गुजरात के अहमदाबाद से ताल्लुक रखने वाली, अमेरिकी एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स (Sunita Williams) अभी भी स्पेस स्टेशन में हैं. उनको इंटरनेश्नल स्पेस स्टेशन (ISS) पहुंचाने वाला स्टारलाइनर कैप्सूल (Starliner Capsule) अभी भी वहीं डॉक है. ये कैप्सूल बीती 14 जून को सुनीता और उनके साथी एस्ट्रोनॉट बैरी बुच विलमोर को वापस धरती पर लाने वाला था. लेकिन दोनों अंतरिक्ष यात्री अभी तक स्पेस स्टेशन में ही हैं.
Sunita Williams अंतरिक्ष में फंस तो नहीं गईं? धरती पर वापसी क्यों नहीं हो रही है?
14 जून को नासा एक ब्लॉग पोस्ट में बताता है कि मिशन को 22 जून से पहले वापस नहीं लाया जाएगा. 18 जून को नासा और बोइंग बताते हैं कि स्टारलाइनर की लैंडिग को फिर टाल दिया गया है. इस बार 26 जून तक के लिए. फिर वही हीलियम लीक और डाटा की जांच करने की बात कही जाती है.
इस देरी के पीछे कुछ तकनीकी गड़बड़ियों की बात कही जा रही है. आरोप ये भी हैं कि नासा और बोइंग को पहले से इन सब के बारे में मालूम था. कहा जा रहा है कि दोनों स्पेस स्टेशन पर फंस गए हैं.
लॉन्चिंग के टाइम से ही दिक्कतेंतारीख थी 1 जून, 2024. नासा और बोइंग का स्पेस क्राफ्ट स्टारलाइनर लॉन्च के लिए तैयार किया जा रहा था. एटलस-V रॉकेट स्पेस स्टेशन (ISS) के लिए निकलने वाला था. करीब 184,730 लीटर लिक्विड ऑक्सीजन और RP-1 केरोसीन फ्यूल भरा जा चुका था. दोनों एस्ट्रोनॉट्स ने सीट बेल्ट लगाए और लॉन्च के लिए तैयार हुए.
लेकिन लॉन्च से दो घंटे पहले खबर आती है कि दो वॉल्व्स में कुछ दिक्कत आ गई है. मिशन ऑपरेटर्स जांच शुरू करते हैं. शुरुआती टेस्ट के बाद इंजीनियर्स कहते हैं कि दिक्कत टेलेमेट्री स्ट्रीम या डाटा वगैरह को लेकर थी. वॉल्व्स को ठीक बताया जाता है. लॉन्च की उल्टी गिनती फिर शुरू होती है.
स्टारलाइनर का हैच बंद किया जाता है. लॉन्च से 20 मिनट पहले दोनों एस्ट्रोनॉट्स अपना स्पेस सूट के हेलमेट बंद करते हैं. लेकिन लॉन्च से 11 मिनट पहले बुच विलमोर सूट के फैन की वॉर्निंग लाइट की शिकायत करते हैं. लॉन्च कंट्रोल क्रू बैकअप फैन सिस्टम से इसे बदलने की कोशिश में लगता है. फिर कहा जाता है कि फैन ग्लिच को ठीक कर दिया गया है.
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लेकिन लॉन्च फिर भी नहीं होता. बिल्कुल ऐन वक्त पर, 3 मिनट 50 सेकेंड पहले, लॉन्च होल्ड करने की खबर आती है. इन सब गड़बड़ियों के बाद 1 जून को होने वाला लॉन्च रोक दिया जाता है.
दोबारा होती है तैयारीफिर आती है 5 जून की तारीख. एक बार फिर से रॉकेट को लॉन्च के लिए तैयार किया जाता है. सुनीता और बुच कैप्सूल में बैठते हैं. फिर से स्टारलाइनर का हैच लॉन्च के लिए बंद किया जाता है. इस बार लॉन्च सफल होता है. करीब 2.52 PM GMT (ग्रीनविच मीन टाइम) पर एटलस-V रॉकेट अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरता है.
6 जून को बोइंग का पहला स्टारलाइनर एस्ट्रोनॉट मिशन इंटरनेश्नल स्पेस स्टेशन में डॉक (जुड़ने) करने के लिए तैयार होता है. पर इस सब के बीच, रात को स्टारलाइट के प्रपोल्शन सिस्टम में दो नए लीक की बात सामने आती है. बता दें प्रपोल्शन सिस्टम रॉकेट को आगे बढ़ाने में मदद करता है. एस्ट्रोनॉट बुच विलमोर दो नए हीलियम लीक पर मिशन कंट्रोल से जानकारी मांगते हैं. वो मिशन कंट्रोल को रेडियो मैसेज भेजते हैं,
“हम जानना चाहेंगे कि लीक को लेकर अभी क्या स्थिति है? अगर हमें इस बारे में जानकारी मिल पाए तो अच्छा होगा.”
फिर ISS से 200 मीटर दूर स्टारलाइन की डॉकिंग को होल्ड कर दिया जाता है. वजह सर्विस मॉड्यूल में आई कुछ गड़बड़ी को बताया जाता है.
कुछ वक्त बाद, एक बार फिर से डॉकिंग की कोशिश की जाती है. इस बार सफलता मिलती है. दोनों स्पेस स्टेशन के हार्मोनी मॉड्यूल पर डॉक कर जाते हैं. करीब दो घंटे बाद, दोनों को हैच खोलने की इजाजत दी जाती है. दोनों एस्ट्रोनॉट्स इंटरनैश्नल स्पेस स्टेशन (ISS) के अंदर पहुंच जाते हैं.
हीलियम लीक की दिक्कतस्टारलाइनर के हीलियम लीक की दिक्कत वहीं की वहीं थी. बताया गया कि एक हीलियम लीक के बारे में पहले से पता था. लेकिन इसे लॉन्च कैंसल करने जितना बड़ा नहीं माना गया. लेकिन फिर कैप्सूल में चार और हीलियम लीक के बारे में पता चला. फिर भी कहा गया कि 18 जून को वापसी में इससे कोई खास दिक्कत नहीं होगी.
लेकिन 14 जून को नासा एक ब्लॉग पोस्ट में बताता है कि मिशन को 22 जून से पहले वापस नहीं लाया जाएगा. ताकि तब तक सभी गड़बड़ियों की जांच और टेस्ट कर लिए जाएं. 18 जून को नासा और बोइंग बताते हैं कि स्टारलाइनर की लैंडिग को फिर टाल दिया गया है. इस बार 26 जून तक के लिए. फिर वही हीलियम लीक और डाटा की जांच करने की बात कही जाती है.
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इस तरह आठ दिन का मिशन, बढ़ते-बढ़ते करीब महीने भर का होने जा रहा है. और खबर लिखे जाने तक एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाने की कोई पुख्ता तारीख नहीं बताई गई है. द गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक, बोइंग के स्पोक्स पर्सन का कहना है,
"2 जुलाई को स्पेस वॉक के बाद ही कोई तारीख बताई जा सकती है."
सुनीता विलियम्स की वापसी कैसे होगी?
ABC न्यूज के मुताबिक, बोइंग और नासा ने कहा है कि क्रू इस समय किसी तरह के खतरे में नहीं है. ये भी बताया जा रहा है कि ऑनबोर्ड ISS में सप्लाई की कमी नहीं है. साथ ही दोनों के साथ ISS में 71 लोगों का क्रू भी शामिल है. जो उनकी मदद कर रहे हैं.
मामले में नासा के कमर्शियल क्रू मैनेजर स्टीव स्टिच का कहना है कि आमतौर पर स्टारलाइनर स्पेस स्टेशन से 45 दिनों तक जुड़ा रह सकता है. जरूरत पड़ने, हालात बिगड़ने या कैप्सूल की मरम्मत न हो पाने की सूरत में यह 72 दिनों तक जुड़ा रह सकता है. इसे लेकर बैकअप प्लान बनाने की बात भी कही जा रही है.
वहीं दूसरी तरफ बोइंग पर कई तरह के सवाल भी उठाए जा रहे हैं. न्यूयॉर्क पोस्ट की खबर के मुताबिक, पिछले एक साल से बोइंग कंपनी के प्लेन्स पर भी सवाल खड़े किए गए हैं. बताया जा रहा है कि कम से कम 20 विसलब्लोअर्स ने सेफ्टी और क्वालिटी को लेकर चिंता जताई है. वहीं लॉन्च से पहले लीक की जानकारी मालूम होने को लेकर भी कंपनी पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
इस सब पर नासा और बोइंग के अधिकारियों का कहना है कि विलमोर और विलियम्स स्पेस स्टेशन में फंसे नहीं हैं. जरूरत पड़ने पर वो वापस घर आ सकते हैं. एस्ट्रोनॉट्स को वापस लाने में देरी को लेकर भी नासा ने अपना पक्ष रखा. कहा कि कंपनी इंजीनियर्स को ज्यादा से ज्यादा टाइम देना चाहती है ताकि वो समस्या की जड़ तक पहुंच सकें. इससे टेस्ट करने और किसी दूसरी दिक्कतों के मामलों में मदद मिलेगी.
फिलहाल ह्यूस्टन में नासा और बोइंग के इंजीनियर्स कई सिम्युलेशन चला रहे हैं ताकि कैप्सूल की गड़बड़ियों का पता लगाया जा सके. साथ सॉफ्टवेयर अपग्रेड करने और हॉर्डवेयर बदलने पर भी विचार चल रहा है. इन सब के बाद जैसे ही मिशन कंट्रोल की तरफ से हरी झंडी मिलेगी दोनों स्टारलाइनर में बैठकर उसे स्पेस स्टेशन से अलग कर सकते हैं. और धरती की ओर करीब 6 घंटे लंबी यात्रा शुरू कर सकते हैं.
द गार्डियन की खबर के मुताबिक, कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि स्पेस क्राफ्ट को करीब सात घंटे की फ्री फ्लाइट टाइम की जरूरत है. और फिलहाल करीब 70 घंटे तक फ्री फ्लाइट करने लायक हीलियम टैंक में बची हुई है. बता दें फ्री फ्लाइट में स्पेस क्राफ्ट के इंजन नहीं इस्तेमाल किए जाते हैं. बल्कि हीलियम गैस का इस्तेमाल करके स्पेस में रास्ता बदला जाता है या फिर वायुमंडल में दाखिल होते समय रफ्तार कम की जाती है.
साथ ही नासा ने ये भी साफ किया है कि स्टारलाइनर में दिक्कतों के बावजूद यह एस्ट्रोनॉट्स को धरती पर ला सकता है. जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल स्केप पॉड की तरह भी किया जा सकता है. लेकिन ये सारे कदम आपातकाल की स्थिति में ही उठाए जाएंगे.
वहीं अगर स्टारलाइनर में सब ठीक नहीं रहा तो स्पेस-एक्स के ड्रैगन-2 का इस्तेमाल भी किया जा सकता है. जो मार्च के ही महीने में चार एस्ट्रोनॉट्स को लेकर गया था. इसमें अपातकाल में जरूरत पड़ने पर और एस्ट्रोनॉट्स को बैठाया जा सकता है. पर ऐसा करना बोइंग के लिए एक बदनामी साबित हो सकता है. इस पर बोइंग और नासा के इंजीनियर्स का कहना है कि ऐसी स्थिति नहीं आएगी.
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