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रूस-अमेरिका के बीच हुई 26 कैदियों की अदला-बदली, लेकिन चर्चा सिर्फ एक शख्स की क्यों हो रही है?

American President Joe Biden ने Evan Gershkovich और Paul Whelan से मुलाक़ात की. शीत युद्ध के बाद ये US और Russia के बीच सबसे बड़ी कैदी अदला-बदली डील है.

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16 महीने तक जेल में रहे इवान गेर्शकोविच. (फ़ोटो - रॉयटर्स)

Russia-US Prisoner Exchange: रूस और अमेरिका के बीच 26 कैदियों की अदला-बदली हुई है. तुर्की के अंकारा एयरपोर्ट में हुई कैदियों की इस अदला-बदली को सोवियत संघ के विघटन के बाद इतिहास में रूस और अमेरिका के बीच सबसे बड़ी अदला-बदली बताया जा रहा है. कैदियों की इस अदला-बदली में रूस और अमेरिका के अलावा जर्मनी, नॉर्वे, बेलारूस, स्लोवेनिया और पोलैंड भी शामिल हैं.

जिन कैदियों की अदला-बदली हुई है, उनमें पूर्व अमेरिकी मरीन पॉल व्हेलन, अलसु कुर्माशेवा समेत कई चर्चित लोगों के साथ एक और व्यक्ति की ख़ासा चर्चा है. वो हैं वॉल स्ट्रीट जर्नल के रिपोर्टर इवान गेर्शकोविच. रूस ने इवान को 2023 में ये कहते हुए गिरफ़्तार किया था कि वो जासूसी कर रहे थे. हालांकि, इस गिरफ्तारी की चौतरफा आलोचना हुई थी. 

US-Russia Deal

इस डील के तहत पश्चिमी देशों में बंद 8 रूसी नागरिकों को रूस वापस भेजा गया. अमेरिकी सरकार का कहना है कि अमेरिका ने रूस और दूसरे देशों के साथ मिलकर इस मुश्किल फ़ैसले की प्लानिंग की थी. रूस भेजे गए कैदियों के बारे में जर्मनी ने बताया कि इनमें एक रूसी नागरिक वादिम कसीकोव भी था, जो हत्या के एक मामले में 2009 से जर्मनी में कैद था. वहीं, नॉर्वे और स्लोवेनिया में गिरफ्तार किए गए रूस के कथित जासूसों को भी छोड़ा गया है. दो नाबालिगों को भी रूस वापस भेजा गया. बताया गया कि ये दोनों स्लोवेनिया की जेल में बंद कथित जासूसों के बच्चे हैं.

इवान गेर्शकोविच की सबसे ज़्यादा चर्चा

इवान गेर्शकोविच को छोड़े जाने पर वॉल स्ट्रीट जर्नल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन, उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, समेत देश-विदेश के कई नेताओं ने इस फ़ैसले का स्वागत किया. इवान गेर्शकोविच की रिहाई इतनी अहम है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिका लौटने पर उनसे खुद मुलाक़ात की.

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इवान गेर्शकोविच अपने परिवार के साथ. (फ़ोटो -  रॉयटर्स)
कौन हैं Evan Gershkovich?

इवान के माता पिता सोवियत यूनियन में रहते थे. लेकिन साल 1979 में वो सोवियत यूनियन छोड़ अमेरिका में बस गए. इवान ने न्यू जर्सी के प्रिंसटन हाई स्कूल से पढ़ाई की. उसके बाद इवान फिलॉसफी और अंग्रेज़ी की पढ़ाई के लिए बॉडन कॉलेज पहुंचे. इसी दौरान इवान की लिखने में रुचि पैदा हुई. वो अपने कॉलेज के अख़बार ‘द बॉडन ओरिएंट’ के लिए रपटें लिखने लगे. 2014 तक उनका ग्रेजुएशन पूरा हुआ, तो पत्रकारिता से जुड़ी एक फेलोशिप के लिए फ़ौरन थाईलैंड चले गए.

बाद में फेलोशिप भी ख़त्म हुई. ऐसे में इवान को एक परमानेंट नौकरी की तलाश रही. फिर साल 2016 के साल में इवान की पहली नौकरी लगी, न्यू यॉर्क टाइम्स में. लेकिन इवान का दिल तो रूस में लगता था. उनके दोस्त बताते हैं कि वो रूसी कल्चर से प्रभावित थे और उन्हें रूस के लोगों से प्यार था. इसलिए न्यू यॉर्क टाइम्स में एक साल काम करने के बाद इवान मॉस्को पहुंचे. साल 2017 में उन्होंने ‘दी मॉस्को टाइम्स’ जॉइन किया. 

मॉस्को टाइम्स अंग्रेजी और रूसी भाषा में छपने वाला अख़बार है. जिस साल इवान ने ये यहां काम शुरू किया उसी साल इसका ऑनलाइन संस्करण भी लॉन्च हुआ. अख़बार अक्सर पुतिन की नीतियों की आलोचना करता था. साल 2020 में अखबार को अपना हेडक्वार्टर रूस से शिफ्ट करना पड़ा. क्योंकि रूस में मीडिया की आज़ादी सीमित करने के लिए कई नियम कानून लाए जा रहे थे. इसके बाद, अखबार पर सरकार की आलोचना के आरोप लगे. इसी साल अखबार को रूस में बैन कर दिया गया था.

हालांकि, इवान शायद पहले ही ये भांप चुके थे. 2020 में उन्होंने न्यूज़ एजेंसी AFP में जॉब शुरू की. नौकरी बदली तो, लेकिन जगह वही रही. इवान जैसे रूस के होकर रह गए. इवान ने AFP के साथ तकरीबन 2 साल काम किया. साल 2022 में उन्होंने अमेरिकी अखबार वाल स्ट्रीट जर्नल जॉइन कर लिया. इसी साल 2022 में रूस ने यूक्रेन पर हमला बोल दिया. दरअसल, 24 फरवरी को जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया, तब उनकी पोस्टिंग को बस कुछ ही हफ़्ते हुए थे. अगले 13 महीनों तक वे युद्ध में खप रहे देश के बारे में लिखते रहे, जहां सैनिक शवों के थैलों में घर लौटने लगे थे और रूस असहमतियों को कुचल रहा था. इवान ने पुतिन के करीबी लोगों, वैगनर ग्रुप की भाड़े की सेना और अर्थव्यवस्था के युद्ध स्तर पर बदलाव पर खुलकर रपटें लिखीं.

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रायटर्स की ख़बर के मुताबिक़, वॉल स्ट्रीट जर्नल में जॉब करते हुए इवान ख़ुश रहने लगे. रॉयटर्स की ख़बर के मुताबिक़, 31 साल के इवान ने अपने दोस्तों को बताया कि उन्हें एक बेहतर मौक़ा मिला है. हालांकि, इसी नौकरी ने बाद में उनके लिए मुश्क़िल भी खड़ी कर दीं. जब गेर्शकोविच शीत युद्ध के बाद रूस में गिरफ्तार होने वाले पहले अमेरिकी पत्रकार बने. रूस ने आरोप लगाया कि इवान अमेरिकी केंद्रीय खुफिया एजेंसी के लिए संवेदनशील सैन्य जानकारी इकट्ठा कर रहे थे. हालांकि, अमेरिका और वॉल स्ट्रीट जर्नल, दोनों ने इन आरोपों का खंडन किया.

वो 16 महीनों तक रूस की हिरासत में रहे और रूस के लिए सौदेबाजी का साधन बन गए. शुरुआत में उन्हें मॉस्को की कुख्यात लेफोर्टोवो जेल में रखा गया. जुलाई, 2024 में एक रूसी कोर्ट ने उन्हें 'जल्दबाजी में और सीक्रेट सुनवाई' के बाद 16 साल की सज़ा सुनाई. उन पर रूस की युद्ध मशीन के लिए केंद्रीय टैंक के कारखाने के बारे में मिलिट्री सीक्रेट्स इकट्ठा करने की कोशिश करने का दोषी ठहराया गया. उस वक़्त भी उनकी संस्था और अमेरिकी सरकार ने कहा कि वो निर्दोष हैं और उनके ख़िलाफ़ फ़र्ज़ी मुक़दमा चलाया जा रहा है. जबकि रूसी सेना ने कहा कि इवान को जासूसी करते हुए 'रंगे हाथों' पकड़ा गया था.

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इवान गेर्शकोविच (बायें) और पॉल व्हेलन (दायें) (फ़ाइल फ़ोटो - इंडिया टुडे)

रॉयटर्स की ख़बर के मुताबिक़, जेल में रहने के दौरान, इवान ने ख़ुद को रूसी क्लासिक्स जैसे वसीली ग्रॉसमैन के 'लाइफ एंड फेट' जैसे उपन्यासों को पढ़कर व्यस्त रखा. ये उपन्यास द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान लिखा गया था. उन्हें एक टीवी भी देखने के लिए दिया गया, जिस पर सिर्फ़ रूस के सरकारी टेलीविजन चैनल दिखाए जाते थे. बाहरी दुनिया के साथ वो लेटर भेजने के ज़रिए ही संपर्क में रहते थे. उसमें वो जेल में अपने जीवन का मज़ाक उड़ाया करते थे. इसके अलावा बाहरी दुनिया के साथ उनका संपर्क अदालती सुनवाइयों में हुआ, जहां वो एक कांच के पिंजरे के अंदर खड़े होकर साथी पत्रकारों के साथ मुस्कुराहट का आदान-प्रदान करते थे. बोलने की मंजूरी उन्हें तब मिली, जब उनके माता-पिता एला और मिखाइल अपने बेटे का समर्थन करने के लिए सुनवाई के लिए मॉस्को वापस आए. वापस क्यों? क्योंकि हमने शुरुआत में ही आपको बताया कि उनके माता-पिता पूर्व सोवियत नागरिक थे और 1970 के दशक के अंत में अमेरिका चले गए थे.

इवान की रिहाई की ख़बर कई महीनों से चल रही अटकलों के बाद आई है. इसे पुतिन ने ही हवा दी थी. जब उन्होंने कहा कि अगर शर्तें सही हों तो मास्को समझौता करने के लिए तैयार है. और अब इवान अमेरिका लौट गए हैं.

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