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सर्वना भवन के मालिक 'डोसा किंग' पी राजगोपाल की कहानी, जिसने तीसरी शादी के लिए लड़की के पति को मरवा दिया

पी राजगोपाल को जब कोर्ट ने जेल भेजना चाहा तो एम्बुलेंस में कोर्ट पहुंच गया.

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डोसा किंग और सर्वना फूड चेन का मालिक पी राजागोपाल, जिसे हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी थी.
देश और दुनिया में होटल की एक चेन है. नाम है सर्वना भवन. इसके मालिक का नाम है पी राजगोपाल. ये आदमी अपने नाम से कम और डोसा किंग के नाम से ज्यादा जाना जाता है. 4 जुलाई को ये आदमी तमिलनाडु के वाडापलानी के विजया अस्पताल में भर्ती हुआ. ऑक्सीजन मास्क लगी फोटो भी सामने आई. और चार दिन के बाद ही 8 जुलाई को वो एक एंबुलेंस से मास्क लगाए मद्रास हाई कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचा. वहां से उसे पुजहाल जेल भेज दिया गया, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश था. हत्या और हत्या की साजिश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा दी हुई है.
पी राजागोपाल को जब कोर्ट ने सरेंडर का आदेश दिया, तो वो एंबुलेंस में सरेंडर करने के लिए कोर्ट पहुंचा था.
पी राजगोपाल को जब कोर्ट ने सरेंडर का आदेश दिया, तो वो एंबुलेंस में सरेंडर करने के लिए कोर्ट पहुंचा था.

किराने की दुकान खोली, ज्योतिषी ने कहा तो रेस्टोरेंट खोल दिया
और इस कहानी की शुरुआत होती है 1973 से. जगह थी तमिलनाडु का तूतीकोरिन. तूतिकोरिन के एक गांव पुन्नाइयादी में प्याज की खेती करने वाला एक किसान था. पी राजगोपाल उसका ही बेटा था. उसे पिता के साथ खेती करना मंजूर नहीं था. तो चेन्नई चला आया. चेन्नई के केके नगर में उसने एक किराने की छोटी सी दुकान खोली. और चलाने लगा. करीब 8 साल तक उसने वो दुकान चलाई. इसी दौरान उसकी दुकान पर एक ज्योतिषी आया. ज्योतिषी ने बताया कि अगर राजगोपाल किराने की दुकान की बजाय रेस्टोरेंट खोले तो उसे ज्यादा फायदा होगा. राजगोपाल ने ज्योतिषी की बात मान ली. जनरल स्टोर बंद कर दिया और उसी की जगह पर एक छोटा सा रेस्टोरेंट खोला. नाम दिया सर्वना भवन.
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पी राजगोपाल के पास किराने की दुकान थी. ज्योतिषी के कहने पर उसने फूड चेन खोल दी और नाम दिया सर्वना भवन.

वो वक्त ऐसा था, जब अधिकांश भारतीय बाहर खाने के बारे में सोचते भी नहीं थे. लेकिन राजगोपाल ने रिस्क लिया. उसने डोसा, पूरी, वड़ा और इडली बेचनी शुरू की. खाना बनाने के लिए उसने नारियल तेल का इस्तेमाल करना शुरू किया, अच्छे मसालों का इस्तेमाल किया और कीमत रखी सिर्फ एक रुपये. नतीजा हुआ कि उसे एक महीने में ही 10,000 रुपये का घाटा हो गया. लेकिन वो पीछे नहीं हटा. अच्छी क्वॉलिटी के तेल-मसालों का इस्तेमाल करके उसने खाना बनाना जारी रखा. वक्त बीता और फिर ऐसा हुआ कि अगर चेन्नई में किसी को भी बाहर खाने का मन हुआ तो उसकी फर्स्ट चॉइस होती थी सर्वना भवन. उसने अपने यहां जितने भी स्टाफ रखे, सबको अच्छी सैलरी देनी शुरू की, निचले स्तर के कर्मचारियों को भी मेडिकल फैसिलिटी देनी शुरू की, जिसकी वजह से उसका स्टाफ उसे अन्नाची (बड़ा भाई) कहने लगा.
राजगोपाल का कारोबार चल निकला. नतीजा ये हुआ कि राजगोपाल का ज्योतिषी पर भरोसा बढ़ गया. कारोबार इतना बढ़ा कि राजगोपाल ने रेस्टोरेंच की चेन शुरू कर दी. धीरे-धीरे करने लोग राजगोपाल का नाम भूल गए और उसे डोसा किंग के नाम से जानने लगे. ज्योतिषी की सलाह पर ही राजगोपाल ने रंगीन कपड़े पहनने छोड़ दिए. सफेद पैंट शर्ट पहनने लगा और माथे पर चंदन का टीका लगाने लगा. इतना ही नहीं, उसने अपने रेस्टोरेंट में अपने साथ ज्योतिषी की तस्वीर भी लगा ली.
20 साल के अंदर ही राजगोपाल के देश में ही नहीं, विदेशों में भी आउटलेट्स हो गए. सिंगापुर, मलयेशिया, थाईलैंड, हॉन्ग कॉन्ग, सऊदी अरब, ओमान, कतर, बहरीन, कुवैत, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड्स, बेल्जियम, स्वीडन, कनाडा, आयरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इटली और रोम में भी राजगोपाल के आउटलेट्स खुल गए. इस दौरान पी राजगोपाल ने दो शादियां कीं. लेकिन दोनों ही नहीं टिकीं.
10 साल के अंदर ही पी राजागोपाल ने दुनिया के और भी देशों में अपने आउटलेट्स खोल लिए.
10 साल के अंदर ही पी राजगोपाल ने दुनिया के और भी देशों में अपने आउटलेट्स खोल लिए.

और फिर उसने ज्योतिषी से सलाह ली. ज्योतिषी ने उसे तीसरी शादी का सुझाव दिया. वो साल 2000 की शुरुआत का वक्त था. इसी दौरान पी राजगोपाल से कुछ पैसे उधार मांगने के लिए एक लड़की पहुंची. लड़की राजगोपाल की कंपनी में काम करने वाले असिस्टेंट मैनेजर की बेटी थी. उसने मैथ्स के एक प्रोफेसर संत कुमार से शादी की थी. और दोनों को अब ट्रैवल एजेंसी शुरू करनी थी. पी राजगोपाल से उसने पैसे की बात की. लेकिन पी राजगोपाल को लड़की इतनी पसंद आ गई कि वो उससे तीसरी शादी की योजना बनाने लगा. उसने लड़की को ट्रैवल एजेंसी खोलने के लिए तो पैसे दिए ही, वो लड़की को हर रोज फोन करने लगा, उसे तोहफे में महंगे गहने भेजने लगा. उसने लड़की और उसके पति के बीच दूरी पैदा करने की कोशिशें शुरू कर दीं.
लेकिन वो कामयाब नहीं हो पाया. लड़की ने संत कुमार से लव मैरिज की थी. दोनों ने घरवालों की मर्जी के खिलाफ शादी की थी. पी राजगोपाल के फोन कॉल और महंगे तोहफे से परेशान होकर लड़की ने पी राजगोपाल को पुलिस से शिकायत करने की धमकी दी. लेकिन पी राजगोपाल नहीं माना. इससे परेशान होकर संत कुमार और उसकी पत्नी ने चेन्नई छोड़ने का फैसला किया. अभी वो लोग चेन्नई छोड़ पाते, उससे पहले ही 28 सितंबर, 2001 को पी राजगोपाल दोनों के घर आए और कहा कि दो दिन के अंदर लड़की पति से रिश्ता तोड़ दे. लड़की ने मना कर दिया, जिसके बाद राजगोपाल के पांच लोगों ने संत कुमार को जबरन एक कार में बिठाया और केके नगर के एक गोदाम में लेकर चले गए. लड़की ने इस अपहरण के लिए राजगोपाल को जिम्मेदार बताया, लेकिन पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया. इस बीच संत कुमार 12 अक्टूबर, 2001 को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से बच निकला और सीधे पुलिस कमिश्नर के दफ्तर में चला गया. इसके बाद तो पुलिस को मुकदमा लिखना ही पड़ा. जब संतकुमार और उनकी पत्नी को लगा कि अब मामला सुलझ जाएगा, लेकिन 18 अक्टूबर को एक बार फिर से संत कुमार का अपहरण हो गया. वहीं पी राजगोपाल ने फिर से लड़की को शादी के लिए फोन करना शुरू कर दिया. लड़की नहीं मानी. और फिर एक दिन काडाइकोनाल के टाइगर चोला के जंगलों में संत कुमार की डेड बॉडी मिली.
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सर्वना भवन के मालिक पी राजगोपाल ने हत्या के मामले में सरेंडर किया और फिर उसे जेल भेज दिया गया.

इसके बाद लड़की ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट का फैसला लड़की के पक्ष में आया और केस दर्ज करने का आदेश दिया. पुलिस ने राजगोपाल के खिलाफ अपहरण, हत्या की साजिश और हत्या का केस दर्ज कर लिया. पुलिस अब राजगोपाल को तलाश रही थी, जिसके बाद 23 नवंबर, 2001 को राजगोपाल ने चेन्नई पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया. करीब डेढ़ साल तक जेल में रहने के बाद 15 जुलाई, 2003 को पी राजगोपाल को जमानत मिल गई.
विशेष अदालत में पहुंचा मामला
जब पी राजगोपाल जब जमानत पर बाहर आ गया, तो लड़की फिर से कोर्ट पहुंची. मामला स्पेशल कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया गया. 2004 में कोर्ट का फैसला आया. कोर्ट ने अपहरण, हत्या की कोशिश और हत्या के मामले में पी राजगोपाल और पांच दूसरे लोगों डैनियल, कार्मेगन, हुसैन, कासी विश्वनाथन और पट्टू रंगन को 10-10 साल कैद की सजा सुनाई. लेकिन लड़की इस सजा से खुश नहीं थी. उसने हाई कोर्ट में अपील की. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई की. करीब पांच साल तक मामला हाई कोर्ट में चलता रहा और फिर मार्च, 2009 में हाई कोर्ट का भी फैसला आ गया. 19 मार्च, 2009 को हाई कोर्ट में जस्टिस बानुमति और जस्टिस पीके मिश्रा की बेंच ने इसे हत्या और हत्या की साजिश का मामला करार देते हुए सभी दोषियों की 10-10 साल की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया. साथ ही पी राजगोपाल पर 55 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से 50 लाख रुपये लड़की को दिए जाने थे.
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और जीवन भर के लिए जेल जाना पड़ा
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जूब मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो कोर्ट ने उम्रकैद की सजा बरकरार रखी और पी राजा को ताउम्र के लिए जेल भेज दिया. वो भी तब जब पी राजगोपाल ऑक्सीजन मास्क लगाकर एंबुलेंस से कोर्ट में पहुंचे थे.

जब पी राजगोपाल और उसके साथियों को हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी तो राजगोपाल ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की. 29 मार्च, 2019 को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया. सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा. आदेश दिया कि 7 जुलाई, 2019 तक उसे सरेंडर करना होगा. लेकिन पी राजगोपाल 4 जुलाई को अस्तपताल में दाखिल हो गया. 7 जुलाई को सरेंडर करने की तारीख बीत गई, तो 8 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में अपील की. कहा कि वो गंभीर रूप से बीमार है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट पर पी राजगोपाल की दलीलों का असर नहीं हुआ. जस्टिस एनवी रमन्ना की खंडपीठ ने कहा कि हर हाल में सरेंडर करना ही होगा, क्योंकि उसने केस की सुनवाई के दौरान अपनी बीमारी का जिक्र नहीं किया था. इसके बाद 9 जुलाई, 2019 को मद्रास हाई कोर्ट पहुंचा. कोर्ट में उसे एक एंबुलेंस लेकर गई थी. नाक में ऑक्सीजन मास्क लगा हुआ था.

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