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संजय सिंह : भाजपा में जाने वाला कांग्रेसी राजा, जिस पर प्रेमिका के पति को मरवाने का आरोप था

राज्यसभा से इस्तीफा भी ठीक ट्रिपल तलाक पर वोटिंग के दिन दिया.

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अब संजय सिंह फिर से भाजपा में गए हैं, लेकिन ये केस उनका पीछा कभी नहीं छोड़ेगा
संजय सिंह अब खबरों में हैं. लम्बे समय तक सक्रिय राजनीति में उनका चेहरा नहीं दिखा, लेकिन इस बार फिर से सामने आए हैं. ये कहकर कि कांग्रेस आगे बढ़ना नहीं चाह रही है, भूतकाल की पार्टी है. पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. राज्यसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दिया. और कहा कि अब जाएंगे भाजपा में.
पार्टी में बहुत सारे नेता दलबदल करते रहते हैं. खुद संजय सिंह ही कई पार्टियों में उछलकूद के बाद कांग्रेस में आकर टिके थे. ये इतनी बड़ी बात तो नहीं होनी चाहिए. लेकिन संजय सिंह का कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा में जाना बड़ी खबर है. क्योंकि अमेठी के राजा कहे जाने वाले संजय सिंह महज़ कोई कांग्रेस के नेता नहीं थे, बल्कि अमेठी के राजा थे. कहा जाता है कि अमेठी को गांधी परिवार की झोली में डालने का काम संजय सिंह ने किया और इस वजह से उनकी राजीव गांधी से करीबी भी बढ़ी. इस साल के लोकसभा चुनाव में संजय सिंह ने सुल्तानपुर लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था, लेकिन मेनका गांधी से हार गए.
लेकिन एक कहानी है. सैयद मोदी की. 26 साल का धुआंधार बैडमिन्टन प्लेयर. राष्ट्रीय चैम्पियन. कॉमनवेल्थ खेल में मेन्स सिंगल टाइटल जीता. करियर के मेयार पर था. 28 जुलाई 1988 को लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम से बाहर आ रहा था. गोलियां चलीं और सैयद मोदी मारा गया. सैयद मोदी की हत्या में नाम आया अमेठी के राजा का. उसी संजय सिंह का नाम, जिसकी हम बात करने वाले हैं.
सैयद मोदी जो प्रकाश पादुकोण हो सकता था
सैयद मोदी जो प्रकाश पादुकोण हो सकता था

सैयद मोदी बैडमिन्टन का सितारा था. उसके बारे में बातें होती थीं कि अगर आगे जाता तो प्रकाश पादुकोण से बड़ा खिलाड़ी होता. 1976 के एक टूर्नामेंट में उसकी मुलाकात होती है एक खिलाड़ी अमीता कुलकर्णी से. दोनों करीब आते हैं और दोनों शादी करने का फैसला लेते हैं. शादी होती है रजिस्ट्री ऑफिस में.
और कहते हैं कि इस शादी के बाद से ही सैयद मोदी की हत्या की पटकथा लिखी जाने लगती है. मोदी और अमीता में मतभेद शुरू होते हैं. मोदी की हत्या की जांच कर रही सीबीआई ने बताया कि चूंकि दोनों खिलाड़ी थे, तो दोनों में प्रतिस्पर्धा होने लगी. वो प्रतिस्पर्धा धीरे-धीरे संबंधों में भी आने लगी. और धीरे-धीरे सैयद मोदी और अमीता कुलकर्णी के बीच आना हुआ एक तीसरे शख्स का. शख्स का नाम संजय सिंह. शादीशुदा. दो बच्चों का बाप. अमीर. संजय गांधी मार्का मसल पॉलिटिक्स सीखने के बाद राजीव गांधी का करीबी हुआ.
संजय सिंह (बाएं) और सैयद मोदी (दाहिने)
संजय सिंह (बाएं) और सैयद मोदी (दाहिने)

किस्से हैं कि संजय सिंह और अमीता में नज़दीकियां बढ़ीं और इस वजह से मोदी और अमीता में लड़ाइयां होने लगीं. उस समय अमीता और संजय में करीबी थी या नहीं इस पर से धुआं तो साफ़ नहीं हो सका है, लेकिन ये तय है कि मोदी ने लगभग मान लिया था कि संजय और अमीता में प्रेम संबंध चल रहे हैं. और सीबीआई की थ्योरी की मानें तो अमीता ने भी एक बार भी मोदी के भ्रम को तोड़ने या साफ़ करने की कोई कोशिश नहीं की.
अमीता कुलकर्णी और संजय सिंह
अमीता कुलकर्णी और संजय सिंह

अमीता अपनी डायरी में संजय सिंह के साथ अपने संबंध के बारे में लिखतीं, और कई बार ये लिखना सैयद मोदी को चिढ़ाने के लिए लिखना होता था. क्योंकि सैयद मोदी ये डायरी पढ़ता और संजय सिंह और अमीता के संबंध के बारे में उसके कयास और पुख्ता होते जाते. अमीता अपनी जुगत में सफल हो गयीं.
अपने बयान में उन्होंने साफ़ किया. कहा था कि संजय सिंह से उनके संबंध अच्छे थे. लेकिन कोई विवाहेत्तर संबंध नहीं था, जैसे आरोप लगाए जा रहे हैं.
सैयद मोदी की पत्नी अमीता सिंह जिन्होंने बाद में संजय सिंह से शादी की.
सैयद मोदी की पत्नी अमीता सिंह जिन्होंने बाद में संजय सिंह से शादी की. फोटो अमेठी में चुनाव प्रचार के दौरान की.
“मोदी मुझ पर अपना अधिकार समझता था. अपनी कल्पना का इस्तेमाल करके मैंने अपनी डायरी में मोदी को चिढ़ाने के लिए बातें लिखीं. अगर मेरा किसी से अफेयर होता तो मैं इतनी मूर्ख नहीं हूं कि उसे अपनी डायरी में लिखती कि उसके बिना पर मेरे खिलाफ केस बनाया जा सके.”
सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार मीता और संजय की मुलाकात 1984 में होती है, और कुछ सालों बाद ही अमीता गर्भवती होती है. सैयद मोदी को लगने लगता है कि ये बच्चा उसका नहीं है, बल्कि अमीता के प्रेमी संजय सिंह का है. बच्चे की पैदाइश अमीता के घर मुंबई में होती है, और उसके दो महीनों बाद मोदी की हत्या होती है लखनऊ में.
सैयद मोदी की हत्या की सुई घूमती है संजय सिंह के कथित करीबी और उनके जनमोर्चा के दिनों के सहयोगी अखिलेश सिंह पर. आरोप है कि संजय सिंह और अखिलेश सिंह ने 1988 के जून महीने के तीसरे हफ्ते में इलाहाबाद के यांत्रिक होटल में एक पार्टी की थी. कहा जाता है कि इस होटल में सैयद मोदी की हत्या की प्लानिंग हुई.
सैयद मोदी को धीरे-धीरे संजय और अमीता के संबंध के बारे में भरोसा होने लगा था.
सैयद मोदी को धीरे-धीरे संजय और अमीता के संबंध के बारे में भरोसा होने लगा था.

मोदी की हत्या 28 जुलाई को हुई. सीबीआई ने दावा किया कि उसके पास सबूत हैं कि मोदी की हत्या के बाद तीन दिनों तक यानी 29, 30 और 31 जुलाई को अखिलेश सिंह ने संजय सिंह से दिल्ली में संपर्क साधने की कोशिश की. लेकिन सीबीआई ने कोई मजबूत साक्ष्य नहीं पेश किए. सीबीआई ने ये भी कहा कि अखिलेश सिंह ने मोदी की हत्या के लिए 4 शूटर भाड़े पर लिए थे, जिन्होंने मोदी की हत्या को अंजाम दिया.
सीबीआई ने संजय सिंह और अमीता के साथ कुल सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. 1990 में संजय सिंह और अमीता पर से सारे आरोप हटा लिए गए. मामले में शूटर भागवती सिंह को 2009 में उम्र कैद की सजा सुनाई गयी. मामले के दो अभियुक्तों अमर बहादुर और बलई सिंह की मौत न्यायालय का आदेश आने के पहले ही हो गयी.
अमीता सिंह और संजय सिंह
अमीता सिंह और संजय सिंह

साल 1995. अमीता और संजय सिंह ने शादी कर ली. इस शादी की खबरें फ्लैश हुईं. तो सैयद मोदी की हत्या में संजय सिंह और अमीता का नाम फिर से लिया जाने लगा. दोनों ने कहा था कि दोनों किसी अफेयर में नहीं थे, लेकिन शादी की खबरों से मामला फिर से गर्म हुआ.
और मौसम थोड़ा ज्यादा खराब हुआ गरिमा सिंह के चैलेन्ज की वजह से. गरिमा सिंह यानी संजय सिंह की पहली पत्नी. गरिमा सिंह ने कहा कि उनकी और संजय सिंह के बीच तलाक नहीं हुआ है, और अभी भी ये विवाद उलझा हुआ है.
संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह
संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह

ये सब जब हो रहा था, उस समय संजय सिंह वी.पी. सिंह की सरकार और जनमोर्चा से जुड़े हुए थे. अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में वीपी सिंह ने संजय सिंह को दूरसंचार मंत्री नियुक्त किया था. इस करीबी में दोनों का पारिवारिक जुड़ाव भी था. क्योंकि वीपी सिंह रिश्ते में संजय सिंह की पत्नी गरिमा सिंह के बड़े पापा लगा करते थे.
समय आगे बढ़ा तो वे जनता दल में शामिल हो गए. फिर आए भाजपा में. 1998 में अमेठी लोकसभा सीट भाजपा के टिकट पर जीत गए. 1999 में चुनाव हुए तो सोनिया गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ने गए. फिर हार गए.
साल 2003. संजय सिंह कांग्रेस में वापस आए. और 2009 में उन्होंने सुल्तानपुर लोकसभा सीट से जीत दर्ज की, जो 2014 में वरुण गांधी के पास चली गयी.
मामले में गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से बाहर आते संजय सिंह
मामले में गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से बाहर आते संजय सिंह

साल 2017 का विधानसभा चुनाव. अमेठी विधानसभा सीट. अमीता कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही थीं. लेकिन उनके सामने भाजपा ने बतौर प्रत्याशी खड़ा कर दिया गरिमा सिंह को. गरिमा सिंह चुनाव जीत गयीं. और कांग्रेस की अच्छी फजीहत हुई. क्योंकि अमीता तो लड़ रही थीं चुनाव, साथ ही संजय सिंह यूपी में कांग्रेस की कैम्पेन कमिटी के चेयरमैन थे.
अब सब साफ़ है. संजय सिंह ने कांग्रेस को बीते समय में जीती हुई पार्टी बताकर साथ छोड़ दिया है, तो यहां भी अमीता सिंह ने साथ निभाया. और दोनों ही अब कांग्रेस के साथ नहीं है. ऐसे में अब कांग्रेस के पास न अमेठी है और न अमेठी का राजा. और इस सबके बीच एक खिलाड़ी है, जिसकी हत्या की साज़िश संदेह के घेरे में है.


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