किसी की भेड़ चुराने की सजा, मौत! किसी के बगीचे को नुकसान पहुंचाया, किसी के घर में आग लगा दी, पेड़ काटे, खरगोशों के बाड़े से चोरी की- सब के लिए सजा-ए-मौत. घबराइये नहीं, इन गुनाहों की ये सजा आज नहीं दी जाती है, ये बात है कुछ तीन सदी पहले के इंग्लैंड की. जहां ब्लडी कोड नाम का एक सिस्टम लागू था. इस सिस्टम में मामूली से जुर्म के लिए फांसी दे दी जाती थी. एक- दो नहीं, ऐसे सैकड़ों गुनाहों के लिए, यह कड़ी सजा तय थी. एक तरफ इस लिस्ट में हत्या जैसे क्रूर अपराध शामिल थे. वहीं दूसरी तरफ, टोल की सड़कों को नुकसान पहुंचाने जैसे - मामूली अपराधों के लिए भी, यही सजा थी. लेकिन फिर सोशल रिफॉर्मर सर सैमुएल रॉमिल्ली ने इस दिशा में काम किए. सफलतापूर्वक कई छोटे गुनाहों के लिए मौत की सजा को खत्म कराया. और जैसे-जैसे सदी में ये देश आगे बढ़ा, फांसी की जगह एक नई सजा ने ले ली. और ये एक ऐसी सजा थी जिसने एक नये देश को जन्म दिया.
कैसे ब्रिटेन के कैदियों को दी जाने वाली सजा से एक नया देश बना? नाम पड़ा ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया की खोज कैसे हुई? एक देश के तौर पर ये कैसे दुनिया के नक्शे पर आया? जानेंगे ऑस्ट्रेलिया के बनने की पूरी कहानी. कैसे ब्रिटेन के कैदियों को दी जाने वाली सजा से ये एक नया देश बना?
कैसे कैदियों ने एक देश बनाने में मदद की? ऑस्ट्रेलिया कैसे एक देश के तौर पर नक्शे पर आया? बताते हैं.
ऑस्ट्रेलिया की खोजकैदियों और इस देश के नाते को समझने से पहले, एकदम शुरुआत से कहानी समझते हैं. ग्रीक दार्शनिक अरस्तु का कहना था कि धरती के उत्तरी गोलार्ध में अगर जमीन है. तो फिर इसे संतुलित करने के लिए दक्षिणी गोलार्ध में भी कोई भूभाग होना चाहिए. हालांकि, अरस्तु का लॉजिक इतना सही नहीं था. पर सच में यूरोपियों के खोजे जाने से पहले भी- धरती के दक्षिणी हिस्से में मौजूद ऑस्ट्रेलिया में लोग रहते थे.
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बताया जाता है कि ऑस्ट्रेलिया के पहले मूल निवासी लगभग 65 हजार साल पहले यहां आए थे. इन्होंने अपनी अलग संस्कृति, भाषा और आध्यात्मिक विश्वास भी विकसित किए. ऐसा भी नहीं था कि ये बाकी दुनिया से एकदम कटे हुए थे. इन्होंने आस-पास के द्वीपों के साथ व्यापार भी किया. पर सुदूर यूरोप से इनका सीधा कोई नाता नहीं था.
वहीं काफी समय तक यूरोपियों को लगता था कि धरती के दक्षिणी सिरे पर कोई अज्ञात भूभाग होगा. इसे ‘टेरा ऑस्ट्रेलिया इंकॉग्निटो’ नाम दिया गया. पर ऐसा कोई महाद्वीप मौजूद है, तब इस बात के कोई सबूत नहीं थे. लेकिन ये गुत्थी साल 1606 में सुलझी. जब डच खोजी विलेम जैंसजून, ऑस्ट्रेलिया के केप यॉर्क के पश्चिमी हिस्से पर पहुंचे थे.
जैंसजून के बाद कई और डच खोजी उत्तरी, दक्षिणी और पश्चिमी तट रेखा पर पहुंचे. पर महाद्वीप के पूर्वी हिस्से में पहुंचने वाला पहला यूरोपी था, ब्रिटिश ल्यूटिनेंट जेम्स कुक. जिसने इस हिस्से का नक्शा बनाया और इसे अंग्रेजी तख्त के अधीन घोषित किया. पर कुक के लिए ये अभियान आसान नहीं था. अपनी पहली खोज के दौरान ही कुक को कई परेशानियां झेलनी पड़ी.
ग्रेट बैरियर रीफ के पास उनके जहाज में पानी भर गया. क्रू ने जी-तोड़ मेहनत कर, पानी को जहाज से बाहर निकाला. यहां तक कि जहाज से तोपें भी फेंकनी पड़ी. और अंत में किसी तरह वो जहाज को रिपेयर कर, अपना सफर जारी रख पाए. पर इस सफर में एक निराशा और थी. जेम्स कुक को पहले लगता था कि ऑस्ट्रेलिया में संसाधन भरे पड़े होंगे. लेकिन जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया की जमीन पर कदम रखा तो मामला ही कुछ और था. अपने शुरुआती दिनों के बारे में वो अपने जर्नल में लिखते हैं-
“हमें चूहों से बड़ा कोई जानवर ही नहीं दिखा. पीने को कहीं साफ पानी नहीं था, सिवाय चाय की पत्तियों से निचोड़े गए पानी के."
कुक का ये सफर जाया नहीं गया. अपनी यात्राओं के दौरान उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में कई जगहों के डीटेल नक्शे तैयार किए, पौधों की प्रजातियां इकट्ठी कीं. और स्थानीय लोगों के बारे में जानकारी जुटाई. यही जानकारी आने वाले दिनों में ऑस्ट्रेलिया में यूरोपीय सेटलमेंट का आधार बनी. अब आगे ऑस्ट्रेलिया की कहानी समझने से पहले, हमें चलना होगा कुक के देश इंग्लैंड की तरफ.
दौर ब्लडी कोड कासाल 1688 का ब्रिटेन. जहां नया-नया ‘ब्लडी कोड’ लाया गया था. इस कोड में समय के साथ कई कानून जोड़े गए. जिनमें मामूली गुनाहों के लिए कैपिटल पनिश्मेंट, यानी सजा-ए-मौत दी जाती थी. समय बीतने के साथ इस फेहरिस्त में नए गुनाह जुड़ते गए. साल 1688 में कभी इन गुनाहों की संख्या 50 थी. साल 1765 आते-आते ये आंकड़ा 160 हो गया. और 1815 तक 225 गुनाहों के लिए मौत की सजा दी जाने लगी.
वहीं दूसरी तरफ लोगों को भी लगा कि खरगोश चुराने के लिए मौत की सजा, कहीं से जायज नहीं है. जिसके बाद एक नई तरह की सजा का इंतज़ाम किया गया, जिसे नाम दिया गया ट्रांसपोर्टेशन. यानी ब्रिटेन और आयरलैंड के कैदियों को देश से बाहर, किसी कॉलोनी में भेज देना. इन्हीं में से एक नई-नई नापी गई जमीन यानी ऑस्ट्रेलिया भी थी.
इससे इतर अंग्रेजों के खिलाफ, अमेरिका में आजादी की जंग के बाद - ब्रिटेन में कृषि, उद्योग और समाज में बदलाव हो रहे थे. साथ ही ब्रिटेन में कैदी और पकड़े गए जहाज भी बड़े पैमाने पर इकट्ठा हो गए थे. कैदियों के साथ आई एक समस्या. कि आखिर इन्हें रखा कहां जाए.
यहीं पिक्चर में आती है 1770 में खोजी गई नई कॉलोनी- ऑस्ट्रेलिया. दरअसल ल्यूटिनेंट जेम्स कुक के साथ गए बॉटनिस्ट, सर जोसेफ बैंक्स ने ही ये रास्ता सुझाया-
“ऑस्ट्रेलिया के ‘बॉटनी बे’ को नए अंग्रेजी सेटलमेंट की जगह बनाया जाए. साथ ही यहीं सजा काटने के लिए कैदियों को भेजने का इंतज़ाम भी किया जाए.”
इन्हीं कुछ वजहों के चलते, अंग्रेजी सरकार ने इस नए सेटलमेंट प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दी. जनवरी 1788 में पहले अंग्रेजी सेटलमेंट के लिए, नौ ट्रांसपोर्ट शिप और दो छोटे लड़ाकू जहाज सिडनी भेजे गए. इनमें मौजूद थे 850 कैदी, उनके गार्ड और कुछ अफसर. इस बेड़े की अगुआई कर रहे थे, गवर्नर आर्थर फिलिप्स. ये सब 26 जनवरी को सिडनी के पोर्ट जैक्सन पहुंचे. जिसके चलते 26 जनवरी को ‘ऑस्ट्रेलिया डे’ मनाया जाता है.
बहरहाल, साल 1788 से लेकर 1868 के बीच 1 लाख 62 हजार दोषियों को ऑस्ट्रेलिया भेजा गया था. मौत के बदले इन्हें जिंदगी तो दी गई. पर ये जिंदगी आसान न थी, इन कैदियों का काम था, यहां अंग्रेजी हुकूमत की नई कॉलोनीज़ बनाने में मदद करें. वहीं जब इनकी सजा खत्म होती, तो कई लोग ऑस्ट्रेलिया के ही होकर रह जाते. जो यहीं के सेटलर बन गए. इनमें से कुछ फर्श से अर्श तक भी पहुंचे. ऐसी ही एक कहानी है, व्यापारी महिला मैरी रीबे की.
घोड़ा चुराने के लिए 7 साल की सजा12 मई, 1777 को इंग्लैंड के लैंकाशिर में जन्मी मैरी की जिंदगी आसान नहीं थी. इनके माता-पिता बचपन में ही गुजर गए थे. और ये अपनी दादी के साथ रहती थीं. वहीं 13 साल की उम्र में मैरी को घोड़ा चुराने के लिए गिरफ्तार किया गया. गिरफ्तारी के वक्त उन्होंने लड़के जैसे कपड़े पहन रखे थे, और अपना नाम जेम्स बरो बताया था. लेकिन ट्रायल के दौरान उनकी पहचान खुल गई. इस पूरे मामले में उन्हें दोषी करार देकर सजा दी गई. सजा 7 साल के लिए ऑस्ट्रेलिया भेजे जाने की थी.
अक्टूबर 1792 को वो सिडनी पहुंचीं. और इन्हें मेयर फ्रांसिस ग्रोसे के घर में नर्स का काम दिया गया. कुछ वक्त बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के एक अफसर से इनकी शादी हो गई, जिनका फैला हुआ कारोबार था. पर पति के साथ ये ज्यादा समय नहीं रह सकीं. कुछ वक्त बाद इनके पति की मौत हो गई और 7 बच्चों की जिम्मेदारी के साथ मैरी रह गईं. हालांकि, इन्होंने हार नहीं मानी, पति के व्यापार को आगे बढ़ाया.
बताया जाता है कि तब उनके पास बीस हजार पाउंड की संपत्ति थी. और करीब हजार एकड़ जमीन. ऐसे मैरी सजा के जीवन के साथ, एक सफल बिजनेसवुमन के रूप में निकलीं. मैरी की तरह ही तमाम कैदी, सजा काटने के साथ सफल सेटलर्स बने.
कुछ कैदी ऑस्ट्रेलिया के कठिन हालात में नहीं ढल पाए. और इन्होंने यहां भी जुर्म का रास्ता चुना. ये बुशेज यानी झाड़ियों में छुपकर लूट को अंजाम दिया करते थे. इसलिए इन्हें ‘बुशैंगर्स’ नाम दिया गया. इसी लूट-पाट के चलते, अक्सर अधिकारियों से इनकी मुठभेड़ भी होती थी. कभी-कभार गोलीबारी भी हो जाती थी. अब इस नई कॉलोनी में अव्यवस्था थी. तो इससे निपटने का इंतजाम भी होना ही था. जो हमें लेकर जाता है, यहां के शुरुआती प्रशासन की तरफ.
सोने की खोजसाल 1824 तक न्यू साउथ वेल्स में मिलिटरी गवर्नर के पास ही सारी शक्तियां होती थीं. बीस हजार किलोमीटर और आठ महीने दूर, ब्रिटिश संसद के अलावा - इनसे सवाल करने वाला कोई न था.
हालांकि, धीरे-धीरे यहां भी अंग्रेजी कानून और न्याय व्यवस्था लागू करने की कोशिश की गई. कॉलोनियों को फैलाने का प्रयास भी किया गया. पर दूसरे महाद्वीपों के मुकाबले ऑस्ट्रेलिया में रहना इतना आसान नहीं था. यहां के मौसम, जंगली जानवर और खतरनाक भूभाग जैसी वजहों से, यहां का ज्यादातर हिस्सा आज भी खाली है. सिर्फ कुछ ही बड़े शहरों में यहां की 73 फीसद आबादी रहती है.
बहरहाल 1850 के आस-पास यहां गोल्ड रश की शुरुआत भी हुई. तमाम जगहों से लोग इस महाद्वीप में सोना खोजने और अपनी किस्मत आजमाने आए. इनमें से कुछ फ्री-सेटलर्स बने यानी यहीं के होकर भी रह गए. इससे यहां की अर्थव्यवस्था भी विकसित हुई. फ्री-सेटलर्स की आबादी बढ़ने के बाद, ब्रिटेन से यहां कैदियों को भेजे जाने की संख्या में भी कमी हुई.
1850 के ही दशक में ब्रिटेन की सरकार ने यहां की कई कॉलोनी को सेल्फ-गवर्मेंट का हक भी दे दिया. माने यहां इनकी स्थानीय सरकार को मंजूरी मिली. धीरे-धीरे यहां की कॉलोनी और स्थानीय लोगों में राष्ट्रवाद पनपा, साथ में श्वेत ऑस्ट्रेलियाई लोगों के हक की मांगें भी बढ़ीं. 1890 के दशक में इसे लेकर कई कॉन्फ्रेंस भी हुईं. और कॉलोनियों को मिलाकर एक संघ बनाने की बात उठाई गई. इसमें क्वींसलैंड, न्यू-साउथ वेल्स, विक्टोरिया, तस्मानिया, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम ऑस्ट्रेलिया की छह स्वायत्त कॉलोनियां शामिल थीं. और फिर 1 जनवरी 1901 को छह कॉलोनियों को मिलाकर बना, कॉमनवेल्थ ऑफ ऑस्ट्रेलिया. और ऐसे ब्रिटेन के कैदियों की मदद से एक नया देश नक्शे पर उभरा.
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