की शुरुआत होनी थी. लेकिन उससे पहले ही छीछालेदर हो गई. 23 सितम्बर को BBC ने खेल गांव की कुछ तस्वीरें पब्लिश की. खेलों की शुरुआत को सिर्फ 3 हफ्ते बचे थे और खिलाड़ियों के लिए रहने के क्वाटर अभी भी अधूरे थे.
CWG घोटाला- जब 100 रूपये का टॉयलेट पेपर 4000 में खरीदा गया
2010 कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन खेलों से ज्यादा घोटाले के लिए सुर्ख़ियों में रहा था.
खेलों की शुरुआत से पहले आए डेलिगेशन ने चिंता जताई कि ठहरने की व्यवस्था सही नहीं है. स्कॉटिश डेलिगेशन ने तो बाकायदा एक कमरे की बिस्तर की फोटो ही सबमिट कर डाली. बिस्तर पर कुत्ते ने केक बना रखा था. कुछ और तस्वीरें भी सामने आई, जिनमें बाथरूम में पान की पीकें दिख रही थीं. इस बाबत जब सवाल किया गया तो आयोजन समिति के एक सदस्य ललित भनोट ने सारी शिकायतों को दरकिनार करते हुए कहा,
“ये तो बस संस्कृति का अंतर है. भारत और पश्चिम में सफाई का मतलब अलग-अलग है”.
एक तो आयोजन में कमी ऊपर से अधिकारियों के ऐसे बयानों ने खेलों की शुरुआत से पहले ही भारत की भद्द पीटने शुरू कर दी थी. लेकिन ये सब ग्लेशियर का सिरा भर था. कॉमन वेल्थ गेम्स नाम का ये टाइटैनिक आगे जाकर पूरे ग्लेशियर से टकराने वाला था. खेल शुरू हुए, खूब जोर शोर से. और 13 अक्टूबर 2010 तक चले. भारत ने भी इतिहास का सबसे अच्छा प्रदर्शन किया. लेकिन असली खेल अभी बाकी था. जिसमें खूब माल कूटा गया. जितना सोना खिलाड़ी नहीं जीते, उससे ज्यादा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया. इस घोटाले में कितने ज़ीरो लगे थे, इसकी गिनती से पहले जानते हैं कि इस संड़ांध की बदबू कहां से लीक हुई?
बकिंघम पैलेस से हुई शुरुआत29 अक्टूबर 2009. ब्रिटेन का शाही बकिंघम पैलेस. महारानी एलिज़ाबेथ (Queen Elizabeth) ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल (Pratibha Patil) को बेटन सौंपा. इस पर महारानी एलिज़ाबेथ का सन्देश लिखा हुआ था. इस बेटन को सभी कॉमनवेल्थ देशों की यात्रा कर दिल्ली पहुंचना था. इस क्वीन बेटन रिले कहते हैं. और ये राष्ट्रमंडल खेलों की शुरुआत की एक पुरानी परंपरा है. बहरहाल 2009 में हुए इस समारोह का आयोजन भारत ने करवाया था. सो पैसे भी अपने ही लगे थे.
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ट्रांसपोर्ट वीडियोग्राफी बैरेकेडिंग के लिए जिस फर्म को पैसा गया था, उसका नाम था AM फिल्म्स. कुल रकम करीब 4 करोड़ के आसपास थी. पैसे के इस ट्रांसक्शन पर नजर पड़ी ब्रिटिश हाई कमीशन की. उन्होंने भारत में खबर की. पता चला कि कंपनी के साथ ऐसा कोई कॉन्ट्रैक्ट हुआ ही नहीं है. सबकी निगाह मुड़ी सुरेश कलमाड़ी (Suresh Kalmadi)की तरफ, जो आयोजन समिति के अध्यक्ष थे. कलमाड़ी ने एक ईमेल दिखाते हुए कहा कि AM फिल्म्स का सुझाव उन्हें लन्दन स्थित इंडियन हाई कमीशन ने मिला है. हाई कमीशन ने भंडा फोड़ते हुए कहा कि उन्होंने तो ऐसा कोई सुझाव दिया ही नहीं है. बस यहीं से आयोजन समीति का रोल संदेह के घेरे में आ गया.
इस बीच राष्ट्रमंडल खेलों का वक्त आ गया था. शुरुआत में खेलों के आयोजन का बजट 1600 करोड़ रखा गया था. इसके बाद ये बजट बढ़ते बढ़ते 11 हजार करोड़ हो गया. इसके बाद भी आयोजन समिति 900 करोड़ और मांग रही थी. वो भी तब जब आयोजन में तमाम गड़बड़ियां पाई गयी थी. कई काम आख़िरी समय तक पूरे नहीं हो पाए थे. सेंट्रल विजिलेंस कमीशन ने इस मामले में जुलाई 2010 में अपनी रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि खेलों के दौरान निर्माण कार्यों के लिए दिए गए कॉन्ट्रैक्ट्स में भारी अनियमितताएं हैं. इधर CBI, ED समेत तमाम एजेंसियां जांच में लग गई.
उद्घाटन समारोह में प्रिंसेस डायना!उधर 13 अक्टूबर को समय से खेल शुरू हुए. और बिना ज्यादा लाग लपेट के पूरे भी हो गए. कुछ दिक्कतें आई. मसलन कहीं कमरे से सांप निकला तो कहीं खाने में खराबी बताई गई. अफ्रीकी देशों से आए खिलाड़ियों ने नस्लभेद का आरोप लगाया. खेलों के उद्घाटन समारोह के दौरान सुरेश कलमाड़ी जब स्पीच देने आए तो बोल बैठे कि मैं राजकुमारी डायना का धन्यवाद देता हूं. सामने बैठे प्रिंस चार्ल्स और उनकी पत्नी कमिला इधर उधर देख रहे थे. एक किस्सा तो ये भी है कि खेल गांव की नालियां कंडोम से जाम हो गई थी.
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हुआ यूं कि उस साल राष्ट्रमंडल खेलों में 7 हजार खिलाड़ी भाग लेने आए थे. उनके और सपोर्ट स्टाफ के रहने की व्यवस्था खेल गांव में ही की गयी थी. खेलों की शुरुआत से पहले सभी लोगों को मुफ्त कंडोम बांटे गए. इरादा था इस इवेंट से लोगों में जागरूकता बढ़े. लोगों में जागरूकता कितनी बढ़ी, ये तो पता नहीं लेकिन खिलाड़ियों की जागरूकता में खूब इजाफा हुआ. खेल ख़त्म होने तक पूरे खेलगांव में नालियां चोक होने लगी थीं. जब चेक किया तो पता चला वहां ढेरों कंडोम अटे पड़े थे. कॉमनवेल्थ फेडरेशन के अध्यक्ष माइक फेनेल ने कहा, ये अच्छी बात है, इसका मतलब खिलाड़ी यौन संबंध बनाने में सुरक्षा बरत रहे हैं.
इन खेलों में भारत ने इतिहास में सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए पदक तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया. भारत ने 38 स्वर्ण सहित कुल 101 पदक जीते थे. देश में जश्न का माहौल था. लेकिन पीछे जांच एजंसियां खेलों के खत्म होने का इंतज़ार कर रही थीं. ताकि इन खेलों में हुए गड़बड़ियों की जांच हो सके. 25 अक्टूबर को केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने पूर्व ऑडिटर जनरल की अध्यक्षता में एक कमिटी बनाकर जांच के आदेश दे दिए.
100 रूपये का टॉयलेट पेपर ४००० में खरीदा!दूसरी तरफ CVC, ED और CBI अपनी जांच में लगे रहे. इस मामले में अप्रैल 2011 में CBI ने अपनी पहली चार्जशीट दाखिल की. जिसमें सुरेश कलमाड़ी सहित 4 अन्य लोगों को मुख्य अभियुक्त बनाया गया था. इन लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, पैसे के गबन और जालसाजी के आरोप लगे. कलमाड़ी पर आरोप था कि उन्होंने 40 करोड़ की लगत के एक टाइम-स्कोरिंग-रिजल्ट (TRS System) यानी रेस के दौरान दिखने वाला वो बड़ा सा बोर्ड जिसमें रेस का टाइम लिखा होता है, उसे 140 करोड़ की कीमत देकर खरीदा था.
इसके अलावा ऑडिट में पाया गया कि खेलों के आयोजन के दौरान सही टेंडर प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था. सभी चीजें लगभग दोगुने दाम पर खरीदी गई थीं. मसलन टॉयलेट पेपर का रोल जो 100 -200 में आता उसे 3 -4 हजार प्रति रोल पर खरीदा गया. 300 रूपये के सोप डिस्पेन्सर को हजारों में, और लाखों की प्रैक्टिस मशीनों को करोड़ों में खरीदा गया. इसके अलावा बड़े बड़े कंस्ट्रक्शन पोजेक्ट्स का तो कहना ही क्या. उस दौरान टीवी चैनल्स पर नित नए खुलासे हो रहे थे. कभी कहा जा रहा था कि लाखों का गुब्बारा खरीदा गया तो कभी करोड़ों की लाइट लगाने की बात सामने आ रही थी.
प्रजा मन्त्र मुग्ध होकर प्रजातंत्र की इस चकाचौंध को निहार रही थी. CAG ने संसद की पब्लिक एक्शन कमिटी के आगे 700 पन्नो की रिपोर्ट सौंपी. जिसमें कहा गया था कि दिल्ली की शीला दीक्षित (Sheela Dixit) सरकार ने समय से निर्णय नहीं लिए और एक कृत्रिम अर्जेंसी पैदा की. कलमाड़ी को अगले 9 महीने तिहाड़ में गुजारने पड़े.
CWG घोटाले में आगे क्या हुआ?70 हजार करोड़ का घोटाला (CWG Scam) जो रोज़ अखबारों की सुर्खियां बना रहा था, इसमें कितनों को जेल हुई. कितने पैसे की उगाही हुई? यहां इस चलचित्र का क्लाइमेक्स आ चुका था. वो भी बिलकुल एंटी क्लामेटिक. 2013 में दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद एक बार दुबारा जांच की बात कही गई थी, लेकिन उसमें भी आगे क्या हुआ, किसी को मालूम नहीं. कॉमन वेल्थ घोटाले के एक साल आते-आते नई पिक्चर रिलीज हो चुकी थी. लाखों करोड़ों के 2G घोटाले के आगे कॉमन वेल्थ गेम्स घोटाला (CWG Scam)कहीं नेपथ्य में चला गया.
इस घोटाले से जुड़े कई केस साल 2022 तक कोर्ट में हैं. साल 2020 में इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले में एक RTI याचिका डाली थी. जिससे पता चला कि लगभग 50 से आसपास मामले अभी भी लंबित हैं. कलमाड़ी पब्लिक में आख़िरी बार अगस्त 2022 में देखे गए थे. पुणे महानगर पालिका के दफ्तर में. इस दौरान एक सवाल के जवाब में एक पत्रकार से बोले, बड़े दिनों बाद आया हूं. अब आता रहूंगा. बिलकुल घोटालों के माफिक, जो आते हैं जाते हैं. जिंदगी है, पहिया घूमता रहता है.
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