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नितीश कटारा हत्याकांड की पूरी कहानी!

17 फरवरी साल 2002 के दिन की दिल्ली में नीतीश कटारा की हत्या हुई. नीतीश का बाहुबली नेता डीपी यादव की बेटी भारती यादव के साथ प्रेम संबंध था. भारती के भाई विकास यादव ने अपने चचेरे भाई विशाल यादव और सुखदेव पहलवान के साथ मिलकर नीतीश की हत्या की थी.

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साल २००२ में उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव की बेटी भारती यादव से प्रेम संबंध होने की वजह से नितीश कटारा की एक शादी समारोह से अपहरण कर हत्या कर दी गयी थी. (तस्वीर-Indiablooms/Indiatoday)

90 के दशक का एक पुराना फ़िल्मी फार्मूला है. एक लड़की और लड़का. आपस में प्यार. लड़की बड़े रसूख वाले पिता की बेटी. पिता जो इस रिश्ते से हरगिज़ खुश नहीं. जो लड़के को पहले ब्लैंक चेक देता है और फिर धमकी. लड़का अपने प्यार के लिए गुंडों से मार खाता है. दसियों दिक्कतें सहता है. लेकिन अंत में अपना प्यार हासिल करके दम लेता है. लेकिन जिंदगी फिल्म नहीं इसलिए यहां कहानी अक्सर पलट जाती है. असल में जो होता है, उसके लिए अंग्रेज़ी वालों ने एक शब्द इज़ाद किया हुआ है.- हॉनर किलिंग. मने इज्जत के लिए की जाने वाली हत्या. आज कहानी हॉनर किलिंग के हाई प्रोफइल केस की. एक केस जिसका संबंध उत्तरप्रदेश के एक बाहुबली परिवार से था. हम बात कर रहे हैं साल 2002 में हुए नितीश कटारा हत्याकांड की.(Nitish Katara murder case).

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दूध बेचने वाला कैसे बना बाहुबली? 

शुरुआत करते हैं 70 के दशक से. नोएडा में सेक्टर 18 के पास एक गांव है. शरफाबाद. यहां रहने वाले धर्मपाल यादव डेरी चलाते थे. साइकिल से दूध ले जाकर दिल्ली में बेचा करते. फिर एक रोज़ धर्मपाल के मुलाक़ात बाबू किशन लाल से हुई. किशन लाल, शराब का धंधा किया करता था. देखादेखी, धर्मपाल भी इस धंधे में शरीक हो गए. शराब का धंधा. खूब फला फूला. देखते ही देखते कुछ ही सालों में धर्मपाल यादव, डीपी यादव (DP Yadav) के नाम से जाना जाने लगे. जल्द ही डीपी की पॉलिटिक्स में भी एंट्री हो गई.

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DP Yadav
भारती के पिता धर्मपाल यादव (तस्वीर-Indiatoday)

दादरी से विधायक, महेंद्र सिंह भाटी DP को राजनीति में लेकर आए लाये. पहले ब्लॉक प्रमुख बने और फिर विधायक. DP को मुलायम सिंह का साथ मिला. कहा जाता है कि पार्टी बनाने के बाद मुलायम सिंह यादव को धनी लोगों की जरूरत थी. डीपी को मंच चाहिए था और मुलायम को पैसा. तो दोनों का आसानी से मिलन हो गया. मुलायम सिंह यादव ने डीपी को बुलंदशहर से टिकट दिया. और DP आराम से जीत गये. यहां से UP की राजनीती में DP का कद लगातार बढ़ता गया. एक वक्त पर वो UP के सबसे धनी नेताओं में गिने जाने लगे थे. लेकिन इसके साथ ही DP के नाम एक आगे एक और टैग लगा- बाहुबली.

इन सालों में डी पी पर नौ हत्या, तीन अटेंम्प्ट टू मर्डर, दो डकैती, अपहरण औऱ फिरौती के मामले दर्ज हुए. टाडा और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई भी हुई. इसके बावजूद DP यादव का रसूख कम न हुआ. 1998 में DP स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राज्यसभा पहुंचने में कामयाब रहे. फिर साल 2002 में DP के परिवार का नाम एक ऐसे केस में आया, जो DP की जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया. 

बाहुबली की बेटी से प्यार 

हुआ यूं कि DP यादव की एक बेटी, भारती यादव गाज़ियाबाद के एक मैनेजमेंज इंस्टीट्यूट से पढ़ाई कर रही थीं. इसी इंस्टीट्यूट में पढ़ाई करते हुए भारती की मुलाक़ात नितीश कटारा से हुई. दोनों में प्यार हो गया.

नितीश के पिता रेलवे के अधिकारी हुआ करते थे. पढाई के बाद नितीश ने नौकरी ज्वाइन कर ली थी. वहीं भारती को नौकरी करने की इजाजत नहीं थी. कॉलेज के निकलने के बाद भी दोनों संपर्क में रहे. दोनों आपस में कार्ड और चिट्ठियां भेजा करते थे. ये बात यादव परिवार को हरगिज़ मंजूर नहीं थी. DP यादव के बड़े बेटे विकास यादव ने इस मामले में कई बार नितीश को धमकाया कि वो भारती से दूर रहे. इसके बावजूद नितीश और भारती आपस में बात करते रहे.

Bharti & Nitish
भारती और नितीश के रिश्ते से भारती के घर वाले नाखुश थे (तस्वीर-bhaskar.com)

फिर आई 17 फरवरी 2002 की तारीख. क्या हुआ था इस रोज़? गाज़ियाबाद में एक शादी का प्रोग्राम था. इस प्रोग्राम में DP यादव का पूरा परिवार, विकास, भारती, उसकी बहन मिताली, सब पहुंचे थे. शादी में नितीश भी आया हुआ था. यहां शायद विकास और नितीश के बीच एक और बार बहस हुई. रात के 12.30 बजे विकास और उसके कजिन विशाल ने नितीश कटारा को एक टाटा सफारी में बिठाया और अपने साथ ले गए. जब काफी देर बाद भी नितीश पार्टी में नहीं लौटा तो उसके दोस्तों ने उसकी मां नीलम कटारा को खबर की. नीलम नितीश और भारती के रिश्ते से वाकिफ थीं. उन्होंने भारती को फोन लगाया. भारती ने नीलम से कहा कि वो पुलिस स्टेशन जाएं. साथ ही उसने नीलम से कहा कि शायद उसके भाई नितीश को पंजाब लेकर गए हैं. नीलम ने DP यादव से भी फोन पर बात की. उन्होंने कहा कि उन्हें खुद पता नहीं उनका बेटा इस वक्त कहां है. नीलम पुलिस के पास पहुंची, यहां से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल पाई.

अगली सुबह पुलिस को पार्टी की जगह से कुछ 80 किलोमीटर दूर खुजरा में एक लाश मिली. पुलिस ने पाया कि मरने वाले को पहले बुरी तरह पीटा गया, और बाद में उसकी लाश जलाने की कोशिश भी की गयी थी. शिनाख्त में पाया गया कि ये नितीश कटारा की लाश थी. तुरंत विकास और विशाल यादव के नाम वारंट जारी कर दिए गए. दोनों को 23 फरवरी के रोज़ ग्वालियर के एक रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया. मामला कोर्ट पहुंचा. पहली नजर में ये ओपन एंड शट केस लग रहा था. विकास और विशाल को नितीश के साथ जाते कई लोगों ने देखा था. और दोनों के पास हत्या का मोटिव भी था. लेकिन कहानी इतनी सिंपल नहीं थी. DP यादव का बाहुबली रसूख शुरुआत से इस केस पर अपने परछाई डाले रहा. 2002 से 2004 के बीच विकास यादव को जेल से 66 बार बेल दी गई.

कोर्ट में कई गवाह अपने बयान से पलटे. लोगों को फोन पर धमकी मिली. इसके बावजूद नितीश की मां लगातार अपने बेटे को इन्साफ दिलाने के लिए लड़ती रही. वो इस केस को सुप्रीम कोर्ट लेकर गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को दिल्ली कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया.

भारती और नितीश महज दोस्त थे? 

शुरुआत में जब विकास और विशाल की गिरफ्तारी हुई तो दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. वो भी दो बार. एक बार मध्य प्रदेश पुलिस के सामने. और दूसरी बार UP पुलिस के आगे. मध्य प्रदेश में जिस इंस्पेक्टर ने विकास और विशाल का इकबालिया बयान लिया था, वो कोर्ट में अपने बयान से पलट गया. वहीं एक कॉन्स्टेबल ने बताया कि उसके सामने ही दोनों ने अपना जुर्म कबूला था, लेकिन पुलिस ने उसे कोर्ट में पेश ही नहीं किया.

मध्य प्रदेश पुलिस के इंस्पेक्टर पर और DP यादव से पुराने ताल्लुकातों के चलते फेवर करने का आरोप भी लगा. ऐसा ही कुछ UP में भी हुआ. विकास और विशाल का इकबालिया बयान पुलिस ने रिकॉर्ड किया था. जो बाद में एक TV चैनल पर भी चला था. लेकिन चूंकि ये बयान मजिस्ट्रेट के आगे नहीं दिया गया था , इसलिए कोर्ट ने इसे सबूत मानने से इंकार कर दिया. हालांकि इस बयान के जरिए पुलिस को विकास और विशाल के पास से एक हथौड़ा और नितीश की घड़ी भी बरामद हुई. इसके अलावा पुलिस के पास चार और गवाह थे, जिन्होंने नितीश को विकास और विशाल के साथ उस रात गाड़ी में बैठते हुए देखा था. लेकिन क्या ये सब इंसाफ दिलाने के लिए काफी था?

जवाब है नहीं. चार में से तीन गवाहों ने जल्द ही अपने बयान वापिस ले लिए. चौथे गवाह का नाम रोहित गौड़ था. रोहित शिवानी गौड़ का भाई था. जिसकी शादी में उस रात ये घटना हुई थी. शुरुआत में रोहित अपने बयान पे कायम रहा. लेकिन 2006 में उसने न सिर्फ अपना बयान वापिस लिया, बल्कि इस बात से भी इंकार कर दिया कि भारते और नितीश आपस में प्यार करते थे. ये इस केस के लिए बड़ा टर्निंग पॉइंट था. क्योंकि इस हत्या का मोटिव इसी बात पर टिका था कि नितीश और भारती का आपस में रिश्ता था. और इसी के चलते नितीश की हत्या हुई थी.

गाज़ियाबाद के जिस हॉस्टल में नितीश रहता था. वहां भी कई लोगों को पता था कि दोनों अक्सर मिलते हैं. लेकिन डर के चलते कोई भी खुलकर बोलने को राजी नहीं था. लोगों को ये केस एक और केस की याद दिला रहा था. जेसिका लाल हत्याकांड. इत्तेफाक के बात ये कि विकास यादव, जेसिका लाल हत्याकांड में भी इन्वॉल्व था. बहरहाल आखिर में इस केस का एक फैसला एक गवाही पर आकर टिका. ये गवाही थी भारती यादव की. लेकिन केस शुरू होने के कुछ वक्त के अंदर ही उसे पढ़ाई के नाम पर लन्दन भेज दिया गया. कोर्ट की तरफ से कई बार उसे गवाही के लिए बुलाया गया, लेकिन भारती वापिस नहीं आई. नीलम कटारा लगातार कोशिश करती रहीं.

भारती यादव की गवाही 

अंत में मई 2006 में भारती का पासपोर्ट रद्द कर दिया गया. और उस पर कोर्ट की नाफरमानी के जुर्म का खतरा मंडराने लगा. अगर ऐसा होता तो भारती को लन्दन में गिरफ्तार कर भारत भेज दिया जाता. इसी डर से साल 2006 में भारती वापिस भारत आई और उसने इस केस में कोर्ट में अपना बयां दर्ज़ किया. हालांकि कोर्ट में उसने कहा कि वो और नितीश सिर्फ दोस्त थे. और उनके बीच प्यार वाला रिश्ता नहीं था. इसके जवाब में पुलिस ने कोर्ट में भारती और नितीश के बीच आपस में दिए गए कार्ड्स और लेटर पेश किए. जिनसे साफ़ जाहिर होता था कि दोनों में करीबी रिश्ता था.

Vikas & Vishal Yadav
नितीश कटारा की हत्या के आरोपी भारती यादव के भाई विकास और विशाल यादव (तस्वीर-Indiatoday)

इन बयानों और सबूतों को देखते हुए साल 2008 ने दिल्ली फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया. विकास और विशाल को नितीश के किडनैप और मर्डर के जुर्म में 30 साल आजीवन कारवास की सजा सुनाई गयी. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ये हॉनर किलिंग का मामला था. दोनों पर डेढ़ लाख का जुर्माना भी लगाया गया. इसके अलावा एक और व्यक्ति सुखविंदर पहलवान जो उस रोज़ दोनों के साथ गाड़ी में था, उसे भी 20 साल की सजा सुनाई गई. इसके बाद ये केस हाई कोर्ट पहुंचा. 2014 में हाई कोर्ट ने विकास और विशाल की सजा बरक़रार रखी.

आख़िरी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई. नीलम कटारा इस केस में फांसी की सजा की मांग कर रही थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोनों की सजा 25 साल की कर दी. इसी बीच साल 2015 में DP यादव भी एक पुराने केस के मामले में जेल गए. कोर्ट ने उन्हें एक हत्या के एक मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी. हालांकि बाद में वो इस केस में रिहा हो गए. लेकिन नितीश कटारा हत्याकांड और इस केस के बाद उनकी राजनैतिक साख कम होती चली गई.

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