बलोचिस्तान के ग्वादर जिले से एक हाईवे गुजरता है, मकरन कोस्टल हाईवे. साढ़े 6 सौ किलोमीटर लम्बा ये हाईवे कराची और ग्वादर पोर्ट को आपस में जोड़ता है. 18 अप्रैल, 2019 की बात है. इस हाईवे से होकर कुछ बसें कराची की ओर जा रही थी. बुजी पास नाम की एक जगह पर आर्मी की वर्दी पहने कुछ लोग बसों को रोकते हैं. हर एक के आईडी कार्ड की जांच होती है. इसके बाद करीब 16 लोगों को बसों से उतारा जाता है. लाइन में खड़ा करके इन लोगों को गोलियों से भून दिया जाता है.
कुछ रोज़ बाद इस हमले की डीटेल्स सामने आती हैं. एक नए संगठन का नाम आता है. बलोच राजी अजोई संगर या BRAS नाम का एक संगठन इस हमले की जिम्मेदारी लेता है. बलोच आजादी से जुड़े संगठनों में ये एक नया नाम था. तब से लेकर अभी तक BRAS का नाम कई हमलों में आ चुका है. सितम्बर 2021 की एक खबर आपको याद होगी. तब ग्वादर में मुहम्मद अली जिन्ना की एक मूर्ति को धमाके में उड़ा दिया गया था. इसमें BRAS का हाथ था. इसके अलावा इसी साल 2022 में BRAS ने पाकिस्तानी सेना के कैम्प में हमला कर 192 सैनिकों को मार दिया था.
पाकिस्तानी हेलीकाप्टर को गिराने वाले बलूचिस्तान संघठन की कहानी क्या है?
BRAS नाम का ये नया संगठन कैसे और क्यों बनाया गया. ये बलोच आजादी से जुड़े दूसरे गुटों से कैसे अलग है. क्या है इसकी कहानी?
आज हम इसकी बात क्यों कर रहे हैं?
1 अगस्त को पाकिस्तानी सेना का एक हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. जिसमें फौज के 6 अफसर मारे गए. पाकिस्तानी आर्मी के मीडिया विंग का नाम है ISPR, इंटर सर्विसेज़ पब्लिक रिलेशंस. इसकी तरफ से कहा गया कि हेलीकाप्टर बलोचिस्तान में बाढ़ आपदा में मदद के लिए गया था. मौसम ख़राब होने के चलते दुर्घटनाग्रस्त हो गया. लेकिन एक कहानी और भी सामने आई. 3 अगस्त को BRAS ने दावा किया कि हेलीकॉप्टर को गिराने में उनका हाथ है. BRAS का कहना है कि उसके लड़ाकों ने मिसाइल से हमला कर प्लेन को गिरा डाला.
आज दुनियादारी में जानेंगे-
BRAS नाम का ये नया संगठन कैसे और क्यों बनाया गया. ये बलोच आजादी से जुड़े दूसरे गुटों से कैसे अलग है. क्या है इसकी कहानी?
पहले चलते हैं BRAS की कहानी पर. इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है. 2018 में इस संगठन की शुरुआत हुई. BRAS दरअसल बलोच आजादी से जुड़े तीन गुटों का गठजोड़ है. ये तीन गुट हैं-
-बलोच लिबरेशन आर्मी या BLA (बशीर ज़ेब ग्रुप)
-बलोचिस्तान लिबरेशन फ्रंट या BLF
- और बलोच रिपब्लिकन गार्ड्स या BRG.
BRAS की जरुरत क्यों पड़ी? ये समझने के लिए BLA के इतिहास पर चलना पड़ेगा. इससे आपको ये भी समझ आएगा कि ये BRAS बाकी ग्रुप्स से कैसे अलग है.
BLA, बलोचिस्तान आजादी मूवमेंट का सबसे बड़ा गुट है. इसकी शुरुआत की थी मीशा और शाशा ने. ये कौन हैं?
ये नाम है KGB के दो एजेंट्स का. साल 1979 में सोवियत संघ ने अफ़ग़ानिस्तान पर हमला किया. जंग में पाकिस्तान और अमेरिका मुदाहिदीनों की मदद कर रहे थे. ऐसे में सोवियत संघ ने पाकिस्तान में आतंरिक कलह पैदा करने के इरादे से अपने दो एजेंट्स को भेजा. ये दोनों कराची पहुंचे. वहां इन दोनों ने BSO के लोगों से मुलाकात की. BSO यानी बलोचिस्तान स्टूडेंट आर्गेनाईजेशन. अयूब खान के दौर में बलोच लोगों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाने के लिए इसका गठन हुआ था. KGB ने BSO के लोगों को मॉस्को भेजना शुरू किया. उन्हें ट्रेनिंग दी गयी और ऐसे BLA की शुरुआत हुई.
1989 में सोवियत संघ की अफ़ग़ानिस्तान से रुखसती हुई. दो साल बाद सोवियत संघ का विघटन हो गया. इसका नतीजा हुआ की BLA की फंडिंग रुक गई. साल 2000 में KGB ने दोबारा कोशिश की. रूस के एक इंजीयरिंग छात्र को पाकिस्तान भेजा गया. ये KGB का एजेंट था. इसकी मदद से BLA का संगठन दोबारा खड़ा किया गया.
पाकिस्तान की तरफ से ये भी दावा किया जाता है कि BLA को खड़ा करने में RAW का हाथ था.
साल 2005 में BLA ख़बरों में आया जब उसने परवेज़ मुशर्रफ़ पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली. साल 2006 में पाकिस्तान ने BLA को आतंकी संगठन घोषित कर दिया.
पाकिस्तान का जो इलाका अफ़ग़ान सीमा से लगता है, वो BLA का गढ़ था. पिछले 20 साल से सक्रिय ये संगठन अब तक दर्ज़नों हमले कर चुका है. करीब 2 हजार के आसपास लड़ाके इसके मेंबर हैं. लीडरशिप की बात करें तो 2006 में नवाबज़ादा बालाच मिरी को BLA का नेता चुना गया. बालाच के पिता नवाब ख़ैर बख़्श मिरी 70 के दशक में शुरू हुए आज़ाद बलोचिस्तान आंदोलन का बड़ा चेहरा थे. BLA के संगठन में एक बड़ा बदलाव आया 2013 में.
2013 में चीन पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर, CPEC की शुरुआत हुई. BLA के एक बड़े नेता असलम बलोच चाहते थे कि BLA चीन के प्रोजेक्ट्स को निशाना बनाए. इनमें ग्वादर पोर्ट भी शामिल था. इसके चलते असलम बलोच की BLA लीडरशिप से ठन गई. नतीजा हुआ कि बलोच ने BLA का एक धड़ा अलग कर लिया. 2018 में बलोच आजादी के लिए लड़ रहे दो और ग्रुप जुड़े. बलोच लिबरेशन फ्रंट और बलोच रिपब्लिकन गार्डस. एक नए संगठन की शुरुआत हुई. नाम पड़ा, बलोच राजी अजोई संगर या BRAS. ब्रास ने घोषणा की कि वो पाकिस्तानी सेना के साथ-साथ चीन से जुड़े प्रोजेक्टस को निशाना बनाएगा. साथ ही उसका फोकस मुख्य तौर से दक्षिणी बलोचिस्तान के तटीय इलाकों में होगा. यहीं CPEC का एक अहम् हिस्सा ग्वादर पोर्ट भी है.
अब एक नजर BRAS के हमलों पर डाल लेते हैं-
2018 में स्थापना के पहले ही असलम बलोच ने अपने इरादे जाहिर कर दिए थे. अगस्त 2018 में असलम बलोच के बेटे रेहान बलोच ने एक फिदायीन हमले को अंजाम दिया. बलोचिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में दलबदीन नाम का एक शहर है. यहां सोने और तांबे की खान है. जिनका ठेका चीनी कंपनियों को मिला है. 11 अगस्त 2018 को रेहान बलोच एक बस में चढ़ा और खुद को बम से उड़ा लिया. इस बस में चीन के इंजीनियर बैठे थे. हमले में 3 इंजीनियर मारे गए.
इस घटना के बाद नवम्बर 2018 में BRAS की आधिकारिक घोषणा हुई. लेकिन उसी साल दिसंबर में असलम बलोच की हत्या हो गई. इसके बाद बशीर ज़ेब ने BLA और BRAS की कमान संभाल ली. BRAS की खासियत ये है की इस संगठन को बलोचिस्तान के मिडिल क्लास का सपोर्ट हासिल है. इसके बरक्स बाकी गुटों में बलोचिस्तान कबीलाई लीडरशिप ज्यादा है.
2019 में BRAS ने मकरन कोस्टल हाईवे में एक हमले को अंजाम दिया. जिसके बारे में हमने आपको शुरू में बताया था. इस हमले में पाकिस्तान नेवी और कोस्ट गार्ड के 16 लोग मारे गए थे.
अगला बड़ा हमला जून 2020 में हुआ. BRAS ने कराची स्थित पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज पर एक फिदायीन हमला किया. जिसमें 10 लोग मारे गए. रिपोर्ट के अनुसार शेनजेन स्टॉक एक्सचेंज और पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज के बीच हुई एक डील के बाद इस हमले को अंजाम दिया गया था.
हमले में मजीद ब्रिगेड का नाम आया. मजीद ब्रिगेड को BRAS का सबसे खूंखार अंग माना जाता है. और इसे फिदायीन हमले में महारत हासिल है.
अगस्त 2020 में BRAS ने एक और घटना को अंजाम दिया. बलोचिस्तान के मंड में सेना के काफिले पर हमला किया. जिसमें 12 पाकिस्तानी फौजियों की मौत हो गई.
इसी साल फरवरी महीने में BRAS ने अपना सबसे बड़ा हमला हुआ. बलोचिस्तान के नौशकी और पंजगुर में दो आर्मी कैम्प्स पर हमला हुआ. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस हमले में पाकिस्तानी फ्रंटियर कोर के 196 लोग मारे गए थे. हालांकि पाकिस्तानी सेना की तरफ से इसकी पुष्टि नहीं की गई. रिपोर्ट्स के अनुसार BRAS लड़ाकों ने बुलेट प्रूफ वेस्ट, नाईट विजन गॉगल और स्नाइपर राइफल का इस्तेमाल किया था. जिससे जाहिर हुआ कि अमेरिका के अफ़ग़ानिस्तान छोड़ने के बाद जो हथियार छूटे वो BRAS तक भी पहुंचे थे. पाकिस्तान के अपने इन्वेस्टिगेशन में कहा कि इस हमले में पाकिस्तानी तालिबान और भारत की ओर से मदद दी गई थी.
इन हमले से एक बात साफ़ थी. BRAS की ताकत दिन पर दिन बढ़ रही थी. और उसके पास लेटेस्ट हथियार भी आ गए थे. अब समझिए ताजा मामले में क्या हुआ. सोमवार 1 फरवरी की पाकिस्तानी आर्मी का एक हेलीकॉप्टर बलोचिस्तान के लिए उड़ा. इनमें 12 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज अली सहित सेना के 6 अफसर बैठे थे. बलोचिस्तान के कई इलाकों में बाढ़ आई हुई है. लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज और बाढ़ राहत जिम्मेदारी संभाल रहे थे.
रात होते-होते एयर ट्रैफिक कंट्रोल का हेलीकॉप्टर से कनेक्शन टूट गया. अगले दिन पता चला कि हेलीकॉप्टर क्रैश कर गया है. पाकिस्तानी सेना की तरफ से बयान आया कि मौसम में आई खराबी के चलते हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ था. ये उनका दावा था. एक और दावा हुआ, दो दिन बाद 3 अगस्त को BRAS ने इस हमले की जिम्मेदारी ली. BRAS की ओर से जो कहानी बयान की गई वो इस प्रकार है,
सेना का हेलीकॉप्टर बलोचिस्तान के सस्सी पुन्नू गढ़ इलाके में पहुंचा था. मौसम ख़राब था. इसलिए हेलकॉप्टर की ऊंचाई कम थी. इसलिए वो BRAS लड़ाकों की नज़र में आ गया. पाकिस्तान फौज का निशान देखते ही BRAS पर एक मिसाइल दागी गई और वो जमीन पर आ गिरा.
BRAS प्रवक्ता के बयान में एक जोड़ी. उन्होंने कहा लेफ्टिनेंट जनरल सरफराज बलोचिस्तान लोगों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार थे. और उनके मिलिट्री कमांडर रहते हुए हजारों बलोच लोगों को गायब कर मार डाला गया.
BRAS के दावे में कितनी सच्चाई है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है. किय्या बलोच एक फ्रीलांस पत्रकार हैं. यूरोप में रहते हैं और बलोचिस्तान के मुद्दे पर लगातार लिखते रहे हैं. अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि उनके पास तस्वीरें हैं. किय्या बलोच के अनुसार इन तस्वीरों में BRAS के मेंबर मिसाइल और रॉकेट पकड़े हुए हैं. इसलिए इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि हमला सच में हुआ हो.
रही बात पाकिस्तान ही तो उसकी तरफ से पुष्टि होने से रही. लेकिन अगर ये बात सच है तो पाकिस्तान के लिए बड़ा सरदर्द साबित हो सकता है. बलोचिस्तान क्षेत्रफल के हिसाब से पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है. बलोचिस्तान की सीमा ईरान और अफ़ग़ानिस्तान से मिलती है. सामरिक दृष्टि से भी ये इलाका पाकिस्तान के लिए बेहद खास है. उसके तीन नौसैनिक अड्डे बलोचिस्तान में है. वहीं उसका चगाई परमाणु परीक्षण स्थल भी है. इसके अलावा, बलोचिस्तान में तांबा, सोना और यूरेनियम का भंडार है. वहां संसाधन की कोई कमी नहीं है, लेकिन उसका लाभ स्थानीय लोगों को नहीं मिलता. बलोच लोगों की भागीदारी कम है. उन तक शिक्षा की भी पहुंच नहीं है. इस इलाके में चीन का भी विशेष इंटरेस्ट हैं. यहां माइनिंग के कॉन्ट्रैक्ट्स चीनी कंपनियों को मिले हैं. चीन की तरफ से इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया तो नहीं आई लेकिन इस इलाके में होने वाली किसी भी घटना पर उसकी पैनी नजर रहती है. आगे इस मामले से जुड़े जो भी अपडेट्स होंगे आप तक पहुंचाते रहेंगे. फिलहाल चलते हैं सुर्ख़ियों पर
चीन में अरबपतियों के इतने पैसे क्यों डूब रहे हैं?