
'हसीन दिलरुबा' में विक्रांत
#"सेट पर सब पागल हैं" विनिल मज़ाकिया अंदाज़ में कहते हैं कि फ़िल्म की कास्ट ज़्यादातर पागल है. सब पागल टाइप के लोग हैं इसलिए सीन अच्छे निकल कर आते हैं . विनिल कहते हैं एक्टर्स के अंदर एक नेचुरल कॉमिक टाइमिंग होती है. और वही नेचुरल कॉमिक टाइमिंग सीन को फनी बनाने में बहुत मदद करती है. ऊपर से तापसी और विक्रांत का व्यक्तित्व एकदम पोलर अपोज़िट है. तापसी की बातें, और उस पर विक्रांत के रिएक्शनस ऐसे होते हैं कि रिकॉर्ड कर लो तो अपने आप में एक कॉमेडी फ़िल्म बन जाए. 2.जब पूरे दिन हंसती रहीं तापसी तापसी ने शूटिंग के दौरान हुए अपने एक मज़ेदार एक्सपीरियंस को बताया. बोलीं एक सीन था जिसमें उन्हें अपनी साड़ी का पल्लू गिरा-गिराकर अपने पति रिशु यानी विक्रांत को रिझाना था. तापसी बताती हैं ये सीन उनके लिए सबसे फनी था. क्यूंकि उन्हें इस बात का तजुर्बा तो था नहीं. इसलिए उन्हें इस तरीके से पल्लू गिराना बहुत फनी लगता था. वो बतलाती हैं इस सीन के शूट के दिन वो पूरे दिन हंसती रहीं थीं.

'हसीन दिलरुबा' में तापसी पन्नू
# "सबको गाय चाहिए" फ़िल्म में एक सीन है जिसमें तापसी का किरदार विक्रांत के किरदार रिशु से लड़कर झुंझलाते हुए कहता है 'सबको गाय चाहिए'. ये सीन इस फ़िल्म के बेहद दमदार सीन्स में से एक है. तापसी ने इंटरव्यू में बताया कि असल में ये डायलाग फ़िल्म में था ही नहीं बल्कि उन्होंने ही फ्लो-फ्लो में ये डायलाग मार दिया था. डायरेक्टर विनिल ने इस संवाद की बेहतरीन लैंडिंग के पीछे की असल वजह बताई. उन्होंने कहा दरअसल हुआ ये था कि इस सीन के पहले ही 20 से 25 टेक्स हो चुके थे लिहाज़ा तापसी बुरी तरह फ्रस्टेट हो चुकी थीं, जिस वजह से उनका ये बहुत ही नेचुरल रिएक्शन निकला था. 3.कौन है असली दिनेश पंडित? 'हसीन दिलरुबा' में एक काल्पनिक राइटर हैं दिनेश पंडित, जिनका तापसी का किरदार मुरीद है. इनके 'संबंध तो मानसिक होते हैं, शारारिक तो संभोग होता है' जैसे संवाद खूब चर्चा बटोर रहे हैं. इन संवादों को असल में तो फिल्म की 'दिनेश पंडित' यानी राइटर कनिका ढिल्लों ने लिखा है. तापसी बताती हैं स्क्रिप्ट में कई लाइन्स तो ऐसी थीं जो उन्होंने एक बार पढ़ीं, तो उनका बार-बार पढने का मन हुआ. वो कहती हैं फ़िल्म की कई लाइन्स ऐसी हैं जो उनके साथ ताउम्र रहेंगी. विक्रांत भी तापसी की बात से सहमती जताते हुए कहते हैं कि वाकई में इस फ़िल्म में कई संवाद ऐसे हैं, जो पढने के बाद आपको लगता है कि यार ऐसा तो मैं भी सोचता हूं. बस मैं जो अपनी सोच को अल्फाज़ नहीं दे पा रहा था वो इन्होंने दे दिया है. 4. कैसे करते हैं एक्टर्स किरदार की तैयारी बताया तापसी और विक्रांत ने किरदार की तैयारी के बारे में बात करते हुए विक्रांत कहते हैं किरदारों की नए ढंग से तैयारी की उधेड़बुन लगातार चलती रहती है. आज स्टोरीटेलिंग का बहुत बड़ा मार्केट है. आज ऑडियो बुक्स, पॉडकास्ट जैसे अनेकों माध्यम हैं. ऐसे में आपकी कोशिश रहती है, आप जो भी किरदार करें उन्हें इतनी बेहतरी से निभाएं कि एक वक़्त के बाद भी लोग उस किरदार को याद रखें. तापसी बात आगे बढाते हुए कहती हैं कि आधा काम तो राइटर/डायरेक्टर ही आसान कर देते हैं. वो ऊपरी तौर से कपड़े व मेकअप इस अंदाज़ में रखते हैं कि पिछली फ़िल्म से अलग लगे. हां बतौर एक्टर आपका अप्रोच अलग होना चाहिए.' हसीन दिलरुबा' के करैक्टर को लेकर तापसी कहती हैं ये किरदार उनके ज़ोन से बेहद अलग था. ये उनका ज़ोन है ही नहीं. उन्होंने ऐसी महिला का किरदार इससे पहले निभाया ही नहीं था. लिहाज़ा ये किरदार अलग ही दिखना था.