कोका-कोला. पानी के बाद सबसे ज़्यादा पिया जाने वाला ड्रिंक. 1906 तक सिर्फ़ अमेरिका में बनता था. लेकिन फिर तीन और देशों में बनने लगा. ये तीन देश थे कनाडा, पनामा और क्यूबा. लेकिन फिर 1962 में कोका-कोला को क्यूबा से अपना ताम-झाम समेटकर अमेरिका वापस लौटना पड़ा. दुनिया के 195 देशों में सिर्फ दो देश ऐसे हैं, जहां कोका-कोला पर प्रतिबंध है. दूसरा देश ऑफ़ कोर्स ‘नॉर्थ कोरिया’ है. पहला क्यूबा. लेकिन सवाल ये है कि अमेरिका की ये आइकॉनिक ड्रिंक अमेरिका के पड़ोसी देश में ही क्यूं प्रतिबंधित है?

इसके उत्तर में एक कथा है. जो शुरू होती है साल 1952 से. जब फ़िदेल कास्त्रो स्टूडेंट राजनीति से देश की राजनीति में कदम रख ही रहे थे. उसी दौरान 13 मार्च, 1952 को जर्नल फुलगेन्सियो बटिस्टा क्यूबा का तानाशाह बन बैठा. फ़िदेल, बटिस्टा की तानाशाही के ख़िलाफ़ खड़े हुए. 26 जुलाई, 1953 को अपने साथियों के साथ मिलकर मोंकाडा बैरकों पर हमला कर दिया. फ़िदेल के एक सौ पैंतीस साथियों में से साठ से अधिक मारे गए. बाद में 22 अन्य साथियों को भी बिना मुक़दमे के ही मार डाला गया. हालांकि फ़िदेल पर बाकायदा मुक़दमा चला और 16 अक्टूबर, 1953 को उन्हें 15 साल की सजा हुई. इस दौरान वकालत की पढ़ाई कर चुके फ़िदेल ने अपने बचाव में 2 घंटे लंबा भाषण दिया. ये भाषण, ‘इतिहास मुझे दोषमुक्त करेगा’ नाम से बहुत प्रसिद्ध हुआ.
एक-डेढ़ साल के भीतर-भीतर ही 15 मई, 1955 को फ़िदेल को रिहा कर दिया गया. छूटते ही कास्त्रो फिर अपने ‘क्रांति’ वाले मोड में आ गए. गुरिल्ला युद्ध लड़ा और बटिस्टा को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया. इसके बाद 16 फ़रवरी, 1959 को कास्त्रो क्यूबा के प्रधानमंत्री बनाए गए.

क्यूबा में सत्ता संभालने के तुरंत बाद ‘सोशलिज़्म’ के समर्थक फ़िदेल, देसी-विदेशी सभी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करने लगे. उन्होंने कहा-
क्यूबा में अमेरिकी कंपनियों की उपस्थिति ने साम्राज्यवाद को बढ़ावा दिया है. क्यूबा की संप्रभुता की रक्षा के लिए इन कंपनियों का राष्ट्रीयकरण करना पड़ेगा.राष्ट्रीयकरण की पूरी प्रक्रिया के दौरान फ़िदेल, रूस से तेल का आयात करने लगे. और इस तेल की प्रोसेसिंग उन्हीं राष्ट्रीयकृत कंपनियों में करते, जो अतीत में अमेरिकी हुआ करती थीं. इधर तेल के चलते क्यूबा की रूस से नज़दीकी बढ़ी, उधर चीनी के चलते अमेरिका से दूरी. दरअसल अमेरिका ने बदला लेने के लिए क्यूबा से चीनी आयात करना बंद कर दिया. तभी रूस ने घोषणा कर दी कि हम क्यूबा से चीनी का एक-एक दाना ख़रीद लेंगे. और रूस ने ऐसा किया भी.
3 जनवरी, 1961 को अमेरिका ने क्यूबा सरकार को दी गई मान्यता वापस ले ली और क्यूबा की राजधानी हवाना में अपने दूतावास को बंद कर दिया.
17 अप्रैल 1961 को क़रीब 1500 षड्यंत्रकाररियों ने ‘बे ऑफ पिग्स’ में कदम रखा. ये फुलगेन्सियो बटिस्टा समर्थक थे, जिन्हें अमेरिका की CIA (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) का समर्थन मिला हुआ था. इस षड्यंत्र के बारे में कास्त्रो को पता चल गया था. सारे षड्यंत्रकारी या तो मारे गये या पकड़े गए. फ़िदेल नेशनल हीरो के रूप में उभरे. ‘बे ऑफ पिग्स’ आने वाले कई सालों तक अमेरिका के लिए जगहंसाई का कारण बना रहा.

इसी दौरान क्यूबा में राष्ट्रीयकरण की प्रक्रियाएं भी तेज़ी से चल रही थीं. निजी संपत्तियां ज़ब्त होना शुरू हुईं तो कोका-कोला भी इसकी जद में आई. क्यूबा से तामझाम समेट लिया. साथ ही अमेरिका ने क्यूबा पर आर्थिक और व्यापारिक प्रतिबंध भी लगाने शुरू कर दिए. 1962 में लगे इन प्रतिबंधों का मतलब ये था कि कोका-कोला जैसी अमेरिकी कंपनियां अब चाहकर भी क्यूबा वापस नहीं आ सकती थीं. कुल मिलाकर दो समानांतर प्रतिबंध थे, जो क्यूबा में कोका-कोला या उस जैसी किसी भी अमेरिकी कंपनी को व्यापार करने से रोकते थे-
पहला था राष्ट्रीयकरण के माध्यम से क्यूबा सरकार का विदेशी कंपनियों पर लगाया गया प्रतिबंध और दूसरा था अमेरिका का क्यूबा पर लगाया गया ‘ट्रेड इनबार्गो’ मतलब व्यापारिक और आर्थिक प्रतिबंध.लेकिन अमेरिका-रूस-क्यूबा के इस प्रेम त्रिकोण की कहानी की तो अभी शुरुआत भर हुई थी. अगस्त 1962 के दौरान अमेरिका को पता लगा कि रूस, क्यूबा में न्यूक्लियर मिसाइल रखने के लिए नेवी बेस बना रहा है. अमेरिका के प्रेसिडेंट थे जॉन एफ कैनेडी और रूस के थे निकिता ख्रुश्चेव. दोनों में ठन गई. पर 13 दिनों तक पूरी दुनिया की साँसें रोककर रखने वाला ये मसला 20 अक्टूबर, 1962 को समाप्त हुआ. कैसे? रूस, क्यूबा से अपनी मिसाइलें हटाने हो राज़ी हुआ, इसके एवज़ में अमेरिका को इटली और तुर्की से अपनी 4 पहले से स्टेशन्ड मिसाइलें हटानी पड़ीं.
इसके बाद 1963 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. कैनेडी की हत्या में भी प्रथम दृष्टया फ़िदेल का ही हाथ बताया गया. क्यूबा-अमेरिका संबंध और बुरे हो गए.

1991 में क्यूबा की आर्थिक हालत गड़बड़ा गई. क्यूबा को अमेरिका का दुश्मन होने का जो फ़ायदा कोल्ड वॉर के चलते मिल रहा था, वो USSR के टूटने से जाता रहा था. तब फ़िदेल ने टूरिज़्म को बढ़ावा दिया. अमेरिकी मुद्रा, डॉलर के लिए रास्ते खोल दिए.
फ़िदेल ने 1992 से लेकर 2000 के दौर को ‘स्पेशल पीरियड इन टाइम ऑफ़ पीस’, यानी शांति काल के दौरान का विशेष काल कहा. फ़िदेल के अनुसार इस काल में देश में कई 'रिफ़ॉर्म' किए गए. हालांकि ये रिफ़ॉर्म कम प्रतिबंध ज़्यादा थे. फिदेल का शासन लोगों के साथ कोई रियायत नहीं कर रहा था. हर चीज पर कंट्रोल रखा जाने लगा था. कितना पैसा है किसके पास, कितना खर्च हो रहा है. हर चीज का.
पर दिक्कतें इतनी बड़ी थी कि फ़िदेल के ये सारे रिफ़ॉर्म, सारे प्रतिबंध ऊंट के मुंह में ज़ीरा साबित हुए. 1994 में क्यूबा की जनता फिदेल के खिलाफ सड़कों पर उतर गई. देश में आर्थिक संकट पैर फैलाने लगा था. बहरहाल जैसे-तैसे ही सही पर फ़िदेल जमे रहे. कहा गया कि इस दौरान उन्हें CIA ने 638 बार मारने के प्रयास किए.

इसी थ्योरी पर बेस्ड एक डॉक्यूमेंट्री ‘638 ways to kill Castro’ में उन्हें मारने के कुछ प्रयासों के बारे में बात की गई है. बाद में फ़िदेल ने कहा भी-
हत्या के प्रयास में बचने पर अगर एक ओलंपिक आयोजन होता, तो मैं स्वर्ण पदक जीत जाता.मारिता लोरेंज़, कास्त्रो की सहायिका और प्रेमिका थीं. गर्भवती होने के बाद वो बीमार पड़ गईं और अमेरिका चली गई. अमेरिका आने पर CIA ने मारिता को कनविंस कर लिया. क्यूबा जाकर फ़िदेल का मर्डर करने के वास्ते. लेकिन कास्त्रो को इसका भी पता चल गया. कास्त्रो ने मारिता के हाथ में बंदूक पकड़ाई और कहा- मार दो मुझे! मारिता लोरेंज़ ने बाद में बताया-
कास्त्रो ने सिगार सुलगाया और अपनी आंखें बंद कर लीं. कास्त्रो को पता था कि मैं उसे नहीं मार सकती. हम दोनों एक-दूसरे को प्यार करते थे.इसके अलावा उनके सिगार में बारूद भरने से लेकर उनकी दाढ़ी जलाने तक, CIA ने क्या-क्या न किया, क्या-क्या न करने की कोशिश की. लेकिन 11 अमेरिकी प्रेज़िडेंट्स आकर गुज़र गए, पर फ़िदेल जस के तस रहे. फ़िदेल और अमेरिका की दुश्मनी जस की तस रही. 1998 आते-आते कास्त्रो कहने लग गए कि-
अब हमारे पास एक इज्ज़त बची है. दुनिया के सबसे ताकतवर देश का दुश्मन होने की. ये हमारे लिये गर्व की बात है.लेकिन एक चीज़ थी जो नियत नहीं थी. वो थी फ़िदेल की उम्र. 2002 में एक स्पीच के दौरान ही बोलते-बोलते बेहोश हो गये. दो साल बाद स्पीच देते-देते गिर गए. अबकी घुटना टूट गया. 2006 में आंतों के रक्तस्राव के चलते उनकी सर्जरी की गई. इस दौरान 31 जुलाई, 2006 को उन्होंने अपने भाई रॉल कास्त्रो को सत्ता सौंप दी. फरवरी 2007 में रॉल ने घोषणा की कि फिदेल के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है और वह सरकार की महत्वपूर्ण मीटिंग्स में भाग ले रहे हैं. इसपर टिप्पणी करते हुए उस वक्त के अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने कहा-
एक दिन ईश्वर फिदेल कास्त्रो को हमसे दूर ले जाएंगे.

इसे सुनकर नास्तिक कास्त्रो ने जवाब दिया-
अब मुझे समझ में आया कि मैं बुश और अमेरिका के अन्य राष्ट्रपतियों के षड्यंत्र से क्यों बच गया: ईश्वर ने ही मुझे बचाया था.उस वक्त फिदेल की ये बात मीडिया में ख़ूब चर्चित हुई. लेकिन फिर भी फ़िदेल की गिरती सेहत एक हक़ीक़त थी. 24 फरवरी, 2008 को फ़िदेल के अनुरोध पर उनके भई रॉल कास्त्रो को राष्ट्रपति बनाया गया. यूं 50 साल के क़रीब चले फ़िदेल कास्त्रो के शासन का अंत हुआ. शासन जिसमें पहले वो प्रधानमंत्री रहे, फिर राष्ट्रपति. यूं कि इन 50 सालों में क्यूबा की सत्ता उनके ही हाथ में रही.
25 नवंबर, 2016 को 90 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई.

रही बात कोका-कोला की, तो इस एपिसोड के शूट किए जाने तक भी अमेरिका की ये आइकॉनिक सॉफ़्ट ड्रिंक क्यूबा में नहीं बिकती है. कम से कम लीगल तरीक़े से. हालांकि 2016 में बराक ओबामा के क्यूबा दौरे के बाद इस बात के संकेत मिले थे कि चीज़ें धीरे-धीरे सुधरने लगेंगी. पिछले वाक्य में ‘सुधार’ के साथ ‘धीरे-धीरे’ पर भी गौर करें. 50 सालों से जम रही बर्फ़ को पिघलने में आख़िर कुछ तो वक्त लगेगा.