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जूलियन असांज: वो मास्टरमाइंड, जो किसी के लिए क्रिमिनल है तो किसी के लिए क्रांतिकारी

असांज अभी कहां हैं?

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जूलियन असांज
क्रिस्टोफ़र नोलन की बनाई एक अप्रतिम फ़िल्म है- दी डार्क नाइट. इसमें एक क़िरदार है- टू फ़ेस, उर्फ़ हार्वे डेंट. हार्वे के दो रूप हैं. एक रूप, जिसमें वो शहर का सम्मानित डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी है. दूसरा रूप, जब वो एक विक्षिप्त क्रिमिनल मास्टरमाइंड है. फ़िल्म के एक दृश्य में हार्वे डेंट, ब्रूस वेन से कहता है-
यू आइदर डाय अ हीरो, ऑर यू लिव लॉन्ग इनफ़ टू सी योरसेल्फ़ बीकम दी विलन.
यानी- या तो आप नायक बनकर मरते हैं, या फिर इतना लंबा जीते हैं कि ख़ुद को ख़लनायक बनते देखें.
आज हम आपको जिस शख़्स का क़िस्सा सुना रहे हैं, उसके जीवन का भी सार यही है. कुछ कहते हैं, वो नायक है. कुछ कहते हैं, खलनायक है. कुछ कहते हैं, उसे नोबेल शांति पुरस्कार दो. कुछ कहते हैं, गोली मार दो. कुछ कहते हैं, क्रांतिकारी. कुछ कहते हैं- कॉम्बो पैक, सनकी, अपराधी. और वो शख़्स, जो इस द्वंद्व का केंद्र है, ख़ुद को कहता है- अ फ़ीयरलेस ऐक्टिविस्ट. जो बेख़ौफ होकर राजनैतिक और सामाजिक व्यवस्था में बेहतरी लाने का प्रयास कर रहा है.
जिस शख़्स का ये परिचय है, उनका नाम है- जूलियन असांज. विकीलीक्स के फाउंडर, जो फिलवक़्त ब्रिटिश जेल में बंद हैं. 12 अप्रैल, 2019 को लंदन स्थित एक्वाडोरियन दूतावास से ब्रिटिश पुलिस घसीटते हुए असांज को ले गई थी. एक्वाडोर ने 2012 में असांज को अपने दूतावास में शरण दी थी. असांज छह साल, नौ महीने और 24 दिन तक इसी दूतावास में रहे थे. 2,488 दिनों तक उन्होंने ख़ुद को इसी दूतावास के 330 स्क्वैयर फ़ीट इलाके में बंद रखकर ख़ुद को गिरफ़्तार होने से बचाए रखा था. अब ख़बर आई है कि एक्वाडोर ने 2018 में असांज को दी गई अपनी नागरिकता वापस छीन ली है. एक्वाडोर ने क्यों किया ऐसा? इतने समय तक असांज को प्रॉटेक्ट करने के बाद एक्वाडोर ने क्यों अपने हाथ खींच लिए? क्या इल्ज़ाम है असांज पर? क्यों वो जेल में बंद हैं? क्या है असांज की पूरी कहानी, इस पर विस्तार से बताते हैं. असांज के मायने ये क़िस्सा शुरू करते हैं, उपनाम से. जूलियन का सरनेम है, असांज. ये शब्द एक अपभ्रंश है. जो निकला है दो शब्दों से- अह सांग. सांग, तो व्यक्ति का नाम हुआ. और इसके साथ जुड़ा शब्द- अह, चाइनीज़ भाषा का एक संबोधन है. इसका अर्थ होता है, श्रीमान. यानी, अह सांग मतलब, मिस्टर सांग. ये जनाब चीन के रहने वाले थे. 18वीं सदी के शुरुआती सालों की बात है. ये मिस्टर सांग चीन से पलायन करके जा बसे एक द्वीप, थर्सडे आइलैंड पर. ये ऑस्ट्रेलिया का एक भाग है, जो मुख्य भूमि से थोड़ी दूर समंदर में बसा है. जहां क्वीन्सलैंड का उत्तरी छोर है, उसी के नज़दीक. यहां अह-सांग, अपभ्रंश होकर 'असांज' पुकारा जाने लगा. कालांतर में अह-सांग के वंशज ऑस्ट्रेलियन मेनलैंड पर जाकर बस गए. असांज इस परिवार का सरनेम बन गया.
इसी परिवार में पैदा हुए, जूलियन असांज. पैदाइश का साल, 1971. जगह, ऑस्ट्रेलिया के उत्तर-पूर्वी छोर पर बसा शहर- टाउन्सविले. जूलियन करीब एक साल के थे, जब उनके माता-पिता अलग हो गए. जूलियन की मां क्लैर ने एक थियेटर डायरेक्टर से शादी कर ली. क्लैर ने जूलियन को अपने ही साथ रखा.
क्लैर बाग़ी स्वभाव की थीं. ऐसी थीं, जिन्हें नॉनकन्फॉर्मिस्ट्स कहा जाता है. मतलब ऐसा इंसान, जिसकी सोच समाज की रवायतों से मेल न खाती हो. जो परंपराएं तोड़ने में यकीन रखता हो. क्लैर को सिस्टमैटिक चीजों में भरोसा नहीं था. सो 17 की उम्र में उन्होंने अपनी क़िताबें जला दीं और घर छोड़ दिया. साथ रखी, मात्र एक बाइक. क्लैर के आगे का जीवन भी ऐसा ही मस्ताना था. उसमें ख़ूब यात्राएं थीं. ख़ूब रोमांच था. उन्मुक्तता और बेपरवाही थी.
यहां क्लैर के स्वभाव का ब्योरा देने की वजह हैं, जूलियन. अपनी मां के चलते जूलियन को एक अलग तरह का बचपन मिला. मां उन्हें नेचर एक्सप्लोर करने का प्रोत्साहन देतीं. क़िताबों में घुसे रहने की जगह जूलियन घंटों तैराकी करते. अपनी नाव ख़ुद बनाया करते. मतलब, इस बचपन में भरपूर अडवेंचर था.
क्लैर को स्कूली शिक्षा की सार्थकता में भरोसा नहीं था. उन्हें लगता था कि स्कूली तालीम बच्चों को बचपन से ही जंज़ीरों में बांध देती है. उनकी उत्सुकता और सीखने की ललक को मार देती है. इसलिए क्लैर, जूलियन को स्कूल नहीं भेजतीं. उन्हें घर में रखकर पढ़ातीं. हालांकि इसका ये मतलब कतई नहीं कि जूलियन की पढ़ाई कमज़ोर रही हो. वो ख़ुद से पढ़ते, लेकिन बहुत पढ़ते. मगर स्कूल के तमाम नफ़े-नुक़सान की बहस के परे, स्कूली जीवन में कई सकारात्मक चीजें भी हैं. स्कूल जाने से बच्चों को सिर्फ़ क़िताबी ज्ञान नहीं होता. वो एक सिस्टम को फॉलो करना, लोगों के साथ तारतम्य बिठाना भी सीखते हैं. जूलियन को ये चीजें नहीं मिलीं.
Assange (1) असांज की एक पुरानी तस्वीर.
असांज पर क्लैर का असर क्लैर के व्यक्तित्व का और भी तरह से असर हुआ जूलियन पर. मसलन, जब वो 8 साल के थे, तब क्लैर अपने पति से अलग हो गईं. उनका एक संगीतकार से रिश्ता बना. दोनों का एक बेटा भी हुआ. मगर फिर दोनों के बीच दिक़्कतें शुरू हो गईं. क्लैर अलग हो गईं. क्लैर और उस म्यूज़िशन के बीच बच्चे की कस्टडी को लेकर खींचतान होने लगी. क्लैर को लगा, कहीं उनका बच्चा छिन ना जाए. इसीलिए क्लैर जूलियन और उसके छोटे भाई को लेकर भाग गईं. 11 साल से 16 साल के बीच जूलियन मानो अपनी मां के साथ एक अंतहीन यात्रा पर थे. शायद ये ही दौर था, जिसके चलते जूलियन के व्यक्तित्व में अविश्वास करने की आदत शुमार हुई.
बरसों बाद न्यू यॉर्कर मैगज़ीन के लिए दिए एक इंटरव्यू में असांज ने इस प्रकरण के बारे में जो कहा, उससे भी इस अविश्वास वाले ऐंगल का हिंट मिलता है. जूलियन ने कहा था-
वो आदमी, मेरी मां का पूर्व पार्टनर, किसी फैमिली नाम के ताकतवर कल्ट से था. इस कल्ट का मोटो था- अनदेखा, अनजाना और अनसुना. इस कल्ट में कुछ डॉक्टर्स भी थे. जब मेरी मां गर्भवती थीं, तो वो मां से कहते थे कि वो अपने अजन्मे बच्चे को कल्ट के लीडर एने हेमिल्टन को सौंप दें. इस कल्ट के गुप्तचर सरकारों में भी थे. वो मेरी मां के ठिकाने की जानकारी उनके पूर्व पार्टनर तक पहुंचाते थे.
असांज का ये यक़ीन, घटनाओं का उनका ये संस्करण कितना सही है, मालूम नहीं. मगर इसमें कल्ट के भेदियों की सरकारी अंदरख़ानों तक पहुंच वाली बात, ये असांज के राजनैतिक नज़रिये का हिस्सा लगती है. इसमें सरकार के प्रति एक स्वाभाविक अविश्वास दिखता है.
ख़ैर, वापस लौटते हैं असांज की परवरिश पर. अपनी मां और सौतेले भाई के साथ भागने-छुपने वाले दौर में ही असांज का ताल्लुक कंप्यूटर्स से हुआ. जल्द ही ये उनका पसंदीदा टूल बन गया. असांज कंप्यूटर्स के लिए प्रोग्रैम्स लिखने लगे. वो प्रोग्रैमिंग में इतने ब्रिलिएंट थे कि ये उनका स्वाभाविक टैलेंट बन गया. टीनऐज़ में ही वो दूसरे की प्रोग्रैमिंग में सेंधमारी कर लेते थे. वहां प्रोग्रैम के क्रिएटर्स द्वारा छोड़े गए हिडन संदेश पढ़ लेते थे. 1987 और WWW 1987 की बात है. WWW, यानी वर्ल्ड वाइड वेब आने में अभी दो साल की देर थी. इस वक़्त असांज की उम्र थी, 16 साल. इतनी सी उम्र में वो एक काबिल प्रोग्रैमर की पहचान बना चुके थे. सिर्फ़ प्रोग्रैमिंग नहीं, बल्कि हैकिंग में भी. असांज के बारे में कहा जाने लगा था कि वो सुरक्षित से सुरक्षित नेटवर्क में सेंधमारी कर सकते हैं.
टीनएज़र असांज ने बतौर हैकर अपना छद्म नाम रखा था- मैनडैक्स. इस नाम की कहानी दिलचस्प है. करीब 65 ईसा पूर्व में रोम में एक प्राचीन कवि और व्यंग्यकार हुए- होरेस. पहले रोमन सम्राट ऑगस्टस के दौर के कवि. होरेस के वर्सेज़ में कई थीम्स हैं. इनमें से एक है- स्पेलनटाइड मैनडैक्स. लैटिन भाषा के इस टर्म का मतलब है, नोबली अनट्रूथफुल. मतलब, किसी अच्छे मक़सद के लिए झूठ बोलना, अच्छे उद्देश्य के लिए ग़लत करना. अपने हैकिंग अवतार के लिए असांज ने इसी टर्म का शब्द 'मैनडैक्स' इस्तेमाल किया था.
इसका मंतव्य था ये बताना कि वो ग्रेटर गुड में हैकिंग करते हैं. जल्द ही असांज ने दो और हैकर्स के साथ मिलकर अपना एक हैकिंग ग्रुप भी बना लिया. इसका नाम रखा- इंटरनैशनल सबवर्सिव्स. सबवर्सिव शब्द का मतलब होता है, ऐसा इंसान जो एक स्थापित सिस्टम या संस्था की ताकत, उसकी अथॉरिटी को ख़त्म करना चाहता हो.
असांज के ग्रुप 'इंटरनैशनल सबवर्सिव्स' का काम भी यही था. सरकारी कंप्यूटर सिस्टम में सेंधमारी करना. वहां रखी जानकारियां उठाना और उसे औरों के साथ साझा करना. इस ग्रुप ने कई यूरोपीय देशों के सरकारी कंप्यूटर सिस्टम्स में घुसपैठ की. यहां तक कि अमेरिकी रक्षा विभाग के नेटवर्क्स में भी हैकिंग की. यानी, असांज की ज़िंदगी अब तक एक पैटर्न में चल रही थी. इसकी प्रमुख थीम थी- सरकारों पर अविश्वास. उनका यकीन था कि सरकारों को अकाउंटेबल बनाने के लिए ज़रूरी है कि सिस्टम को एक्सपोज़ किया जाए. असांज और हैकिंग हैकिंग के चलते नाबालिग उम्र में ही असांज का सिक्यॉरिटी एजेंसिज़ के साथ साबका पड़ा. ऑस्ट्रेलियन पुलिस ने असांज के ग्रुप पर जांच बिठाई. असांज बस 20 साल के थे, जब हैकिंग के चलते पहली बार उन्हें अरेस्ट किया गया. उनके ऊपर हैकिंग और इससे जुड़े अपराधों के तहत 31 मामले दर्ज किए गए. इस एपिसोड का असर असांज की निजी ज़िंदगी पर भी पड़ा. उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर चली गई. नवजात बच्चे को भी साथ ले गई. असांज डिप्रेशन में आ गए. इतना मानसिक आघात पहुंचा कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. वो मारे-मारे फिरने लगे.
हैकिंग से जुड़े केस में असांज के सिर पर 10 साल की जेल की तलवार लटक रही थी. सरकार और अदालती व्यवस्था असांज के बहाने हैकर्स को एक संदेश देना चाहती थी.  जबकि असांज का कहना था कि उनकी हैकिंग निर्दोष है. इसमें किसी को नुकसान नहीं पहुंचता. ज़ाहिर है, असांज की दलीलें बेअसर रहीं. उन्होंने अपने ऊपर दर्ज 31 मामलों में से 25 मामलों का दोष कबूला. इस सहयोग के बदले बाकी के छह चार्जेज़ हटा दिए गए. अपराध की स्वीकारोक्ति के बदले असांज को केवल एक छोटा सा जुर्माना चुकाकर केस से मुक्ति मिल गई.
ये प्रकरण भले निपट गया हो, मगर असांज का स्टेट मशीनरी के साथ राब्ता बना रहा. ये राब्ता कन्फ्रंटेशन की शक्ल में था. ये टकराव इसलिए था कि इसके दोनों पक्षों में आधारभूत अंतर थे. सरकारी मशीनरी अपने तौर-तरीकों में संकीर्ण होती है. उतनी ही जानकारियां साझा करती है, जितनी करना चाहती है. राष्ट्रीय सुरक्षा जैसी वजहें बताकर गोपनीयता बरतने पर ज़ोर रहता है. असांज इसी टेंडेंसी को चुनौती दे रहे थे. उनका मानना था कि पारदर्शिता होनी चाहिए. हर जानकारी, हर किसी की पहुंच में होनी चाहिए. सरकार को डार्क सीक्रेट्स रखने की छूट नहीं होनी चाहिए. विकीलीक्स का जन्म असांज का मानना था कि दुनिया में सबसे अहम इंसानी संघर्ष है, व्यक्ति बनाम संस्था. स्थापित संस्था सत्य, प्रेम, दया और रचनात्मकता जैसे गुणों को भ्रष्ट कर देती है. असांज का कहना था कि जब सरकारें गवर्नेंस के नाम पर परदे के पीछे से अनैतिक तौर-तरीके अपनाती हैं, तो वो अपराध करती हैं. सरकार द्वारा आबादी के खिलाफ़ किए जा रहे ये अपराध साज़िश हैं. इस साज़िश को नाकाम करने के लिए ज़रूरी है कि जानकारियों का प्रवाह बना रहे. सरकार द्वारा छुपाई जाने वाली जानकारियों और उसके गुप्त अंदरूनी संवाद को पब्लिक में लीक किया जाए. और लीक करने की इसी मंशा से जुड़ा है, विकीलीक्स. जिसे असांज ने 2006 में बनाया.
विकीलीक्स की पैदाइश के बाद असांज और सिस्टम का संघर्ष अपने पीक पर पहुंचा. इस संघर्ष का सबसे चर्चित अध्याय है, चेल्सिया मैनिंग. वो अमेरिकी सेना में एक इंटेलिज़ेंस ऐनालिस्ट थीं. मैनिंग ने इराक़ और अफ़गानिस्तान युद्ध से जुड़े अमेरिकी रक्षा विभाग के करीब 5 लाख गोपनीय मिलिटरी रेकॉर्ड्स चुराए. और, उन्हें असांज के सुपुर्द किया. साथ ही, मैनिंग ने अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के भी लाखों सीक्रेट डिप्लोमैटिक केबल्स असांज को मुहैया कराए.
विकीलीक्स ने इन डॉक्यूमेंट्स को लीक कर दिया. लीक हुए डॉक्यूमेंट्स में कई संवेदनशील जानकारियां भी थीं. मसलन, आर्मी के कुछ उपकरणों का ब्योरा. चरमपंथी और आतंकवादी इस ब्योरे का फ़ायदा उठाकर अमेरिकी सैनिकों को निशाना बना सकते थे. क्या ऐसी जानकारियां पब्लिक करना सही था? क्या इससे ग्रेटर गुड का अभिप्राय सधता था? ऐसे सवालों पर असांज की दलील ये थी कि वो लीकेज़ के दौरान नुकसान को न्यूनतम करने की नीति पर काम करते हैं. इस पॉलिसी में ये गारंटी नहीं ली जा सकती कि लीक इन्फॉर्मेशन से किसी को कोई हार्म नहीं होगा. अमेरिका का विलेन पेंटागन से जुड़ी इस लीकेज़ के बाद असांज अमेरिका के लिए सबसे बड़े खलनायक हो गए. अमेरिका उनपर जासूसी के आरोप में मुकदमा चलाना चाहता था. हालांकि इस वक़्त अमेरिकी सिस्टम में असांज को लेकर एक हिचक भी थी. इसकी वजह थी, पत्रकारिता. पत्रकार भी सरकारी दस्तावेज़ लीक करते हैं. ग्रेटर गुड के आधार पर उसी अमेरिका में मीडिया ने पेंटागन पेपर्स लीक किए थे. ये सरोकार वाली पत्रकारिता के सबसे सुनहरे अध्यायों में से एक है. ऐसे में अमेरिकी सिस्टम पसोपेश में था कि असांज को क्या माना जाए? पत्रकारों को मिलने वाली इम्यूनिटी से असांज को किस आधार पर वंचित रखा जाए? इस हिचक की एक वजह ये भी थी कि एक बड़ा धड़ा असांज को नायक मानता था. इस धड़े का कहना था कि असांज द्वारा किए गए लीक्स सरकारी झूठों का पर्दाफ़ाश करते हैं. ये जनहित का मामला है.
ख़ैर, इसी दौर में एक और डिवेलपमेंट हुआ. अगस्त 2010 में स्वीडन के प्रॉसिक्यूटर्स ऑफ़िस ने एक अरेस्ट वॉरंट जारी किया. इसमें असांज पर लगाए गए दो आरोपों का ज़िक्र था. पहला, बलात्कार. दूसरा, मॉलेस्टेशन. असांज ने कहा, ये आरोप बेबुनियाद हैं. मगर इन्हीं आरोपों के मद्देनज़र दिसंबर 2010 में लंदन पुलिस ने असांज को गिरफ़्तार कर लिया. कुछ दिनों बाद असांज को जमानत भी मिल गई. मगर ये केस चलता रहा. मई 2012 में इसी केस की सुनवाई करते हुए ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट ने अपना फ़ैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि असांज को स्वीडिश अथॉरिटीज़ के सुपुर्द किया जाए. ताकि वो असांज को स्वीडन ले जाकर उनसे पूछताछ कर सकें.
और बस. यही था पीक. इस चरम की तारीख़ थी- 19 जून, 2012. ब्रिटेन की राजधानी लंदन में एक इलाका है, नाइट्सब्रिज़. यहां एक बड़ा सा, ख़ूब आलीशान, ख़ूब मशहूर डिपार्टमेंट स्टोर है, हैरोड्स. इसके बिल्कुल नज़दीक एक छह मंज़िला इमारत है. भूरी दीवारों और सफ़ेद खिड़कियों वाली इस इमारत में है एक दूतावास. किसका? साउथ अमेरिका में बसे देश, एक्वाडोर का. 19 जून, 2012 को इस ऐम्बैसी बिल्डिंग के बाहर एक मोटरसाइकिल रुकी. उसे चला रहा आदमी कूरियर लेकर आया था. वो आदमी कूरियर लेकर बिल्डिंग में दाख़िल हुआ और वहीं रुक गया.
पता चला, कूरियर बनकर आया वो इंसान और कोई नहीं, ख़ुद असांज थे. जब गिरफ़्तारी से बचने के सारे दरवाज़े बंद हो गए, तो असांज ने एक्वाडोर ऐम्बैसी में घुसकर शरण मांगी. पॉलिटिकल असाइलम की अपील की. और एक्वाडोर ने उन्हें इम्यूनिटी देने का ऐलान किया. किसी देश की ऐम्बैसी, दूतावास का परिसर उस देश का सेक्रोसेंट स्पेस होता है. अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के चलते होस्ट देश दूतावास की सिक्यॉरिटी नहीं लांघ सकता. वो ऐम्बैसी की सहमति के बिना वहां कोई ऑपरेशन, कोई गिरफ़्तारी नहीं कर सकता. असांज ने इसी नियम का इस्तेमाल कर ब्रिटेन को धप्पा बोला था. ख़ुद को गिरफ़्तार होने, प्रत्यर्पित किए जाने से बचाया था. एक्वाडोर पर दबाव ब्रिटेन काफ़ी तिलमिलाया. उसने एक्वाडोर पर दबाव बनाया. ये धमकी भी दी कि वो दूतावास में घुसकर असांज को अरेस्ट कर लेगा. मगर एक्वाडोर डटा रहा. उसने ब्रिटेन से कहा, हम ना तुम्हारे ग़ुलाम है, न तुम्हारी कॉलोनी. हम संप्रभु देश हैं. और तुम हमारे दूतावास की इम्युनिटी भंग नहीं कर सकते. ब्रिटेन के पास अब कोई चारा नहीं बचा. उसके एजेंट्स चौबीस घंटे दूतावास के बाहर मौजूद रहते. असांज पर, दूतावास में होने वाली हर गतिविधि पर नज़र रखते. यहां तक कि कई बार असांज को बुली भी करते. मगर वो जो भी करते, बाहर से करते.
अगस्त 2015 में स्वीडन ने असांज पर लगे मॉलेस्टेशन के केस में जांच बंद कर दी. मगर रेप केस चलता रहा. मई 2017 में ये केस भी ड्रॉप कर दिया गया. मगर फिर भी असांज दूतावास में ही बंद रहे. उनके ऊपर अमेरिका प्रत्यर्पित किए जाने की तलवार लटक रही थी.
इस बीच विकीलीक्स ने एक और बड़ा लीक किया. ये जुड़ा था, 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से. चुनाव के दौरान विकीलीक्स ने डेमोक्रैटिक पार्टी के कंप्यूटर्स को हैक किया और हज़ारों ईमेल्स लीक कर दिए. इससे डेमोक्रैटिक पार्टी की प्रत्याशी हिलरी क्लिंटन की स्थिति कमज़ोर हुई. डॉनल्ड ट्रंप ने ख़ुश होकर कहा, आई लव विकीलीक्स. जब आगे इस चुनाव में रशियन दखलंदाज़ी की बातें सामने आईं, तो विकीलीक्स की भूमिका पर गंभीर सवाल उठे.
अंदेशा था कि डेमोक्रैटिक पार्टी के ईमेल्स हैक करने में रशिया ने असांज की मदद की थी. ये असांज पर लगने वाला सबसे गंभीर आरोप था. क्यों? क्योंकि उनपर रशिया की मदद से एक संप्रभु राष्ट्र की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने का इल्ज़ाम लगा था. इस इल्ज़ाम ने असांज की छवि को बहुत नुकसान पहुंचाया. असांज ने कहा, रशिया की कोई भूमिका नहीं. मगर फिर भी सवाल और शंकाएं ख़त्म नहीं हुईं. यहां तक कि असांज के गहरे समर्थक भी डांवाडोल होने लगे. उन्हें असांज का रशिया को क्लीनचिट देना भी बहुत अख़रा.
जनवरी 2018 में ख़बर आई कि एक्वाडोर ने असांज को नागरिकता दे दी है. ऐसा करके एक्वाडोर के तत्कालीन राष्ट्रपति लेनिन मोरेनो असांज को रेस्क्यू कराना चाहते थे. वो असांज को एक्वाडोरियन डिप्लोमैट का ओहदा देने की सोच रहे थे. ताकि असांज लंदन स्थित एक्वाडोरियन ऐम्बैसी से बाहर निकल सकें. लंदन छोड़कर सुरक्षित हो सकें. आज़ाद हो सकें. इसके लिए एक्वाडोरियन सरकार और ब्रिटेन के बीच वार्ता हुई. मगर इसका कोई हासिल नहीं रहा.
Free Assange कई जगहों पर असांज के समर्थन में प्रदर्शन भी हो चुके हैं.
दुविधा की स्थिति एक्वाडोर ने भले असांज की मदद की हो, मगर ये अजस्टमेंट बहुत दोस्ताना नहीं था. 2012 में एक्वाडोर के राष्ट्रपति थे, रफाएल कोरेआ. वो लेफ़्ट विचारधारा के थे. उन्होंने असांज के कॉज़ से सहानुभूति दिखाते हुए उन्हें शरण दी. मगर बाद के सालों में एक्वाडोर के लिए असांज वो कौर हो गए, जिसे न निगलते बनता था, न उगलते. इसकी एक वजह तो ये थी कि असांज के चलते एक्वाडोर को कई देशों से पंगा लेना पड़ रहा था. दूसरा, उसकी ऐम्बैसी बंधक बन गई थी.
सुनने में आया था कि नाराज़गी की एक वजह ये भी है कि कैथलिक मान्यता वाले एक्वाडोर को जूलियन की महिला मित्रों का ऐम्बैसी आकर उनसे मिलना पसंद नहीं था. जो भी हो, अक्टूबर 2018 में ख़बर आई कि असांज एक्वाडोरियन सरकार पर केस करने जा रहे हैं. इस आधार पर कि सरकार उनके बुनियादी अधिकारों और आज़ादी का विरोध कर रही है. इसके बाद एक्वाडोर गवर्नमेंट ने ऐलान किया कि उनका असांज के साथ समझौता हो गया है.
इसके तहत अब असांज उनके दूतावास से निकल जाएंगे. मगर असांज ने ऐसे किसी समझौते से इनकार कर दिया. इस बीच असांज के होमलैंड ऑस्ट्रेलिया में उन्हें लेकर कैंपेन तेज़ हो गया था. वहां लोग सरकार से मांग कर रहे थे कि वो असांज की मदद करे. इसी के चलते फरवरी 2019 में ऑस्ट्रेलिया ने असांज के नाम पर एक नया पासपोर्ट जारी किया. ताकि अगर एक्वाडोर असांज को दिया असाइलम वापस छीने, तो कुछ किया जा सके.
और फिर आई 12 अप्रैल, 2019 की तारीख़. इस रोज़ एक्वाडोर ने पूरी तरह से असांज का साथ छोड़ दिया. लंदन पुलिस दूतावास परिसर में घुसी और असांज को घसीटते हुए ले गई. इस गिरफ़्तारी का आधार ये दिया गया कि 2012 के साल असांज के खिलाफ़ एक वॉरंट जारी हुआ था. लेकिन असांज ने ख़ुद को सरेंडर नहीं किया था. छह साल, नौ महीने और 24 दिन तक दूतावास में क़ैद रहने के बाद असांज खुली हवा में निकले भी, तो जेल ले जाए जाने के लिए.
अब सवाल है कि हम ये सब आज क्यों बता रहे हैं? इसलिए कि एक्वाडोर से असांज की एक ख़बर आई है. उसने असांज को दी गई नागरिकता छीन ली है. एक्वाडोर का दावा है कि असांज ने नागरिकता के लिए जो आवेदन दिया था, उसमें कई गड़बड़ियां थीं. अलग-अलग हस्ताक्षर थे. असांज के वकील कार्लोस पोवेदा ने कहा कि एक्वाडोर ने ये फ़ैसला लेने में यथोचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. बिना असांज की बात सुने मनमानी की.
एक्वाडोर के इस फ़ैसले पर जानकारों को कोई हैरानी नहीं हो रही. वहां राष्ट्रपति हैं, गियेरमो लासो. उन्होंने अपने चुनावी कैंपेन के दौरान ही वायदा किया था कि अगर वो प्रेज़िडेंट बने, तो असांज को दिया असाइलम छीन लेंगे. उनके राष्ट्रपति बनने के बाद से असांज और एक्वाडोर के आपसी रिश्ते बदतर होते गए.
असांज अब 50 साल के हो गए हैं. अप्रैल 2019 से लंदन स्थित बेलमार्श जेल में बंद हैं. वो जब एक्वाडोरियन दूतावास में थे, तब भी एक तरह से क़ैद ही थे. न ताज़ी हवा नसीब थी, न धूप. इसमें कोई शक़ नहीं कि असांज ने अपने ऐक्टिविज़म की बहुत बड़ी क़ीमत चुकाई है. अब भी चुका रहे हैं. क्या असांज के साथ ये होना चाहिए था? क्या सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स लीक करना ग़लत था? ये सत्य है कि असांज ने ग़लतियां भी की हैं. ये भी सत्य है कि उनकी कुछ गतिविधियां संदिग्ध हैं. मगर असांज और विकीलीक्स ने कई ज़रूरी लीक्स भी किए हैं. सरकारों को चेताया है कि वो सीक्रेट और कॉन्फिडेंशियल के नाम पर अपने अपराधों को छुपा नहीं सकतीं.