
1936 में भाई राज कपूर, बहन उमी और मां के साथ शम्मी. (फोटोः यूट्यूब)
#2. उन्हें पहाड़ी गाने बहुत पसंद थे. शूटिंग पर, ड्राइव करते हुए या खाली टाइम में वे गुनगुनाते रहते थे.
#3. फिल्मी गानों में उनकी उछल-कूद कड़ी मजदूरी के बराबर थीः एक्टिंग और एक्टर्स को लेकर उनकी समझ और सलाहियत ये थी कि एक्टिंग ख़ुदा की देन होती है. दूसरा आपके लुक्स अच्छे होने चाहिए जो ऊपरवाला देता है. आपमें टैलेंट होना चाहिए. आपको इतना शिक्षित भी होना होता है कि जान सकें क्या-कैसे करना हैं. डायलॉग याद करना, हाथों का इस्तेमाल करना, चेहरे के भाव देने, आंखों का इस्तेमाल करना, आवाज़ का इस्तेमाल करना - इन सबके लिए बहुत कड़ी मेहनत जरूरी है. उनका कहना था, "जो सक्सेस फिल्म इंडस्ट्री में मैंने हासिल की, उसमें 96 परसेंट बहुत ही कड़ी मजदूरी थी. बहुत ही कड़ी मेहनत. वो उछल-कूद करना आसान काम नहीं था. वो सब मैंने ख़ुद किया. और वो जो बचा हुआ 4 परसेंट है न, वो गुडलक है. पिक्चर चलनी भी चाहिए."

फिल्म तीसरी मंजिल के एक गाने में हैलेन के साथ शम्मी कपूर.
#4. शम्मी कपूर को शुरुआती फिल्मों में सफलता नहीं मिली थी. उन्हें बहुत दुख और दर्द होता था जब लोग कहते थे कि ये अपने भाई राज कपूर की नकल करने की कोशिश कर रहा है. जब उनकी फिल्में सफल होने लगीं तो लोगों ने राज से उनकी तुलना बंद कर दी.
#5. क्यों उन्हें राज कपूर की वजह से स्कूल छोड़नी पड़ीः शम्मी के जन्म के बाद पृथ्वीराज कपूर सबको लेकर कलकत्ता चले गए थे. उनका परिवार सात-आठ साल वहां रहा. 1939 में वहां का न्यू थियेटर्स छोड़कर पिता बंबई लौट आए और रणजीत स्टूडियो जॉइन कर लिया. 1944 में 'शकुंतला' नाटक के साथ उनके पिता ने पृथ्वी थियेटर्स की शुरुआत की. उस प्ले में शम्मी भरत का रोल किया करते थे. इस प्ले और राज कपूर की वजह से उन्हें अपना स्कूल छोड़ना पड़ा था. हुआ ये था कि 'शकुंतला' की रिहर्सल के लिए राज कपूर छुट्टी चाहते थे लेकिन स्कूल ने उन्हें मना कर दिया. इस पर राज गुस्सा हो गए और उनकी प्रिंसिपल से लड़ाई हो गई. इसके बाद शम्मी को भी वो स्कूल छोड़नी पड़ी.
#6. कॉलेज में जब शम्मी का मन नहीं लगा तो उन्होंने छोड़ दिया और घर आ गए. घर आकर पिता पृथ्वीराज से कहा, "पापाजी, सॉरी!" इस पर पिता ने कहा कि कोई नहीं पुत्तर कल से थियेटर आजा! और अगले दिन से वे थियेटर जाने लगे. वहां उन्हें 50 रुपए की पगार मिलनी शुरू हुई.

एक प्ले के दौरान पिता पृथ्वीराज कपूर, भाई राज और शशि कपूर के साथ शम्मी.
#7. नूतन उनकी चाइल्डहुड गर्लफ्रेंड थींः डेब्यू के पहले ही साल में शम्मी कपूर ने नूतन के साथ 'लैला मजनू' (1953) की. इन दोनों का रिश्ता हालांकि बहुत पुराना था. नूतन उनकी चाइल्डहुड गर्लफ्रेंड थीं. जब नूतन 3 और शम्मी 6 साल के थे तब से दोस्त थे. पड़ोस में ही रहते थे. शम्मी के पिता पृथ्वीराज और नूतन की मां शोभना समर्थ बहुत अच्छे दोस्त थे इसलिए दोनों के बच्चे भी हमेशा मिलते और साथ खेलते-कूदते रहते थे. जब टीनएजर हुए तो शम्मी-नूतन ने डेटिंग शुरू कर दी. इन दोनों की एक मज़ेदार घटना याद आती है कि नूतन ने दिलीप कुमार के छोटे भाई नसीर के साथ 1951 में 'नगीना' फिल्म में काम किया था. उनकी इस डेब्यू फिल्म का प्रीमियर बंबई के न्यू एंपायर सिनेमा में हुआ. इस प्रीमियर पर नूतन को छोड़ने बतौर बॉयफ्रेंड शम्मी कपूर आए थे. ये और बात है कि दरबान ने नूतन को घुसने ही नहीं दिया था क्योंकि नगीना 'केवल वयस्कों के लिए' थी और नूतन तब सिर्फ 15 बरस की थीं. शम्मी नूतन से शादी भी करना चाहते थे लेकिन शोभना समर्थ नहीं मानीं. 'नगीना' के रिलीज होने के कुछ ही वक्त बाद उन्हें स्विट्जरलैंड के एक फिनिशिंग स्कूल 'ला शेतेलेन' भेज दिया गया.

शम्मी और नूतन फिल्म लैला मजनू में. (फोटोः यूट्यूब)
#8. उनके पिता ने उन्हें कोई स्टार किड वाली लॉन्चिंग नहीं दी. शम्मी ने फिल्मों में बतौर जूनियर आर्टिस्ट काम करना शुरू किया था. जूनियर आर्टिस्ट के तौर पर उन्हें महीने के 150 रुपए मिलते थे. ये 1948 की बात है.
#9. गीता बाली की मांग में लिपस्टिक भरी थीः उन्होंने 23 की उम्र में शादी कर ली थी. एक्ट्रेस गीता बाली से. उनसे वे पहली बार फिल्म 'कॉफी हाउस' के सेट पर मिले थे. बाद में दोनों ने साथ में केदार शर्मा की फिल्म 'रंगीन रातें' (1959) में काम किया. उसके आउटडोर शूट पर वे रानीखेत हिल स्टेशन गए थे. वहीं प्यार हो गया. शादी का किस्सा भी दिलचस्प रहा. हुआ ये कि रानीखेत के शेड्यूल से लौटने के बाद शम्मी रोज़ गीता से पूछते थे कि वे उनसे प्यार करते हैं, क्या वे उनसे शादी करेंगी? गीता हां नहीं कहती थीं. एक दिन वे बोलीं, "चलो, शादी करते हैं." शम्मी एकदम खुश हो गए. फिर गीता ने कहा, "लेकिन शादी आज ही करनी होगी." वे चौंक गए. बोले, "ऐसे कैसे हो सकता है?" वे बोलीं, "क्यों? वो जॉनी वॉकर ने नहीं की थी पिछले हफ्ते." शम्मी ने कहा, "बहुत अच्छा. चलो!" फिर वे लोग जॉनी के पास गए. शम्मी बोले, "हम लोग प्यार में पड़ गए हैं और शादी करना चाहते हैं. ठीक तुम्हारी तरह. बोलो, कैसे करें?" जॉनी बोले, "तुम लोग पागल हो! मैं मस्जिद में गया हूं, मैं मुसलमान आदमी हूं. आप लोग मंदिर में जाओ." तो वे लोग मंदिर गए. पुजारी ने उनके फेरे करवाए. दोनों ने हार पहनाए. गीता ने अपने बैग में से लिपस्टिक निकाली. शम्मी ने उनकी मांग में लिपस्टिक भर दी. हो गई शादी. शम्मी ने आखिरी वक्त तक कहा था कि ये उनकी जिंदगी के सबसे यादगार वक्त में से एक था.

गीता बाली की बांह मरोड़ते हुए शम्मी; शादी के बाद परिचितों के बीच.
#10. अपनी पहली फिल्म के लिए उन्हें 11,111 रुपए मिले थे. ये फिल्म थी 'जीवन ज्योति' जो 1953 में रिलीज हुई. इसके डायरेक्टर महेश कौल अपने दोस्त और प्रोड्यूसर ए. आर. कारदार के साथ उनका प्ले 'पठान' देखने आए थे जिसमें शम्मी ने अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के साथ काम किया था. प्ले देखने के बाद कौल ने शम्मी को दफ्तर बुलाया और कहा कि हमें आपका काम पसंद आया है और हम चाहेंगे कि आप हमारी फिल्म करें. 1952 में शम्मी ने इस तरह अपनी पहली फिल्म साइन की.
#11. 'तुमसा नहीं देखा' न चलती तो फिल्में छोड़ देतेः जब शम्मी ने गीता से शादी की तो वे उनकी तुलना में कम चर्चित एक्टर थे. वे बड़ी स्टार थीं. उस दौर में उन्होंने शम्मी का बहुत हौसला बढ़ाया. एक वक्त की बात है. रात में वे दोनों किसी होटल की सीढ़ियों पर बैठे हुए थे. शम्मी कपूर ने उनसे कहा, "मेरा करियर आगे नहीं बढ़ रहा है. मैं अब एक पिक्चर में काम करने वाला हूं - 'तुमसा नहीं देखा' (1957). मेरी ये फिल्म अगर नहीं चली तो मैं फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दूंगा. और असम में चाय बागान में मैनेजर बन जाऊंगा." इस पर गीता बाली ने उनको बहुत मोटिवेट किया. उन्होंने कहा, "लेकिन जैसे तुमने इस फिल्म में काम किया है तुम जरूर एक एक्टर के तौर पर पहचाने जाओगे. शम्मी कपूर, एक दिन तुम बहुत बड़े स्टार बनोगे." उनका कहा सच्चा निकला. ये नासिर हुसैन की बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म थी और बहुत बड़ी हिट साबित हुई. शम्मी कपूर ने याद किया था, "इस पिक्चर को स्टूडेंट्स और इंडिया के यूथ ने बहुत पसंद किया. उन्होंने शम्मी कपूर को बहुत पसंद किया. और मैं देव आनंद, राज कपूर और दिलीप कुमार के बीच में से होता हुआ सीधा आगे निकल गया."

पत्नी गीता और बच्चों के साथ शम्मी कपूर.
#12. इसके बाद 'दिल देके देखो' (1958), 'जंगली' (1961), 'राजकुमार' (1964), 'कश्मीर की कली' (1964) और 'जानवर' (1965) जैसी उनकी फिल्में आती गईं और शम्मी ने सफलता के कई आयाम एंजॉय किए. लेकिन फिर निजी जीवन में उन्हें बहुत बड़ा झटका मिला. उनकी पत्नी गीता बाली 1965 में गुज़र गईं. उन्हें स्मॉल पॉक्स हो गया था. शम्मी शॉक में चले गए. तीन महीने तक शूटिंग नहीं कर पाए. फिर तीन महीने के बाद जिस सेट पर शूटिंग की, वहीं उनका गाना शूट हुआ - 'तुमने मुझे देखा होकर मेहरबां'. फिल्म थी - 'तीसरी मंजिल' जो 1966 में रिलीज हुई.
#13. कंप्यूटर को इंडिया में बहुत पहले आज़मा लिया थाः 1988 के करीब उन्होंने पहली बार कंप्यूटर के बारे में जाना और उसके दीवाने हो गए. वे भारत में इंटरनेट यूज़ करने वाले और उसमें भरोसा करने वाले चंद शुरुआती लोगों में से थे. शायद एप्पल का पहला कंप्यूटर इंडिया में उन्होंने ही यूज़ किया था. इसकी शुरुआत यूं हुई कि राज कपूर की बेटी और उनकी भतीजी ऋतु नंदा (अमिताभ बच्चन की बेटी श्वेता की सास) उन दिनों घर आई हुई थीं. उनके हाथ में एक छोटी सी मशीन थी जिसमें वे कुछ कर रही थीं. शम्मी कपूर ने पूछा, "बेटा ये क्या है?" तो ऋतु ने कहा, "अंकल, इसे कंप्यूटर कहते हैं". शम्मी ने कहा, "ये तो बड़ी कमाल की चीज़ है और ये तो हम ज़रूर लेंगे." इसके बाद ये पैशन उनकी जिंदगी का बड़ा हिस्सा बन गया. इंटरनेट को एक्सप्लोर करने में वो बहुत आगे बढ़ गए थे. उन्होंने 'इंटरनेट यूज़र्स कम्युनिटी ऑफ इंडिया' स्थापित की थी. भारत में एथिकल हैकिंग एसोसिएशन बनवाने के लिए उनकी कोशिशें उल्लेखनीय थीं. वे पूरी कपूर फैमिली के लोगों की एक वेबसाइट खुद चलाते थे. बहुत बरस बाद भी वे अपनी इस हॉबी पर दिन में 8 से 10 घंटे खर्च किया करते थे.

शम्मी कपूर अपनी फेवरेट हॉबी में समय बिताते हुए. (फोटोः फेसबुक)
#14. उनकी निजी जिंदगी बहुत रंगीन थी. उनकी बहुत सारी महिला मित्र थीं. इसका पता उनके परिवार के लोगों और दोस्तों को भी था. एक समय में उन्होंने कायरो (ईजिप्ट) की एक बैली डांसर को भी डेट किया था जिससे बाद में ब्रेकअप हो गया.
#15. नरगिस से kiss नहीं ग्रामोफोन प्लेयर लियाः बचपन में शम्मी कपूर ने क्लासिकल म्यूजिक की ट्रेनिंग ली थी. लेकिन उनका वेस्टर्न म्यूजिक से वास्ता नरगिस ने करवाया. वे उनके बड़े भाई राज कपूर के साथ फिल्म 'बरसात' की शूटिंग कर रही थीं. शम्मी भी वहां गए. वहां उन्होंने देखा कि नरगिस अपने मेकअप रूम में बैठी रो रही हैं. उन्होंने कहा, उनकी तमन्ना थी कि राज कपूर की अगली फिल्म 'आवारा' में काम करें लेकिन उऩके घरवाले इसके खिलाफ हैं. नरगिस ने कहा, "शम्मी तुम किसी तरह भगवान से प्रार्थना करो कि मैं ये फिल्म कर सकूं." शम्मी ने कहा, "हां, मैं करूंगा प्रार्थना, तुम जरूर मेरे भाई की फिल्म करोगी." नरगिस ने कहा, "अगर मैंने आवारा में काम किया तो मैं तुम्हें kiss दूंगी." और आखिर 'आवारा' में नरगिस ने काम किया. शूटिंग शुरू हुई तो शम्मी कपूर भी पहुंचे. नरगिस ने उन्हें देखा और कहा, नहीं नहीं, मैं तुम्हें kiss नहीं करने वाली हूं. वे वहां से भाग गईं. शम्मी भी पीछे गए. नरगिस ने कहा, "तुम kiss के लिहाज से अब काफी बड़े हो. इसके अलावा कुछ भी मांग लो." शम्मी ने कहा, मुझे kiss नहीं चाहिए." नरगिस ने पूछा, "तो फिर?"

नरगिस और राज कपूर; टीनएजर शम्मी कपूर.
शम्मी ने कहा, "ग्रामोफोन प्लेयर". ये सुनकर नरगिस की आंखों में आंसू आ गए. वे बोलीं, "तुम्हे बस ग्रामोफोन प्लेयर चाहिए? चलो बैठो मेरी कार में." वे उन्हें लेकर एचएमवी की दुकान गईं. ऊपर के माले ले जाकर बोलीं, "पसंद करो." वहां इतने सारे ग्रामोफोन प्लेयर रखे थे, शम्मी ने एक लाल रंग का खूबसूरत रिकॉर्ड प्लेयर चुना. वहां से वो उन्हें रिद्म हाउस ले गईं. बोलीं, "अपनी पसंद के 20 रिकॉर्ड चुन लो." शम्मी ने वेस्टर्न म्यूजिक से लेकर कई तरह के अपनी पसंद के रिकॉर्ड लिए. इसी प्लेयर और रिकॉर्ड से शम्मी के वेस्टर्न म्यूजिक की तरफ लगाव की शुरुआत हुई जो बाद में चलकर फिल्मों में उनका स्टाइल बना.
#16. डांस करने वाले हीरोज़ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री को शम्मी कपूर की ही देन है. उनकी फिल्मों के बाद हर फिल्म में हीरो यूं नाचने लगे. वे खुद एल्विस प्रेस्ले वगैरह से प्रभावित थे. कहा जाता है कि शम्मी कपूर ने अपनी किसी फिल्म में कोरियोग्राफर की मदद नहीं ली. वे खुद ही अपने डांस स्टेप्स और अंदाज बनाते थे.
#17. उनका लिप सिंक इतना जबरदस्त ऐसे हो गयाः जब शम्मी ने थियेटर जॉइन किया और नाटकों के मंचन के लिए बाहर जाया करते थे तो उनकी आदत थी कि रात को शो खत्म होने के बाद नहाकर, खाना खाकर अपने दो-तीन दोस्तों या साथियों के साथ टैरेस पर चले जाया करते थे. वहां पर वो रिकॉर्ड बजाते थे. उसमें जो भी म्यूजिक होता था उस पर एक्सप्रेशन दिया करते थे. शम्मी उन गानों पर नाचते थे और कैसा भी हो एक्सप्रेशन बनाते थे. और ये अभ्यास उन्होंने काफी साल तक किया. जब फिल्मों में गाने करने का मौका उन्हें मिला तो उनके अंदर जो ये सारी तैयारी थी वो बाहर आ गई. इसकी शुरुआत 'तुमसा नहीं देखा' से हुई. खुद शम्मी ने याद किया था, "मेरा पूरा करियर ही सिंगिंग रहा है. मेरे में कोई दिखावा या भ्रम नहीं है कि मैं कितना अच्छा एक्टर हूं. नहीं! लेकिन हां, मैंने अपने गाने अपने दिल से गाए हैं. मैं डांस करना नहीं जानता, लेकिन मैंने एक्सप्रेशन दिए हैं. अपने गानों को."
#18. रणबीर कपूर उन्हें शम्मी दादाजी कहकर बुलाते थे. उन्होंने ही शम्मी को इम्तियाज अली के साथ अपनी फिल्म 'रॉकस्टार' में काम करने के लिए राज़ी किया था. उस फिल्म में शम्मी ने सीनियर क्लासिकल आर्टिस्ट उस्ताद जमील ख़ान का रोल किया था. इस फिल्म का नाम एक तरह से शम्मी कपूर को समर्पित था क्योंकि म्यूजिक और परफॉर्मेंस के लिहाज से वे अपने समय के रॉकस्टार थे. ये फिल्म अगस्त 2011 में रिलीज हुई और उनकी आखिरी फिल्म रही. तीन महीने बाद नवंबर में शम्मी अलविदा कह गए.

फिल्म रॉकस्टार में शम्मी कपूर और रणबीर.
#19. 'राजकुमार' फिल्म की शूटिंग में हाथी ने पैर तोड़ दियाः 1969-70 में शम्मी कपूर का करियर चेंज होने लगा. वे अब पहले की तरह डांस नहीं कर पा रहे थे. क्योंकि उन्होंने उम्र के इस पड़ाव तक अपने दोनों घुटनों को नुकसान पहुंचा लिया था. एक बार जब वे फिल्म 'जंगली' के गाने 'याहू!' की शूटिंग कर रहे थे. दूसरी बार जब उनकी फिल्म 'राजकुमार' (1964) की शूटिंग चल रही थी. वे हाथी पर बैठे थे और गाना शूट हो रहा था - 'आगे पीछे हमारी सरकार, यहां के हम हैं राजकुमार.' उस दौरान हाथी की गर्दन में एक जंजीर बंधी थी. हाथी इसी दौरान धीरे-धीरे अपने गर्दन घुमाने लगा. शॉट चल रहा था तो शम्मी ने बीच में टोका नहीं और एक्टिंग करते रहे. लेकिन इत्ते में उनका पैर टूट गया. उसके बाद दो-तीन महीने वे शूटिंग नहीं कर पाए.

फिल्म 'राजकुमार' के उस गाने में शम्मी.
बिस्तर में पड़े-पड़े इसी दौरान उनका वजन बढ़ने लगा. उसके बाद उन्होंने शूटिंग तो शुरू की लेकिन वे पहले की तरह डांस नहीं कर पा रहे थे. अगली दो-तीन फिल्मों के बाद उन्होंने देख लिया कि नहीं हो पा रहा. उन्होंने डेढ़ साल के लिए फिल्मों से दूरी बना ली. इस दौरान उन्होंने अपने माता-पिता के साथ पूरा समय बिताया. दोनों ही कैंसर के मरीज थे. शम्मी को बहुत खुशी थी कि वे अंतिम समय में दोनों की सेवा कर पाए. उनके पिता ने दम तोड़ा उसके 16 दिन बाद उनकी मां गुजर गईं. उन्होंने शम्मी की गोद में आखिरी सांस ली.
#20. मोहम्मद रफी का उनकी जिंदगी में बड़ा रोल था. शम्मी याद करते थे, "बिना रफी साहब मैं कुछ भी नहीं था." वे शम्मी के गानों को गाते समय ध्यान रखते थे कि वे कैसे एक्सप्रेशन दिया करते हैं. शम्मी कपूर की एक आदत थी कि वे अपने हर गाने की रिकॉर्डिंग में मौजूद हुआ करते थे.
#21. रेल इंजन की भयंकर गर्मी में सुभाष घई हैरान रह गएः शम्मी ने 1982 में आई फिल्म 'विधाता' के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर जीता था. इसमें उन्होंने दिलीप कुमार के साथ काम किया था. डायरेक्टर थे सुभाष घई. घई ने याद किया कि फिल्म में गाना था 'हाथों की चंद लकीरों का' जिसमें शम्मी कपूर औऱ दिलीप कुमार ट्रेन के ड्राइवर्स बने हैं और इंजन चलाते हुए गा रहे हैं. उसे शूट करने में काफी चैलेंज था. चैलेंज ये था कि दोनों ही एक्टर बुजुर्ग थे और काफी मोटे हो चुके थे. ये गाना रियल इंजन में ही शूट होना था. इंजन के डिब्बे का आकार भी छोटा होता है. अब उसमें ये दोनों भी थे, असल इंजन ड्राइवर भी था, फिल्म की यूनिट भी थी और सुभाष घई भी थे.
घई को लग रहा था कि इतनी गर्मी में इत्ती कम जगह में ये एक्टिंग करते हुए थोड़ी देर में इरीटेट हो जाएंगे और गुस्सा करने लगेंगे. लेकिन ये देखना अद्भुत था कि इतनी विपरीत परिस्थितियों और गर्मी में भी शम्मी कपूर ने बहुत उत्साह के साथ गाने में बहुत अच्छे एक्सप्रेशन दिए. इस उम्र में भी उनमें वही जबरदस्त एनर्जी थी जो करियर के शुरू के दौर में थी.
#22. नसीरुद्दीन शाह से एक बार पूछा गया कि उनके फेवरेट एक्टर कौन हैं? तो उन्होंने हैरान करते हुए कहा - शम्मी कपूर. नसीर ने कहा कि कैमरे के सामने सीरियस होना तो बहुत आसान है लेकिन किसी भी एक्टर का कैमरे के सामने सहज होना बहुत मुश्किल होता है. शम्मी कपूर हमेशा कैमरे के आगे सहज रहते थे.

शम्मी कपूर और नसीर.
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