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भारत आए सऊदी प्रिंस MBS की कहानी, जिन पर भाइयों को जेल में डलवाने का आरोप!

G20 समिट के दौरान भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप के बीच इकनॉमिक कॉरिडोर बनाने पर सहमति बनी है. इसमें Mohammed Bin Salman का बड़ा रोल...

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जमाल खशोगी की हत्या का आरोप, MBS पर लगा था (फोटो सोर्स- AFP)

G20 Leaders Summit के बाद 11 सितंबर को सऊदी अरब (Saudi Arabia) के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान (Mohammed Bin Salman) राष्ट्रपति भवन पहुंचे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उनका स्वागत किया. इसके बाद हैदराबाद हाउस में PM मोदी और मोहम्मद बिन सलमान के बीच बैठक हुई. G20 में शामिल होने के अलावा, ये मोहम्मद बिन सलमान का भारत का राजकीय दौरा भी है.

मोहम्मद बिन सलमान का ये दौरा कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है. G20 समिट के दौरान भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप के बीच इकनॉमिक कॉरिडोर बनाने पर सहमति की बात भी सामने आई है. इस मेगा प्रोजेक्ट में भारत और सऊदी अरब के अलावा, UAE, यूरोपियन यूनियन, इटली, जर्मनी और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं. यही मोहम्मद बिन सलमान (संक्षिप्त में MBS के नाम से मशहूर) लंबे वक़्त से मिडिल-ईस्ट को दुनिया का नया आर्थिक केंद्र बनाना भी चाहते हैं. साल 2018 में उन्होंने कहा था कि मिडिल-ईस्ट, यूरोप बनेगा और सऊदी अरब, 5 साल में बिल्कुल अलग होगा. ये भी कहा जाता है कि MBS के क्राउन प्रिंस बनने के साथ ही, सऊदी कुछ उदारवादी और प्रगतिशील हुआ है. ऐसे में हम आज आपको इन्हीं मोहम्मद बिन सलमान की कहानी सुनाते हैं.

डिफेंस मिनिस्टर MBS

सऊदी अरब में राजतंत्र है. इसे चलाने वाले शाही परिवार यानी ‘हाउस ऑफ़ सऊद’ में 15 हज़ार से ज्यादा सदस्य हैं. इन सदस्यों का ताल्लुक पहले सऊदी स्टेट के संस्थापक मोहम्मद बिन सऊद से है. लेकिन धन-दौलत और वैभव के बड़े हिस्से पर दो हज़ार सदस्यों का नियंत्रण है. ये सदस्य आधुनिक सऊदी किंगडम के संस्थापक अब्दुल अजीज़ के वंशज हैं. सऊदी अरब में सबसे बड़ा पद है राजा का. उसके बाद क्राउन प्रिंस का नंबर आता है. क्राउन प्रिंस ही सऊदी अरब में अगले राजा बनते हैं.

मोहम्मद बिन सलमान. पूरा नाम शाही वंश को सूचित करता है- मोहम्मद इब्न सलमान अब्दुल-अज़ीज़ अल-सऊद. 31 अगस्त, 1985 की पैदाइश है. वो सऊदी के भूतपूर्व किंग सलमान बिन अब्दुल-अज़ीज़ और उनकी तीसरी पत्नी फ़ह्दा बिंत फलाह इब्न सुल्तान के बेटे हैं. वे साल 2017 में सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बने. और फिर सितंबर 2022 में उन्हें सऊदी अरब का प्रधानमंत्री बनाया गया.

शाही परिवारों में ऐसे वारिस कम ही होते हैं जो राजपाट छोड़ बुद्ध हो जाएं. स्वाभाविक तौर पर सलमान को भी बचपन से ही सियासत में दिलचस्पी थी. साल 2007 में, रियाद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की. बैचलर डिग्री लेने के बाद MBS ने सऊदी में उद्योगों को बढ़ावा देने के इरादे से कई फर्म्स और एक NGO शुरू किया. साल 2009 में पिता के सलाहकार बन गए. वो उस वक़्त रियाद के गवर्नर हुआ करते थे. साल 2012 में सलमान बिन अब्दुल-अज़ीज़, क्राउन प्रिंस बने. और जनवरी 2015 में सऊदी के तत्कालीन किंग अब्दुल्लाह का निधन हुआ. उसके बाद सलमान बिन अब्दुल-अजीज अगले किंग बने. उन्होंने MBS को देश का रक्षा मंत्री नियुक्त कर दिया.

यमन में राष्ट्रपति अब्द रब्बुह मंसूर हादी और हौदी विद्रोहियों के बीच जंग छिड़ी थी. सऊदी अरब को लग रहा था कि हौदी जीत गए तो इलाके में पुराने इलाकाई दुश्मन ईरान का दबदबा और बढ़ेगा. इसलिए रक्षा मंत्री बनते ही, MBS ने यमन में सेना उतार दी. मंसूर हादी के पक्ष में. हालांकि 8 साल से जारी यमन का गृह-युद्ध अब तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंचा है. हथियारों की दम पर सत्ता की लड़ाई जारी है. हजारों लोगों की जान जा चुकी है.

रक्षा मंत्री रहने के दौरान ही MBS को सऊदी की तेल कंपनी आरामको (Aramco) का इंचार्ज बना दिया गया. वो सऊदी अरब की नीतियां बनाने वाली संस्था काउंसिल ऑफ़ इकॉनमिक एंड डेवलपमेंटल अफेयर्स के भी प्रमुख रहे.

क्राउन प्रिंस MBS

जून 2017 में MBS को क्राउन प्रिंस बना दिया गया. इसके कुछ ही दिनों बाद ईरान का सपोर्ट करने के चलते, क़तर पर साउथ-ईस्ट के कई देशों ने प्रतिबंध लगाए. MBS इस एक्शन के सेंटर में थे. क़तर के लिए आर्थिक संकट खड़ा हो गया.

आस-पड़ोस के देशों के कई मामलों में MBS का रुचि लेना चर्चा में रहा. नवंबर 2017 में लेबनान के प्रधानमंत्री साद अल-हरीरी, रियाद आए हुए थे. उन्होंने रियाद से ही अचानक अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया. अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ा, तो अल-हरीरी लेबनान लौटे और इस्तीफा वापस लिया. रियाद में क्या हुआ था और हरीरी ने इस्तीफ़ा क्यों दिया, ये कोई नहीं जानता. एक साल बाद एक इन्वेस्टमेंट कॉन्फ्रेंस में MBS, 'हरीरी के अपहरण' पर चुटकुला सुना रहे थे. ये तो एक प्रकरण है.

MBS के क्राउन प्रिंस बनने के बाद, सऊदी में शाही परिवार से जुड़े दर्जनों प्रिंस, व्यापारियों और सीनियर अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया. अल-वलीद बिन तलाल जैसे MBS के कई भाई महीनों जेल में रहे. सरकार का कहना था कि ये भ्रष्टाचार विरोधी अभियान है. लेकिन कहा ये भी गया कि ये असल में MBS की सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की कवायद है. जेल से रिहाई के बदले व्यापारियों ने अपने व्यापार में सरकार को कुछ हिस्सेदारी दी, अरबों डॉलर की रकम अदा की.

इसी तरह, मार्च, 2020 में एक बार फिर MBS ने अपने कई खानदानी लोगों को गिरफ्तार करवाया. कहा गया कि इन लोगों के खिलाफ राजद्रोह की जांच जारी है. गिरफ्तार हुए लोगों में कई शाही ताज के बहुत करीब थे या पहले रहे थे. जैसे किंग सलमान के भाई अहमद और MBS के पहले सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस रहे मोहम्मद बिन नाएफ़.

इसके अलावा, साल 2018 में पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या का आरोप भी MBS पर लगा था. सऊदी अरब के पत्रकार खशोगी अमेरिकी अखबार वाशिंगटन पोस्ट के लिए कॉलम लिखा करते थे. उन्हें सऊदी शाही परिवार के खिलाफ माना जाता था. खशोगी की तुर्किए में सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास के बाहर हत्या कर दी गई थी. तुर्किए ने इसे अपनी संप्रभुता और मानवाधिकार के खिलाफ बताया, लेकिन सऊदी अरब और MBS ने इस घटना में कोई हाथ होने से साफ़ इनकार किया है.

उदारवादी नेता?

MBS, कुछ हद तक सुधारवादी नेता की अपनी छवि बनाने में सफल हुए हैं. अरब देशों के रुढ़िवादी वहाबी संगठनों के खिलाफ जाकर उन्होंने कई सामाजिक प्रतिबन्ध ख़त्म किए हैं. सिनेमाघरों से प्रतिबंध हटा दिया गया, महिलाओं को खेलों में हिस्सा लेने की अनुमति मिली. अबाया (नकाब) पहनने की अनिवार्यता ख़त्म कर दी गई. सऊदी में अब महिलाएं भी ड्राइविंग लाइसेंस रख सकती हैं.

सितंबर 2022 में MBS, सऊदी अरब के प्रधानमंत्री बने. उनकी जगह, उनके भाई खालिद, देश के रक्षा मंत्री बने. मोहम्मद बिन सलमान, सऊदी अरब के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने को प्राथमिकता दे रहे हैं. उन्होंने इजराइल के साथ, तनातनी कम करने की कोशिश की है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन, MBS के अच्छे दोस्त हैं. PM मोदी के साथ MBS की मुलाक़ात के दौरान, भारत और सऊदी अरब के बीच भी कई समझौतों पर दस्तखत हुए हैं. 

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