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CIA का सीक्रेट प्रोजेक्ट जिसके लिए सेक्स वर्कर्स को हायर किया गया!

रूस के डर से अमेरिका ने अपने ही लोगों पर एक्सपेरिंनेटस कर डाले!

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MK - अल्ट्रा नाम का CIA का "माइंड कंट्रोल" प्रोजेक्ट 20 साल तक बेरोकटोक चला और 1973 में इसे बंद कर दिया गया (तस्वीर: vigilantcitizen.com/MK अल्ट्रा फिल्म का एक सीन)

एक गोली जिसे खाकर आप किसी का क़त्ल करने को तैयार हो जाते हैं. और आपको याद भी नहीं रहता कि आपने किसी का खून किया था. 
एक कोडवर्ड जिसे बोलते ही आप किसी को पल भर में सम्मोहित कर सकते हैं.
एक उपकरण, जिसकी तेज़ फ्रीक्वेंसी की किरणें किसी की याददाश्त मिटा सकती हैं. 

पहली नज़र में ये सब, सस्ते जासूसी उपन्यास की फंतासी बातें लगती हैं. लेकिन दुनिया की सबसे ताकतवर संस्था कभी इन चीजों पर करोड़ों डॉलर खर्च करती थी. 
लोगों पर एक्सपेरिमेंट्स किया जाता. जिन लोगों प एक्सपेरिमेंट होत. वो कभी मनोरोगी तो कभी खूनी बन जाते. ये करने वाली और कोई नहीं, अमेरिकी ख़ुफ़िया संस्था CIA थी. और जिस प्रोजेक्ट के तहत ये हुआ था. उसका नाम था MK अल्ट्रा. अमेरिकी इतिहास का सबसे ख़ुफ़िया लेकिन बेहद खतरनाक प्रोजेक्ट. 
क्या थी MK अल्ट्रा की कहानी?
कैसे CIA करती थी लोगों का माइंड कंट्रोल?
और कैसे हुआ इस सीक्रेट प्रोजेक्ट का खुलासा? 

एक मौत से शुरू हुई कहानी 

28 नवम्बर, 1953 की तारीख. रात के ढाई बजे न्यू यॉर्क शहर की पुलिस के पास एक फोन आता है. एक होटल की बिल्डिंग के नीचे एक लाश पड़ी है. लाश पर सिर्फ एक अंडरवियर है. उसके आसपास कांच बिखरा हुआ है. होटल के 13 वें फ्लोर पर एक खिड़की खुली हुई है. साफ़ पता चल रहा है कि वो शख्स इसी खिड़की से नीचे आया था. पुलिस ने जांच शुरू की. मरने वाले शख्स का नाम था फ्रैंक ऑल्सन. ऑल्सन एक वैज्ञानिक था. ऑल्सन जिस वक्त जमीन पर गिरा। वहां कुछ लोग मौजूद थे. उनके अनुसार मरने से ठीक पहले वो कुछ कहने की कोशिश कर रहा था. बाकी तो कुछ समझ न आया लेकिन एक नाम साफ़ सुनाई दे गया था- CIA. मरने से पहले ऑल्सन CIA का नाम क्यों ले रहा था? एक दूसरा सवाल ये भी था कि होटल की खिड़की का कांच कैसे टूटा?

फ्रैंक ऑल्सन के परिवार ने CIA पर उनकी हत्या का काआरोप लगाया था (तस्वीर: Getty)

ऑल्सन के परिवार ने इन सवालों के जवाब खोजने की खूब कोशिश की. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. पुलिस ने भी केस क्लोज़ कर दिया. इस बात को 20 साल गुजर गए. फिर एक दिन अचानक ऑल्सन परिवार के पास एक कॉल आया. सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति के ऑफिस से. उन्हें राष्ट्रपति से मिलने बुलाया गया था. राष्ट्रपति ने ऑल्सन की मौत के लिए माफी मांगी. अब सवाल ये कि अमेरिका का राष्ट्रपति एक ऐसे केस में माफी क्यों मांग रहा था. जिसे सालों पहले क्लोज़ कर दिया गया था. इस सवाल का जवाब एक शब्द में दिया जा सकता था. प्रोजेक्ट MK-अल्ट्रा. इस नाम का मतलब था क्या, उससे पहले जानिए कि इस प्रोजेक्ट की शुरुआत कैसे हुई.      

CIA का सीक्रेट एक्सपेरिमेंट

कोल्ड वॉर के दौरान रूस और अमेरिका एक दूसरे की जासूसी किया करते थे. साल 1949 में अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी को यूरोप में चल रहे एक अजीबो गरीब केस का पता चला.    
इस केस में जोसेफ मिंडजेंटी नाम का एक पादरी कोर्ट में बिना पूछे ही तरह-तरह की साजिशें बयान कर रहा था. उसके अनुसार वो हंगरी को तोड़ने की एक साजिश में शामिल था. उसने नाजियों का साथ दिया था. ये बातें वो यूं बोल रहा था जैसे उसे रटाई गई हों. जब एक के बाद एक ऐसे कई मामले सामने आने लगे तो CIA को लगने लगा कि रूस लोगों का ब्रेन वॉश कर रहा है.

1953 में कोरिया युद्ध में युद्धबंदी बनाए गए अमेरिकी जवान घर लौटे. इन लोगों में भी ब्रेन वॉशिंग के लक्षण दिखाई दे रहे. कई जवानों को तो बड़ी मुश्किल से अमेरिका लौटने के लिए राजी किया गया था. CIA को लगने लगा था रूस माइंड कंट्रोल की तकनीक ईजाद कर चुका है. और अमेरिक अब इस क्षेत्र में कतई पीछे नहीं रह सकता. CIA के निदेशक, एलेन डलेस मानते थे कि दिमाग कंट्रोल करने की इस लड़ाई में जो जीतेगा. कोल्ड वॉर में जीत उसी की होगी. साल 1953 में डलेस ने माइंड कंट्रोल से जुड़े एक सीक्रेट प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी. इस प्रोजेक्ट का नाम दिया गया - MK अल्ट्रा. MK को हेड करने वाले शख्स का नाम था सिडनी गॉटलिब. ये वो व्यक्ति हैं जिन्होंने क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो की दाढ़ी गिराने का प्लान बनाया था. गॉटलिब ने कास्त्रो की सिगार में जहर डालने का प्लान भी बनाया था. लेकिन वो सफल न हो पाए. 

1975 में ख़ुफ़िया दस्तावेज़ों में नाम आने से पहले किसी ने सिडनी गॉटलिब का नाम तक नहीं सुना था (तस्वीर: AP) 

गॉटलिब की कहानी का एक छोटा सा सिरा भारत से भी जुड़ता है. लेकिन वो आगे बताएंगे. अभी इतना जानिए कि गॉटलिब CIA के केमिकल हथियार डिवीजन के हेड थे. उनके नीचे बहुत से वैज्ञानिक काम करते थे. इनमें से कई वैज्ञानिक वो थे, जिन्हें नाजी जर्मनी में इंसानों पर परीक्षण का अनुभव था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद नाजी वैज्ञानिकों को ऑपरेशन पेपर क्लिप के तहत अमेरिका लाया गया था. गॉटलिब ने प्रोजेक्ट MK अल्ट्रा के तहत इंसानों पर एक्सपेरिमेंट्स की शुरुआत की. क्या थे ये एक्सपेरिमेंट्स?

इन परीक्षणों का एक ही उद्देश्य था. इंसानी दिमाग पर कंट्रोल करना. इसके लिए शॉक थेरेपी, रेडिएशन, नशे की गोलियां, आदि तरीकों को इस्तेमाल किया जाता था. MK अल्ट्रा के तहत जो सबसे फेमस एक्सपरिमेंट किया गया था, उसे ऑपरेशन मिडनाइट क्लाइमेक्स के नाम से जाना जाता है. क्या था ये ऑपरेशन?

CIA ने सेक्स वर्कर्स को भर्ती किया  

ऑपरेशन मिडनाइट क्लाइमेक्स की शुरुआत 1955 में हुई थी. इसके लिए CIA ने सैन फ्रांसिस्को नामक शहर में सेक्स वर्कर्स को हायर करना शुरू किया. ये सेक्स वर्कर अनजान लोगों को एक होटल में लेकर आतीं. जिन्हें कोई खबर न होती कि होटल का ये कमरा CIA का अड्डा है. कमरा खास तौर पर तैयार किया जाता. माइक्रोफोन और कैमरों से हर समय कमरे में होने वाली हरकतों पर नजर रखी जाती. हर कमरे में एक स्पेशल शीशा लगा होता. जिससे वहां के लोगों को बिना पता चले दूसरे कमरे में बैठा शख्स वहां देख सकता था. कमरे में लाकर लोगों को ड्रग दिए जाते. जिस ड्रग का इस्तेमाल सबसे ज्यादा होता था, उसका नाम था, LSD.

एक वक्त CIA ने यहां तक कोशिश की कि दुनिया में जितना भी LSD है, उसे खरीद ले. इस काम के लिए CIA के दो एजेंट स्विट्ज़रलैंड भेजे गए. लेकिन उनके हाथ सिर्फ 10 ग्राम LSD लगा. अंत में एक फार्मा कंपनी की मदद से LSD की ज्यादा मात्रा पैदा कराई गई. बहरहाल अपने खास होटल में लोगों को LSD देकर, CIA ने दिमाग कंट्रोल करने वाले परीक्षण किए. क्या LSD लेने के बाद आदमी का बर्ताव बदल रहा है. यदि हां, तो किस तरह. क्या सेक्स और ड्रग के जोड़ से वो आसानी से जानकारी उगल रहा है?. ये सब बातें परीक्षण का हिस्सा थीं. 

ख़ुफ़िया दस्तावेज़ जिनसे MK-अल्ट्रा प्रोजेक्ट का खुलासा हुआ (तस्वीर: Wikimedia Commons)

मिडनाइट क्लाइमेक्स ऐसा अकेला ऑपरेशन नहीं था. CIA ऐसे एक्स्पेरिमेंट्स दुनिया भर में कर रही थी. विदेशों में इस प्रोग्राम को एक अलग कोड दिया गया था- MK-डेल्टा. यहां तक कि विश्वविद्यालय भी इससे अछूते नहीं थे. टेड कजिंस्की नाम का एक आतंकी, जो आगे चलकर युनाबॉम्बर नाम से फेमस हुआ, हार्वर्ड में पढ़ते हुए CIA के एक्सपेरिमेंट्स का शिकार हुआ था. ऐसे ही चार्ल्स मेंसन, जिसके गिरोह ने एक हॉलीवुड हिरोइन की हत्या की थी, वो भी जेल में माइंड कंट्रोल एक्सपेरिमेंट्स से गुजरा था.

इस काम के लिए CIA ऐसे ही लोगों को चुनती थी, जो आम लोगों से अलग थे. अधिकतर लोग मनोरोगी या किसी मामले में सजा काटने वाले होते थे. उन्हें ये भी पता नहीं होता था कि उनके साथ कोई एक्सपेरिमेंट हो रहा है. 20 साल तक CIA MK-अल्ट्रा को बेरोकटोक चलाती रही. फिर साल 1970 के दशक में एक इत्तेफाक के चलते इस ऑपरेशन का खुलासा हुआ.

कैसे हुआ खुलासा? 

साल 1973 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन वॉटरगेट नाम के स्कैंडल में फंसे. निक्सन अपनी विपक्षी पार्टी की जासूसी करा रहे थे. वॉटरगेट स्कैंडल में निक्सन को इस्तीफ़ा देना पड़ा था. लेकिन साथ ही इस मामले में CIA का भी नाम आया. निक्सन के बाद राष्ट्रपति बने जराल्ड फोर्ड ने CIA की जांच करवाई. जांच कमीशन ने अपनी रिपोर्ट पेश की तो पता चला कि CIA इससे पहले भी कई कांड कर चुकी थी. रिपोर्ट में एक नाम बार-बार आ रहा था, सिडनी गॉटलिब. 

गॉटलिब तब रिटायर होकर भारत में सेटल हो गए. यहां वो एक हॉस्पिटल में कुष्ठ रोगियों की सेवा कर रहे थे. उन्हें अमेरिका में जांच कमिटी के आगे हाजिर होने को कहा गया. कमाल की बात ये थी कि इससे पहले अमेरिका में सिर्फ गिनती भर लोगों को गॉटलिब के बारे में पता था. पत्रकारों के पास उनकी तस्वीर तक नहीं थी. गॉटलिब के बयान के आधार पर जांच कमिटी ने अपनी रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट के बाहर आने के बाद पहली बार अमेरिकी जनता ने MK-अल्ट्रा नाम सुना. CIA खुद ही अपने नागरिकों पर गैर कानूनी एक्सपेरिमेंट्स कर रही थी. जैसे ही ये बात खुली, अमरीकी प्रेस में हंगामा मच गया. हालांकि अभी तक केवल MK अल्ट्रा से जुड़ी ऊपरी जानकारी मिल पाई थी.

CIA आम लोगों को चुपके से ड्रग्स देखकर उनके वर्ताव पर नज़र रखती थी (तस्वीर: Getty)

कुछ महीनों बाद जॉन मार्क नाम के एक पत्रकार ने सूचना के अधिकार कानून के तहत सरकारी कागज़ात निकलवाए. करीब 16 हजार दस्तावेज़ों से मार्क ने MK अल्ट्रा की पूरी कहानी पता की. यहीं से ये भी पता चला कि फ्रैंक ऑल्सन, जिसकी कहानी हमने पहले बताई थी, वो MK अल्ट्रा प्रोजेक्ट का हिस्सा था. केवल हिस्सा ही नहीं, उसे भी परीक्षण का हिस्सा बनाकर चोरी से LSD खिलाया गया था. इस मामले में राष्ट्रपति ने ऑल्सन परिवार से माफी मांगी और हर्जाने की एक बड़ी रकम परिवार को सौंपी. इसके भी कई साल बाद ऑल्सन परिवार ने फ्रैंक ऑल्सन के अवशेषों को कब्र से निकलवा कर उनकी जांच करवाई. तब पता चला कि ऑल्सन के शरीर पर चोट के निशान थे. जो उसकी संभावित हत्या की ओर इशारा करते थे.

CIA अधिकारियों की अय्याशी 

इन्हीं दस्तावेज़ों से ऑपरेशन मिडनाइट क्लाइमेक्स का भी खुलासा हुआ. जॉर्ज वाइट हंटर नाम के एक एजेंट की डायरी से पता चला कि इस ऑपरेशन की आड़ में CIA अधिकारी तमाम गैरकानूनी धंधों में लिप्त थे. अपनी डायरी में हंटर लिखता है, “मुझ जैसे ठेठ अमेरिकी को झूठ बोलने, धोखाधड़ी करने और ऐश काटने का मौका और कहां मिलता, वो भी सरकार की मंजूरी से”.

साल 1977 में MK-अल्ट्रा के बारे में बहुत से खुलासे हुए. लेकिन इसके पूरे विस्तार का कभी नहीं पता चल पाया. साल 1973 में जब राष्ट्रपति निक्सन ने CIA के डायरेक्टर को हटाया था. जाते-जाते वो MK अल्ट्रा से जुड़े अधिकतर कागजात नष्ट कर गए. CIA और सरकार ने दावा किया कि 1973 में MK अल्ट्रा प्रोग्राम ख़त्म कर दिया गया था. और उसके बाद CIA ने ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं चलाया. ये बात कितनी सच है, CIA ही जाने. लेकिन इतना तय है कि MK अल्ट्रा कांस्पिरेसी थियोरीज़ की लम्बी फेहरिश्त में जुड़ गया. जिसे लेकर अब असलियत से ज्यादा किंवदंतियां सुनाई देती हैं.

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