10 जून, 2021. जयपुर में एक ऑडियो क्लिप सामने आती है. आरोप लगता है कि ऑडियो में जयपुर की मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम घर-घर जाकर कचरा उठाने वाली कंपनी BVG के अधिकारी से 20 करोड़ रुपये की रिश्वत मांग रहे हैं. राजाराम, ओमकार साप्रे और BVG कंपनी के अधिकारी की गिरफ्तारी हो जाती है. 29 जून को राज्य की एंटी करप्शन ब्यूरो एक और नाम जोड़ती है. राज्य में RSS प्रमुख निंबाराम का. आरोप लगा कि रिश्वत मांगने के दौरान राजाराम के साथ निंबाराम भी मौजूद थे.
भजन लाल: राजस्थान के अगले CM, जो आखिरी पंक्ति में रहकर भी PM मोदी के करीबी निकले
पहली बार विधायक बनने के बाद ही राजस्थान की कमान संभालने जा रहे भजन लाल की कहानी. PM मोदी से करीबी हैरान करने वाली.

संघ के लिए ये साख का विषय था. दो साल तक मामला चलता है. और इस साल मार्च में हाई कोर्ट निंबाराम के खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश दे देती है. इतना समय काफी था कि संघ ये पता लगा सके कि ये खेल खेला किसने था. कहा जाता है कि संघ को एक नाम अशोक लाहोटी का पता चला जिन्होंने कथित तौर पर निंबाराम को फंसाने की पूरी कोशिश की थी.
चुनाव का वक्त आया. अशोक लाहोटी का टिकट कट चुका था. इस बार जयपुर की उनकी सांगानेर सीट से टिकट दिया गया बीजेपी के संगठन मंत्री भजन लाल शर्मा को. वही भजन लाल जो पिछले 20 साल से जयपुर में निंबाराम के साथी थे. वही भजन लाल जिन्हें आज बीजेपी आलाकमान ने पूरे राजस्थान की जिम्मेदारी सौंप दी है.
3 दिसंबर के बाद से पत्रकारों के नोट्स से लेकर सोशल मीडिया पोस्ट्स तक में राजस्थान के सीएम उम्मीदवारों की जो लिस्ट घूम रही थी, उसमें भजन लाल का नाम कहीं भी नहीं था. यहां तक कि बीजेपी विधायक दल की जो तस्वीर सामने आई, उसमें भी भजन लाल सबसे पीछे की पंक्ति में खड़े दिखाई दिए. लेकिन ऐन वक्त पर चौंकाने के लिए जानी जाने वाली मोदी-शाह की बीजेपी ने राजस्थान में भी कुछ वैसा ही किया. पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे भजन लाल राज्य के मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं.

भजन लाल राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले हैं. यहां के अटारी गांव के मूल निवासी हैं. भरतपुर के नदबई से उन्होंने स्कूल की पढ़ाई की. यहीं से उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा था. साल था 2003. लेकिन बीजेपी के टिकट पर नहीं. भजन लाल ने चुनाव लड़ा था राजस्थान सामाजिक न्याय मंच से. नतीजों में वो पांचवें नंबर पर रहे थे. तब उन्हें 6 हजार से कम वोट मिले थे.
इसके बाद भजन लाल बीजेपी में शामिल हुए. हालांकि RSS और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में वो युवा दिनों से ही एक्टिव रहे हैं. शायद इसीलिए जयपुर में उनके पक्के साथी RSS के निंबाराम थे. पार्टी में आने के बाद से वो चुनावी राजनीति से दूर रहे और संगठन में सक्रिय. न विधायकी लड़ी न सांसदी. पर प्रदेश महामंत्री पद की जिम्मेदारी चार बार निभाई. बीजेपी को ऐसी पार्टी कहा जाता है जो अपने कार्यकर्ताओं को काम का इनाम देती है. और भजन लाल इस बात के गवाह भी हैं. करीब दो दशक तक संगठन में काम किया और आज पार्टी उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री बनाने जा रही है.
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राजनीतिक विज्ञान में MA करने वाले भजन लाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं. इंडिया टुडे मैग्जीन के वरिष्ठ संवाददाता आनंद चौधरी कहते हैं,
“राजस्थान में पीएम मोदी अगर किसी से राजनीतिक चर्चा करते हैं तो वो भजन लाल हैं.”
राजस्थान की राजनीति समझने वाले कहते हैं कि जब भजन लाल को टिकट मिला था तब ये कयास लगाए जा रहे थे कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह जरूर मिलेगी. लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल का नेता बना दिया जाएगा, इस बात की भनक किसी को नहीं थी. यहां तक कि पार्टी के भीतर भी नहीं.

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद भजन लाल ने कहा,
“मैं आश्वस्त करना चाहता हूं कि जनता की जो अपेक्षाएं हमसे हैं, बीजेपी से हैं, उन पर राजस्थान के सभी विधायक जरूर खरे उतरेंगे. पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हम राजस्थान का सभी क्षेत्रों में समग्र विकास सुनिश्चित करेंगे.”
भजन लाल उस सीट से जीत कर आए हैं जिसे बीजेपी का गढ़ माना जाता रहा है. 1977 में जयपुर में सांगानेर सीट अस्तित्व में आई. तब से हुए 10 चुनाव में बीजेपी को 8 बार जीत मिली है. इस बार भजन लाल ने कांग्रेस के पुष्पेंद्र भारद्वाज को 48 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. इस सीट पर ‘ब्राह्मण बनाम ब्राह्मण’ की लड़ाई थी.
बीजेपी ने पहले छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय के विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री बनाया, फिर मध्य प्रदेश में पिछड़े वर्ग के मोहन यादव को. वहीं राजस्थान को एक ब्राह्मण मुख्यमंत्री मिला है. राजनीतिक और चुनावी जानकार इसे लोकसभा चुनाव 2024 के लिए पीएम मोदी की रणनीति बता रहे हैं तो कुछ कह रहे हैं कि ये यूपी तक संदेश देने की कोशिश हो सकती है.
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