The Lallantop

'मिस इंडिया' जो कॉल गर्ल बनी, पकड़ी गई तो सरकार हिली

उस महीने मीडिया के पास कोई बड़ी खबर नहीं थी. लेकिन अचानक एक बिजली-सी कौंधी. वह भी 27 साल की एक लड़की के रूप में.

post-main-image
उस महीने ब्रिटिश पत्रिकाओं के पास कोई बड़ी खबर नहीं थी. लेकिन अचानक एक बिजली-सी कौंधी और वह भी 27 साल की एक बाला के रूप में. उस भारतीय लड़की की तस्वीरें हर ब्रिटिश मैगजीन के कवर पर कौंध गईं. सबकी जुबान पर एक ही नाम, पामेला! पामेला!
पामेला.. आगे क्या? बोर्डेस, चौधरी, सिंह, कुछ भी लगा लीजिए, फर्क नहीं पड़ता. हरियाणा की इस जाट लड़की का सीवी जरा हटकर था. 1982 में उसके सिर पर मिस इंडिया का ताज था. लेकिन ठीक 7 साल बाद ब्रिटेन की पीत पत्रिकाएं उसे एक हाईप्रोफाइल कॉल गर्ल के तौर पर पेश कर रही थीं. बताया गया कि उसके चाहने वालों में दो अखबारों के एडिटर और ब्रिटेन के खेल मंत्री तक शामिल थे. उसके पास ब्रिटिश संसद का पास था. हथियारों के एक डीलर से उसकी शादी हुई, जो ज्यादा टिकी नहीं. सन् 89 में जब पूरा 'स्कैंडल' सामने आया तो वह अज्ञातवास में चली गईं और ब्रिटेन की सरकार गिराने की बात करने लगी.


पूरी दुनिया की आंखें उस वक्त हैरत से निकल आई थीं. वो किम कार्दाशियां और पूनम पांडेय से पहले की दुनिया थी, जिसके लिए ये सब पचाना आसान नहीं था. एक गुमनाम सी भारतीय सुंदरी का रातोंरात मशहूर हो जाना, जितना रहस्यमयी था, उतना सनसनीखेज भी.


दोहरी जिंदगी: कभी सांसद की रिसर्च असिस्टेंट, कभी कॉल गर्ल

पामेला केस की पहली झलक उस वक्त मिली जब एक मैगजीन ने खुलासा किया कि पामेला बोर्डेस नाम की ये लड़की दोहरी जिंदगी जीती है- एक, सत्तारूढ़ टोरी पार्टी के एक सांसद की रिसर्च असिस्टेंट के रूप में और दूसरी, कॉल गर्ल के रूप में जिसके बेडरूम के कारनामे किसी घोटाले से कम नहीं हैं.
इससे ब्रिटेन सरकार से जुड़े कई बड़े नाम उजागर हुए जो पामेला के ग्राहकों में शामिल थे. इसमें सिर्फ टोरी सांसद ही नहीं, दो ताकतवर हैसियत वाले एडिटर, इंटरनेशनल लेवल का हथियार डीलर, एक कैबिनेट मंत्री और एक प्रमुख लीबियाई खुफिया अफसर भी शामिल था.
pamella



इसके बाद तो पामेला की ग्लैमरस तस्वीरों और 'मसालेदार दावों' से सारी ब्रिटिश पत्रिकाएं भर गईं. एक मैगजीन ने दावा किया कि पामेला सामान्य दिन में 500 पौंड और वीकएंड पर 2000 पौंड में उनके एक रिपोर्टर के साथ सोने को राजी हो गई थीं.


ब्रिटेन मीडिया ने जब इस स्कैंडल को अश्लील तरीके से पेश करना शुरू कर दिया, तो पामेला 7 लाख 50 हजार पौंड वाले शानदार पेंटहाउस को छोड़कर गुमनाम जगह पर रहने चली गईं. शायद बात यहीं खत्म हो गई होती लेकिन इसके बाद पामेला खुद तमाम राज़ों से परदा उठाने लगीं.


उन्होंने अपने दोस्त और हल्के-अश्लील साहित्य लेखन में माहिर डेविड सुलिवान के जरिये कहलवाया कि वो ऐसे हैरतअंगेज़ राज़ जानती हैं कि उन्हें उजागर कर दें तो ब्रिटेन की सरकार गिर सकती है. लोगों ने इसका ये मतलब निकाला कि अचानक मिली शोहरत से वो ज्यादा से ज्यादा फायदा उठा लेना चाहती थीं.


एक पीत पत्रिका में उसका बयान छपा,
Pamella4

इसके बाद क्या कुछ हुआ, क्या कुछ छपा

1. अखबार 'ईवनिंग स्टैंडर्ड' ने दावा किया पामेला के लीबियाई खुफिया संगठन के अधिकारी कर्नल मुअम्मर गद्दाफी के चचेरे भाई कर्नल अहमद गेद्दा फेद्दम से 'करीबी रिश्ते हैं.' पामेला उनसे मिलने पेरिस और यहां तक कि पर्सनल प्लेन में त्रिपोली भी जाती रहीं.
2. एक दूसरे अखबार ने छापा कि स्पेशल ब्रांच के अफसर 'पी. सिंह' और 'पी. चौधरी' नाम वाले बैंक खातों की पड़ताल कर रहे हैं. लेकिन अफवाहों के कारण ये तथ्य पुष्ट न हो सका.
3. खबर ये भी उड़ी कि फ्लीट स्ट्रीट के अखबारों ने पामेला की लाइफ स्टोरी छापने के राइट्स के लिए 20 लाख पौंड तक देने की पेशकश की थी.
4. पॉल रेमंड के 'मेन ओनली' ने उसके न्यूड फोटोज के लिए उसे 7.5 लाख पौंड की पेशकश की. एडिटर नेविल प्लेयर ने कहा था, 'मेरा मानना है कि देश को उसका पूरा सौंदर्य देखने का हक है.' लेकिन पामेला ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया.
उस वक्त के ब्रिटिश खेल मंत्री कोलिन मोयनिहन (सबसे दाएं) के साथ पामेला.
उस वक्त के ब्रिटिश खेल मंत्री कोलिन मोयनिहन (सबसे दाएं) के साथ पामेला. फोटो: ईवनिंग स्टैंडर्ड

वो हर पार्टी में मौजूद होती थी, रईसों के इर्द-गिर्द

वैसे ऐसा एक भी सबूत नहीं मिला, जिससे ये साबित होता हो कि वो किसी सांसद के साथ हमबिस्तर हुई हो. लेकिन इसके पर्याप्त सबूत दिखे कि वो हमबिस्तर होने के लिए पैसे लेती थी. वह आम लड़की नहीं थी. हर बड़े आयोजन में वो मौजूद होती थी. चाहे वो मीडिया मुगल रुपर्ट मर्डोक की बीवी के नॉवेल लॉन्च का मौका हो या जॉर्ज बुश के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद लंदन के अमेरिकी दूतावास में हुई पार्टी का. ये सारी बातें  3 हजार पौंड सालाना वेतन पाने वाली रिसर्च असिस्टेंट की जिंदगी से मेल नहीं खाते.


कुछ ने कहा कि ये सारा मामला 'संडे टाइम्स' के संपादक नील पर हमला करने के लिए प्रतिद्वंद्वियों ने उछाला था. दूसरी थ्योरी थी कि तुरत-फुरत अच्छी कमाई के लिए खुद पामेला ने ये सनसनीखेज खबर छपवाई थी.


लेकिन इस स्कैंडल ने भारत में उनकी मां शकुंतला चौधरी को बहुत परेशान कर दिया था. उनका बयान एक अखबार ने छापा था, 'मैं उसे कुत्ते की जंजीर से पीटा करती थी.' अपनी बेटी के 'जिद्दी और बहके' बर्ताव के चलते परिवार ने उससे 1982 में ही नाता तोड़ लिया था. इसलिए कुछ लोगों ने अंदाजा लगाया कि पामेला में दिखने वाला अक्खड़पन, चंचलता और महत्वाकांक्षा उसके पारिवारिक माहौल की देन भी हो सकती है.

थोड़ा फ्लैशबैक!

पामेला एक मिडल क्लास हरियाणवी जाट परिवार से थीं. पिता मेजर महेंद्र सिंह सेना में थे जिनकी 1962 की लड़ाई में मौत हो गई थी. उस समय पामेला सिर्फ दो महीने की थी. पति की मौत के बाद शकुंतला चंडीगढ़ के सरकारी कॉलेज होस्टल की वॉर्डन बन गईं. हरियाणा के उस वक्त के मुख्यमंत्री बंसीलाल की बेटी सरोज सिवाच भी उसी कॉलेज में पढ़ रही थी. उसके जरिये शकुंतला बंसीलाल के संपर्क में आईं और उनकी मदद से जनवरी 1975 में हरियाणा पब्लिक सर्विस कमिशन में शामिल हो गईं. बताते हैं कि वो एग्जाम पास करके अफसर नहीं बनी थीं, उन्हें राज्य सरकार ने नॉमिनेट किया था.
Shakuntala

शकुंतला जिस समय करियर बनाने में लगी थीं, उनकी बेटी पामेला बोर्डिंग स्कूलों में पढ़ाई कर रही थी. पामेली की स्कूली सहेलियों के बयान छपे थे, जिनके मुताबिक उसकी मां, उसके लिए आतंक से कम नहीं थीं. उसकी एक सहेली ने बताया कि गरमी की छुट्टी से लौटने के बाद पामेला ने उसे पिटाई से हुए अपने घाव दिखाए थे.
इसके बाद पामेला ने दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज में एडमिशन लिया. उसकी सहेलियों के बयान कई मैगजीन में छपे, जिसके मुताबिक, वो सिगरेट पीती थी, तंग कपड़े पहनती थी और लड़कों के साथ रहना पसंद करती थी. उसी समय वो सेंट स्टीफेंस कॉलेज के एक अमीर छात्र से प्रेम कर बैठी और अस्तबल में उसे किस करके उसने अपने सहेलियों को ताज्जुब में डाल दिया था. उसकी एक सहेली ने 1989 में इंडिया टुडे को बताया था, 'अगर वो इससे आगे बढ़ी होती तो हमें जरूर बताती.'


पामेला को लोगों को चौंकाने में मज़ा आता था. कॉलेज की उसकी सहेलियों के मुताबिक, वो गलियारे में खड़ी हो जाती और चिल्लाती, 'अरे मैं कॉन्ट्रासेप्टिव गोली खाना भूल गई. अब क्या होगा?'


Pamella8

न्यूयॉर्क से लौटकर वो काफी बदल गई थी

1980 की शुरुआत में वो दिल्ली की मॉडलिंग एजेंसी 'एडवेव' पहुंची और मॉ़डलिंग में करियर शुरू किया. उसे कई विज्ञापन मिले, जिसके बाद वो कॉकटेल पार्टियों में भी आवाजाही करने लगी. 1981 में वो मुंबई चली गई और 1982 में फेमिना मिस इंडिया कंपटीशन में जीतकर मशहूर हो गई. फिर वह पेरू की राजधानी लीमा चली गई. वहां ब्यूटी कंपटीशंस में हिस्सा लेने के बाद वह न्यूयॉर्क चली गई.


1983 में लौटी तो वह बहुत बदल चुकी थी. उत्तेजक ब्लाउज, छोटी स्कर्ट, चटख लिपस्टिक और चमकदार नेल पॉलिश वाले लंबे नाखून. उसका बर्ताव भी बहुत बदला हुआ था. लेकिन वेस्टर्न लहजे में अंग्रेजी बोलने में जब उससे चूक हो जाती तो करीबी लोग पहचान जाते कि इस नफासत के पीछे वही पुरानी पामेला छिपी है.


1982 में मिस इंडिया का ताज जीतकर ये महत्वाकांक्षी मॉडल न्यूयॉर्क पहुंची. बताते हैं कि वहां पर ही वो सऊदी अरब के बदनाम हथियार कारोबारी अदनान खाशोगी के संपर्क में आई. अदनान एक समय दुनिया के सबसे अमीर लोगों में था. कई लोगों का मानना है कि खाशोगी से उसकी मुलाकात विवादित धर्मगुरु चंद्रास्वामी ने करवाई थी. इसी समय कतर के एक अमीर से भी उसकी मुलाकात हुई. उस वक्त यह बात भी खूब उड़ी कि दोनों अमीरों में पामेला को अपने पास रखने के लिए होड़ लग गई थी.

पामेला सिंह से बोर्डेस बनने की कहानी

न्यूयॉर्क से वो जापान और जापान से लंदन पहुंची. वहां वो एक सजायाफ्ता हथियार व्यापारी से मिली जो पेरिस से ऑपरेट करता था. उसके जरिये वो रिकॉर्ड प्रोड्यूसर डोमिनिक बोर्डेस से मिली और जून 1984 में उससे शादी रचा ली. अब वो पामेला सिंह से पामेला बोर्डेस हो गई.


डोमिनिक बोर्डेस का कहना था, 'उसने उस हथियारों के डीलर की धौंस से बचने के लिए मुझसे शादी की रिक्वेस्ट की. मैं बहुत सिंपल लाइफ जीता हूं, जबकि उसमें हाउसवाइफ जैसी कोई बात नहीं थी. यहां तक कि पांच साल पहले भी उसके पास काफी पैसे और महंगी ड्रेसेज रहती थीं. उस समय मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि उसे पैसे कहां से मिलते थे. लेकिन अब मैं उसके बारे में अंदाज़ा लगा सकता हूं. वो दुनियादारी में माहिर थी. पारंपरिक, शर्मीली भारतीय दुल्हन जैसी नहीं.'


लंदन में एक बार फिर वो अमीर और ताकतवर लोगों से मेलजोल बढ़ाने में जुट गईं. बवाल में फंसे सत्तारूढ़ पार्टी के सांसदों के अलावा उनके रिश्ते रोमानिया के राजकुमार पॉल, इटली के काउंट कार्लो कोलोंबोत्ती और 'द रोलिंग स्टोन्स' के रॉकस्टार बिल वाइमैन से भी थे.
कोलोंबोत्ती के साथ.
कोलोंबोत्ती के साथ.

पामेला का तरीका बहुत सीधा था

बड़े लोगों में पैठ बनाने का उसका तरीका बहुत सीधा-सा था. वो कंपनियों की 'बोर्डरूम' और 'हार्पर्स एंड क्वीन' जैसी पत्रिकाओं में हाई प्रोफाइल डिनर पार्टियों के लिए स्वाद पारखी बावर्ची के तौर पर विज्ञापन देती. डेली मेल में उसका बयान छपा था, 'पहले मैं ऐसे आदमी का फोटोग्राफ हासिल करती हूं और उसके भीतर छुपे मर्द को तलाशती हूं. फिर उसकी दिलचस्पियों के सिलसिले में और जानकारियां जुटाकर उन्हें अपने भीतर ढालने की कोशिश करती हूं.'
Pamella77

एंड्यू नील से रिश्ता

लंदन के एक नाइट क्लब पार्टी में ये पामेला 'द संडे टाइम्स' के कुंवारे एडिटर एंड्र्यू नील से पहली बार मिली. दोनों का जोरदार रिश्ता तीन महीने तक चला.


पामेला नील के प्रेम की दीवानी न भी रही हो, पर उसने अपने तमाम रिश्तों में सबसे ज्यादा अहमियत इसी को दी. नील उसके लिए ब्रिटिश की हाई क्लास सोसाइटी में पहुंचने का जरिया थे.


लेकिन उनके रिश्ते उस वक्त खत्म हुए जब अगस्त 1988 में नील ने उनसे रिश्ता तोड़ना चाहा और गुस्साई पामेला ने उनके कपड़े फाड़ डाले. पामेला ने सिर्फ बदला लेने के मकसद एक कंपटीटर अखबार 'द ऑब्जर्वर' के एडिटर डोनल्ड ट्रेलफोर्ड से दोस्ती कर ली.
एंड्र्यू नील के साथ पामेला.
एंड्र्यू नील के साथ पामेला.

और फिर वो सांसदों तक पहुंचीं

पामेला अब ब्रिटिश के संसद मालदार पुरुषों तक पहुंचना चाहती थीं. नील से रिश्ता टूटने के थोड़े ही दिन बाद पामेला 'बोर्डरूम' के एडिटर मार्क बर्का के जरिये सांसद डेविड शॉ से मिली. शॉ ब्रिटेन की संसद से मिलने वाले अपने कोटे के तीन पास पहले ही बांट चुके थे. सो उन्होंने अपनी ही पार्टी के एक सांसद हेनरी बलिंघम से पामेला को पास देने को कहा ताकि वो एक रिसर्च में उनकी मदद कर सके.
लेकिन इसके बाद पूरा मामला सुरक्षा घोटाले का बन गया डिसकी टोरी पार्टी के सीनियर नेताओं ने खूब आलोचना की. पामेला पर सवाल उठे, लेकिन न डोमिनिक बोर्डेस उनके बचाव में आए और न ही सांसद मार्क बका. बका ने उस वक्त 'इंडिया टुडे' से कहा था, 'उसने मुझे ठग लिया. मैंने उस पर भरोसा किया लेकिन उसने सांसदों से मिलवाने की गुजारिश करने से पहले अपने बारे में मुझे सब कुछ नहीं बताया.'
पामेला की सेल्फी.
पामेला की सेल्फी.

मई 1989 में 'डेली मेल' में लिंडा ली पॉटर ने पामेला बोर्डेस पर एक स्पेशल रिपोर्ट लिखी. उन्होंने लिखा, 'मैंने उसके साथ पिछले दो हफ्ते गुजारे हैं और मुझे लगता है कि वो खुद के मोह से ग्रस्त है. वो हद दर्जे की लंपट है और नैतिकता से उसका कोई लेना-देना नहीं. विडंबना देखिए कि ऐसे शब्दों के संदर्भ में उसकी कहानी हमारे काल के लिए बहुत अहम हो उठती है.'


डेली मेल ने जो स्टोरी लिखी, उस कहानी में एक तरफ तो पामेला हवस और मौजमस्ती में सराबोर कॉलगर्ल दिखाई देती है जो हथियारों के सौदागर अदनान खाशोगी के लिए काम करती है. वह कहती है, 'मैं हर जगह गई, सब कुछ किया. मेरा शबाब कहीं लालच के तौर पर इस्तेमाल हुआ, कहीं घूस की तरह और कहीं तोहफे की तरह.'
दूसरी तरफ उसकी कहानी एक ऐसी चुस्त और टैलेंटेड औरत की दिलकश दास्तान है, जो मक्कारी और दुष्टता से मर्दों को लुभा-बहकाकर उन्हें बिस्तर तक ले जाती है. उसका आखिरी मकसद स्थायी रिश्ते बनाना या शायद शादी करना है. ताकि वह खाशोगी के कॉलगर्ल गैंग से निकलकर खुद को ब्रिटिश सिस्टम की हाई क्लास सोसाइटी में स्थापित कर सके.


अब गोवा में रहती हैं!

55 साल की पामेला बोर्डेस अब गोवा में एक टू-बेडरूम फ्लैट में किराए पर रहती हैं. 2010 में 'डेली मेल' ने ही तस्वीरें छापी थीं. दावा किया था कि अब वो एक फोटोग्राफर के तौर पर जिंदगी बिता रही हैं. उनके एक करीबी मित्र ने 'डेली मेल' को बताया था कि अब वह पामेला सिंह के नाम जानी जाती हैं और उन्होंने अपने नाम की स्पेलिंग से अतिरिक्त 'L' भी हटा लिया है. उनके पास 2010 में सुजुकी वैगनआर कार थी.
Pamella6
यहां बहुत कम लोग हैं जो उनके पास्ट के बारे में जानते हैं. वो यहां अब नौजवान लोगों में घुल-मिल गई हैं जिनके 27 साल पहले के उस स्कैंडल से परिचित होने की संभावना कम है.
हरियाणा के माजरा में पामेला के पिता मेजर चौधरी की शहादत पर अब भी सालाना मेला लगता है, जिसमें 10 हजार तक की भीड़ आती है. पामेला कभी वहां नहीं देखी गईं.
डेली मेल वालों ने गोवा में जब उनसे बात करने की कोशिश की तो जवाब मिला, 'सॉरी. मैं आपसे बात नहीं कर सकती.'

ये स्टोरी ऋषभ ने लिखी है.